हिंदी सेक्स स्टोरी

खूबसूरत औरत की इच्छा-4

KhoobSurat Aurat Ki Chudayi Ki Ichha-4

उसकी पीठ मेरी तरफ़ थी और उसने अपने हाथ मेरे पैरों पर रखे हुये थे, वो अपने चूतड़ों को उठा-उठा कर जोर-जोर से पटक रही थी वो इस पल का मजा पूरे दिलो जान से ले रही थी।
मैं तो अपने हाथों से उसके चूतड़ों की गोलाइयाँ नाप रहा था और साथ-साथ उसकी पीठ को भी सहला रहा था।

यह करते-करते मुझे एक शरारत सूझी, मैंने अपनी एक उंगली को अपने मुँह में लेकर गीली किया और उसकी गांड के छेद पर रख दी, और थोड़ी सी ताकत लगाई तो उंगली एक पोर तक गांड के अन्दर चली गई, मेरी इस हरकत से शायद वो अन्जान थी इसलिये उंगली गांड के अन्दर जाते ही वो उछल पड़ी और उसने मेरी तरफ़ पलट कर देखा और अपने हाथ से मेरी उंगली को अपनी गांड के छेद से बाहर निकाल कर बोली- क्या कर रहे हो? इसका भी नम्बर आयेगा, थोड़ा सब्र करो !

और वो फ़िर से अपने चूतड़ उछालने लगी, पर मैं कहाँ रुकने वाला था, मैंने फ़िर वही किया, वो फ़िर से बोली- मानोगे नहीं तुम?

उसने मेरा लंड अपनी चूत से बाहर निकाला और एक दो बार अपनी गांड के छेद पर रगड़ कर उसे अपनी गांड के छेद पर टिकाया और उस पर अपनी गांड का दबाव बनाया, लंड चूत में इतनी देर रहने के बाद काफ़ी चिकना हो चुका था जिसके कारण लंड की टोपी तो एक ही झटके में अन्दर चली गई, टोपी अन्दर जाते ही उसने प्यार भरी एक सिसकारी ली और फ़िर से उसने अपनी गांड का दबाव मेरे लंड पर बनाया।

अब की बार लंड धीरे धीरे सरकता हुआ आधे से ज्यादा अन्दर चला गया, अब उसने अपनी गांड ऊपर उठाई जिससे लंड टोपी तक उसकी गांड से बाहर आ गया, उसने एक लम्बी सांस ली और मेरे लंड पर बैठ गई। अब की बार लंड पूरा का पूरा जड़ तक उसकी गांड में उतर गया, लंड गांड में जड़ तक उतरने के साथ-साथ उसके मुँह से दर्द और आनन्द की एक मिली जुली सिसकारी निकली।

वो कुछ देर ऐसे ही बैठी और फ़िर से अपना काम चालू कर दिया यानि अपनी गांड उठा उठा कर लंड पर मारने लगी।

दोस्तो क्या खूबसूरत नजारा था ! वो लंड को टोपी तक बाहर निकालती और फ़िर उसे अपनी गांड के अन्दर ले जाती, मैं तो अपने दोनों हाथ अपने सिर के पीछे रखकर इस नजारे का मजा ले रहा था, वो तो बस मजे में सिसकारियाँ ले ले कर अपनी गांड मेरे लंड पर पटके जा रही थी।
अब इतनी देर की चुदाई के बाद मेरा शरीर अकड़ने लगा था, मुझे लग रहा था शायद अब मैं छुट जाऊँगा, पर अभी मैं ये नहीं चाहता था, मैंने उसको अपने ऊपर से हटाया और बैड के किनारे पर बैठ कर लम्बी-लम्बी सांस लेने लगा।

अब मैंने उसको बैड के किनारे पर घोड़ी बनाया और अपने लंड को पकड़ कर एक बार चूत से लेकर उसकी गांड तक फ़िराया और उसकी गांड के छेद पर रखकर और थोड़ा सा दबाव बनाया। लंड उसकी गांड की गहराई में उतर गया।

