मौसी की चूत का खाता खोला
पढ़िए रॉकी और उसकी मौसी सीमा की सच्ची और उत्तेजक सेक्स कहानी। दिल्ली के एक नौजवान की अपनी मौसी के साथ नजदीकियों की ये हॉट स्टोरी आपके होश उड़ा देगी। मौसी की चुदाई, नजदीकी पल और कामुक अनुभवों से भरी इस कहानी को मिस न करें।
हाय दोस्तों, मेरा नाम रॉकी है। मैं दिल्ली का रहने वाला हूँ, 22 साल का एक नौजवान, जो एक मल्टीनेशनल कंपनी में नौकरी करता है। भगवान की मेहरबानी से मेरा शरीर भी कसा हुआ और आकर्षक है—लंबी कद-काठी, चौड़े कंधे और एक ऐसी नज़र, जो किसी को भी अपनी ओर खींच ले। आज मैं आपके साथ अपनी ज़िंदगी की एक सच्ची और गर्मागर्म कहानी शेयर करने जा रहा हूँ, जो मेरे और मेरी मौसी सीमा के बीच की है। तो तैयार हो जाइए, क्योंकि ये कहानी आपके दिल की धड़कनें तेज़ कर देगी।
बात उस वक्त की है जब मेरी छुट्टियाँ चल रही थीं। एक दिन हमारे घर मेरी मौसी सीमा आईं। वो मेरी मम्मी के मामा की लड़की थीं—यानी रिश्ते में दूर की मौसी। उस दिन वो घर में दाखिल हुईं, मम्मी को नमस्ते किया और अंदर आकर बैठ गईं। मैं उस वक्त कोचिंग के लिए तैयार हो रहा था। जल्दी-जल्दी में मैंने उन्हें नमस्ते कहा और निकल गया। उस वक्त मैंने उन्हें ज़्यादा गौर से नहीं देखा था। शाम को जब मैं घर लौटा, तो मम्मी ने बताया कि मौसी ने पास में ही एक किराए का कमरा लिया है और अब वो यहीं रहेंगी। उनका नाम सीमा था। अभी तक मेरे मन में उनके लिए कोई गलत ख्याल नहीं आया था। अगले 45 दिन ऐसे ही गुज़र गए—हमारी बातचीत बस नमस्ते और हाल-चाल तक सीमित रही।
फिर एक दिन मेरे मामा का फोन आया। उन्होंने बताया कि मेरी मामी की तबीयत खराब हो गई है और उन्हें जयपुर के एक हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया है। मम्मी-पापा ने तुरंत जयपुर जाने का फैसला किया। मुझे खाना बनाना नहीं आता था, इसलिए मम्मी ने मौसी को मेरे साथ रहने के लिए कह दिया। मौसी उस दिन मेरे घर आ गईं। उन्होंने मेरे लिए खाना बनाया और फिर अपने ऑफिस चली गईं। शाम को करीब 7 बजे वो लौटीं। मैं उस वक्त टीवी देख रहा था। हमने साथ में खाना खाया, फिर वो बर्तन साफ करने चली गईं। रात 9 बजे वो वापस आईं। मैं एक नई फिल्म देख रहा था। वो भी मेरे पास सोफे पर बैठ गईं। कमरे में एसी चल रहा था, तो मैंने एक कंबल ओढ़ रखा था। मौसी भी मेरे बगल में बैठकर कंबल में घुस गईं।
फिल्म देखते-देखते मुझे नींद आ गई। रात को करीब 1 बजे मेरी आँख खुली। मैंने महसूस किया कि मौसी मुझसे पूरी तरह चिपकी हुई थीं। उनके मुलायम, गर्म स्तन मेरी पीठ से दबे हुए थे। उनकी साँसें मेरी गर्दन पर पड़ रही थीं। उस पल में मेरे शरीर में एक अजीब सी सनसनी दौड़ गई। मेरा लंड तनकर सख्त हो गया। मैंने सोचा शायद एसी की ठंडक की वजह से वो मुझसे सट गई होंगी। मैंने हल्की सी हलचल की, तो उन्होंने करवट बदली। लेकिन आधे घंटे बाद वो फिर मुझसे चिपक गईं। इस बार उनका जिस्म मेरे और करीब था। रात 3 बजे जब मेरी नींद फिर खुली, तो मैं हैरान रह गया। अब मैं उनसे चिपका हुआ था। मेरा सख्त लंड उनकी गांड की दरार से सट गया था। उनकी गर्माहट और वो नज़दीकी मेरे होश उड़ा रही थी। लेकिन डर के मारे मैंने कुछ नहीं किया और चुपचाप सो गया।
