हिंदी सेक्स स्टोरी

खूबसूरत औरत की इच्छा-3

KhoobSurat Aurat Ki Chudayi Ki Ichha-3

उसने दरवाजा खोला और दरवाजा खुलने के बाद का नजारा कुछ ऐसा था जिसे देखकर तो मैं अपने आप पर गर्व महसूस करने लगा। क्या बला की खूबसूरत लग रही थी वो !
उसने गुलाबी रंग की साड़ी पहनी हुई थी, उसी रंग की लिपस्टिक लगा रखी थी। सच मानो दोस्तो, उस समय तो अगर मेरे सामने जन्नत की परी को भी खड़ा कर दो तो एक बार तो मैं उसको भी फ़ेल कर दूँ।

और एक बात तो है दोस्तो की अगर कोई औरत जब हमारे सामने चुदने को खड़ी हो तो हमें तो बस वो ही दिखाई देती है।

मुझे भी बस वो ही दिखाई दे रही थी और उसके इस रूप ने तो मेरे होश ही उड़ा दिये थे। मेरा रुकना नामुनकिन था, दिल कर रहा था कि उसको यहीं दरवाजे पर ही खड़ा करके चोद दूँ।
उस समय तो मुझे उसके होंठ दिखाई दे रहे थे जिस पर उसने गुलाबी रंग की लिप्स्टिक लगा रखी थी, जो मुझे पागल किये जा रही थी। दिल कर रहा था कि बस अभी अपना लंड निकाल कर इसके मुँह में दे दूँ, जिसे ये लोलीपोप की तरह चूसती रहे।
मैं तो अपने इन्हीं सपनों में खोया हुआ था, मेरा सपना तो जब टूटा जब उसने हाथ मिलाने के लिये आगे बढ़ाया और कहा- हाय ! आ गये आप ! क्या बात है आज कुछ लेट हो गये, रास्ते में कोई और मिल गया था क्या?

उसने मजाक में कहा।

मैं कहाँ उसके इस मजाक का जवाब देने की हालत में था, मैंने उससे हाथ मिलाया और कमरे के अन्दर दाखिल हुआ, दरवाजा बंद किया और सीधा उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिये, उसके शरबती होंठों का वो स्वाद तो भूले नहीं भूलता यार ! मैंने अपने हाथों से उसके चेहरे को थामा और उसको इस कदर चूमने लगा जैसे उसे अब मैं खा ही जाऊँगा।

वो भी मेरा पूरा साथ दे रही थी और बेहताशा पागलों की तरह मुझे चूमे ही जा रही थी, हम दोनों एक दूसरे से इस कदर लिपट चुके थे कि हमारे बीच से हवा भी पार ना हो सके।

हम नहीं जानते कि हम दोनों इस तरह एक दूसरे के होंठों के रसपान का आनन्द कितनी देर तक लेते रहे, पर हाँ हम दोनों एक दूसरे के होंठों के रसपान का आनंद तब तक लेते रहे जब तक मेरा मुँह नहीं दुखने लग गया।

फ़िर मैंने अपने हाथ उसकी कमर को लपेटे और उसे अपनी बाँहो में उठा लिया और बैड की तरफ़ बढ़ने लगा, पर हमने होंठों का रसपान जारी रखा, जो हमने तभी छोड़ा जब मैंने उसे बैड पर लेटाया।

उसने लेटते-लेटते अपना एक हाथ अपने होंठों पे रखते हुये कहा- जालिम, आज क्या मुझे खा जाने का इरादा है क्या तुम्हारा? थोड़ा आराम से ! आज की रात तो मैं तुम्हारी ही हूँ, कोई भागी नहीं जा रही, देखो तुमने मेरे नाजुक से होंठों का क्या हाल कर दिया है, पूरे छील के रख दिये !

मैंने कहा- जान ऐसा तो कोई इरादा नहीं था मेरा ! पर क्या करूँ, आज तो तुम कयामत लग रही हो कयामत !

