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मेरी चूत को हर रात चुदने की आदत पड़ गई है

Jija Saa Ki Chudayi Ki Kahani

मैं शालिनी राठौर, 32, जयपुर, विवाहित, 36-32-38, बहुत सुंदर गोल सुडौल भरे हुए मम्मे, 8 साल पहली शादी हुई थी, एक बिटिया 6 साल की है, अब फ़िर से प्रेग्नेंट हूँ, अब तक दस लौड़ों से चुद चुकी हूँ।

सारे लंड मैंने शादी के बाद लिए हैं। ऐसा नहीं कि मेरे पति का लंड छोटा है या वो मस्त नहीं चोदते, उनके लंड का आकार 7″ 2.5″ है बहुत दमदार चुदाई करते हैं वो, पर मेरी परेशानी यह है कि वो बैंक जॉब में हैं और हफ्ते में 3-4 दिन बाहर रहते हैं… और मेरी चूत को हर रात चुदने की आदत पड़ गई है… तो पाठको, आप ही बताओ कि किसी और से ना चुदूँ क्या… इस बहाने अब तक 10 लौड़ों को अपना योनि स्नान तो करवा चुकी हूँ… और आगे भी 20-30 लौड़ों को अपनी चूत में संगम बनाने का इरादा रखती हूँ… चाहे मेरी चूत उनसे ठण्डी हो या ना हो पर उन लण्डों को भी मेरी फ़ुद्दी में गोते लगाने को मिल जाएँगे !

आप लोग मुझे कहेंगे कि मैं अपने पति से दगाबाज़ी कर रही हूँ… उनको धोखा देकर चुद रही हूँ… पर मैं अपनी जगह मज़बूर हूँ… साला लंड है ही ऐसी चीज़ एक बार मिला तो चूत बार बार उसको मांगती है… पर मैं इतनी बड़ी धोखेबाज़ भी नहीं हूँ… मेरे बेटी मेरी पति का बीज़ है और अब जो बच्चा मेरे पेट में है वो भी पति का ही है।

मैं अब अपनी शादी से पहली की याद ताज़ा करती हूँ। में बी.ए फाइनल ईयर में अपने माता पिता के साथ जोधपुर में थी कि तभी किसी परिचित ने मेरे पेरेंट्स को अजय की बारे में बोला कि लड़का बहुत अच्छा, सुंदर सुशील, लम्बा कद, बैंक में अच्छे पद पर जॉब, जयपुर में रहता है। बात आगे चली तो मैंने भी हाँ कह दी और हमारी सगाई हो गई और शादी की तारीख भी तय हो गई।

मेरी एक सहेली निशी है बहुत हंसमुख और अच्छे स्वभाव की है वो, उसकी शादी कुछ दिन पहली जोधपुर में ही हो गई थी… वो मुझे अपनी पति द्वारा चुदाई की बातें सुनाती थी तो मेरी चूत गीली हो ज़ाती थी। उसने मेरे लिए अपने दूर की भाभी रेणु जिसका ब्यूटी पार्लर जोधपुर में ही था, मेरी शादी के शृंगार के लिए तय कर दिया। हमारे यहाँ प्रथा है कि दुल्हन का शादी से 9 दिन पहले ही घर से निकलना बंद कर दिया जाता है इसलिए वो शादी वाले दिन सुबह ही हमारे घर निशी के साथ पहुँच गई।

निशी- रेणु भाभी, आज़ शालिनी को इतना सुंदर तैयार करना कि अजय जीजू शालिनी को एक परी समझें और देखते ही बेहोश हो ज़ाएँ…

रेणु- तू फिकर मत कर… तुझे भी तो मैंने ही तैयार किया था ना ! और नंदोई सा का तेरी सुहागरात को जो हाल हुआ था, और जो हाल नन्दोई सा ने तेरा किया था, उससे भी कहीं अधिक मजे लेगी शालिनी…

निशी- शालिनी, मैं अब चलती हूँ ! मैं टेलर के सिर पर बैठूँगी तभी वो मेरा ब्लाउज़ सिलेगा जो मुझे आज़ तेरे शादी में पहनना है।

