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चाची की चूत मेरे लंड की दीवानी – सच्ची सेक्स स्टोरी

हाय दोस्तों, मेरा नाम प्रेम शर्मा है। मैं सूरत का रहने वाला हूँ, 23 साल का हूँ और मेरा खुद का बिज़नेस है। आज मैं अपनी पहली और एकदम सच्ची स्टोरी शेयर करने जा रहा हूँ, जो मेरी और मेरी रचना चाची के बीच की है। मेरी फैमिली और चाचा की फैमिली एक ही मंजिल पर रहती हैं। रचना चाची 48 की हैं, उनकी एक बेटी है, लेकिन उनकी उम्र के हिसाब से वो गज़ब की हॉट और सेक्सी हैं। उनका फिगर—36-32-38, गोरी स्किन और भरे हुए जिस्म के साथ वो किसी का भी लंड खड़ा कर दें। तो चलो, सीधे स्टोरी पर आते हैं।

ये बात दो महीने पहले की है। मैं स्कूल टाइम से ही चाची को गंदी नज़रों से देखता था। जब भी वो साड़ी में अपनी मटकती गांड के साथ चलतीं या कुर्ते में उनके बूब्स उछलते दिखते, मेरा लंड फट से टाइट हो जाता। लेकिन मौका कभी हाथ नहीं लगा। फिर तीन महीने पहले चाची और मैं कुछ बिज़नेस वर्क के लिए मुंबई गए। हमने एक होटल में रूम बुक किया और टैक्सी भी रखी थी ताकि घूम सकें। तीन दिन के इस ट्रिप ने हमारी लाइफ बदल दी।

पहले दिन हमने खूब बातें कीं। अगली सुबह चाची जल्दी उठीं और नहाने बाथरूम चली गईं। अचानक उनका पैर फिसला और वो “प्रेम!” चिल्लाते हुए गिर पड़ीं। मैं फटाक से बेड से कूदा और बाथरूम की तरफ भागा। “चाची, दरवाज़ा खोलो!” मैंने कहा। दो मिनट बाद उन्होंने ब्रा-पैंटी और ऊपर कुर्ता पहनकर दरवाज़ा खोला। नीचे सलवार नहीं थी, उनकी गोरी जाँघें साफ दिख रही थीं। वो ठीक से खड़ी भी नहीं हो पा रही थीं। मैंने उनकी कमर पकड़ी, सहारा देते हुए बेड तक लाया और लिटा दिया। उनकी हालत और वो सेक्सी लुक देखकर मेरा लंड पैंट में उछलने लगा।

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मैंने पूछा, “चाची, कहाँ चोट लगी?” वो बोलीं, “कमर में झटका लगा है।” मैंने कहा, “तेल से मसाज कर दूँ?” वो बोलीं, “हाँ, ठीक है।” मैंने कहा, “लेकिन चाची, आपने नीचे कुछ नहीं पहना।” वो बोलीं, “बैग से पजामा निकालकर पहना दे, मुझे उठने में तकलीफ हो रही है।” मैंने पजामा लाकर पहनाया। इस बीच मेरा हाथ उनकी पैंटी और गांड से टच हो गया। भाई, वो सॉफ्ट गांड और पैंटी का टच—मेरा लंड और टाइट हो गया। मैं सिर्फ कैप्री में था, तो चाची ने मेरा उभार साफ देख लिया। फिर मैंने उनका कुर्ता थोड़ा ऊपर किया और कमर पर तेल लगाकर मसाज शुरू की। मेरे हाथों का टच पाते ही उनके जिस्म में करंट दौड़ा। वो “आह्ह… उफ्फ…” की सिसकारियाँ लेने लगीं। मैंने उनकी कमर और जाँघों को मसला, जिससे उनकी साँसें तेज़ हो गईं।