अब मैं उसको अपने पूरे जोश से चोदने लगा, वो भी अपनी गांड को पीछे की तरफ़ हिला हिला के मेरे हर एक धक्के का जवाब दे रही थी और अपनी गांड की गहराइयों में मेरे लंड का स्वागत कर रही थी। वो अपने एक हाथ से अपनी चूत के दाने को भी छेड़ रही थी। अब मेरा शरीर फ़िर से अकड़ने लगा, तो मैंने भी अपने धक्कों की रफ़्तार बढ़ा दी और कुछ ही देर में मेरा झड़ने का वक्त आ गया था, मैंने उसकी कमर को कसकर पकड़ लिया, और अपने लंड से फ़व्वारा उसकी गांड के अन्दर ही छोड़ दिया।

Hindi Sex Story :  Biwi Ne Kiya Loan Ka Bhugtan-2

लंड अन्दर फ़व्वारे पे फ़व्वारे छोड़े जा रहा था जब तक लंड ने अपने अन्दर की एक-एक बून्द उसकी गांड के अन्दर ना छोड़ दी। मैं नहीं जानता मेरे लंड ने उसकी गांड के अन्दर कितना वीर्य छोड़ा पर उसकी पूरी गांड भर गई, जिसके साथ-साथ उसने भी अपनी चूत का पानी छोड़ दिया।

इतनी लम्बी चुदाई के बाद मैं काफ़ी थक गया था, मैं बैड पर लेट गया और वो भी मेरे बगल में लेट कर मेरी छाती के बालों से खेलने लगी, कभी वो मेरी छाती के बालों से खेलती कभी मेरी चूचियो को अपनी जीभ से चाटती।

उसके ऐसा करने से मुझे बहुत मजा आ रहा था और मेरी थकान भी दूर हो रही थी।

इतनी लम्बी चुदाई के बाद मैं काफ़ी थक गया था, मैं बैड पर लेट गया और वो भी मेरे बगल में लेट कर मेरी छाती के बालों से खेलने लगी, कभी वो मेरी छाती के बालों से खेलती कभी मेरी चूचियो को अपनी जीभ से चाटती।

उसके ऐसा करने से मुझे बहुत मजा आ रहा था और मेरी थकान भी दूर हो रही थी।
हम दोनों बैड पर लेट कर एक दूसरे के बदन से खेल रहे थे। यहाँ पर मैं आप सबको एक बात बता दूँ कि चुदाई करते समय शायद हम सब मनुष्य, चाहे वो औरत हो या मर्द, वो सब नहीं करते जो हमें अच्छा लगे, हम सब वो करते है जो हमारे साथी को अच्छा लगे, क्योंकि चुदाई करते समय हमारे दिल में एक ही बात रहती है कि चाहे हमें पूरा मजा आये या ना आये पर हमारे साथी को पूरा मजा आना चाहिये, ताकि उसके दिल में हमारे लिये वो जगह बन जाये, जिससे उसको यकीन हो जाये कि हाँ, यही वो इन्सान है जो हमारे जिस्म की भूख को मिटा सकता है। और औरत तो यह सोचती है कि यही सही आदमी है, हमारे लिये है।
हम दोनों एक दूसरे के बदन से खेल रहे थे जिससे दोनों में जोश फ़िर से आ गया, हमारा जोश अब सातवें आसमान पर था क्योंकि दोस्तो, कोई भी जब किसी के साथ हमबिस्तर होता है तो एक बार झिझक आयेगी, दूसरी बार थोड़ी कम होगी और एक दो बार हमबिस्तर होने के बाद तो आप दोनों एक दूसरे से इतने खुल जाओगे कि आप को एक दूसरे से कोई शर्म नहीं रहेगी, और ना ही एक दूसरे से कोई झिझक रहेगी, और शायद जितना मजा आप दोनों को एक दूसरे के बदन को छेड़ने में मजा आयेगा, उससे कहीं ज्यादा मजा आपको अपने बदन को छेड़वाने में आयेगा।