यह कहते हुई निशी बाहर चली गई, रेणु भाभी ने कमरा बंद किया और अपना बॉक्स में से सामान निकलना शुरू किया…

तभी दरवाज़े पर दस्तक हुई, वो निशी थी- भाभी एक मिनट दरवाज़ा खोलो, मैं शालिनी को तैयार करने की लिए बहुत जरूरी चीज देना तो भूल गई…

भाभी ने दरवाज़ा खोला तो निशी ने पहले भाभी को आँख मारी और एक छोटी बोतल जिस पर लिखा हुआ था इलेक्शन कमीशन और एक तख्ती लिखने की कलम जैसी दी और बोली- मैं मम्मी के सामान से इस दिन की लिए चुरा कर लाई थी… और ज़ल्दबाज़ी में आपको देना भूल गई थी…

मैं उन दोनों की आँख मिचौली को एक उल्लू की तरह देख रही थी… तो मैंने कहा- ऐसी कौन सी ब्यूटी क्रीम है जो तेरी टीचर मम्मी के पास ही स्पेशल मिलती है…

तो दोनों बहुत ज़ोर से हंस दी और भाभी ने फट से वो बोतल और कलम अपने बॉक्स में रख दी और निशी को बाहर धकलते हुए दरवाज़ा बंद कर दिया।

निशी- हैं भाभी, अपना वायदा याद है ना? मुझे फ़ोटो चाहिएँ… याद से तैयार कर लेना !
रेणु भाभी मुझे तैयार करने में जुट गई… मैनीक्यूर, पेडिकयोर, वैक्सिंग और ना ज़ाने क्या क्या किया उन्होंने ! मुझे पूरी नंगी कर दिया और मेरी झाँटें हेयर रिमूविंग क्रीम से साफ की, मेरी चूत बिल्कुल मखमली बना दी… ऐसा लगता था कि चूत ना हो बल्कि दो पाव रोटी जोड़कर रखी हुई हैं।
रेणु- शालिनी, मैंने अब तक कोई 30 दुल्हनों को तैयार किया है पिछले 8 साल में ! पर तेरे जैसी सुंदर और मस्त चूत किसी की भी नहीं थी… तेरा पति भाग्यवान है जो इतनी सुंदर चूत मिल रही है उसे !

यह कहते हुए उन्होंने मेरे चूत पर पहले तो हाथ फेरा और फ़िर बहुत ज़ोर की चुम्मी ली…

मैं तो शर्म सी पानी पानी हो गई। मैं सोच रही थी कि क्या मेरा पति भी मेरी चूत को ऐसे ही चूमेगा…?

फ़िर भाभी ने कहा- अब 5 मिनट चुपचाप लेटी रहना और आँखें बंद कर लो ! अब मैं एक सरप्राइज़ आइटम तैयार करूँगी।

वो मेरी चूत पर 5-7 मिनट तक किसी चीज को चुभाती रही शायद वो चूत पर किसी मोटी कलम से कुछ लिख रही थी…

मुझे बहुत गुदगुदी हो रही थी… पर मैं पियामिलन की चाह में वो सब सह गई… फ़िर उन्होंने मेरी टाँगें पूरी चौड़ी कर दी कि मेरी चूत फटने को हो गई, और 3-4 बार क्लिक की आवाज़ आई, शायद वो मेरी चूत की पस्वीरे ले रही थी… मैंने सोचा कि भाभी अपनी मार्केटिंग के लिए मेरी सुंदर चूत की तस्वीरें उतार रही है तो मैंने कुछ नहीं बोला।

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रेणु- आँखें खोलो और देखो मेरे फ़ोन में किसकी तस्वीरें हैं…

यह कहते हुए उन्होंने मेरी आँखों के सामने अपना फ़ोन कर दिया… मैंने देखा तो मेरे होश उड़ गए… उनके सेलफोन में मेरी चूत की 4-5 बहुत स्पष्ट तस्वीरें थी और चूत के ऊपर दाईं और बाईं तरफ़ कुछ लिखा हुआ था…

मैं फट से उठ गई और अपनी चूत को देखा तो हैरान रह गई… वहाँ लिखा हुआ था-

CHUT OF SHALINI JUST for U !!!

