ननद भाभी के सेक्स की मस्त कहानी-1
Nanad bhabhi ke sex ki mast kahani-1
सगी बहन को चुदाई का मीठा दर्द दिया
पिछली कहानी में आपने पढ़ा की कुन्ध्ला ने कैसे अपने पति तृष से त्रुती को चुदवाया लेकिन ऐसा करने के पीछे कुन्ध्ला का क्या लालच छिपा था. आइये जाने। कुन्ध्ला जब वापस आई तो पति की तृप्त आंखे देखकर वह समझ गई कि उसने त्रुती की चुदाई मस्त चुदाई का मजा ले लिया है। उसने तृष से पूछ ही लिया – कैसा रहा तुम्हारा मिशन।
तृष उसे चूमता हुआ बोला – मेरी जान, चोद चोद कर बेहोश कर दिया साली को, बहुत रो रही थी, दर्द का नाटक खूब किया पर मैने नहीं सुना. क्या मजा आया उस नन्ही चूत को चोदकर.” कुन्ध्ला वासना के जोश में घुटने के बल तृष के सामने बैठ गई और उसका रस भरा लंड अपने मुंह में लेकर चूसने लगी. लंड पर त्रुती की बुर का पानी और तृष के वीर्य का मिलाजुला मिश्रण लगा था. पूरा साफ़ करके ही वह उठी.
तृष कपड़े पहन कर ऑफ़िस जाने को तैयार हुआ. उसने अपनी कामुक बीवी से पुछा कि अब वह क्या करेगी? कुन्ध्ला बोली “इस बच्ची की रसीली बुर पहले चूसूंगी जिसमें तुंहारा यह मस्त रस भरा हुआ है. फिर उससे अपनी चूत चुसवाऊंगी. हम लड़कियों के पास मजा करने के लिये बहुत से प्यारे प्यारे अंग है. आज ही सब सिखा दूंगी उसे”
तृष मुस्कराके बोला “बड़ी दुष्ट हो. लड़की को तड़पा तड़पा कर भोगना चाहती हो.” कुन्ध्ला बोली. “तो क्या हुआ। अपनी लाड़ली ननद को. ऐसा यौन सुख दूंगी कि वह मेरी दासी हो जायेगी. हफ़्ते भर में चुद चुद कर फ़ुकला हो जायेगी तुंहारी बहन, फ़िर दर्द भी नहीं होगा और खुद ही चुदैल हमसे चोदने की मांग करेगी. पर आज तो उसकी कुवारी गांड मारने का मजा ले लूँ.” तृष हंस कर चला गया और कुन्ध्ला ने बड़ी बेताबी से कमरे में घुस कर दरवाजा बंद कर लिया.
त्रुती होश में आ गई थी और पलंग पर लेट कर दर्द से सिसक रही थी. चुदासी की प्यास खत्म होने पर अब उसकी चुदी और भोगी हुई बुर में खूब दर्द हो रहा था. कुन्ध्ला उसके पास बैठ कर उसके नंगे बदन को प्यार से सहलाने लगी. “क्या हुआ मेरी त्रुती रानी को? नंगी क्यों पड़ी है और यह तेरी टांगों के बीच से चिपचिपा क्या बह रहा है?” बेचारी त्रुती शर्म से रो दी. “भाभी, भैया ने आज मुझे चोद डाला.”
कुन्ध्ला आश्चर्य का नाटक करते हुए बोली. “चोद डाला, अपनी ही नन्हीं बहन को? कैसे?” त्रुती सिसकती हुई बोली. “मै गंदी किताब देखती हुई पकड़ी गई तो मुझे सजा देने के लिये भैया ने मेरे कपड़े जबर्दस्ती निकाल दिये, मेरी चूत चूसी और फ़िर खूब चोदा. मेरी बुर फाड़ कर रख दी. गांड भी मारना चाहते थे पर मैने जब खूब मिन्नत की तो छोड़ दिया” कुन्ध्ला ने पलंग पर चढ कर उसे पहले प्यार से चूमा और बोली. “ऐसा? देखूं जरा” त्रुती ने अपनी नाजुक टांगें फैला दी. कुन्ध्ला झुक कर चूत को पास से देखने लगी. कच्ची कमसिन की तरह चुदी हुई लाल लाल कुन्वारी बुर देख कर उसके मुह में पानी भर आया और उसकी खुद की चूत मचल कर गीली होने लगी. वह बोली “त्रुती, डर मत, चूत फ़टी नहीं है, बस थोड़ी खुल गई है. दर्द हो रहा होगा, अगन भी हो रही होगी. फ़ूंक मार कर अभी ठण्डी कर देती हूं तेरी चूत.” बिल्कुल पास में मुंह ले जा कर वह फ़ूंकने लगी. त्रुती को थोड़ी राहत मिली तो उसका रोना बन्द हो गया.