कुछ देर हम ऐसे ही लेटे रहे, फ़िर मैं उठा और उसके ऊपर चढ़ गया, ऊपर चढ़ते ही सबसे पहले मैंने उसके साड़ी का पल्लू एक साईड किया। साड़ी का पल्लू साईड में करते ही मेरा तो दिमाग ही हिल गया, मैंने एक लम्बी सांस ली।

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दोस्तो, वास्तव में भारतीय नारी साड़ी में सबसे सुन्दर लगती है, और अगर गलती से भी उसका साड़ी का पल्लू गिर जाये तो लगता है वो ऊपर से नग्न ही हो गई हो !

मेरे सामने भी अब कुछ ऐसा ही नजारा था। और कुछ आजकल की औरतें ब्लाउज भी कुछ ऐसा पहनती हैं, गला खुला हुआ, काफ़ी टाईट जिसे सब शोर्ट कहते हैं। उसने भी कुछ ऐसा ही पहना हुआ था, इस समय जो सबसे आकर्षित करती है वो है औरत की साँस, और हर साँस के साथ ऊपर नीचे होती उसकी चूचियाँ, जिनको देख के मैं तो पागल ही हुआ जा रहा था।

अब मैं हल्का सा उसके ऊपर लेट सा गया, और उसके माथे पे किस किया और उसकी आँखो में देखने लगा, वो हल्की सी मुस्कराई और अपनी आँखें बंद कर ली।

फ़िर मैंने अपने होंठ उसके एक कान पर रखे और जीभ थोड़ी सी बाहर निकाल कर उसके कान के सुराख में घुमाने लगा, उसके मुँह से तो बस सिसकारियाँ निकल रही थी और लम्बी-लम्बी साँसें ले रही थी, उसके दोनों हाथ अपने आप मेरे सिर पर आ चुके थे। मैं उसके कानों को चूमता चाटता हुआ उसकी गरदन तक आया और अपने पूरे होशोहवास खोकर उसकी गरदन को चूमने लगा।

वो तो बस अपने मुँह से बड़ी ही सैक्सी आवाजों में सिसकारियाँ ले रही थी- ऊऊऊह ऊ आह आअ, आराम से जान !

कुछ देर बाद में उसके ऊपर से हटा और उसे बैड के नीचे खड़ा किया, फ़िर मैंने उसकी साड़ी का पल्लू पकड़ा और उसे उसके जिस्म से अलग करने लगा, साड़ी उसके जिस्म से अलग करके, मैं उसके गले लगा और अपने हाथ उसके पीछे ले जाकर उसके ब्लाउज के हुक खोल कर उसके ब्लाउज को भी उसके जिस्म से अलग कर दिया, उसने ब्लाउज के नीचे ब्रा नहीं पहनी थी जिससे उसके ब्लाउज खुलते ही उसके दोनों कबूतर फ़ड़फ़ड़ा कर बाहर आ गये।
एक बार तो मैंने शान्ति से खड़े होकर नजर भर कर उसके जिस्म को देखा, कमरे मैं सारी की सारी लाईट जली हुई थी, जिससे उसका कामुक बदन साफ़-साफ़ नजर आ रहा था।
सच में दोस्तो, बनाने वाले ने भी पता नहीं क्या सोच कर बनाया होगा ! जैसे पानी को जिस बर्तन में भी डालो वो वैसा ही आकार ले लेता है, वैसे ही औरत के बदन को भी कोई भी कपड़ा पहनाओ, वो कयामत ही लगती है।
और जब उसके ये कपड़े उसके बदन से उतरते है तो देखने वाले की आँखों के सामने तो कयामत ही आ जाती है और उसके लंड के सामने उसकी सारी इन्द्रियाँ काम करना बन्द कर देती हैं, और वो सारी दुनिया भुला कर उसी को चोदने के लिये तड़प जाता है फ़िर चाहे वो अच्छा हो या बुरा !