पहले तो मुझे कुछ गुस्सा आया कि मेरी चूत बिगाड़ दी, वो भी चुनाव में प्रयोग होने वाली ना मिट सकने वाली स्याही से… पर थोड़ी देर में सब समझ गई… और फ़िर मैं और रेणु भाभी दोनों हंसते-हंसते लोटपोट हो गई…

भाभी मुझे ड्रेसिंग टेबल के पास ले गई और कहा- अब देख ले अपनी चूत को ध्यान से…
और मैं अपनी ही चूत को देखकर शर्म से पानी हो गई… और भाभी के गले लग गई, उनको चूमने लग गई और साथ साथ बोले ज़ा रही थी- यू आर ग्रेट… यू हव डन अ वंडरफुल जॉब…

फ़िर मेरा विवाह बहुत धूमधाम से हुआ, विवाह में निशी की पहचान अजय सी हो गई थी। मैं विदा हुई और ससुराल आ गई।

मैं अपनी ही चूत को देखकर शर्म से पानी हो गई… और भाभी के गले लग गई, उनको चूमने लग गई और साथ साथ बोले ज़ा रही थी- यू आर ग्रेट… यू हव डन अ वंडरफुल जॉब…

फ़िर मेरा विवाह बहुत धूमधाम से हुआ, विवाह में निशी की पहचान अजय सी हो गई थी। मैं विदा हुई और ससुराल आ गई।

हमारे यहाँ रिवाज़ है कि पहली रात को देवताओं की पूजा होती है इसलिए सुहागरात उससे अगली रात को मनाई ज़ाती है।

अगली रात को मुझे अजय के कज़न की पत्नी ने सजाया, मुझे लाल रंग का लहंगा-चोली पहनाया और फ़िर मुझे हमारे कमरे में छोड़ आई… तभी गर्म दूध का एक लोटा और मेवों की प्लेट भी रख गई।
भाभी ने अजय को आँख मारी- दुल्हन बहुत नाज़ुक है… सारी रात है तुम दोनों के पास… बस थोड़ा धीरे धीरे…

अजय ने भाभी के चरण छूकर आशीर्वाद लिया और भाभी खिलखिलाती हुई कमरे से बाहर चली गई और बाहर से कुण्डी भी बंद करती गई।

अजय ने मेरा स्वागत किया और मुँह दिखाई में मुझे घड़ी दी। कुछ देर तक वो मेरी घर परिवार की बातें करते रहे, मैंने पाया कि वो बहुत अच्छे स्वभाव के व्यक्ति हैं। फ़िर उन्होंने मेरे हाथ पर अपना हाथ रखा तो मेरे शरीर में एक करेंट सा दौड़ गया।

फ़िर उन्होंने मेरी ज्वेलरी उतारने में मदद की और मुझे अपने बहुपाश में कस लिया। मैं तो इस बाहों के बंधन में ही बहुत उल्लासित हो गई।

अजय ने उठकर लाइट बंद कर दी और नीले रंग का एक छोटा नाइट लैम्प जला दिया, उससे माहौल एकदम सेक्सी बन गया।

हमने लोटे से ही एक बार अजय और एक बार मैंने दूध पिया, ड्राइ फ्रूट भी प्यार वाले तरीके से खाए। अजय मेरे होंठों के बीच बादाम देते थे, मैं उसका आधा हिस्सा कुतर लेती थी, बाकी आधा हिस्सा वो मेरे होंठों से खुद ले लेते थे और खा लेते थे।

अब मैं और अजय एक दूसरे से काफ़ी खुल गए थे, अजय ने मेरी चोली और लहंगा उतार दिया और खुद भी अपना कुर्ता और पाजामा भी…
मुझे बहुत शर्म आ रही थी क्योंकि मेरे नीचे के दोनों वस्त्र बहुत छोटे और पारभासक थे। मेरे बहुत विरोध करने के बावजूद भी इतनी छोटी और आरपार दिखने वाले अन्तःवस्त्र लेने पड़े मुझे… निशी की जिद पर !
गुलाबी रंग की पैंटी थी, जो मेरी चूत को भी शायद नहीं ढक पा रही थी… और लाल रंग की लेस वाली जालीदार ब्रा… जिसमें मेरी सुडौल चूचियाँ आधी से ज़्यादा बाहर दिख रही थी।

मैंने अजय के कसरती बदन देखा… और यह भी देखा कि उनका लंड अब तक कुछ तन गया था… अजय ने मेरे गोल मटोल बूब्स की तारीफ़ की, कहा- वाह, तुम तो ज़न्नत की हूर हो !