फ़ूंकते फ़ूंकते कुन्ध्ला ने झुक कर उस प्यारी चूत को चूम लिया. फ़िर जीभ से उसे दो तीन बार चाटा, खासकर लाल लाल अनार जैसे दाने पर जीभ फ़ेरी. त्रुती चहक उठी. “भाभी, क्या कर रही हो?”
रहा नहीं गया रानी, इतनी प्यारी जवान बुर देखकर, ऐसे माल को कौन नहीं चूमना और चूसना चाहेगा? क्यों, तुझे अच्छा नहीं लगा?” कुन्ध्ला ने उस की चिकनी छरहरी रानों को सहलाते हुए कहा.
बहुत अच्छा लगा भाभी, और करो ना। त्रुती ने मचल कर कहा. कुन्ध्ला चूत चूसने के लिये झुकती हुई बोली – असल में तुंम्हारे भैया का कोई कुसूर नहीं है. तुम हो ही इतनी प्यारी कि औरत होकर मुझे भी तुम पर चढ़ जाने का मन होता है तेरे भैया तो आखिर मस्त जवान है.” अब तक त्रुती काफ़ी गरम हो चुकी थी और अपने चूतड़ उचका उचका कर अपनी बुर कुन्ध्ला के मुंह पर रगड़ने की कोशिश कर रही थी. त्रुती की अधीरता देखकर कुन्ध्ला बिना किसी हिचकिचाहट से उस कोमल बुर पर टूट पड़ी और उसे बेतहाशा चाटने लगी. चाटते चाटते वह उस मादक स्वाद से इतनी उत्तेजित हो गई कि अपने दोनो हाथों से त्रुती की चुदी चूत के सूजे पपोटे फ़ैला कर उस गुलाबी छेद में जीभ अन्दर डालकर आगे पीछे करने लगी. अपनी भाभी की लम्बी गीली मुलायम जीभ से चुदना त्रुती को इतना भाया कि वह तुरन्त एक किलकारी मारकर झड़ गई.
बात यह थी कि त्रुती को भी अपनी सुंदर भाभी बहुत अच्छी लगती थी. अपनी एक दो सहेलियों से उसने स्त्री और स्त्री सम्बन्धो के बारे में सुन रखा था. उसकी एक सहेली तो अपनी मौसी के साथ काफ़ी करम करती थी. त्रुती भी ये सुन सुन कर अपने भाभी के प्रति आकर्षित होकर कब से यह चाहती थी कि भाभी उसे बाहों में लेकर प्यार करे.
अब जब कल्पनानुसार उसकी प्यारी भाभी अपने मोहक लाल ओठों से सीधे उसकी चूत चूस रही थी तो त्रुती जैसे स्वर्ग में पहुंच गई. उसकी चूत का रस कुन्ध्ला की जीभ पर लिपटने लगा और कुन्ध्ला मस्ती से उसे निगलने लगी. बुर के रस और तृष के वीर्य का मिलाजुला स्वाद कुन्ध्ला को अमृत जैसा लगा और वह उसे स्वाद ले लेकर पीने लगी.
अब कुन्ध्ला भी बहुत कामातुर हो चुकी थी और अपनी जांघे रगड़ रगड़ कर स्खलित होने की कोशिश कर रही थी. त्रुती ने हाथो में कुन्ध्ला भाभी के सिर को पकड़ कर अपनी बुर पर दबा लिया और उसके घने लम्बे केशों में प्यार से अपनी उंगलियां चलाते हुए कहा – भाभी, तुम भी नंगी हो जाओ ना, मुझे भी तुंम्हारी चूचियां और चूत देखनी है.” कुन्ध्ला उठ कर खड़ी हो गई और अपने कपड़े उतारने लगी. उसकी किशोरी ननद अपनी ही बुर को रगड़ते हुए बड़ी बड़ी आंखो से अपनी भाभी की ओर देखने लगी. उसकी खूबसूरत भाभी उसके सामने नंगी होने जा रही थी.
कुन्ध्ला ने साड़ी उतार फ़ेकी और नाड़ा खोल कर पेटीकोट भी उतार दिया. ब्लाउज के बटन खोल कर हाथ ऊपर कर के जब उसने ब्लाउज उतारा तो उसकी स्ट्रैप्लेस ब्रा में कसे हुए उभरे स्तन देखकर त्रुती की चूत में एक बिजली सी दौड़ गई. भाभी कई बार उसके सामने कपड़े बदलती थी पर इतने पास से उसके मचलते हुए मम्मों की गोलाई उसने पहली बार देखी थी. और यह मादक ब्रेसियर भी उसने पहले कभी नहीं देखी थी.