अब तक हम दोनों ने एक दूसरे के साथ भरपूर बात कर चुके थे, हमबिस्तर हो चुके थे और शायद एक दूसरे के शरीर का एक एक अंग देख चुके थे, छू चुके थे, चूम चुके थे। हम दोनों में अब कोई शर्म नहीं थी, ना ही कोई झिझक थी, हम एक दूसरे के बदन से खेल रहे थे और दूसरे को खेलने दे रहे थे। और शायद चुदाई का असली मजा भी जब ही आता है जब उसे बेशर्म होकर किया जाये और दोस्तो अब सब एक बात ध्यान में जरुर रखना, चाहे आप लड़का हो या लड़की, चुदाई पूरे मजे से करो और बेशर्म होकर करो और चुदाई में कोई भी काम करना गलत नहीं। अगर चुदाई करो तो खुल के करो आदमी तो जल्दी खुल जाता है पर औरत को ही पूरी तरह से खुलने में टाईम लगता है और जब औरत पूरी तरह से खुल जाये तो तब ही चुदाई का असली मजा आता है, और दोस्तो जब ऐसा होता है तो दोनों को चुदाई करते करते स्वर्ग का आनंद तो इस धरती पर ही मिल जाता है।
अब उसने मेरे जिस्म से खेलते खेलते, नीचे की तरफ़ बढ़ना शुरु किया और लपक कर लंड को पकड़ लिया, उसने एक बार मेरी तरफ़ देख कर अपने होंठों पर जीभ फ़िराई और लपक के लंड को अपने मुँह के अन्दर कर लिया। अबकी बार वो अपनी पूरी शर्म हया भूल कर यह सब कुछ कर रही थी, मैं उसको इस तरह देख रहा था जैसे कोई ब्ल्यू फ़िल्म देख रहा हो। वो अपना मुँह लंड पे चला रही थी और उसके मुँह से राल और मेरे प्रीकम (लंड से जो पानी निकलता रहता है) का मिला जुला संगम निकल रहा था, जिसे वो कुछ को अन्दर निगल रही थी और ज्यादातर बाहर निकल रहा था।

Hindi Sex Story :  गर्लफ्रेंड की फ्रेंड को पकड़ लिया

उसे देखकर मुझे मजा आ रहा था और उसका मुँह लंड पर जितनी बार चलता उतना ही मेरी मांस पेशियों में खिंचाव आ रहा था, अब तो मुझसे भी बर्दाश्त नहीं हो रहा था। मैं उठा, उसे अपनी बाहों में भर लिया और उठा कर बैड के नीचे ले जाकर दीवार से चिपका दिया और उसके होंठों पर किस करने लगा।

मैं उसको किस किये जा रहा था और मेरा लंड उसके पैरों के बीच अपनी दस्तक दे रहा था। जो ना मुझ से बर्दाश्त हो रहा था और ना ही उससे, तो उसी ने अपना हाथ आगे बढ़ाकर लंड को अपने हाथ में लिया और उसकी चमड़ी पीछे की तरफ़ करते हुये उसे उसकी सही जगह दिखा दी और अपने हाथ मेरी कमर पर लपेटती हुई आगे की तरफ़ दबाव बनाया।
मैं समझ गया कि वो क्या चाहती थी और मैंने भी बिना देर किये उसका यह अरमान भी पूरा कर दिया। दो चार धक्कों में हम दोनों के शरीर आपस में जुड़ गये। दोस्तो, इस तरह चुदाई करते समय लंड पूरी तरह से तो चूत के अन्दर नहीं घुसता, वो सिर्फ़ आधा या आधे से ज्यादा ही घुस पाता है। पर दोस्तो, ऐसे चुदाई करने में मजा काफ़ी आता है क्योंकि इस तरह चुदाई करने में चूत और लंड के बीच घर्षण काफ़ी होता है और चूत लंड के बीच जितना घर्षण होगा मजा उतना ही ज्यादा आयेगा।

