भाबी जी लंड पर हैं-2
देव और नताशा भाबी की चुदाई का दूसरा भाग! लंड की सवारी से लेकर टाइट गांड की पहली चुदाई तक, इस हॉट सेक्स स्टोरी में सब कुछ है। शरारत, जोश और रहस्यमयी ब्लू साड़ी वाली भाबी का ट्विस्ट!
तभी भाबी ने मुझे खिड़की से इतनी गंभीरता से नीचे झांकते देखा तो बोलीं, “क्या हुआ देवर जी? नीचे क्या ताकझांक कर रहे हो?” मैं कुछ जवाब देता, इससे पहले ही भाबी ने मेरे सिकुड़े हुए लंड की तरफ इशारा करते हुए तंज कसा, “और अपने इस औजार को तो देखो, बेचारा चूहे की तरह सिकुड़ गया है।”
उनकी बात सुनकर मेरा हाथ अपने लंड पर चला गया। मैंने हंसते हुए कहा, “भाबी, मैं सोच रहा हूँ क्यों न आज हम आंगन में चुदाई का मजा लें?”
भाबी ने फट से मना करते हुए कहा, “नहीं-नहीं देवर जी, आंगन में बिल्कुल नहीं! अगर कोई आ गया तो मुसीबत हो जाएगी।”
मैंने तब तक अपने लंड को हिलाकर फिर से खड़ा कर लिया था। भाबी ने अपनी दोनों टांगें मेरे सामने फैलाते हुए कहा, “अब आओ ना देव… देखो ना, इसमें कुछ चुभ रहा है।” उनकी गोरी-चिट्टी, क्लीन चूत को देखते ही मेरा लंड लोहे का सरिया बन गया।
मैंने शरारती लहजे में कहा, “भाबी, आपकी ये नटखट चूत कोई मूसल जैसा बड़ा सा लंड मांग रही है।”
भाबी ने हंसते हुए जवाब दिया, “हां बिल्कुल! अगर तुम्हारे जैसा लंड इसे जल्दी नहीं मिला, तो पता नहीं इसका क्या हाल होगा।”
मैं बेड पर लेटा ही था कि भाबी मुझ पर कूद पड़ीं। उनकी इस झपट्टे से मेरा लंड उनकी चूत को चीरता हुआ थोड़ा अंदर घुस गया। भाबी के मुँह से हल्की चीख निकल गई। मैंने उनकी टांगें चौड़ी कीं, चूत के होंठ खोले और अपना तना हुआ लंड उनकी चूत पर सेट कर दिया। फिर उनके रसीले चूतड़ों को पकड़कर लंड को उनकी चूत की गहराइयों में उतारने लगा।
भाबी की चूत अभी भी वैसी ही टाइट थी, जैसी पहले थी। मेरा लंड उनकी टाइट चूत को फाड़ता हुआ अंदर गया, और मुझे ऐसा सुख मिला कि बयान नहीं कर सकता। उनकी चूत मेरे लंड को ऐसे चबा रही थी, मानो उसे पूरा निगल लेगी। भाबी भी जोश में अपनी टांगें फैलाकर अपना टाइट भोसड़ा मुझसे चुदवाने लगीं। मेरा लंड उनकी चूत की गहराइयों को नाप रहा था।
तभी मैंने भाबी को लंड पर कूदने का इशारा किया। भाबी तो लंड की सवारी में माहिर थीं। उन्होंने अपनी टांगें फैलाकर अपना खुला भोसड़ा मेरे लंड पर रखा और पूरा वजन मेरे लौड़े पर डाल दिया। मेरा लंड उनकी चूत को चीरता हुआ पूरा अंदर समा गया।
फिर शुरू हुआ असली खेल… आह्ह… उह्ह… हाय… याह… मेरी सिसकारियां निकल पड़ीं। भाबी जी ने मेरे लंड पर ऐसी मस्त कूदन लगाई कि शब्दों में बयान करना मुश्किल है। उनकी गांड इतनी मचल रही थी कि किसी को भी दीवाना बना दे। भाबी ने मेरे लंड को अपने रस से तर-बतर कर दिया। उनकी गांड का उठना-बैठना देखकर मैं मदहोश हो गया।
तभी मुझे शरारत सूझी। भाबी के कूदते हुए मैंने उनके चूतड़ों के बीच के छेद में उंगली घुसा दी। भाबी चिहुंक पड़ीं, “देव, अब इसमें भी अपना ये मूसल डालोगे क्या?”