अब कुन्ध्ला के गदराये बदन पर सिर्फ़ सफ़ेद जांघिया और वह टाइट सफ़ेद ब्रा बची थी. त्रुती ने कहा – भाभी यह कन्चुकी जैसी ब्रा तू कहां से लाई? तू तो साक्षात अप्सरा दिखती है इसमे।.
कुन्ध्ला ने मुस्करा कर कहा – एक फ़ैशन मेगेज़ीन में देखकर बनवाई है, तेरे भैया यह देखकर इतने मस्त हो जाते है कि रात भर मुझे चोदते रहते है।
भाभी रुको, इन्हें मै निकालूंगी.कहकर त्रुती कुन्ध्ला के पीछे आकर खड़ी हो गई और उसकी मान्सल पीठ को प्यार से चूमने लगी. फिर उसने ब्रा के हुक खोल दिये और ब्रा उछल कर उन मोटे मोटे स्तनों से अलग होकर गिर पड़ी. उन मस्त पपीते जैसे उरोजों को देख्कर त्रुती अधीर होकर उन्हें चूमने लगी. “भाभी, कितनी मस्त चूचियां है तुंम्हारी. तभी भैया तुंहारी तरफ़ ऐसे भूखों की तरह देखते है।
कुन्ध्ला के चूचक भी मस्त होकर मोटे मोटे काले कड़क जामुन जैसे खड़े हो गये थे. उसने त्रुती के मुंह मे एक निपल दे दिया और उस उत्तेजित किशोरी को भींच कर सीने से लगा लिया. त्रुती आखे बन्द कर के बच्चे की तरह चूची चूसने लगी.
कुन्ध्ला के मुंह से वासना की सिसकारियां निकलने लगीं और वह अपनी ननद को बाहों में भर कर पलंग पर लेट गई. “हाय मेरी प्यारी बच्ची, चूस ले मेरे निपल, पी जा मेरी चूची, तुझे तो मै अब अपनी चूत का पानी भी पिलाऊंगी.”
त्रुती ने मन भर कर भाभी की चूचियां चूसीं और बीच में ही मुंह से निकाल कर बोली – भाभी अब जल्दी से मां बन जाओ, जब इनमें दूध आएगा तो मै ही पिया करूंगी, अपने बच्चे के लिये और कोई इन्तजाम कर लेना। और फ़िर मन लगा कर उन मुलायम स्तनों का पान करने लगी.
जरूर पिलाऊंगी मेरी रानी, तेरे भैया भी यही कहते है. एक चूची से तू पीना और एक से तेरे भैया – कुन्ध्ला त्रुती के मुंह को अपने स्तन पर दबाते हुए बोली.
अपने निपल में उठती मीठी चुभन से कुन्ध्ला निहाल हो गई थी. अपनी पैंटी उसने उतार फ़ेकी और फ़िर दोनों जांघो में त्रुती के शरीर को जकड़कर उसे हचकते हुए कुन्ध्ला अपनी बुर उस की कोमल जांघो पर रगड़ने लगी. कुन्ध्ला के कड़े मदनमणि को अपनी जांघ पर रगड़ता महसूस करके त्रुती अधीर हो उठी।
भाभी, मुझे अपनी चूत चूसने दो ना प्लीज़ – त्रुती ने कहा।
तो चल आजा मेरी प्यारी, जी भर के चूस अपनी भाभी की बुर, पी जा उसका नमकीन पानी – कहकर कुन्ध्ला अपनी मांसल जांघे फैला कर पलंग पर लेट गई. एक तकिया उसने अपने नितम्बों के नीचे रख लिया जिससे उसकी बुर ऊपर उठ कर साफ़ दिखने लगी.
वासना से तड़पती वह कमसिन लड़की अपनी भाभी की टांगों के बीच लेट गई. कुन्ध्ला की रसीली बुर ठीक उसकी आंखो के सामने थी. घनी काली झांटो के बीच की गहरी लकीर में से लाल लाल बुर का छेद दिख रहा था।
हाय भाभी, कितनी घनी और रेशम जैसी झांटे हैं तुम्हारी, काटती नहीं कभी?” उसने बालों में उंगलियां डालते हुए पूछा.
नहीं री, तेरे भैया मना करते हैं, उन्हें घनी झांटे बहुत अच्छी लगती हैं – कुन्ध्ला मुस्कराती हुई बोली।
हां भाभी, बहुत प्यारी हैं, मत काटा करो, मेरी भी बढ़ जाएं तो मैं भी नहीं काटूंगी – त्रुती बोली। उससे अब और न रहा गया. अपने सामने लेटी जवान भरी पूरी औरत की गीली रिसती बुर में उसने मुंह छुपा लिया और चाटने लगी. कुन्ध्ला वासना से कराह उठी और त्रुती का मुंह अपनी झांटो पर दबा कर रगड़ने लगी. वह इतनी गरम हो गई थी कि तुरन्त झड़ गई.