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गाँव वाली काकी ने सेक्स का पूरा मज़ा दिया-4

Ganv Wali Kaaki Ne Sex Ka Poora Maja Diya-4

काकी- रहने दे बेटवा इन बातो को तेरी समझ नही आएगी (और उठकर खडी हो गई )
काकी- बेटवा अपना मुंह दूसरी तरफ घुमा ले ।
मै- क्या हुआ काकी
काकी- अरे मुझे पेशाब करनी है (इतना कहकर मुस्कुराते हुए खेत के किनारे झाडी की तरफ जाने लगी )
मै – ठीक है काकी (और हल्का सा मुह दूसरी तरफ घुमा लिया )
काकी जानती थी कि मै उन्हे मुतते हुए जरूर देखूंगा ।वो भी यही चाहती थी इसलिए उन्होंने कुछ कहा नही और जाकर किनारे पर खडी हो गई ।दाहिने बाये देखने लगी फिर पीछे मुड़कर मेरी तरफ देखने लगी तो मुझसे बोली
काकी – बेटवा मुह घुमा उस तरफ लाज नही आती क्या
मै -जी काकी
और मैने मुह घुमा लिया ।
फिर थोड़ी देर बाद मेरा मन नही माना मैने मुह काकी की तरफ कर लिया वो नीचे झुककर अपनी साडी को पकडकर उपर उठाने लगी धीरे-धीरे
मेरा लंड मानो फट जाएगा ऐसी अवस्था हो चली थी ।
काकी ने पैटी नही पहनी थी उन्होंने साड़ी कमर तक उठा ली ओर कुछ देर ऐसे ही खडी रही
मै- काकी हो गया क्या अब मै मुह घुमा लू ।
काकी – ना रे नालायक इधर मत ताकना अभी मेरा हुआ नही है (जबकी वो जानती थी कि मै उनकी गांड को देख रहा हू )

काकी की गांड गोल थी एकदम शेप मे मोटी सी गुदाज इतनी ज्यादा उम्र होने के बावजूद उनकी गांड एकदम सेक्सीथी और उसपर एक बड़ा सा तिल था । उनहोने अपने गांड के छेद को सिकोड रखा था , जैसे कि मै अभी उनकी गांड मारने जा रहा हू ।
अब काकी धीरे धीरे चूतड फैलाकर नीचे बैठने लगी
काकी- बेटवा तू यहा ताक तो नही रहा
मै – (हड़बड़ा के) नही काकी ।
मगर फिर भी मैने नजर नही हटाइ
काकी बैठ गई और मुतने लगी फिर काकी उसी तरह धीरे-धीरे उठने लगी और अपनी साड़ी को नीचे गिरा दिया ।
यहा मेरे लंड का एकदम बुरा हाल थी वो इसतरह सिर उठा कर खडा हो गया था कि किसी की भी नजरो से छिप नही सकता था ।

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काकी अब आकर मेरे पाफ बैठ गई और मेरे लंड पर नजर गडाते हुए अपनी चुत पर जोर से रगड दी मानो जैसे पेशाब पोछ रही हो
काकी – बेटवा तू बहुत बदमाश हो गया है क्यू देख रहा था मना कि थी ना की इस तरफ नही देखना
मै – भगवान कसम काकी मैने कुछ नही देखा
(काकी हसने लगी )
काकी का पल्लू नीचे गिर गया था । सांस लेने की वजह से चुचिया उपर नीचे हो रही थी ये सब देखकर मेरा लंड ठुनकी मार रहा था ।काकी सब जानती थी मंद मंद मुस्कुरा रही थी ।
काकी- अच्छा बेटवा तू कवनो नशा तो नही करता होगा ।
मै – नही काकी ऐसा क्यू पूछ रही हो
काकी – सूखा खाएगा (गांव मे हमारे यहा तंबाकू को सूखा कहते है। और देहात की औरते तंबाकू खाती है )
मै -काकी वो मै कैसे …वो मै
काकी – अरे बेटवा घबरा मत मै हू ना
(और ब्लाउज मे हाथ डालकर काकी एक पुड़िया निकालने लगी , मै उनकी चुचिया देख रहा था । फिर वो तंबाकू बनाने लगी ।तंबाकू बनाते बनाते अचानक …….

काकी-आहहहहहहह बेटवा
मै – क्या हुआ काकी
काकी- अरे आॅख मे तंबाकू उडकर चली गई है ।आहहहहहहहहह हाययययययययययय बहुत जलन हो रही है , जरा आॅख मे फूकमारकर निकाल दे तो बेटवा हायययययययय आहहहहहहहहहह
(इतना कहकर काकी खडी हो गई अपनी एक आॅख पकडकर ।
मेरा लंड पूरी तरह से खडा था ।मै खडा हुआ , नीचे 90° का कोण बना था ।मै जाकर काकी के सामने खडा हो गया और उनका हाथ पकड़कर हटा दिया और जैसे ही फूक मारने आगे बढा मेरा लंड काकी के फूले हुए पेट से टकरा गया ।मै रूक गया , गांड फट गई थी डर के मारे )

