18 साल की चित्रा की हॉट सेक्स स्टोरी: गायत्री और सोनू के साथ जवानी का मज़ा
चित्रा की ज़िंदगी तब बदल गई जब 18 साल की उम्र में गायत्री और सोनू ने उसे जवानी का असली मज़ा सिखाया। कॉलेज की इस हॉट कहानी में पढ़ें कैसे चित्रा ने अपनी सेक्सुअलिटी को एक्सप्लोर किया।
मैं चित्रा हूँ, इंडिया की 25 साल की जवान लड़की। ये कहानी तब की है, जब मैं 18 की थी, कॉलेज के फर्स्ट ईयर में थी, और मेरी जिंदगी में एक ऐसा तूफान आया, जिसने मेरे जिस्म और दिल को हमेशा के लिए बदल दिया। उस वक्त मेरा फिगर कुछ खास नहीं था। मेरे ब्रेस्ट्स और हिप्स छोटे थे, और कॉलेज की बाकी लड़कियाँ, जिनके भरे-पूरे मम्मे और गोल चूतड़ थे, मुझ पर ताने कसती थीं। उनकी बातें मेरे दिल को चुभती थीं, और मैं खुद को कमतर महसूस करती थी। लेकिन फिर गायत्री मेरी जिंदगी में आई, और उसने मेरे जिस्म की हर कमी को एक जलती हुई आग में बदल दिया।
एक दिन कॉलेज की कैंटीन में मैं अकेली बैठी थी, अपने छोटे मम्मों को लेकर परेशान। तभी गायत्री वहाँ आई और मेरे पास बैठ गई। गायत्री मेरी बेस्ट फ्रेंड थी, और उसका हुस्न किसी को भी दीवाना बना सकता था। उसका रंग मलाई जैसा गोरा, मम्मे इतने बड़े और रसीले कि हर नजर उन पर अटक जाए, और चूतड़ इतने गोल और टाइट कि हर कदम पर लचकते थे। वो किसी अप्सरा से कम नहीं थी। उसने मेरे साथ हल्की-फुल्की बातें शुरू कीं और फिर अचानक बोली, “चित्रा, कल छुट्टी के बाद यहीं मुझसे मिलना, कुछ स्पेशल बात करनी है।” उसकी आँखों में एक शरारत थी, जो मुझे समझ नहीं आई, लेकिन मैंने हामी भर दी।
अगले दिन मैं कैंटीन में उसका इंतज़ार कर रही थी। पाँच मिनट बाद गायत्री आई, और उसने मुझे अपने साथ चलने को कहा। वो मुझे अपने घर ले गई। उसका घर बेहद खूबसूरत था, और हम उसके बेडरूम में चले गए। बेडरूम में एक बड़ा-सा बेड था, मखमली पर्दों से सजा हुआ। गायत्री ने दरवाजा बंद किया और मेरे पास बैठकर इधर-उधर की बातें करने लगी। फिर अचानक उसने मेरी आँखों में देखा और बोली, “चित्रा, जरा मुझे अपने मम्मे दिखाओ।”
मैं एकदम शॉक्ड हो गई। मेरे मुँह से आवाज़ नहीं निकली। उसने मेरी घबराहट देखी और हँसते हुए कहा, “अरे, शरमाओ मत, घर में कोई नहीं है।” ये कहकर उसने मेरी शर्ट के बटन खोलने शुरू कर दिए। मेरी साँसें तेज हो गईं, और मैं शर्म से लाल हो रही थी। उसने मेरी ब्रा भी उतार दी, और मेरे छोटे-छोटे मम्मे उसके सामने थे। वो उन्हें देखकर मुस्कुराई और धीरे-धीरे दबाने लगी। उसका स्पर्श इतना नरम और गर्म था कि मेरे जिस्म में सिहरन दौड़ गई। पहले तो मुझे शर्मिंदगी हुई, लेकिन कुछ ही पलों में मजा आने लगा। मेरे निप्पल्स टाइट हो गए, और मेरी साँसें और तेज।
