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साले की बीवी साले की बुर को ठंडा कर दिया

Sale ki biwi ki bur ko thanda kar diya

दोस्तों, मैं एक बार फिर लाया हूँ अपनी चटपटी और कामुक कहानी, जो आपके दिल और दिमाग को गर्म कर देगी। मेरा नाम रोहन है और मैं गया का रहने वाला हूँ। मेरी शादी को 4 साल हो चुके हैं और मैं घर जमाई बनकर रहता हूँ। मेरी बीवी का नाम सुनंदा है। मेरे ससुराल में मेरी बीवी, मेरा बच्चा, सास-ससुर, साला अमित और सलहज प्रीति हैं।

अब थोड़ा अपने हथियार यानी लंड के बारे में बता दूँ – 7 इंच लंबा और 3.5 इंच मोटा, जो किसी भी बुर को तृप्त करने के लिए काफ़ी है। मेरी बीवी वैसे तो बहुत खूबसूरत और सेक्सी है, लेकिन बच्चे के बाद उसका ध्यान मुझ पर कम हो गया। नतीजा ये कि मैं अक्सर बुर सुख से वंचित रह जाता हूँ।

अब बात मेरे साले की। उसकी शादी को 3 साल हो गए, लेकिन अभी तक कोई औलाद नहीं हुई। वो लोग कई डॉक्टरों के पास गए, पर कोई फायदा नहीं हुआ। सलहज प्रीति भी कमाल की सुंदर और सेक्सी है – पतली कमर, छोटी-छोटी चूचियाँ, और कुल मिलाकर एकदम चोदने लायक माल। मैं कभी-कभी मज़ाक में कहता, “सलहज जी, फूफा कब बनाओगी?” तो वो उदास हो जाती।

एक दिन जब हम अकेले थे, मैंने पूछा, “सलहज जी, सब ठीक है ना?” वो मुझसे लिपटकर रोने लगी और बोली, “जीजा जी, मुझे लगता है कमी आपके साले में ही है।” मैंने पूछा, “कैसे?” तो वो बोली, “वो कभी पूरा मज़ा नहीं दे पाते। 3-4 बार डालते ही झड़ जाते हैं। उनका माल भी कम निकलता है, जिससे मैं तृप्त नहीं हो पाती।”

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मैंने उसे कसकर पकड़ा और कहा, “सलहज, मैं तुम्हें बच्चा देने में मदद कर सकता हूँ।” वो बोली, “अब तो आप ही मेरा सहारा हो, जीजा जी।” बस फिर क्या था, हम दोनों मौके की तलाश में लग गए चुदाई के लिए।

एक दिन मौका मिल ही गया। घरवाले किसी काम से बाहर गए थे। प्रीति ने बहाना बनाकर जाने से मना कर दिया और मैंने भी काम का बहाना बना लिया। सबके जाते ही मैं सीधा प्रीति के कमरे में गया और उसे पीछे से पकड़ लिया। वो बोली, “कोई आ जाएगा!” मैंने कहा, “सब चले गए।”

वो बोली, “ठीक है, दरवाज़ा तो बंद कर दो।” मैंने फटाफट दरवाज़ा बंद किया और प्रीति को पकड़कर उसकी चूचियाँ दबाने लगा। उसकी पीठ सहलाते हुए मैंने महसूस किया कि क्या मस्त माल थी वो। मेरा लंड तनकर एकदम सख्त हो गया और उसकी गांड की दरार में घुसने की कोशिश करने लगा। प्रीति को भी मेरा लंड फील हो रहा था और वो मज़े में आहें भरने लगी।

मैंने उसकी साड़ी उतार दी, फिर ब्लाउज़, फिर ब्रा – और उसके नन्हे-मुन्ने चूचों को मुँह में लेकर चूसने लगा। वो शरमा के लाल हो गई और बोली, “ननदोई जी, अब रहा नहीं जाता। प्लीज़ मेरी बुर को जल्दी चोद दो।” मैंने कहा, “पहले मेरा लंड चूसो।” वो बोली, “मैंने इसे पहले कभी नहीं चूसा।” मैंने कहा, “चूसो, बहुत मज़ा आएगा।”

