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शालिनी की सुहागरात: जीजा सा के साथ चुदाई की कामुक कहानी

मैं शालिनी राठौर, 32 साल की, जयपुर की रहने वाली, विवाहित, मेरी फिगर 36-32-38 है। मेरे गोल, सुडौल, भरे हुए मम्मे और मखमली चूत हर किसी को पागल कर देती है। मेरी शादी को 8 साल हो चुके हैं, मेरी एक 6 साल की बेटी है, और अब मैं फिर से प्रेग्नेंट हूँ। लेकिन ये बातें तो बस शुरुआत हैं। मैंने शादी के बाद 10 लंडों का स्वाद लिया है, और मेरा इरादा है कि आगे चलकर 20-30 और लंडों को अपनी चूत की सैर कराऊँ। मेरे पति का लंड 7 इंच का है, 2.5 इंच मोटा, और वो चुदाई में माहिर हैं। लेकिन उनकी बैंक जॉब की वजह से वो हफ्ते में 3-4 दिन बाहर रहते हैं, और मेरी चूत को हर रात लंड की जरूरत पड़ती है। अब आप ही बताओ, क्या करूँ? मजबूरी में दूसरों के लंड से अपनी चूत की आग बुझानी पड़ती है।

कई लोग कहेंगे कि मैं अपने पति के साथ धोखा कर रही हूँ। लेकिन मैं इतनी बड़ी धोखेबाज़ भी नहीं। मेरी बेटी और मेरे पेट में पल रहा बच्चा, दोनों मेरे पति के ही बीज से हैं। मैं बस अपनी चूत की प्यास बुझाती हूँ, क्योंकि लंड ऐसी चीज़ है, जो एक बार मिले तो चूत बार-बार उसकी माँग करती है।

शादी से पहले की कहानी

बात उस समय की है जब मैं बी.ए. फाइनल ईयर में थी। मेरे माता-पिता जोधपुर में रहते थे। तभी किसी परिचित ने मेरे पेरेंट्स को अजय के बारे में बताया। लड़का सुंदर, सुशील, लंबा, बैंक में अच्छी जॉब, जयपुर में रहता है। बात आगे बढ़ी, मैंने हाँ कर दी, और हमारी सगाई हो गई। शादी की तारीख भी तय हो गई।

मेरी एक सहेली निशी है, बहुत हंसमुख और मस्तमौला। उसकी शादी कुछ दिन पहले जोधपुर में हुई थी। वो मुझे अपनी सुहागरात की कहानियाँ सुनाती थी, जिससे मेरी चूत गीली हो जाती थी। उसने मेरे लिए अपनी दूर की भाभी रेणु को मेरी शादी के श्रृंगार के लिए तय किया। रेणु का ब्यूटी पार्लर जोधपुर में था। हमारे यहाँ रिवाज़ है कि दुल्हन शादी से 9 दिन पहले घर से बाहर नहीं निकलती। इसलिए शादी वाले दिन सुबह रेणु, निशी के साथ मेरे घर पहुँची।

निशी ने हँसते हुए कहा, “रेणु भाभी, शालिनी को आज इतना सजा दो कि जीजा सा उसे देखते ही बेहोश हो जाएँ। उसे परी बनाओ!”
रेणु ने जवाब दिया, “फिक्र मत कर, तुझे भी तो मैंने सजाया था ना? तेरी सुहागरात का हाल तो तूने बताया ही था। शालिनी तो उससे भी ज्यादा मज़े लेगी।”

निशी ने कहा, “शालिनी, मैं चलती हूँ। टेलर के सिर पर बैठूँगी, तभी मेरा ब्लाउज़ तैयार होगा।” और वो चली गई।

रेणु भाभी ने कमरा बंद किया और अपना सामान निकालने लगीं। तभी दरवाज़े पर दस्तक हुई। निशी थी। उसने कहा, “भाभी, एक मिनट दरवाज़ा खोलो। मैं शालिनी के लिए कुछ ज़रूरी चीज़ देना भूल गई।”

रेणु ने दरवाज़ा खोला। निशी ने भाभी को आँख मारी और एक छोटी बोतल दी, जिस पर लिखा था ‘इलेक्शन कमीशन’ और एक तख्ती लिखने वाली कलम। निशी बोली, “मम्मी के सामान से चुराई है। जल्दबाज़ी में देना भूल गई।”

मैं उनकी बातें सुनकर हैरान थी। मैंने पूछा, “कैसी ब्यूटी क्रीम है ये, जो सिर्फ़ तेरी टीचर मम्मी के पास मिलती है?”