मेरी हालत भी शायद अब कुछ ऐसी ही थी कि अगर अब हमारे बीच कोई आ जाये तो वो हम दोनों का सबसे बड़ा दुश्मन होगा इस दुनिया का।

मैं यह सब सोच ही रहा था कि वो थोड़ी शरमा के मुझसे लिपट गई। उसके लिपटते ही मुझे इतनी खुशी हुई कि मैंने भी उसे अपनी बाहों में समेट लिया और अपने हाथों से उसकी पीठ सहलाने लगा, उसने तो अपना मुँह मेरे सीने में छुपा लिया और चूमने लगी। मैं तो खुशी के मारे अपना मुँह छत की तरफ़ कर मुस्करा रहा था और अपने आप पर घमंड भी हो रहा था, क्योंकि यह मेरी किस्मत ही तो थी जो आज मैं इतनी खूबसूरत औरत को अपनी बाहों में समेटे खड़ा था।

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वो मेरी बाहों में झूल रही थी और मैं उसके कोमल से बदन से खेले ही जा रहा था और नीचे मेरा लंड ठुनक-ठुनक के अपनी मौजूदगी का अहसास दिला रहा था और यह बात शायद वो भी जानती थी, जिसका इजहार उसने मेरे लंड पर अपनी चूत का दबाव बनाकर प्रदर्शित किया, और सच में इन छोटी-छोटी हरकतो में हमें बहुत मजा आ रहा था, क्योंकि चुदाई का मतलब यह नहीं कि बस चूत में लंड डाल कर 10 या 15 मिनट हिलाओ, इससे तो पूरा मजा 10 या 15 मिनट में ही खत्म हो जायेगा, और हमें तो आज पूरी रात जाग के एक दूसरे के बदन के साथ खेलना था और इस खेल के आनन्द को वो ही समझ सकता है जिसने यह खेल खेला हो।

हम फ़िर से एक दूसरे को चूमने लगे, अब मैं चूमता-चूमता नीचे की तरफ़ बढ़ा और उसकी गर्दन को चूमने लगा। अब मैं और नीचे बढ़ा और एक हाथ से उसकी एक चूची पकड़ी और दूसरी चूची को अपने मुँह में लिया, वो तो बस एक बेबस चिड़िया की तरह प्यार भरी सिसकारियाँ ले रही थी और अपने हाथों से मेरे सिर को पकड़ कर अपने शरीर के हर उस हिस्से, जिस हिस्से को मैं चूम रहा था, पर मेरे मुँह का दबाव बढ़ा रही थी। वो इस कदर दबाव डाल रही थी जैसे मुझे पूरे को ही अपने अन्दर समा लेना चाहती हो, और सिसकारियों में कुछ अजीब बड़बड़ा रही थी- आ आआ मेरे राआ आअ जा आअ जोर से करो मसल डालो मुझे, निचोड़ के पी जाओ आज मुझे, जाने ये मेरा बदन कब से तड़प रहा था एक मर्द के लिये, इतना आग में तड़पा है ये कि एक बार की चुदाई से इसे कोई फ़रक नही पड़ा, आज मेरी दिल की सारी तमन्ना पूरी कर दो, आज तोड़ मरोड़ के रख दो मुझे ! आज की रात जवानी के पूरे मजे दो मुझे, आज की रात मुझे इस कदर चोदो कि आज की रात में कभी भुल ना पाऊँ।

उसकी ये बातें और सिसकारियाँ मेरे जोश को और बढ़ा रही थी और मैं उसकी चूचियो को और जोर से मसल रहा था, चूम रहा था।

मैं कभी एक चूचि को अपने मुँह में लेता और दूसरी को अपने हाथ से दबाता, और कभी दूसरी को मुँह में लेता और पहली को हाथ से दबाता।

मैं उसकी चूचियों को इतनी जोर से दबा रहा था कि उसकी चूचियाँ लाल पड़ गई थी और कई जगह पर तो मेरे दांतों के निशान भी पड़ गये थे।