अब ड्राइ फ्रूट प्लेट में सिर्फ़ तीन छुहारे बचे थे… अजय ने एक छुहारा मेरे मुँह में आधा दिया, मैंने उसको अपने दांतों से कस कर पकड़ लिया… अजय अपना मुँह मेरे होंठों के नज़दीक लाए और बाकी का आधा अपने मुँह से पकड़ लिया… मैं उनके मुँह का अपनी मुँह से स्पर्श पाकर सिहर उठी थी… उन्होंने उस छुहारे को काटने के लिए बहुत ज़ोर से अपना मुँह पीछे किया, मैं उस अप्रत्याशित झटके के लिए तैयार नहीं थी, मैं धड़ाम से जाकर अजय की गोदी में गिर गई… मेरे बूब्स जो अब तक नुकीले हो चुके थे… पहली अजय के चौड़ सीने से टकराए और फ़िर गोदी से… इस छीना झपटी में दोनों के मुँह से वो छुहारा निकल गया और सीधा अजय के अण्डरवीयर पर लिंग के उभार पर टिक गया। यह देख कर हम दोनों खिलखिला कर हंस पड़े… अजय ने फट से मेरा चेहरा अपने अंडरवीयर पर झुकाया मुझे होंठों से उस छुहारे को मुंह में लेने को कहा।
मेरा नाक सीधे इनके लण्ड से टकराया और लौड़े की एक मादक सी गन्ध मेरे नथुनों में घुस गई। मैंए अपने होंठों से छुहारे को उठाया और झट से उसको चबा लिया और ऐसा इशारा किया कि मैं आधा छुहारा अजय के लिए मुँह से निकाल रही हूँ…

अजय बोले- डियर, तुम खाओ इस छुहारे को ! मेरे पास अब भी दो हैं प्लेट में ! मैं उन दोनों को खाऊँगा पर यहाँ रख कर !

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मेरे बूब्स को छूते हुए और मेरी चूत पर उंगली रखते हुए बोले वो !

शालिनी- धत्त… बहुत बदमाश हो… मुझे शर्म लगती है ये सब करते हुए !

अजय अपने लण्ड को छूते हुए बोले- मेरे यहाँ से खाते हुए तो कोई शर्म नहीं आई?

और तुरंत एक छुहारा मेरी ब्रा की अंदर कसे हुए बूब्स के बीच में डाल दिया… मेरे दोनों उरोजों को अपने दोनों हाथों से कस कर एक दूसरे के नज़दीक मिला दिया और फ़िर चूहारे को जैसे मेरे दोनों स्तनों से पीस देंगे, इस तरह मसलने लग गए…

और मैं शर्म सी दोहरी हुए ज़ा रही थी… मेरे अपने हाथों से उनके हाथ हटाने की कोशिश कर रही थी और उस कोशिश में मेरे दोनों हाथों में पहनी हुई चूड़ियाँ एक मधुर और मादक ख़न… खन्न… तन्न्न… की आवाज़ वाला संगीत पैदा कर रही थी…

मुझे निशी ने एक बार एक सेक्स फिल्म दिखाई थी जिसमें हीरो अपना लंड हिरोईन के मोटे चूचों के बीच डाल कर घिस रहा था और दोनों को बहुत आनन्द आ रहा था। मेरे दिमाग़ वो नजारा याद आ गया और मुझे भी मेरे बूब्स के दो पाटों वाली चक्की से पिसते हुए छुहारे में बहुत आनन्द आ रहा था। और छुहारा तो कुछ खुरदुरा होता ही है… तो उसका खुरदरापन मुझे बहुत आनन्दित कर रहा था।