अगले दिन सुबह मौसी नहाकर बाहर आईं। उन्होंने सिर्फ एक टॉवल लपेट रखा था। पहली बार मेरी नज़र उनके जिस्म पर ठहर गई। उनका फिगर—लगभग 34-24-34—देखकर मेरे मुँह से वाह निकल गया। उनके गीले बाल, टॉवल से ढके हुए भरे हुए स्तन, और उनकी नंगी टांगें—ये सब मेरे लिए किसी हसीन सपने जैसा था। मेरा लंड फिर से खड़ा हो गयाස්टीवी देखते-देखते मेरी आँखें उनकी खूबसूरत टांगों पर टिकी हुई थीं। वो खाना बनाने चली गईं और मैं बाथरूम में गया। वहाँ मुझे फर्श पर उनके झांट के कुछ बाल दिखे। मेरे दिमाग में तुरंत ख्याल आया—क्या उन्हें रात की बात पता थी? क्या वो जानबूझकर मुझसे चिपक रही थीं? ये सोचते ही मेरा पूरा दिन बेचैनी में गुज़रा। मेरा लंड बार-बार सख्त हो रहा था, और मैं बस मौसी के बारे में सोचता रहा।
शाम को मौसी लौटीं। मैं फिर से एक फिल्म देख रहा था। वो मेरे पास बैठ गईं। आज फिर वही कंबल, वही नज़दीकी। मुझे नींद आ गई, और जब आँख खुली, तो वो फिर मुझसे सटकर सो रही थीं। इस बार मैंने हिम्मत जुटाई। मैंने हल्के से अपना लंड उनकी गांड पर टच किया। उन्होंने कोई हरकत नहीं की। मैंने थोड़ा और दबाव डाला। उनकी टी-शर्ट ऊपर खिसक गई थी। मैंने अपना हाथ उनके नंगे पेट पर रखा। उनके मुँह से एक हल्की सी सिसकारी निकली—‘सीईइ…’। मुझे यकीन हो गया कि वो जाग रही थीं।
मैंने अपना लंड थोड़ा ढीला छोड़ा, तो उन्होंने अपनी गांड मेरी ओर और दबा दी। अब मुझमें जोश की आग भड़क उठी। मैंने अपना मुँह उनकी गर्दन के पास ले जाकर अपनी गर्म साँसें उनकी त्वचा पर छोड़ीं। उनकी साँसें तेज़ होने लगीं। फिर उन्होंने अपना हाथ अपनी चूत की ओर बढ़ाया। मैंने उनका हाथ पकड़ लिया। वो पलटीं, और मैंने उनके होंठों पर अपने होंठ रख दिए। मेरे हाथ उनकी टी-शर्ट के अंदर घुस गए और उनके नर्म, भरे हुए स्तनों को दबाने लगे। उन्होंने मेरा पजामा खींचा और अंडरवियर के ऊपर से मेरे लंड को सहलाने लगीं।
मैंने अपना लंड बाहर निकाला और उनकी टी-शर्ट उतार दी। उनके गुलाबी निपल्स को देखकर मैं खुद को रोक न सका। मैंने उन्हें चूसा, हल्के से काटा, और उनके मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगीं—‘आह्ह… उम्म्म…’। कमरे में उनकी सेक्सी आवाज़ें गूँज रही थीं। फिर मैंने उनकी पैंट और अंडरवियर उतारी। उनकी चूत से एक मादक खुशबू आ रही थी। मैंने अपना मुँह उनकी चूत पर रख दिया और उसे चूसने लगा। उनकी गर्मी, उनकी नमी—मैं उस स्वाद में खो गया। दस मिनट बाद वो झड़ गईं। उनका गर्म, नमकीन रस मैंने पूरा पी लिया।
फिर मैंने अपना लंड उनके मुँह के पास ले जाकर कहा, “मौसी, इसे चूसो ना।”
उन्होंने मेरे लंड को देखा और बोलीं, “कितना बड़ा लंड है… आज मेरा खाता इसी से खुलेगा।”
उन्होंने मेरे लंड को अपने गर्म मुँह में ले लिया। उनकी जीभ मेरे लंड पर फिसल रही थी। मैं सातवें आसमान पर था। सात-आठ मिनट बाद मैं झड़ गया। मेरे मुँह से ‘हह्ह्ह…’ की आवाज़ निकली और मौसी ने मेरा सारा पानी पी लिया।
मैं फिर उनके स्तनों को चूसने लगा। पाँच मिनट बाद मौसी बोलीं, “साले, चोदेगा या नहीं?”
मैंने कहा, “अभी चोद देता हूँ, मौसी।”
मैंने उन्हें कुत्तिया की तरह झुकाया। उनकी गांड का छेद देखकर मैंने अपना लंड वहाँ डाल दिया। वो चिल्लाईं, “आह्ह… मार डाला रे, निकाल बाहर, मैं मर गई!” मैंने धीरे-धीरे शुरू किया, फिर धीरे-धीरे रफ्तार बढ़ाई। दस मिनट बाद मैं उन्हें ज़ोर-ज़ोर से चोदने लगा। उनकी सिसकारियाँ फिर गूँजने लगीं। फिर मैंने उनकी चूत में लंड डाला और उन्हें जमकर चोदा। उस रात मैंने उन्हें तीन बार चोदा। अगले तीन दिन तक ये सिलसिला चलता रहा। फिर मम्मी-पापा लौट आए। मौसी की शादी हो गई, लेकिन शादी के बाद भी मैंने उन्हें दो बार चोदा। हर बार वो पहले से ज़्यादा गर्म और प्यासी लगीं।