फिर गायत्री ने कहा, “अब तुम मेरे कपड़े उतारो।” मैंने शर्माते हुए मना किया, तो उसने खुद ही अपनी शर्ट और जींस उतार दी। अब वो सिर्फ ब्रा और पैंटी में थी। उसने मेरी आँखों में देखा और धीरे से अपनी ब्रा और पैंटी भी उतार दी। मैंने पहली बार किसी लड़की को इतने करीब से नंगा देखा था। उसके मम्मे इतने बड़े, गोल और रसीले थे कि मैं बस उन्हें घूरती रह गई। उसकी चूत पूरी तरह शेव्ड थी, और चूतड़ इतने टाइट और भरे हुए कि मैं हैरान थी।
गायत्री ने मेरी शलवार भी उतार दी, और अब मैं भी पूरी तरह नंगी थी। उसने मेरे मम्मे चूसना शुरू किया, और उसकी गर्म जीभ मेरे निप्पल्स पर जादू करने लगी। उसका एक हाथ मेरी थाइज़ पर फिसल रहा था, और धीरे-धीरे मेरी चूत को सहलाने लगा। मेरे जिस्म में आग सी लग गई। मैं सिसकारियाँ ले रही थी, “आह्ह… गायत्री…” उसने मेरे होंठ अपने मम्मों पर रख दिए, and मैंने बिना सोचे उन्हें चूसना शुरू कर दिया। उनके रसीलेपन ने मुझे पागल कर दिया।
हम दोनों अब बेड पर लेट गए थे। गायत्री ने कहा, “चित्रा, अब अपनी उंगली मेरी चूत में डालो और जोर-जोर से हिलाओ।” मैंने शर्माते हुए उसकी गीली चूत में अपनी उंगली डाली। उसकी चूत इतनी गर्म और नरम थी कि मेरा दिल तेजी से धड़कने लगा। मैंने उंगली अंदर-बाहर करनी शुरू की, और गायत्री सिसकारियाँ लेने लगी, “हाँ… और तेज…” अचानक उसने अपनी एक उंगली मेरी चूत में डाल दी। मुझे हल्का दर्द हुआ, लेकिन उसने कहा, “बस थोड़ा सा, अब देख कितना मजा आएगा।”
उसकी उंगली मेरी चूत में धीरे-धीरे मूव करने लगी, और मेरे जिस्म में करंट सा दौड़ने लगा। मैंने भी अपनी उंगली की स्पीड बढ़ा दी। फिर गायत्री ने मेरी चूत चाटना शुरू कर दिया। उसकी जीभ मेरी चूत के हर कोने को चूम रही थी, और मैं पागल हो रही थी। मैं चिल्ला रही थी, “आह्ह्ह… गायत्री… और जोर से…” 5-6 मिनट तक उसने मेरी चूत चाटी, और फिर मेरी चूत ने इतना पानी छोड़ा कि उसका मुँह गीला हो गया। मैं हाँफ रही थी, और मेरा जिस्म सुकून से भर गया था।
कई दिनों तक गायत्री मेरा “इलाज” करती रही। कभी वो मेरे मम्मे चूसती और उनकी मसाज करती, तो कभी मेरे चूतड़ दबाती और मेरी चूत में उंगली डालकर मुझे स्वर्ग की सैर करवाती। मैं धीरे-धीरे औरत की जवानी का असली मजा समझने लगी थी। एक दिन गायत्री ने कहा, “मैं थोड़ी देर में आती हूँ,” और बाहर चली गई। मैंने बोरियत में उसकी अलमारी से एक फोटो एल्बम निकाली। जब उसे खोला, तो मेरे होश उड़ गए। उसमें गायत्री की नंगी तस्वीरें थीं। एक तस्वीर में वो किसी मर्द का लंड चूस रही थी। दूसरी में वो टाँगें उठाकर एक लंबा लंड अपनी चूत में ले रही थी। तीसरी में वो किसी मर्द के ऊपर बैठी थी, उसका लंड उसकी चूत में था, और दूसरा मर्द उसकी गांड मार रहा था। मैं हैरान थी कि मेरी दोस्त इतनी हॉट और बिंदास थी!