दोनों ज़ोर से हँस पड़ीं। रेणु ने बोतल और कलम अपने बॉक्स में रख दी और निशी को बाहर धकेलकर दरवाज़ा बंद कर दिया। निशी चिल्लाई, “भाभी, वादा याद है ना? मुझे फ़ोटो चाहिए!”

मेरी चूत का मेकअप

रेणु भाभी मुझे तैयार करने में जुट गईं। मैनीक्यूर, पेडिक्यूर, वैक्सिंग—सब कुछ। उन्होंने मुझे पूरी नंगी कर दिया और मेरी झाँटें हेयर रिमूविंग क्रीम से साफ़ कीं। मेरी चूत इतनी चिकनी हो गई कि लगता था दो मुलायम पाव रोटी एक साथ चिपकी हों।

रेणु बोलीं, “शालिनी, मैंने 8 साल में 30 दुल्हनों को सजाया है, लेकिन तेरी जैसी मखमली चूत किसी की नहीं थी। तेरा पति बहुत लकी है।”

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ये कहते हुए उन्होंने मेरी चूत पर हाथ फेरा और फिर ज़ोर से चूम लिया। मैं शर्म से लाल हो गई। मेरे दिमाग़ में सवाल उठा कि क्या मेरा पति भी मेरी चूत को ऐसे ही चूमेगा?

फिर भाभी ने कहा, “5 मिनट चुपचाप लेटी रह, आँखें बंद कर। अब मैं एक सरप्राइज़ तैयार करूँगी।”

वो मेरी चूत पर 5-7 मिनट तक कुछ लिखती रहीं। मुझे गुदगुदी हो रही थी, लेकिन मैं चुप रही। फिर उन्होंने मेरी टाँगें इतनी चौड़ी कीं कि मेरी चूत फटने को हो गई। 3-4 बार ‘क्लिक’ की आवाज़ आई। शायद वो मेरी चूत की तस्वीरें ले रही थीं। मैंने सोचा, शायद अपनी मार्केटिंग के लिए ले रही हैं, तो मैं चुप रही।

रेणु बोलीं, “आँखें खोल और मेरे फ़ोन में देख, किसकी तस्वीरें हैं!”

मैंने देखा तो मेरे होश उड़ गए। उनके फ़ोन में मेरी चूत की 4-5 साफ़ तस्वीरें थीं, और चूत के ऊपर कुछ लिखा था। मैंने अपनी चूत देखी तो हैरान रह गई। वहाँ लिखा था:

CHUT OF SHALINI JUST for U !!!

पहले तो मुझे गुस्सा आया कि मेरी चूत को बिगाड़ दिया, वो भी ना मिटने वाली स्याही से। लेकिन फिर मैं समझ गई और रेणु भाभी के साथ हँसते-हँसते लोटपोट हो गई।

भाभी मुझे ड्रेसिंग टेबल के पास ले गईं और बोलीं, “अब ध्यान से अपनी चूत देख।” मैंने देखा और शर्म से पानी-पानी हो गई। मैंने भाभी को गले लगाया, चूम लिया और बोली, “यू आर ग्रेट! यू हैव डन अ वंडरफुल जॉब!”

शादी और सुहागरात

मेरा विवाह धूमधाम से हुआ। निशी की अजय से अच्छी दोस्ती हो गई थी। मैं विदा हुई और ससुराल पहुँची। हमारे यहाँ रिवाज़ है कि पहली रात देवताओं की पूजा होती है, इसलिए सुहागरात अगली रात को मनाई गई।

अगली रात, अजय के कज़न की पत्नी ने मुझे सजाया। मुझे लाल लहंगा-चोली पहनाया और कमरे में छोड़ दिया। एक लोटा गर्म दूध और मेवों की प्लेट भी रखी गई। भाभी ने अजय को आँख मारी और बोली, “दुल्हन बहुत नाज़ुक है। सारी रात है तुम्हारे पास, बस थोड़ा धीरे-धीरे।”

