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गाँव वाली चाची की चुदाई

पढ़ें समीर और उसकी सेक्सी गाँव वाली चाची की चुदाई की सच्ची कहानी। 18 साल की उम्र में चाची की चिकनी चूत और सख्त बूब्स ने कैसे उसे दीवाना बनाया। इस हॉट सेक्स स्टोरी में जानें उनके बीच की कामुक रातों का राज।

हाय दोस्तों, मेरा नाम समीर है। मैं 22 साल का हूँ और मुंबई का रहने वाला हूँ। आज मैं आपको एक ऐसी कहानी सुनाने जा रहा हूँ, जो मेरे जीवन का सबसे रोमांचक और कामुक अनुभव है। यह बात तब की है जब मैं 18 साल का था और 11वीं कक्षा में पढ़ता था। उस वक्त मुझे सेक्स के बारे में ज्यादा कुछ पता नहीं था, लेकिन मेरे अंदर एक अजीब सी उत्सुकता जाग रही थी—खासकर मेरी उस चाची के लिए, जिसके बारे में सोचते ही मेरे दिल की धड़कन बेकाबू हो जाती थी।

मेरे गाँव में रहने वाली चाची की उम्र उस वक्त करीब 37 साल की होगी। उनके दो बच्चे थे, लेकिन उनकी उम्र का उनके शरीर पर कोई असर नहीं दिखता था। वो ऐसी खूबसूरत और सेक्सी थीं कि उन्हें देखकर किसी का भी मन डोल जाए। उनका फिगर एकदम मस्त था—ना ज्यादा भारी, ना ज्यादा पतला, बस एकदम परफेक्ट। उनके लंबे, घने बाल उनके कूल्हों तक लहराते थे, और उनके कूल्हों का उभरा हुआ शेप ऐसा था कि नजर हटाना मुश्किल हो जाए। उनकी त्वचा गोरी और चिकनी थी, और मैंने उन्हें कई बार नहाते हुए चुपके से देखा था। उनके स्तन ज्यादा बड़े नहीं थे, लेकिन सख्त और तने हुए थे। उनकी निपल्स गुलाबी और खड़ी हुई थीं, जो उनके बदन की सुंदरता में चार चाँद लगाती थीं। उनकी चूत पर हल्के-हल्के बाल थे, जो उसे और भी आकर्षक बनाते थे। मैं घंटों उन्हें बस देखता रहता और मेरे मन में एक अजीब सा तूफान उठने लगता था।

एक दिन मैं उनके घर गया। उस वक्त दोपहर का समय था, और उनके बच्चे उनके साथ बेडरूम में सो रहे थे। घर में कोई और नहीं था। चाची गहरी नींद में थीं, उनकी साड़ी का पल्लू थोड़ा सा सरक गया था और उनकी गोरी कमर हल्की-हल्की दिख रही थी। मैं पास खड़ा होकर उन्हें देखता रहा। तभी हवा के एक झोंके ने उनकी साड़ी को थोड़ा और ऊपर कर दिया, और उनके चिकने, गोरे पैर मेरे सामने आ गए। मेरी नजर उनके पैरों से हट ही नहीं रही थी। उनका हर अंग मुझे अपनी ओर खींच रहा था। मेरे दिल की धड़कन तेज हो गई, और एक अजीब सी गर्मी मेरे शरीर में दौड़ने लगी।

मुझसे रहा नहीं गया। मैंने हिम्मत जुटाई और धीरे से उनके बेड के किनारे बैठ गया। मेरे हाथ काँप रहे थे, लेकिन मैंने हौसला करके उनके पैरों पर हल्के से हाथ फेरा। उनकी त्वचा इतनी मुलायम थी कि मेरे पूरे शरीर में सिहरन दौड़ गई। वो गहरी नींद में थीं, उनकी साँसें एकसमान चल रही थीं। मेरी हिम्मत बढ़ी, और मैंने धीरे-धीरे उनकी साड़ी को उनकी जाँघों तक ऊपर सरका दिया। तभी मेरी नजर उनकी चूत पर पड़ी—उन्होंने पैंटी नहीं पहनी थी। उस नजारे ने मुझे जैसे पत्थर बना दिया। उनकी चूत हल्के बालों से सजी हुई थी, और उसकी गुलाबी रंगत देखकर मेरा दिमाग सुन्न हो गया। मैं बस उसे निहारता रहा, मेरे हाथ अपने आप उसकी ओर बढ़ने लगे।