उसने कहा, “निकालिए अपना लौड़ा।” जैसे ही मैंने निकाला, वो डर गई और बोली, “ये तो बहुत बड़ा है, मैं कैसे झेलूँगी?” मैंने कहा, “लेकर देखो।” फिर मैंने अपना लंड उसके मुँह में घुसेड़ दिया। पहले तो वो गुटुर-गुटुर की आवाज़ करती रही, लेकिन थोड़ी देर बाद प्यार से चूसने लगी, जैसे कई दिनों की भूखी हो।

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अब मैंने उसकी टाँगें फैलाईं और उसकी बुर को चूसना शुरू किया। वो सिहर उठी। उसके मुँह से “हाय… आह… उह…” की आवाज़ें निकलने लगीं। वो अपनी गांड उठा-उठाकर अपनी बुर चुसवाने लगी। अब वो तड़प रही थी और बोली, “अब चोद दो अपने लंड से मेरी बुर को। जल्दी चोदो, राजा, अब रहा नहीं जाता।”

मैंने अपने लंड पर तेल लगाया, उसकी बुर पर रखा और रगड़ने लगा। वो और जोर से सिसकने लगी, “डाल दो अंदर, बुर को फाड़ दो, मुझे भरता बनाओ, मेरी बुर का भोसड़ा बना दो।” मैंने बुर के छेद पर लंड रखा और धक्का मारा। मेरा 2 इंच अंदर गया। प्रीति रोने लगी, “निकालिए, मैं नहीं झेल पाऊँगी। प्लीज़ निकाल दो, मुझे नहीं चुदवाना।”

मैंने कहा, “अभी तो तू बक रही थी कि बुर का भोसड़ा बनाओ, अब क्या हुआ? अभी तो तेरी गांड भी मारनी है।” मैं धीरे-धीरे उसकी चूचियाँ दबाता रहा और लंड को बुर में घुसाता गया। फिर एकदम से पूरा लंड अंदर डाल दिया। वो छटपटाने लगी, लेकिन मैं नहीं रुका। जोर-जोर से उसकी बुर को चीरता रहा। अब उसे भी मज़ा आने लगा और वो मज़े से चुदवाने लगी।

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वो बोली, “हाय मेरे राजा, जोर से चोदो, खूब चोदो। आह… ऊह… उई माँ… और जोर से, राजा। पहली बार मेरी बुर को इतना मज़ा मिल रहा है। आज मैं असली औरत बनी हूँ।” मैंने कहा, “अब तेरी गांड भी मारूँगा।” वो बोली, “मेरी गांड फट जाएगी।” मैंने कहा, “नहीं तो बच्चा नहीं दूँगा, सोच ले।”

बच्चे के लालच में वो मान गई। मैंने क्रीम लगाई और उसकी गांड में लंड डालकर जोर-जोर से चोदने लगा। वो “आह… उई… ऊह…” करती रही। गांड को आधे घंटे चोदने के बाद मैं फिर उसकी बुर पर आ गया। अब मैं झड़ने वाला था। इस बीच वो तीन बार झड़ चुकी थी। मैंने उसकी चूचियाँ दबाईं और जोर-जोर से चोदता रहा।

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वो बोली, “मेरी बुर को अपने वीर्य से तृप्त कर दो, मुझे बच्चा दे दो।” मैंने उसके बुर में झड़ दिया और हम दोनों थककर सो गए। नींद खुली तो शाम के 4 बज रहे थे। वो बोली, “आज पहली बार मेरी बुर को इतना मज़ा मिला। अब मैं हमेशा आपसे ही चुदवाऊँगी।” मैंने उसे किस किया और बाहर चला गया।

9 महीने बाद प्रीति को एक लड़का हुआ, जो बिल्कुल मेरे जैसा दिखता है। दोस्तों, कैसी लगी मेरी कहानी? ज़रा कमेंट करके बताइए।