मैंने कहा, “हां भाबी, पता नहीं कब से आपकी गांड मारने का मन कर रहा है।”
भाबी ने घबराते हुए कहा, “नहीं देव, उधर नहीं! बहुत दर्द होगा। तुम्हारा ये मूसल लंड मेरे छोटे से छेद को फाड़ देगा। मैंने कभी पीछे से नहीं किया, प्लीज ये जिद मत करो।”
मैंने मनुहार की, “भाबी, प्लीज आज मत रोको। आज अपनी गांड मरवा लो, मैं फिर कभी नहीं कहूंगा।”
भाबी ने मेरे लंड का साइज देखकर कहा, “देव, इसे देखो! क्या लगता है, मैं इसे पीछे बर्दाश्त कर पाऊंगी?”
मैंने समझाया, “भाबी, फर्स्ट टाइम थोड़ा दर्द तो सबको होता है, लेकिन इतना भी नहीं। वैसे भी अब तो मैं आपका पति हूँ ना। प्लीज मुझे पीछे करने दो। तेल लगाकर करूंगा, दर्द कम होगा।”
मेरी जिद के आगे भाबी ना-नुकुर करते हुए मान गईं। मैंने पास रखी तेल की बोतल उठाई और अपने लंड को अच्छे से चिकना कर लिया। फिर भाबी को घोड़ी की पोजीशन में बिठाया। उनके भारी चूतड़ इतने सटे हुए थे कि गांड का छेद दिख ही नहीं रहा था। मैंने उनके चूतड़ फैलाए तो उनका गुलाबी छेद नजर आया। उस नन्हे फूल जैसे छेद में अपना मोटा लंड घुसाने की तमन्ना जाग उठी।
मैंने छेद पर तेल लगाया और लंड का सुपारा सेट किया। भाबी के चूतड़ पकड़कर एक जोरदार झटका मारा। सुपारा उनकी गांड में घुस गया और भाबी दर्द से चीख पड़ीं। मैंने फिर हल्के-हल्के सुपारे को अंदर-बाहर किया और एक और करारा झटका दे मारा। इस बार आधा लंड उनकी टाइट गांड में समा गया। भाबी चिल्लाईं, “हाय, मैं मर गई माँ!”
मैंने फटाफट उनका मुँह दबाया और ताबड़तोड़ झटके मारने लगा। उनकी गांड में मेरा पूरा लंड जा चुका था। भाबी दर्द से कराह रही थीं, लेकिन उनकी गांड अब मेरे लंड को लेने लगी थी। उनके भारी चूतड़ मेरी जांघों से टकरा रहे थे, जिससे मेरा लंड उनकी गांड को और बुरी तरह चोद रहा था। भाबी ने टांगें फैलाकर अपनी गांड मेरे लंड पर सेट कर दी थी।
दस मिनट की गांड चुदाई के बाद मेरा लंड माल छोड़ने को तैयार हो गया। मैंने उसे उनकी गांड से निकाला और उनके भारी चूतड़ों पर सारा माल उड़ेल दिया। भाबी ने इशारा किया कि इसे उनकी गांड पर मल दूं। मैंने अपने लंड से उनके चूतड़ों पर पड़ा माल मल दिया।
आखिरकार भाबी ने गांड मरवा ही ली। उनकी ना-नुकुर के बावजूद मैंने उनकी गांड का स्वाद चख लिया। थोड़ी देर बाद हम दोनों नहाने चले गए। फिर भाबी अपने काम में लग गईं।
एक घंटे बाद माँ और राम भैया बाजार से लौट आए। मैं अपने दोस्तों से मिलने बाहर जा रहा था कि तभी सामने से किरायेदार भाबी आती दिखीं। उनकी ब्लू साड़ी देखकर मेरा दिमाग ठनक गया। ये वही साड़ी थी, जो मैंने चुदाई के दौरान खिड़की से देखी थी। भाबी मुझे देखकर नॉटी स्माइल दे रही थीं। मेरा शक अब उन पर गहरा गया।
आगे क्या हुआ, भाबी की ये शरारती मुस्कान कैसे बढ़ी, ये मैं आपको अगली स्टोरी में बताऊंगा। मेरी इस सच्ची देवर-भाभी सेक्स स्टोरी को पढ़ने के लिए आपका शुक्रिया!