काकी – क्या हुआ बेटवा रूक क्यू गया रे दर्द हो रहा है आहहहहहहहहहहहहह
मै – काकी वो मै …..वो कुछ नही अभी ठीक करता हू
(इतना कहकर मैने काकी का चेहरा हाथ मे लिया और आॅख मे फूक मारने लगा नीचे मेरा लंड काकी की पेट मे रगड खा रहा था ।काकी अपना पेट खुद हिला रही थी मेरे लंड की नसें मानो फट जाएगी । मैने अपने होठ काकी के चेहरे के एकदम करीब कर दिया और फूक मारने लगा आखो में। मेरे होठ काकी के होठो से छू रहे थे फूक मारते मारते थोडी ही देर मे कचरा बाहर आ गया ।)
मै- काकी निकल गया कचरा
काकी -अच्छा बेटे थोडी फूक और मार दे अब भी जलन हो रही है रे
मै – जी काकी
और काकी से बिल्कुल चिपकर आॅखो मे फूकने लगा । काकी के हाथ मेरे कमर पर आ गए थे । और मै अपने होठो को काकी के आँखो से छू रहा था ।

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काकी – आहहहहहहहहहह सी ओहहहहहहहहह बेटवा ।
(थोडी देर बाद )रहने दे बेटवा अब ठीक है ।
मै – ठीक है काकी
और जाकर उनकी बगल मे बैठ गया
काकी – तुझे तंबाकू खिलाना तो मंहगा पढ गया बेटवा
मै – नहक काकी ऐसी बात नही है हो जाता है गलती से ।
काकी – बेटवा तू बिल्कुल मेरे बेटे जैसा है ।
मै – हा काकी
काकी- अच्छा देख बातो बातो मे पता नही चला सूरज बिल्कुल सर पर चढ गया है धूप तेज हो गई है ऐसे मे कोई फसल कैसे काटेगा
मै – हा काकी धूप तो निकल आई है
काकी -( मेरे लंड की तरफ देखते हुए ) भूख लगी है ?
( मानो जैसे लंड से ही पूछ रही है और अपना भोसडा परोसकर दे दें।)

मै -हा काकी भूख तो लगी है , लेकिन काजल भाभी आई नही अबतक
काकी – आती होगी तेरी काजल भाभी , अपनी काकी का नही पसंद क्या तुझे
मै – नही काकी ऐसी बात नही है आपका तो सबसे ज्यादा पसंद है
काकी – अच्छा! ऐसा काहे ?
काकी- आप तो इतने सालो की अनुभवी है तो आपका ही स्वादिष्ट होगा ना ,काजल भाभी का नही
(इतना बोलते ही मेरे लंड ने ठुनकि मारी जिसे काकी बडे ध्यान से देख रही थी और मंद मंद मुस्कुरा रही थी , वो सब जानती थी की मै डबल मिनिंग मे बोल रहा हू इसलिए रह रहकर नजरे बचाकर अपनी चूत पर हाथ फेर रही थी )
काकी – मै खूब समझती हू बेटवा तेरी बाते, तू कैसे कह सकता है कि मेरा स्वादिष्ट है जबकि तूने अबतक मेरा चखा ही नही ।

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मै- (लंड मसलते हुए ) चखा दिजिये ना काकी
काकी – सबर कर बेटवा चखा दूंगी तू जानता है ना सबर का फल मीठा होता है ।
मै – काकी आपका फल तो बहुत मीठा होगा
काकी – बेटवा ये तो तू चखने के बाद ही बताना ।
(इतने मे बाहर से आवाज आती है “बाबू कहा है आप ……?” )
काकी – बेटवा देख तेरी काजल भाभी आ गई
(इतना कहकर काकी ने अपने सीने पर पल्लू ओढ लिया और अच्छे से बैठ गई ।)
मै – हा काकी
भाभी – बाबू मै आ गई खाना लेकर खा लिजिये
मै – हा भाभी परोसिये , काकी आप भी निकालिए अपना
काकी – हा बेटवा । ले खा ले ।

( इसके बाद हम तीनो ने खाना खाया खाना खाकर खेत के किनारे बैठे रहे भाभी मुझे घूरे जा रही थी मानो जैसे अभी चूत खोलकर दे दें।)
भाभी – बाबू जलदी से काम निपटाकर चलिए घर नही तो धूप ना हो जाएगा
मै- हा भाभी अभी थोडी सी फसल काटनी है बची है
भाभी – ठीक है बाबू मै जाती हू आप आराम से आ जाइए , मुझे बहुत से काम है इतना कहकर भाभी चली गई ।
अब खेत मे सिर्फ मै और काकी थी
काकी – बेटवा कैसा था खाना
मै – अच्छा था काकी
काकी – कैसी लगी तुझे बेटवा अपनी भाभी का पकवान
मै- अचछी लगी काकी
काकी -आज शाम तू एक काम कर मेरे घर आ जाना तुझे अपना स्वाद चखाउंगी ।
मै – ठीक है काकी
काकी- बेटवा देख धूप निकल आई है , तू चाहे तो घर चले जा
मै – नही काकी आप के साथ ही जाउगा
काकी – बेटवा शाम होते होते अंधेरा हो जाएगा