मैं, मेरी बीवी और भाभी की हॉट चुदाई
राकेश और उसकी पत्नी सुषमा ने प्रिया भाभी की उदासी को दूर करने के लिए एक अनोखा कदम उठाया। पढ़ें कैसे एक रात ने तीनों की जिंदगी को प्यार, वासना और खुशियों से भर दिया। यह हॉट हिंदी सेक्स स्टोरी आपको रोमांचित कर देगी।
मेरा नाम राकेश है। मैं अपने घर में अपने बड़े भाई विनोद और उनकी खूबसूरत बीवी प्रिया भाभी के साथ रहता हूँ। मेरे भैया ने ही मुझे पाला-पोसा, और उनकी जगह मेरे दिल में हमेशा एक खास जगह रही। भैया और भाभी दोनों मुझे बेहद प्यार करते थे, मानो मैं उनका अपना बेटा हूँ। मेरी ग्रेजुएशन पूरी होने के बाद, उन्होंने मेरी शादी सुषमा से करा दी, जो मेरी जिंदगी की सबसे प्यारी साथी बनी। हम दोनों भाई अपनी-अपनी बीवियों के साथ सुखी और संतुष्ट जिंदगी जी रहे थे।
लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था। एक दिन अचानक मेरे भैया का एक भयानक एक्सीडेंट हो गया, और वो हमें हमेशा के लिए छोड़ गए। उस हादसे ने हमारे घर की खुशियों को छीन लिया। प्रिया भाभी तो पूरी तरह टूट गईं। उनकी आँखों में हमेशा उदासी और चुप्पी छाई रहती थी। मैं और सुषमा ने उन्हें हर तरह से सहारा देने की कोशिश की, लेकिन उनकी वो मुस्कान, वो चमक, कहीं खो सी गई थी।
दिन बीतते गए, लेकिन भाभी की उदासी कम न हुई। एक रात, जब मैं और सुषमा बेडरूम में अकेले थे, उसने मुझसे गंभीर लहजे में कहा, “राकेश, भाभी का दुख देखा नहीं जाता। हमें उनके चेहरे पर फिर से वही मुस्कान लानी होगी। उनके पास हमारे सिवा कोई नहीं। ना बच्चा, ना कोई और सहारा।” मैंने उसकी बात ध्यान से सुनी। फिर उसने कुछ ऐसा कहा, जिसने मुझे चौंका दिया। “तुम उन्हें वो खुशी दे सकते हो, जो एक औरत को पूरी तरह औरत बनाती है। उन्हें एक बच्चा देकर, तुम उनकी जिंदगी में फिर से रौशनी ला सकते हो।”
मैंने आश्चर्य से सुषमा की ओर देखा और कहा, “क्या भाभी हमारी बात मानेंगी? ये तो बहुत नाजुक मसला है।” सुषमा ने मुस्कुराते हुए कहा, “उनका मनाना मेरी जिम्मेदारी है। तुम बस मेरी बात मानो।” उसकी आँखों में एक अजीब सी चमक थी, और मैंने उस पर भरोसा करते हुए हामी भर दी।
अगले दिन सुषमा ने भाभी से अकेले में बात की। उसने भाभी से कहा, “भाभी, इस घर में हम तीन लोग हैं। अगर आप मुझे अपनी छोटी बहन मानती हैं, तो मुझसे वादा करें कि आप मेरी बात नहीं टालेंगी।” भाभी ने चुपचाप सुषमा की बात सुनी। सुषमा ने आगे कहा, “आप फिर से एक शादीशुदा औरत की तरह जिएँ। राकेश आपको वो सहारा देगा, जो आपको चाहिए।” भाभी ने पहले तो मना किया, लेकिन सुषमा की जिद और प्यार भरी बातों के आगे वो हार गईं।
हमारी शादी की सालगिरह नजदीक आ रही थी। सुषमा ने मुझसे कहा, “इस एनिवर्सरी को हम यादगार बनाएँगे। उस रात मैं भाभी को भी सुहागन बनाऊँगी।” मैं उसकी बात सुनकर थोड़ा घबरा गया, लेकिन मेरे दिल में भी एक अजीब सी उत्तेजना थी।
उस खास दिन, सुषमा ने मुझे सुबह ही ऑफिस से जल्दी घर आने को कहा। शाम को जब मैं घर पहुँचा, तो घर का माहौल कुछ अलग सा था। सुषमा ने मुझे फ्रेश होने को कहा और फिर डिनर सर्व किया। डिनर के बाद उसने मेरे कान में फुसफुसाया, “आज की रात हमारी जिंदगी की सबसे हसीन रात होगी।” मैंने भाभी को घर में कहीं नहीं देखा, तो सुषमा ने मुस्कुराते हुए कहा, “10 मिनट बाद बेडरूम में आना।”
जब मैं बेडरूम में दाखिल हुआ, तो मेरी आँखें फटी की फटी रह गईं। कमरा फूलों से सजा था, जैसे सुहागरात का माहौल हो। बेड पर गुलाब की पंखुड़ियाँ बिछी थीं, और रेड डिम लाइट कमरे को और भी कामुक बना रही थी। बेड पर प्रिया भाभी एक लाल साड़ी में बैठी थीं, उनका चेहरा ट्रेडिशनल पल्लू से ढका हुआ था। सुषमा भी बेड पर उनके पास बैठी थी। मुझे देखते ही सुषमा मेरे पास आई और बोली, “आज तुम्हें मेरी भाभी को भी बीवी का हक देना है।”