मुझे कोई जल्दी नहीं थी इसलिये मैं जितना हो सके उतना आराम से धक्के पे धक्का मार रहा था और वो भी मेरे हर धक्के का जवाब अपनी चूत की गहराईयों में उस पर अपनी चुत का दबाव बना कर प्रदर्शित कर रही थी। जिस का पता मुझे साफ़ साफ़ लग रहा था।
मैं नहीं जानता मैंने कब तक उसको ऐसे ही खड़े करके चोदा। मैं तो उसके हाथों में हाथ डाल कर उसको चूमे ही जा रहा था।हम दोनों इस पल का आनन्द ले रहे थे और अपने अपने सपनों में खोये हुये थे, हमारे दोनों के सपने तो जब टूटे जब हम दोनों के शरीर अकड़ने शुरू हुये। अब की बार मुझे उसका तो नहीं पता पर हाँ, मेरा शरीर अब की बार कुछ इस तरह से अकड़ा कि जैसे आज तो मेरी जान लंड के ही रास्ते से ही निकल जायेगी।

Hindi Sex Story :  प्यासी औरत ने अपनी प्यास बुझवाई मुझसे-2

और दोस्तो जब छुटने का वक्त आता है तो आदमी हो या औरत दोनों की रफ़्तार अपने आप बढ़ जाती है। वही हमारे साथ भी हुआ और मैंने भी अपने हर एक धक्के पर चौके छक्के मारने शुरु कर दिये और उसने भी मुझे कस कर दबोच लिया।

एक दो लम्बे लम्बे शॉट मारने के बाद हम दोनों का काम एक साथ हो गया।
हम दोनों काफ़ी देर तक एक दूसरे से चिपके खड़े रहे, उसकी चूत का पानी और मेरे लंड के पानी का मिश्रण उसकी चूत से टपक रहा था। वो टपक-टपक के नीचे फ़र्श पर गिर रहा था जो हम दोनों के पावों को साफ़ पता चल रहा था।

इस तरह चुदाई करते वक्त हम दोनों की आँखें बंद थी जो अब हमने खोल ली थी, हम दोनों के चेहरे पर खुशी और एक दूसरे के लिये प्यार साफ़ झलक रहा था।

वो इस चुदाई से काफ़ी थक गई थी तो वो सीधा बिस्तर पर जाके लेट गई, और मैं अपने आप को साफ़ करने के लिये बाथरूम की तरफ़ बढ़ा। जैसे ही मैं अन्दर गया, मैंने वहाँ बाथटब पानी का भरा देखा। एक बार तो मुझको हँसी आई कि बन्दी ने आज तो हर तरह से चुदने का इन्तजाम कर रखा है और मेरा दिल उसको यहा भी चोदने का किया।

पर दोस्तो, इतनी चुदाई के बाद मैं काफ़ी थक चुका था तो मैंने पेशाब किया और अपने आप को टब के अन्दर लेटा दिया।

तो मै अपनी आँखें बँद कर के उसमें लेट गया।

मैं उसमें कब तक लेटा रहा, मुझे तो तब पता चला जब वो मेरे पास बैठ कर बोली- औ ! तो जनाब अकेले अकेले मजा ले रहे हैं? और मैंने इसको हम दोनों के लिये भरा था।
मैं उसकी तरफ़ देख कर मुस्कराया और उसका हाथ पकड़ कर टब में खींचते हुये कहा- तो शरमा क्यों रही हो फ़िर?

वो भी मेरे ऊपर लेटते हुये बोली- हमें किस की शर्म !

वो मेरे ऊपर लेट गई, उसके लेटते ही बहुत सारा पानी टब के बाहर गिरा और हम दोनों आपस में फ़िर से चिपक गये।

इस प्रकार हमने बाथरुम में और एक बार जोरदार चुदाई की और आपस में लिपट कर सो गये और सुबह अपने अपने घर चले गये। अब हमें जब भी वक्त मिलता, मौका मिलता हम चुदाई का भरपूर आनन्द लेते और हमारी जिन्दगी मजे से कटने लगी।