अब मैं उसके पेट को चूमते हुये नीचे की तरफ़ बढ़ा, मैं उसके सामने अपने घुटनों पर बैठ गया, नीचे बैठते ही मैंने अपने हाथ आगे बढ़ा कर उसके पेटीकोट का नाड़ा खोला, नाड़ा खोलते ही उसका पेटीकोट खिसक कर नीचे आ गया, पेटीकोट नीचे आते ही उसका पूरा बदन मेरी आँखों के सामने था।

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मैंने पेटीकोट को उसके पैरों से अलग किया, मेरे सामने अब वो पूरी तरह से नंगी खड़ी थी, उसकी चूत तो ना जाने अब तक कितना पानी छोड़ चुकी थी, मैंने बस कुछ देर उसको देखा, और बिना समय गंवाये उसकी चूत पर अपना मुँह रख दिया और अपनी जीभ को नुकीली करके उसकी चूत के अन्दर दाखिल कर दिया।

मेरा ऐसा करने पर उसने अपने दोनों हाथ मेरे सिर पर रख दिये और मेरे सिर पर दबाव बढ़ाने लगी। वो तो आँखें बंद करके इस पल का मजा बड़े आराम से लेने लगी। उसकी टांगें कांप रही थी और दिल को छू जाने वाली सिसकारियाँ अपने मुँह से निकाल रही थी जिसे सुन कर मेरा जोश और बढ़ रहा था।
मैं भी उसे बड़े मजे ले लेकर चूसे जा रहा था, कुछ देर बाद उसका शरीर अकड़ने लगा, उसने अपनी टांगों को भींच लिया और अपनी टांगों के बीच मेरे सिर को मसलने लगी।

कुछ ही देर बाद उसका फ़व्वारा फ़ूट गया, जिसे मैं बड़े चाव से पीता गया, अब वो शान्त हो चुकी थी, उसने मुझे अपनी बाहों में भींच लिया, और मुझे चूमने लगी।

अब हम दोनों बैड पर आ गये और एक दूसरे की बाहों में बाहें डाल कर एक दूसरे के जिस्म के साथ खेलने लगे। वो लंड को बड़े आराम से सहलाने लगी और अपने मुँह में लेकर चूसने लगी। वो मेरे ऊपर चढ़ गई और लंड को अपनी चूत के छेद पर लगा के उस पर आराम से बैठने लगी, लंड धीरे धीरे उसकी चूत के अन्दर जा रहा था और शायद इससे उसको थोड़ी तकलीफ़ भी हो रही थी। उसने अपनी आँखें बंद कर के कुछ सिसकारियां ली।

कुछ ही देर बाद का नजारा यह था कि मेरा पूरा का पूरा लंड उसकी चूत की गहराइयों में उतर चुका था, अब उसने अपनी आँखें खोली, मेरी तरफ़ देखकर मुस्कुराई और मेरे ऊपर झुक कर मेरे माथे को चूम लिया। उसकी बड़ी-बड़ी चूचियाँ मेरी आँखों के सामने झूल रही थी, मैंने अपने हाथ आगे बढ़ा कर उसकी दोनों चूचियों को थाम लिया और एक-एक करके चूसने लगा।

उसने तो अपनी बाहें मेरे गले में डाली हुई थी, अपने चूतड़ों को अपनी पूरी ताकत से उठा उठा कर लंड पर बरसा रही थी, और अपने मुँह से मस्त मस्त आवाज निकाल रही थी।
अब वो उठी और उलटी हो कर फ़िर से लण्ड पर बैठ गई, अबकि बार जब वो लंड पर बैठी तो लंड एक ही झटके में पूरा का पूरा अन्दर चला गया क्योंकि लंड और चूत पूरी तरह से गीले हो चुके थे, और इतनी चिकनाई होने के कारण लंड को अन्दर जाने में कोई तकलीफ़ नही हुई और अब तक तो उसकी चूत मेरे लंड के आकार के मुताबिक फ़ैल चुकी थी, शायद इसलिये उसे भी अपनी चूत में लंड लेते हुये कोई परेशानी नहीं हुई।