वो मुझे बेड तक ले गई। मैं भाभी के पास बैठ गया, मेरे दिल की धड़कनें तेज थीं। सुषमा ने मुझसे भाभी का पल्लू हटाने को कहा। मैंने धीरे से पल्लू ऊपर किया, और भाभी का खूबसूरत चेहरा मेरे सामने था। उनकी आँखें बंद थीं, और उनके होंठों पर रेड लिपस्टिक की चमक मेरे होश उड़ा रही थी। सुषमा भाभी के पीछे बैठ गई और धीरे-धीरे उनका ब्लाउज खोलने लगी। मैं भाभी को सिर्फ ब्रा में देख रहा था, और मेरे जिस्म में एक आग सी दौड़ रही थी। फिर सुषमा ने भाभी की ब्रा अनहुक की, और उनके गोल, मखमली ब्रेस्ट्स मेरे सामने थे। उनके निपल्स इतने परफेक्ट थे कि मैं अपनी नजरें हटा ही नहीं पा रहा था।
सुषमा ने भाभी के निपल्स को धीरे-धीरे मसाज करना शुरू किया। भाभी की साँसें तेज हो गईं, और उनकी हल्की सी सिसकारियाँ कमरे में गूँजने लगीं। सुषमा ने मुझे इशारा किया और कहा, “इनका टेस्ट लो, राकेश।” मैं आगे झुका और भाभी के एक निपल को अपने मुँह में ले लिया। उनकी गर्माहट और वो नरमाहट मुझे पागल कर रही थी। भाभी ने आँखें बंद कर रखी थीं, लेकिन उनकी सिसकारियाँ अब और तेज हो गई थीं।
तभी सुषमा मेरे और भाभी के बीच आई। उसने मेरी पैंट की जिप खोली और मेरा लंड बाहर निकाल लिया, जो पहले ही पूरी तरह टाइट हो चुका था। फिर उसने भाभी का हाथ पकड़कर मेरे लंड पर रख दिया। भाभी का स्पर्श मुझे स्वर्ग में ले गया। वो धीरे-धीरे मेरे लंड को सहलाने लगीं, और मैं बस उनके हुस्न में खोया हुआ था।
सुषमा ने भाभी को बेड पर लेटने को कहा। उसने धीरे-धीरे भाभी की साड़ी उतारी, और मैं भाभी की नंगी खूबसूरती को निहार रहा था। उनकी गोरी, चिकनी स्किन, उनकी कर्वी कमर, और उनकी पिंक, वेट चूत मेरे सामने थी। सुषमा ने भाभी की टाँगें फैलाईं, और मैंने उनकी चूत की गहराइयों को देखा, जो मेरे लिए किसी जन्नत से कम नहीं थी।
सुषमा ने मेरा लंड अपने हाथ में लिया और उसे भाभी की चूत पर रगड़ने लगी। उसने मुझसे कहा, “अब डाल दो, राकेश।” मैंने धीरे से आगे धक्का दिया, और मेरे लंड का टोपा भाभी की वेट चूत में समा गया। भाभी ने एक हल्की सी सिसकारी भरी। मैंने और जोर लगाया, और अब मेरा आधा लंड उनकी चूत में था। सुषमा भाभी के निपल्स को मसाज कर रही थी और मुझसे कहा, “अब फुल थ्रस्ट दो, उन्हें फील कराओ।”
मैंने अब पूरी ताकत से धक्के मारने शुरू किए। मेरा लंड भाभी की चूत में अंदर-बाहर हो रहा था, और उनकी सिसकारियाँ अब चीखों में बदल गई थीं। कमरे में सिर्फ हमारी साँसों और उनकी मोनिंग की आवाजें गूँज रही थीं। कुछ देर बाद सुषमा ने मुझसे कहा, “अब उनके ब्रेस्ट्स पर आओ।” मैंने वैसा ही किया। सुषमा ने मेरा लंड पकड़कर भाभी के मुँह की ओर गाइड किया। उसने भाभी से मुँह खोलने को कहा। जैसे ही भाभी ने अपने होंठ खोले, मैंने अपना लंड उनके मुँह में डाल दिया। भाभी ने धीरे-धीरे उसे चूसना शुरू किया, और उनकी गर्म जीभ मेरे लंड पर जादू कर रही थी।
करीब 15 मिनट बाद मैं खुद को रोक न सका और भाभी के मुँह में ही झड़ गया। उन्होंने मेरा सारा रस पी लिया, और उनकी आँखों में एक अजीब सी तृप्ति थी। उस रात के बाद मेरे पास दो बीवियाँ थीं—सुषमा और प्रिया भाभी। भाभी के चेहरे पर फिर से वही मुस्कान लौट आई, और उनकी जिंदगी में खुशियाँ वापस आ गईं। हम तीनों अब एक अनोखे रिश्ते में बंध गए, जहाँ प्यार, लस्ट और समर्पण का एक हसीन मेल था।