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आखिरकार, मैंने हिम्मत करके अपना दाहिना हाथ उनकी चूत पर रख दिया। वो गर्म और नम थी। मैंने धीरे-धीरे उसे सहलाना शुरू किया। मेरे स्पर्श से उनकी नींद में हल्की सी हलचल हुई, लेकिन वो जागी नहीं। मैं उनकी चूत को प्यार से सहलाता रहा, और मेरे अंदर की आग बढ़ती जा रही थी। तभी अचानक पाँच मिनट बाद उनकी आँखें खुल गईं। उन्होंने मुझे उस हालत में देख लिया—मेरा हाथ उनकी चूत पर, और उनकी साड़ी ऊपर उठी हुई। मेरी साँस अटक गई। मैं घबराकर उनके बच्चे को सुलाने का नाटक करने लगा। चाची ने कुछ नहीं कहा। बस अपनी साड़ी ठीक की, करवट ली, और वापस सो गईं। मैं वहाँ से भाग आया।

उस रात मुझे नींद नहीं आई। चाची की चूत मेरी आँखों के सामने बार-बार घूम रही थी। मैं बस यही सोचता रहा कि किसी भी तरह उन्हें अपने नीचे लिटा सकूँ, उनकी नंगी देह को अपने हाथों से छू सकूँ। लेकिन उस दिन के बाद एक साल बीत गया। मैं 12वीं कक्षा में पहुँच गया था, और वो ख्वाहिश मेरे दिल में दबी रही।

फिर एग्जाम खत्म हुए, और छुट्टियों में मैं अपनी दादी के गाँव गया। चाची वहीं रहती थीं। गर्मियों की वजह से हम शाम को घर के सामने वाले पार्क में देर तक खेलते थे। चाची भी हमारे साथ आती थीं। रात 8-9 बजे तक हम वहाँ रहते, फिर खाना खाकर दोबारा पार्क में चले जाते। मैं स्केटिंग करता था, और कई बार थककर चाची के पास बैठ जाता। वो मुझसे बातें करतीं। धीरे-धीरे वो मुझसे खुलने लगी थीं। एक दिन उन्होंने मुझसे पूछा, “समीर, तुझे लड़कियों में क्या पसंद है?” मैं थोड़ा शरमाया, फिर हिम्मत करके बोला, “मुझे उनके बूब्स बहुत अच्छे लगते हैं। मन करता है उन्हें दबाऊँ, चूसूँ।” वो हँस पड़ीं और बोलीं, “अच्छा? तो तेरी कोई गर्लफ+फ्रेंड होगी न, जिसके साथ तू मजे करता होगा?” मैंने शरमाते हुए कहा, “नहीं चाची, मैं तो अभी वर्जिन हूँ।” उनकी आँखों में एक चमक सी दिखी, और वो मुस्कुरा दीं।

एक शाम मैं स्केटिंग करके थक गया और उनके पास बैठ गया। अचानक उन्होंने अपना हाथ मेरे हाथ पर रख दिया और धीरे-धीरे सहलाने लगीं। मेरे शरीर में बिजली दौड़ गई। मैं चुपचाप उनकी हरकत देखता रहा। फिर उन्होंने मेरा हाथ उठाकर अपने ब्लाउज के ऊपर अपने सख्त बूब्स पर रख दिया। मैं काँपने लगा। वो मेरे हाथ को अपने स्तनों पर दबाने लगीं। उनकी गर्मी और नरमी मुझे पागल कर रही थी। मैंने भी हिम्मत करके उनके बूब्स को धीरे-धीरे दबाना शुरू कर दिया। उनकी साँसें तेज हो गईं। फिर वो फुसफुसाईं, “अगर और कुछ करना चाहता है, तो रात को मेरे कमरे में आ जाना।” मैंने घबराते हुए कहा, “लेकिन अंकल?” वो बोलीं, “वो दो दिन के लिए बाहर गए हैं।” मैंने सिर हिलाया और वापस खेलने चला गया, लेकिन मेरा दिमाग उसी बात में उलझा रहा।