अजय ने भाभी के चरण छूए और भाभी हँसते हुए बाहर चली गईं, दरवाज़ा बंद करके।

अजय ने मेरा स्वागत किया और मुँह दिखाई में मुझे घड़ी दी। कुछ देर हमने घर-परिवार की बातें की। फिर उन्होंने मेरे हाथ पर अपना हाथ रखा, और मेरे शरीर में करंट सा दौड़ गया।

उन्होंने मेरी ज्वेलरी उतारी और मुझे अपनी बाहों में कस लिया। मैं उनकी बाहों में खो गई। अजय ने लाइट बंद की और नीला नाइट लैम्प जलाया, जिससे माहौल और सेक्सी हो गया।

हमने लोटे से बारी-बारी दूध पिया। ड्राई फ्रूट्स भी प्यार से खाए। अजय मेरे होंठों के बीच बादाम देते, मैं आधा कुतर लेती, बाकी आधा वो मेरे होंठों से ले लेते।

अब हम दोनों खुल गए थे। अजय ने मेरी चोली और लहंगा उतार दिया, और खुद भी कुर्ता-पाजामा उतार दिया। मैं सिर्फ़ गुलाबी पैंटी और लाल जालीदार ब्रा में थी, जो मेरी चूत और चूचियों को ढक नहीं पा रही थी। मेरी चूचियाँ आधी बाहर झाँक रही थीं।

मैंने अजय का कसरती बदन देखा। उनका लंड तन चुका था। उन्होंने मेरे बूब्स की तारीफ़ की, “वाह, तुम तो जन्नत की हूर हो!”

छुहारे का खेल

ड्राई फ्रूट प्लेट में सिर्फ़ तीन छुहारे बचे थे। अजय ने एक छुहारा मेरे मुँह में आधा डाला। मैंने उसे दाँतों से पकड़ लिया। अजय ने अपना मुँह मेरे होंठों के पास लाया और बाकी आधा अपने मुँह से पकड़ा। उनके होंठों का स्पर्श पाकर मैं सिहर उठी। उन्होंने छुहारा काटने के लिए ज़ोर से मुँह पीछे खींचा, और मैं उनके इस झटके के लिए तैयार नहीं थी। मैं धड़ाम से उनकी गोद में गिर गई। मेरे नुकीले बूब्स उनके सीने से टकराए। इस छीना-झपटी में छुहारा उनके अंडरवीयर पर लंड के उभार पर जा टिका।

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हम दोनों हँस पड़े। अजय ने मेरा चेहरा उनके अंडरवीयर पर झुकाया और बोले, “होंठों से छुहारा उठाओ।” मेरा नाक उनके लंड से टकराया, और उसकी मादक गंध मेरे नथुनों में समा गई। मैंने छुहारा मुँह में लिया और चबा लिया।

अजय बोले, “खाओ इसे, मेरे पास अभी दो और हैं।” ये कहते हुए उन्होंने मेरे बूब्स छूए और मेरी चूत पर उंगली रखी।

मैं शर्म से बोली, “धत्त, कितने बदमाश हो!”

अजय ने एक छुहारा मेरी ब्रा के बीच डाला और मेरे बूब्स को इतना मसला कि छुहारा पिसने लगा। मेरी चूड़ियाँ खनक रही थीं, और माहौल में मादक संगीत गूँज रहा था। मुझे एक सेक्स फिल्म याद आई, जिसमें हीरो अपने लंड को हीरोइन के बूब्स के बीच घिस रहा था। मुझे भी अपने बूब्स के बीच छुहारे का खुरदरापन बहुत आनंद दे रहा था।

अजय ने छुहारा निकाला और गप्प से मुँह में डाल लिया।

निशी का फोन

तभी मेरा फोन बजा। निशी थी। मैंने काट दिया। अजय बोले, “किस यार का फोन है? उठा लो, शायद उसे नहीं पता कि तुम्हारी शादी हो गई।”

फोन फिर बजा। मैंने गुस्से से कहा, “निशी, तुझे मालूम है ना आज हमारी सुहागरात है? शर्म नहीं आती हमें तंग करते हुए?”