थोड़ी देर बाद मैं नहाने चला गया, लेकिन चाची की आग भड़का दी थी। जब बाहर आया तो चाची ने नाश्ता मंगवा लिया था। हमने खाया, फिर वो मुझे टाइट हग करते हुए बोलीं, “प्रेम, थैंक्यू, इतनी अच्छी मसाज के लिए।” उस दिन हम काम के लिए निकले। लौटते वक्त मैंने सोच लिया—आज चाची को प्रपोज़ करूँगा। मैंने एक चॉकलेट ली। शाम को रूम में फ्रेश होकर हम बातें कर रहे थे। मैंने कहा, “चाची, आपसे कुछ कहना है।” वो बोलीं, “हाँ प्रेम, बोलो।” मैंने हिम्मत जुटाकर कहा, “रचना चाची, मैं आपको बहुत पसंद करता हूँ… प्यार करता हूँ।” वो चौंकी, “क्या? मैं तेरी चाची हूँ, ऐसा कैसे सोच सकता है?” मैंने कहा, “मुझे रिश्ते से मतलब नहीं, मैं सच में आपको चाहता हूँ।” वो चुप होकर सो गईं। मैं भी निराश होकर सो गया।

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अगली सुबह हमारी ट्रेन थी। सूरत तक हमने बात नहीं की। स्टेशन पर जब ट्रेन में बैठे, तभी चाची का मैसेज आया, “प्रेम, मैं भी तुम्हें पसंद करती हूँ, लेकिन डर रही थी कि तुम मेरे बारे में क्या सोचोगे।” मैंने उनका हाथ पकड़ा, किस किया। हम प्राइवेट केबिन में थे, दरवाज़ा लॉक था। चाची ने मुझे टाइट हग किया। मैंने उन्हें ज़ोरदार स्मूच की। वो जोश में आ गईं, मेरे बाल पकड़कर मुझे चूमने लगीं। मैंने उनके बूब्स दबाए, वो मेरा लंड बाहर से मसलने लगीं। लेकिन स्टेशन आ गया, तो रुकना पड़ा। हमने प्लान बनाया कि घर पर मौका देखकर चुदाई करेंगे।

घर पहुँचकर मैं मेडिकल स्टोर गया। कंडोम और नींद की गोली ली। लंच में मैंने चुपके से अपनी बहन की कोल्ड ड्रिंक में गोली मिला दी। वो सो गई। मैंने चाची को मैसेज किया, “बहन सो गई, कॉल करो।” रात को उनके रूम में गया। बहन का दरवाज़ा बाहर से लॉक किया, चाची का अंदर से। मैंने कहा, “चाची, बहन को नींद की गोली दी है, 6 घंटे तक सोएगी।” वो मुझे हग करते हुए बोलीं, “तू बहुत शैतान है।”

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हम किस करने लगे। मैंने उनका कुर्ता उतारा। वाह, क्या बूब्स थे—बड़े, गोरे, लाल ब्रा में क़ैद। मैंने ब्रा के ऊपर से बूब्स दबाए, फिर उतारकर निप्पल्स चूसे। चाची ने मुझे नंगा किया और मेरा लंड मुँह में लेकर चूसने लगीं। ऊफ्फ, क्या मज़ा था! मैंने उनकी सलवार-पैंटी उतारी। उनकी चूत क्लीन शेव्ड थी। मैंने चूत चाटी, उंगली की। चाची झड़ गईं। वो बोलीं, “प्रेम, मैं तुम्हें अपने पति से ज़्यादा प्यार करती हूँ। जब चाहो मुझे चोद सकते हो, बस अब तड़पाओ मत।”

मैंने कंडोम पहना, लंड उनकी चूत में डाला। पहले धक्के से वो “आह्ह… प्रेम, धीरे…” चिल्लाईं। मैंने एक और ज़ोर का झटका मारा। वो “उई माँ… मार डाला… बाहर निकाल…” चीखीं। मैंने नहीं सुना, धीरे-धीरे चोदना शुरू किया। वो “आह्ह… ओह्ह… मर गई…” मोन कर रही थीं। फिर बोलीं, “बहनचोद, धीरे चोद, मैं कहीं भाग नहीं रही।” मैं जोश में आ गया, “रचना, अब तू मेरी रंडी है, 24 साल की रखेल।” वो मेरे ऊपर चढ़ीं, लंड पर कूदने लगीं। मैंने नीचे से धक्के मारे, “मादरचोद रंडी, तेरी चूत का भोसड़ा बना दूँगा।” आधे घंटे बाद मैं उनकी चूत में झड़ गया। वो भी झड़ चुकी थीं।

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हमने थोड़ा रेस्ट किया, फिर दो राउंड और मारे। अब मैं रोज़ चाची को चोदता हूँ। रचना चाची मेरी पर्सनल रंडी बन गई हैं।