अजय ने मेरे ब्रा में हाथ डाला छुहारा निकाला और गप्प से अपने मुँह में रख लिया…

तभी मेरे फ़ोन की घण्टी बज़ी, मैंने देखा कि निशी का फ़ोन था… मैंने काट दिया…

अजय ने मुझे कहा- किस यार का फोन है? उठा लो ना ! शायद बेचारे को पता नहीं होगा कि तुम्हारी शादी हो गई है…

मैंने अपनी आँखें अजय की तरफ तरेरी ही थी कि फोन फ़िर से बजने लग गया…

मैंने बहुत गुस्से से कहा- निशी, तुझे मालूम है ना कि आज़ हमारी सुहागरात है, तुझे शर्म नहीं आती हमें तंग करते हुए?

तब तक अजय ने फ़ोन मेरे हाथ से छीन लिया और बोले- साली साहिबा, क्या साढू भाई घर पर नहीं हैं जो नींद नहीं आ रही?

यह कहते हुए अजय ने सेल स्पीकर मोड पर कर दिया।

निशी- वो आज़ कुछ ज्यदा थके हुए हैं, फटाफट काम निपटाया और सो गए… आप सुनाओ कहाँ तक पहुँची आपकी सुहागरात…? मुझे एक शेर याद आ रहा था तो मैंने फोन लगाया कि तुम दोनों को सुना दूँ…
ऐ ग़ालिब तू गोरों पर ही क्यों मरता है… मंजिले मक़सूद तो सबकी काली है…

तो जीजू, पहुँचे मंजिले मक़सूद पर या अभी नहीं?
अजय- यार निशी, तुमने अच्छी तरह से ट्रेंड नहीं किया अपनी सहली को… बहुत शरमा रही है बेचारी…
निशी- जीजू, इसकी मंज़िली मक़सूद बिल्कुल गोरी चिट्टी थी, तो मैंने ही वो काली कर दी…
अजय- क्या किया काली करने के लिए तुमने… क्या साढू भाई से तो नहीं चुदवा दिया बेचारी को?
निशी- जीजू, नहीं मैंने वो सब तुम्हारे लिए सुरक्षित रखा हुआ है… तुमने अभी शायद लंका पर हमला नहीं किया ! नहीं तो खुद समझ जाते…
अजय- मैं तो समझा कि साढू भाई ने अपनी साली को ज़न्नत दिखा दी होगी ! आख़िर वो भी तो जीजू है शालिनी का !

निशी- मेरे वो ऐसे नहीं है जीजू… वो बहुत शरीफ आदमी हैं।

अजय- अरे रहने दो उनकी शराफत… मौका ही नहीं लगा होगा, तू मुझे मिल जाए तो मैं तो तुझे पेले बिना नहीं छोड़ूँगा।

निशी- पहली अपनी बीवी को तो पेलिए…

अजय- बस पेलने वाला हूँ… तू अब फोन बंद तो कर…

शालिनी- निशी, तुझे शर्म नहीं आती ये सब बकवास अपनी जीजू से करते हुए… तुझे क्या हक है ऐसी बेहूदगी भरी बातें करने का?

निशी- तू नाराज़ ना हो… जीजू, अब जल्दी से अपनी गुल्ली डालो शालु की पिल्ली में… मैं एक घण्टे बाद दोबारा फोन करूँगी तुम दोनों का हाल चाल पूछने के लिए… और जीजू फोन बंद नहीं करना ! मैं बहुत बेताब हूँ…

अजय- अरे मैं तुम्हें खुद फोन लगा लूँगा कोई 1 बजे… तुम इन्तज़ार करना… अभी के लिए बाय !

“विश बोथ ऑफ यू अ नाइस सुहागरात !”