अजय ने फोन छीन लिया और स्पीकर पर डालकर बोले, “साली साहिबा, क्या साढ़ू भाई घर पर नहीं हैं जो नींद नहीं आ रही?”

निशी बोली, “वो आज थके हुए हैं, फटाफट काम निपटाया और सो गए। आप बताओ, सुहागरात कहाँ तक पहुँची? मुझे एक शेर याद आया: ऐ ग़ालिब, तू गोरों पर ही क्यों मरता है, मंज़िल-ए-मक़सूद तो सबकी काली है। तो जीजू, पहुँचे मंज़िल पर या अभी नहीं?”

अजय बोले, “निशी, तुमने अपनी सहेली को अच्छे से ट्रेन नहीं किया। बहुत शरमा रही है।”

निशी हँसी, “जीजू, इसकी मंज़िल-ए-मक़सूद गोरी-चिट्टी थी, मैंने ही काली कर दी।”

अजय, “क्या किया काली करने के लिए? साढ़ू भाई से तो नहीं चुदवा दिया?”

निशी, “नहीं जीजू, वो सब आपके लिए सुरक्षित है। लंका पर हमला करो, समझ जाओगे।”

अजय, “मैं तो समझा साढ़ू भाई ने अपनी साली को जन्नत दिखा दी होगी।”

निशी, “मेरे वो शरीफ हैं।”

अजय, “अरे, मौका नहीं मिला होगा। तू मुझे मिले तो मैं तुझे पेले बिना नहीं छोड़ूँगा।”

निशी, “पहले अपनी बीवी को तो पेलो!”

शालिनी, “निशी, तुझे शर्म नहीं आती जीजू से ऐसी बातें करते हुए?”

निशी, “नाराज़ मत हो। जीजू, अब जल्दी से अपनी गुल्ली डालो शालु की पिल्ली में। मैं एक घंटे बाद फिर फोन करूँगी। फोन बंद मत करना!”

अजय, “मैं खुद 1 बजे फोन करूँगा। बाय!”

लंका पर धावा

निशी के फोन ने अजय के लंड को ठंडा कर दिया था, लेकिन अब वो जल्दबाज़ी में थे। उन्होंने अंडरवीयर और बनियान उतार दी और अपने तने हुए लंड की तरफ इशारा करके बोले, “इसे मुँह में डालकर चूसो।”

मैंने मना किया, लेकिन उन्होंने ज़बरदस्ती मेरा हाथ पकड़ा और लंड पकड़ा दिया। पहली बार लंड पकड़ते ही मुझे करंट सा लगा। थोड़ी देर में लंड मोटा और लंबा हो गया। मैं अंदर से खुश थी कि मुझे इतना शानदार लंड मिला है।

जब मैं लंड खड़ा कर रही थी, अजय मेरी पीठ, गले और मुँह पर चूम रहे थे। एक हाथ मेरी चूत और चूतड़ों पर फिर रहा था, जिससे मेरे शरीर में झुरझुरी हो रही थी।

लंड तैयार होते ही अजय ने मेरी ब्रा की हुक खोल दी, और ब्रा मेरी गोद में गिर गई। फिर उन्होंने मेरी पैंटी भी उतार दी, जिसमें मैंने पूरा साथ दिया।

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तभी उनकी नज़र मेरी चूत पर लिखे अक्षरों पर पड़ी। वो हँस पड़े और बोले, “वाह निशी, तुम कमाल की साली हो!”

मैंने रेणु भाभी वाली घटना संक्षेप में सुनाई।

चूत की चुदाई

अजय ने मुझे सीधा लिटाया, मेरे टाँगों के बीच आए और मेरी चूत को चूम लिया। मेरे कूल्हों के नीचे तकिया रखा, जिससे मेरी चूत का चीरा पूरी तरह खुल गया। वो मेरे ऊपर झुके, अपने लंड को चूत के मुँह पर सेट किया और ज़ोर का धक्का मारा। लेकिन लंड फिसलकर मेरी गाँड के छेद पर रुक गया।

