मेरे लंड की आग सेक्सी आंटी ने ठंडी की
मैं, अनूप, दिल्ली के तिलकनगर में एक किराए के मकान में अकेला रहता हूँ। मेरा मकान मालिक कोई और नहीं, बल्कि एक 37 साल की विधवा पंजाबन आंटी, रजनी, हैं। आंटी का फिगर ऐसा है कि बस देखते ही लंड सलामी देने लगे। मोटी, नाटी, गेहुंआ रंग, 38D साइज़ की ब्रा में कैद उनके भारी-भरकम चूचे, जो हर वक्त उछल-उछलकर मेरे लंड को बेकरार करते हैं। उनकी गांड? उफ्फ! 40 नंबर की पैंटी में फंसी वो विशाल गांड ऐसी है कि उसे देखकर कोई भी मर्द पागल हो जाए। और उनकी चूत? वो तो बिल्कुल फूला हुआ बर्गर, रसीली और गरम, जिसे देखकर मुँह में पानी और लंड में आग लग जाए। मैं ऐसी औरतों को “डीजल माल” कहता हूँ, क्योंकि इनमें इतनी आग होती है कि कोई भी इंजन फेल हो जाए।
आंटी की चुदास और मेरी तड़प
आंटी के पति की मौत कई साल पहले किसी बीमारी से हो चुकी थी। अब वो अपनी 18 साल की बेटी, तृप्ती, के साथ अकेली रहती हैं। तृप्ती अपनी माँ की तरह नाटी, 4 फीट 8 इंच, लेकिन स्लिम और गदर माल। उसके चूचे अभी पूरी तरह से उभर रहे हैं, गोल, टाइट, और 34C साइज़ के, जो किसी भी मर्द का ध्यान खींच लें। उसकी चूत? उसकी माँ से भी ज़्यादा गरम और फूली हुई, बिल्कुल अनछुई और टाइट। तृप्ती ज़्यादातर अपनी नानी के पास रहती है, लेकिन छुट्टियों में हमारे घर आती है। और जब वो आती है, तो रात को हमारे डबल बेड पर मेरे और आंटी के बीच में सोती है।
सोते वक्त तृप्ती को कुछ होश नहीं रहता। वो बेसुध होकर सोती है, और मैं उसकी माँ को उसी बेड पर चोदता हूँ। आंटी की चूत में मेरा लंड अंदर-बाहर करता है, और उनका मोटा बदन मेरे नीचे दबकर सिसकियाँ भरता है। कई बार तो मैंने तृप्ती की चूचियों को भी दबाया, उसकी पैंटी में हाथ डाला, और उसकी चूत को सहलाया। साली की चूत इतनी गरम और रसीली है कि मेरा लंड फटने को तैयार हो जाता। एक बार तो मैंने आंटी को चोदते वक्त तृप्ती की चूत में उंगली डाल दी। आंटी ने कुछ नहीं कहा, बस मुस्कराकर मुझे देखा, जैसे वो जानती हों कि मैं उनकी बेटी की सील तोड़ने की फिराक में हूँ।
आंटी के मम्मी-पापा काफ़ी अमीर हैं, और उनका सारा खर्चा वही उठाते हैं। ऊपर से आंटी को अपने पति की मोटी पेंशन भी मिलती है। मैं उन्हें हर महीने 7000 रुपये किराया देता हूँ, लेकिन सच कहूँ, वो मुझ पर इससे कहीं ज़्यादा खर्च करती हैं। दुनिया की नज़र में मैं उनका कजिन हूँ, और तृप्ती मुझे भाई बुलाती है। लेकिन हमारे बीच का रिश्ता कुछ और ही है—चुदाई और चुदास का रिश्ता।
क्लिनिक में मेरी चुदाई की दुनिया
मैं 22 साल का हूँ और एक लेडी डॉक्टर, डॉ. शालिनी, के क्लिनिक में काम करता हूँ। शालिनी 45 साल की एक मस्त और प्यासी औरत हैं। उनका फिगर 36-30-38, और चेहरा ऐसा कि अभी भी 35 की लगती हैं। उनके लंबे बाल, गहरी आँखें, और रसीले होंठ किसी को भी दीवाना बना दें। उनका पति, 65 साल का बीमार बूढ़ा, शायद ही उनकी चूत की आग बुझा पाता हो। क्लिनिक में मेरा जलवा है। यहाँ रोज़ाना एक से एक हॉट औरतें और लड़कियाँ इलाज के लिए आती हैं। मैं उनके ब्लड प्रेशर से लेकर अल्ट्रासाउंड तक सब करता हूँ। लेकिन मेरा असली काम? उनकी चूत की आग ठंडी करना।
कई लड़कियाँ, जो अपने बॉयफ्रेंड से चुदने के बाद प्रेगनेंसी के डर में चुपके से क्लिनिक के पिछले दरवाज़े से आती हैं, उन्हें मैं झूठ बोल देता हूँ कि उनका बच्चा रुक गया है। फिर मैं उन्हें डराता हूँ कि या तो मशीन से अबॉर्शन करवाओ, जिसमें उनकी चूत की शेप बिगड़ जाएगी और 5000 रुपये खर्च होंगे, या फिर मेरा “खास इलाज” करवाओ। मेरा इलाज क्या है? मैं उन्हें बताता हूँ कि अगर कोई दूसरा मर्द रोज़ाना एक महीने तक उनकी जोरदार चुदाई करे, और चुदाई से पहले उनकी चूत में एक खास दवा डाल दे, तो बच्चा नहीं ठहरेगा।