तब तक अजय का फनफ़नाता हुआ लंड ठण्डा हो गया था… पर वो इस फोन कॉल के बाद से बहुत ज़ल्दबाज़ी में थे मेरी लंका पर धावा बोलने के लिए…

उन्होंने अपना अंडरवीयर और बनियान दोनों उतार दी और अपने लंड की तरफ इशारा करते हुए बोले- इस को मुँह में डाल कर चूसो… इसको खड़ा करो…

मैंने इन्कार में सिर हिला दिया… तो अजय ने ज़बरदस्ती मेरी हाथ में दे दिया… और मुझे जीवन में पहली बार लंड पकड़ते ही करेंट सा लगा।

थोड़ी देर में ही वो लंड मोटा और लंबा हो गया… और छत की तरफ देखने लगा… मैं अंदर से बड़ी खुश थी कि मुझे इतना सुंदर लंड मिला है…

जब तक मैं लंड खड़ा करती, तब तक अजय ने मेरी लगभग नंगी पीठ, मुँह, गले पर चूम चूम कर मेरा बुरा हाल कर दिया था और एक हाथ से वो मेरे मोटे चूतड़ों को और मेरी चूत पर फ़िराते रहे जिससे मेरे सारे बदन में झुरझरी पैदा हो रही थी। जब लंड पूरी तरह से तैयार हो गया तो अजय ने फट से मेरी ब्रा की हुक खोल दी और ब्रा मेरी गोदी में आ गिरी। फ़िर उन्होंने फटाफ़ट मेरी पैंटी भी उतार दी जिसमें मैंने अपने चूतड़ ऊपर उठा कर उतारने में पूरा सहयोग दिया।

तभी अजय की निगाह मेरी चूत पर लिखे हुए काले अक्षरों पर पड़ी तो वो बहुत खिलखिलाकर हंस दिए और बोले- वाह निशी, तुम भी मेरी कमाल की साली हो !

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तो मैंने संक्षेप में वो घटना सुनाई जब मुझे तैयार करने के लिए ब्यूटी पार्लर वाली भाभी आई थी।

अजय ने मुझे नीचे सीधा लेटा दिया… मेरे टांगों के बीच आए और मेरी चमकती हुए चूत की चुम्मी ली, मेरे कूल्हों के नीचे एक तकिया लगा दिया जिससे मेरे चूत का चीरा पूरी तरह से खुल गया। वो मेरे ऊपर झुके, अपने फनफनाते हुए औजार को चूत के मुँह पर फिट किया और एक ज़ोर का धक्का मारा… पर उनका वो खम्बे जैसा हथियार फिसल कर मेरी गाण्ड के छेद पर रुक गया…

फ़िर से इन्होंने अपने लंड को मेरे छेद पर सेट किया पर इस बार भी लंड फिसलकर मेरी पेट की तरफ जहाँ चूत लिखा हुआ था, वहाँ जाकर आराम फरमाने लगा…

मुझे लंड जल्दी से अपनी चूत के अंदर लेने की बेचैनी

हो रही थी इसलिए मैंने अपना हाथ बढ़ाकर लंड को चूत के मुँह पर सेट किया और अजय को धक्का मारने का इशारा किया… और लंड मेरी चूत को चीरता हुआ लगभग आधा अंदर चला गया… अजय ने लंड इतना बाहर खींचा कि लंड का सिर्फ़ सुपारा चूत के अंदर था और फ़िर एक ज़ोर का धक्का मारा और 7 इंच का लौड़ा पूरा का पूरा मेरी चूत को चीरता हुआ अंदर चला गया… एसा लग रहा था कि कोई लोहे की छड़ गरम करके मेरी चूत में ठोक दी हो।
कुछ रक्त भी निकला और मैं दर्द से चिल्लाने लगी और बोली- निकालो इसको बाहर ! मैं मरी ज़ा रही हूँ…

मेरे चिल्लाने से अजय का जोश दुगुना हो गया और मेरे चूत में दनादन लण्ड डालने और निकालने लगे ! और तो और मेरे दोनों मोटे भरवां मम्मों को भी बहुत तेज़ी सी मरोड़ने लगे।

में इस दोहरे हमले से परेशान हो गई और चिल्लाने लगी…

तब अजय ने मेरी चूचियों को छोड़ दिया और एक हाथ मेरे मुँह पर रख दिया ताकि मेरे चिल्लाने की आवाज़ बाहर ना ज़ा सके…