तभी दरवाजा खुला, और गायत्री अंदर आई। उसके साथ एक हैंडसम लड़का था, जिसका नाम सोनू था। सोनू का बदन कसरती था, और उसकी आँखों में एक शरारती चमक थी। गायत्री ने मेरी शर्ट के बटन खोलने शुरू किए, और मैं शर्म से मर रही थी। कुछ ही पलों में उसने मेरे सारे कपड़े उतार दिए, और मैं सोनू के सामने नंगी खड़ी थी। सोनू मेरे जिस्म को भूखी नजरों से देख रहा था। फिर उसने अपने कपड़े उतारे, और उसका लंड देखकर मेरी साँसें रुक गईं। वो इतना बड़ा और मोटा था कि मैं डर गई।
गायत्री ने कहा, “सोनू, अपने लंड पर ऑयल लगा लो, और आराम से करना, ये चित्रा की पहली बार है।” उसने मुझे डॉगी स्टाइल में खड़ा किया, और सोनू मेरी टाँगों के बीच आ गया। उसने अपने लंड को मेरी गांड के छेद पर रखा, और मैं काँपने लगी। उसने धीरे से एक धक्का मारा, और मुझे तेज दर्द हुआ। मैं चीख पड़ी। उसने दूसरा धक्का मारा, और उसका पूरा लंड मेरी छोटी-सी गांड में फिट हो गया। मेरी आँखों से आँसू निकल आए, और मैं रोने लगी। लेकिन गायत्री ने मेरे मम्मे सहलाते हुए कहा, “बस थोड़ा सा, अब मजा आएगा।”
सोनू ने धीरे-धीरे अपना लंड मेरी गांड में अंदर-बाहर करना शुरू किया। पहले तो दर्द असहनीय था, लेकिन धीरे-धीरे मजा आने लगा। करीब आधा घंटा उसने मेरी गांड मारी, और उसकी रफ्तार तेज होती गई। मेरी गांड से खून निकल रहा था, लेकिन अब मैं सिसकारियाँ ले रही थी, “आह्ह… सोनू… और जोर से…” आखिरकार उसने अपना गरम लावा मेरी गांड में छोड़ दिया, और मैं निढाल होकर बेड पर गिर पड़ी। मैंने कपड़े पहने और अगले दिन फिर आने का वादा करके घर चली गई।
सोनू ने करीब 10 दिन तक मेरी गांड मारी। अब मुझे इतना मजा आने लगा था कि मैं हर बार उसका लंड अपनी गांड में लेने को तड़पती थी। मैं महसूस कर रही थी कि मेरे मम्मे और चूतड़ बड़े और भरे हुए हो रहे थे। लेकिन अब मेरा दिल चाहता था कि सोनू मेरी चूत भी मारे। एक दिन बेड पर जाते ही सोनू ने मेरी टाँगें खोलकर मेरे नीचे तकिया रखा और मेरी चूत को चाटने लगा। उसकी जीभ मेरी चूत के हर कोने को चूम रही थी, और मैं पागल हो रही थी। मैं चिल्ला रही थी, “सोनू… और चाटो… आह्ह…”
फिर उसने अचानक अपना गरमागरम लंड मेरी चूत पर रखा और जोर से झटका दिया। मेरी चीख निकल गई। मैंने कहा, “बहुत दर्द हो रहा है, कुछ ऑयल लगा लो।” गायत्री जाकर हेयर ऑयल ले आई और मेरी चूत के अंदर-बाहर डाल दिया। सोनू ने अपना लंड मेरी ऑयली चूत में धीरे-धीरे डालना शुरू किया। दर्द से मेरा बुरा हाल था, और मैं चिल्ला रही थी, “सोनू, जल्दी डालो, मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा।” उसने मेरी टाँगें अपने कंधों पर रखीं और एक जोरदार धक्का मारा। उसका लंड मेरी चूत में मिसाइल की तरह घुस गया। मेरी आँखों के सामने अंधेरा छा गया। मेरी नाजुक चूत फट गई थी, और खून निकल रहा था। मैं चीख रही थी, लेकिन सोनू रुका नहीं।
कुछ देर बाद उसने धीरे-धीरे मूव करना शुरू किया, और अब मुझे मजा आने लगा। मेरी सिसकारियाँ कमरे में गूँज रही थीं, “आह्ह… सोनू… और जोर से…” कुछ देर बाद उसने अपना गरम लिक्विड मेरे अंदर छोड़ दिया, और मेरी चूत ने भी पानी छोड़ दिया। हम दोनों हाँफ रहे थे। उस दिन सोनू ने तीन बार मेरी चुदाई की, और मुझसे चला भी नहीं जा रहा था। घर जाकर मैंने अपनी चूत को गरम पानी से साफ किया और टाँगों में तकिया लेकर गहरी नींद सो गई।
उसके बाद गायत्री और सोनू ने मुझे कई बार ऐसे ही प्यार किया। मेरे मम्मे और चूतड़ अब भरे-पूरे हो गए थे, और मैं अपनी जवानी के मजे लेने लगी थी। गायत्री ने मुझे सिखाया कि अपने जिस्म की हर कमी को अपनी ताकत बनाना है, और सोनू ने मुझे औरत बनने का असली मजा दिया। अब मैं हर पल अपनी सेक्सी बॉडी को एंजॉय करती हूँ, और अपनी जवानी की आग को और भड़काने के नए-नए तरीके ढूँढती हूँ।