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दूसरी बार भी लंड फिसलकर मेरी चूत के ऊपर चला गया। मुझे बेचैनी हो रही थी, इसलिए मैंने हाथ से लंड को चूत के मुँह पर सेट किया और धक्का मारने का इशारा किया। अजय ने धक्का मारा, और लंड मेरी चूत को चीरता हुआ आधा अंदर चला गया।

उन्होंने लंड थोड़ा बाहर खींचा और फिर ज़ोर का धक्का मारा। 7 इंच का लंड पूरा मेरी चूत में समा गया। ऐसा लगा जैसे कोई गरम लोहे की छड़ मेरी चूत में ठोक दी हो। थोड़ा खून निकला, और मैं दर्द से चिल्ला उठी, “निकालो इसे, मैं मर रही हूँ!”

मेरे चिल्लाने से अजय का जोश बढ़ गया। उन्होंने मेरे मुँह पर हाथ रखा ताकि आवाज़ बाहर न जाए और मेरी चूत को बेरहमी से रौंदने लगे। मेरे मम्मों को भी ज़ोर-ज़ोर से मरोड़ने लगे।

5 मिनट बाद मुझे लंड का आना-जाना अच्छा लगने लगा। मैं सिसकारियाँ लेने लगी, “आह… उह… ऊहह…” मैं अपने चूतड़ उठा रही थी ताकि लंड पूरा अंदर जाए।

अजय ने स्पीड बढ़ाई और मेरी चूत की धुलाई शुरू कर दी। उनके टट्टे मेरी चूत पर टकराते तो ‘टप्प… ठप्प…’ की मादक आवाज़ गूँजती।

मैं बोली, “अजय, मुझे कुछ हो रहा है! मेरी चूत से पानी निकल रहा है!”

अजय ने कहा, “मैं भी झड़ने वाला हूँ!”

मेरी चूत से पानी के फव्वारे छूटने लगे। मैं पागलों की तरह सिसकार रही थी। मेरा शरीर काँप रहा था। अजय ने भी चीख मारी और मेरी चूत में 6-7 पिचकारियाँ छोड़ दीं। मेरी चूत उनके लंड की मलाई से भर गई। उनका लंड अब छोटा होकर मेरी चूत के मुँह पर आ गया। अजय मेरे ऊपर निढाल होकर गिर गए और मुझे बाहों में कस लिया।

हमारी साँसें तेज़ थीं। मेरे चूतड़ों के नीचे चिपचिपा गीलापन था। मैंने पैंटी से अपनी चूत साफ़ की। मेरी चूत का रस और अजय की मलाई मिलकर लाल तरल बन गया। अजय ने अपना लंड मेरी ब्रा से साफ़ किया।

निशी का दूसरा फोन

तभी फोन बजा। निशी थी। अजय ने स्पीकर पर डाल दिया।

निशी, “जीजू, बहुत खुश लग रहे हो। देख ली काली मंज़िल-ए-मक़सूद?”

अजय, “हाँ साली जी, तुमने कमाल का एफर्ट किया। तुमने हमारी सुहागरात कामयाब कर दी।”

निशी, “मैं अब हीरे की अंगूठी लूँगी इस मेहनत के लिए। शालिनी से बात कराओ।”

मैं, “हाँ बोल, तेरे जीजू बहुत खुश हैं।”

निशी, “वो तो होंगे! सील बंद डिब्बा जो मिला। उनका हथियार कैसा है, बता!”

मैं, “मेरी आवाज़ से नहीं समझी? परसों जोधपुर आऊँगी, तब सब बताऊँगी। अब फोन बंद कर, मुझे वॉशरूम जाना है।”

निशी, “ओके, बेस्ट ऑफ लक फॉर द रेस्ट ऑफ द नाइट!”

रात का बाकी मज़ा

उस रात हमने दो बार और चुदाई की। एक बार मैंने उनका लंड चूसा, और उन्होंने मेरी चूत चाटी। हर बार मेरी चूत उनकी मलाई से भर गई, और मैं आनंद के सागर में डूब गई।

ये थी मेरी सुहागरात की कहानी, जो मेरी चूत की प्यास की शुरुआत थी। अब तो मैं हर रात नया लंड ढूँढती हूँ, लेकिन वो पहली रात का मज़ा आज भी मेरे दिल में बस्ता है।