वो बेरहमी सी मेरे चूत को रौंदते रहे।

कोई 5 मिनट की चुदाई के बाद मुझे भी अब लण्ड का चूत के अंदर आना जाना अच्छा लगने लगा और मैं आ…आआ…आआह… आअ… उउ…ऊहह… करके सिस्कारियाँ भरने लगी।
मैं अब अपने चूतड़ नीचे से उठा रही थी ताकि लण्ड पूरा मेरी चूत में ज़ा सके…
तब अजय ने अपनी स्पीड बढ़ा दी और फ़िर से मेरी चूत की धुलाई शुरु कर दी… और अगले 10 मिनट तक मेरे चूत को धुनते रहे…उनके टट्टे जब मेरी चूत पर मार करते तो कमरे में मधुर आवाज़ आ रही थी… टप्प… ठप्प्प्प… तदाप्प्प…

अब मैं बोली- अजय, मुझे कुछ हो रहा है ! मेरे छेद से पानी निकल रहा है…
तो अजय ने भी घोषणा कर दी कि वो भी झड़ने वाला है..

और मेरे चूत की दीवारों से पानी के फव्वारे से छूटने लगे और मैं खुशी के मारे पागलों की तरह आ आआ…आआ…अहह… उउ…ऊहह… उम्म्म्म मह बहुत ज़ोर से कर रही थी… मेरा सारा शरीर कांप रहा था… तब अजय ने भी एक जोरदार चीख मारी और मेरी चूत में उन्होंने अपने गाढ़ी रबड़ी की 6-7 पिचकारियाँ छोड़ दी… मेरे चूत अब तक पूरी तरह से उनके लंड की सफेद मलाई से भर चुकी थी… अजय का शेर बना हुआ हथियार अब एक छोटा चूहा बन गया था और फिसलकर चूत के मुँह पर आ गया था और अजय मेरे ऊपर निढाल होकर गिर गए, मुझे कसकर अपनी बहुपाश में ले लिया…

दोनों की सांसें बहुत तेज़ी से चल रही थी… मुझे अपने चूतड़ों के नीचे गीला चिपचिपा सा महसूस हो रहा था तो मैंने अपनी योनि को अपनी पास पड़ी हुए पैंटी से हाथ डालकर साफ कर दिया…मेरी चूत में से सफेद मलाई और चूत से निकले खून मिल कर लाल रंग का तरल मेरी पैंटी पर लग गया था।

तब अजय मेरे ऊपर से उठ गए और अपने सने हुए लंड को मेरी ब्रा से ही साफ कर दिया।
तभी मेरे सेल की घण्टी बज़ उठी, अजय ने सेल मेरे से छीन लिया और स्पीकर मोड पर कर दिया..
अजय के हेलो कहते ही निशी बोली- जीजू, बहुत खुश लग रहे हो… तो देख ली ना काली मंजिले मक़सूद? हैं? … हा… हा !

अजय- हाँ साली जी, तुमने बहुत अच्छा एफर्ट किया है… मैं बहुत खुश हूँ, तुम्हारा बहुत धन्यवाद… तुमने हमारी सुहागरात को कामयाब बना दिया इसकी पिल्ली पर लिख कर !
निशी- मैं अब आपसे हीरे की अंगूठी लूंगी इस सारी मेहनत के लिए… और शालिनी से तो बात करवाओ !
शालिनी- हाँ बोल, तेरे जीजू बहुत खुश हैं आज़…

निशी- वो तो होंगे ही ! उनको सील बंद डिब्बा जो मिला खोलने के लिए… पर यह तो बता कि उनका हथियार है कैसा… बोल जल्दी !

शालिनी- मेरी आवाज़ से नहीं जान पाई क्या कैसा है हथियार… बाकी जब मैं परसों जोधपुर आऊँगी तो बता दूँगी सब कुछ… बस तो अब सेल ऑफ कर दे जल्दी… हम अभी निपटे हैं… मुझे जल्दी वॉश रूम जाना है।
निशी- ओके ऐण्ड विश बोथ ऑफ यू द बेस्ट फॉर रेस्ट ऑफ द नाइट…
और उसने फ़ोन बन्द कर दिया।

उसके बाद सारी रात में हमने दो बार और चुदाई की और एक बार मैंने उनका लंड चूसा और उन्होंने मेरी चूत !