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रात को खाना खाने के बाद मैं अपने कमरे में लेट गया। सबके सोने का इंतजार करने लगा। जैसे ही घर में सन्नाटा छाया, मैं चुपके से चाची के कमरे में पहुँच गया। वहाँ नाइट बल्ब की हल्की रोशनी थी। चाची करवट लेकर लेटी थीं, उनकी साड़ी का पल्लू थोड़ा सरका हुआ था। मैं पास गया और धीरे से उनके गले में हाथ डालकर उन्हें सहलाने लगा। वो जाग रही थीं। उन्होंने पलटकर मुझे अपनी बाहों में जकड़ लिया और मेरे होंठों को चूमने लगीं। उनकी गर्म साँसें मेरे चेहरे पर पड़ रही थीं। मैंने भी उनके चुंबन का जवाब देना शुरू कर दिया। हम दोनों एक-दूसरे के होंठों को चूसते रहे, जैसे भूखे हों। उनकी जीभ मेरे मुँह में घूम रही थी, और मेरा शरीर जलने लगा था।

उन्होंने मेरा हाथ फिर से अपने बूब्स पर रखा और जोर से दबवाया। मैंने उनके ब्लाउज के ऊपर से ही उनके सख्त स्तनों को मसलना शुरू कर दिया। फिर मैंने अधीर होकर उनका ब्लाउज उतार दिया। उनकी ब्रा हटते ही उनके नंगे बूब्स मेरे सामने आ गए। मैंने उन्हें मुँह में लिया और चूसने लगा। उनके मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगीं—आह्ह… ऊह्ह…। उनकी आवाज सुनकर मेरी उत्तेजना दोगुनी हो गई। मैंने उनकी साड़ी खींचकर अलग कर दी, फिर उनका पेटीकोट और पैंटी भी उतार दी। अब वो मेरे सामने पूरी नंगी थीं। उनकी चूत आज बिल्कुल साफ थी—शायद उन्होंने शेव किया था। उसकी गुलाबी चमक देखकर मेरा लंड पैंट में तड़पने लगा।

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मैंने अपनी उंगली उनकी चूत में डाली और अंदर-बाहर करने लगा। वो सिसक उठीं, “आह्ह… समीर… बस कर…” लेकिन मैं रुका नहीं। उनकी चूत गीली हो चुकी थी। फिर उन्होंने मेरी पैंट और अंडरवियर उतार दी। मेरा लंड बाहर आते ही उन्होंने उसे अपने हाथ में लिया और मसलने लगीं। उनकी नरम उंगलियों का स्पर्श मुझे स्वर्ग में ले जा रहा था। फिर वो नीचे झुकीं और मेरा लंड अपने मुँह में ले लिया। वो उसे चूसने लगीं, गले तक लेने की कोशिश करने लगीं। उनकी गर्म जीभ मेरे लंड पर घूम रही थी, और मैं पागल हो रहा था।

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कुछ देर बाद वो उठीं। उन्होंने अपने थूक से मेरे लंड को चिकना किया और अपनी चूत पर रगड़ा। फिर मेरा लंड पकड़कर अपनी चूत पर रखा और बोलीं, “आजा राजा, अब बजा दे बाजा।” मैं समझ गया। मैंने धीरे से धक्का मारा। मेरा लंड उनकी चूत में थोड़ा सा घुसा, और वो चीख पड़ीं, “आआह्ह… ऊह्ह… धीरे…” लेकिन मैं रुका नहीं। मैंने एक जोरदार धक्के के साथ अपना पूरा लंड उनकी चूत में उतार दिया। वो मुझे जकड़कर चिल्लाईं, “बस कर… दर्द हो रहा है…” मैं रुक गया। उनके बूब्स दबाने लगा, उनके होंठ चूसने लगा।

थोड़ी देर बाद वो खुद अपनी गांड उछालने लगीं। मैं समझ गया कि अब वो तैयार हैं। मैंने जोर-जोर से धक्के मारने शुरू कर दिए। उनकी चूत की गर्मी और टाइटनेस मुझे दीवाना बना रही थी। उनकी सिसकारियाँ कमरे में गूँज रही थीं—आह्ह… हाँ… और जोर से…। पाँच मिनट बाद हम दोनों एक साथ झड़ गए। मैं उनके ऊपर लेट गया, उनके बूब्स चूसने लगा। वो हाँफते हुए बोलीं, “मजा आया?” मैंने शरमाते हुए हाँ में सिर हिलाया और उनसे चिपक गया।

उसके बाद उन्होंने कहा, “जब भी मन करे, आ जाना।” और तब से लेकर आज तक, मैंने उन्हें कई बार चोदा। हर बार वो मुझे नए तरीके से उत्तेजित करतीं, और हम दोनों एक-दूसरे के जिस्म की आग में जलते रहे।