वो डर के मारे मेरी बात मान लेती हैं। मैं उन्हें “दवा” (जो असल में गर्भनिरोधक गोली होती है) अपनी उंगलियों से उनकी चूत में डालता हूँ। उनकी चूत इतनी गीली और गरम होती है कि मेरी उंगलियाँ अंदर फिसल जाती हैं। फिर शुरू होता है मेरा लंड का जादू। मैं उन्हें वाइफ की तरह चोदता हूँ। उनके गाल, चूचे, होंठ—सब कुछ चूस-चूसकर उन्हें मदहोश कर देता हूँ। उनकी चूत इतनी टाइट होती है कि मेरा 7 इंच का लंड अंदर-बाहर करते हुए उनकी भोसड़ी बना देता है। वो उछल-उछलकर मेरे लंड को अपनी चूत में लेती हैं, और जब वो झड़ती हैं, तो उनकी चूत ऐसे फुदकती है जैसे मछली पानी के बाहर।
एक बार एक 20 साल की लड़की, नेहा, आई थी। उसका फिगर 34-26-36, और चूत इतनी टाइट कि मेरा लंड अंदर जाने के लिए तड़प रहा था। मैंने उसे डराया कि वो प्रेगनेंट है, और मेरा इलाज शुरू किया। पहले दिन जब मैंने उसकी चूत में उंगली डाली, तो वो सिसकने लगी। मैंने उसे चूमा, उसके चूचे दबाए, और फिर अपना लंड उसकी चूत में डाल दिया। वो चीखी, लेकिन मैंने उसे चुप कराकर चोदना जारी रखा। आधे घंटे तक मैंने उसे अलग-अलग पोज़ में चोदा—डॉगी स्टाइल, मिशनरी, और फिर उसकी चूत में अपना माल छोड़ दिया। वो झड़कर निढाल हो गई, और उसकी चूत फुदक रही थी। महीने भर तक मैंने उसे चोदा, और बाद में वो खुद मुझसे चुदवाने आने लगी।
डॉ. शालिनी की चूत की खुजली
मेरी बॉस, डॉ. शालिनी, को मेरी इन हरकतों का पूरा पता है। वो बस मुस्कराती हैं और मज़ाक में कहती हैं, “अनूप, तू तो यहाँ मौज कर रहा है। रोज़ नई-नई हॉट लेडीज़ का टेम्परेचर चेक करता है। कह, तो किसी से तेरी सेटिंग करवाऊँ?” मैं नकली शर्मिंदगी दिखाता हूँ, लेकिन मुझे पता है कि मैडम की चूत में भी लंड की खुजली है। एक बार उन्होंने साफ़-साफ़ कहा, “अनूप, मुझे भी कभी तेरी दवा पिला दे।” मैं हँसकर टाल गया, लेकिन मन में ठान लिया कि किसी दिन मैडम की चूत को भी अपने लंड से ठंडा करूँगा।
एक दिन क्लिनिक में देर रात तक सिर्फ़ मैं और शालिनी थीं। वो टाइट सलवार-कमीज़ में थीं, और उनकी ब्रा के उभरे हुए निशान साफ़ दिख रहे थे। मैंने मौका देखकर कहा, “मैडम, आपकी चूत की आग तो कोई बुझा नहीं पाता, क्या मैं ट्राई करूँ?” वो हँस पड़ीं, लेकिन उनकी आँखों में चुदास साफ़ दिख रही थी। उन्होंने कहा, “अनूप, तू बड़ा शरारती है। लेकिन मेरी चूत को ठंडा करने के लिए तेरा लंड चाहिए।” उस रात मैंने उन्हें क्लिनिक के बेड पर चोदा। उनकी चूत इतनी गरम और रसीली थी कि मेरा लंड बार-बार अंदर-बाहर हुआ। मैंने उनके चूचे चूसे, उनकी गांड दबाई, और आधे घंटे तक उन्हें चोदा। वो तीन बार झड़ीं, और आखिर में मेरे लंड का माल उनकी चूत में छोड़ दिया। तब से वो मुझसे चुदवाने का कोई मौका नहीं छोड़तीं।
आंटी और तृप्ती की चूत की सेवा
उधर, आंटी की चूत चोदते-चोदते मेरा मन थोड़ा उकता गया है। क्लिनिक में रोज़ नई-नई टाइट चूतें मिलती हैं, तो आंटी की चूत अब मुझे किसी बड़े नाले जैसी लगती है। फिर भी, उन्हें चोदना ज़रूरी है, क्योंकि वो मेरी ज़िंदगी को मस्ती से भर देती हैं। और सबसे बड़ी बात—मुझे तृप्ती की चूत की सील तोड़ने का मौका चाहिए।
एक रात जब तृप्ती हमारे बीच सो रही थी, मैंने आंटी को चोदा। आंटी की सिसकियाँ और उनकी चूत की गर्मी ने मुझे पागल कर दिया। मैंने तृप्ती की चूचियों को दबाया, और उसकी पैंटी में हाथ डालकर उसकी चूत को सहलाया। आंटी ने कुछ नहीं कहा, बस मुझे देखकर मुस्कराईं। मुझे यकीन है कि वो चाहती हैं कि मैं तृप्ती की चूत की सील तोड़ूँ।
एक बार आंटी ने मुझसे कहा, “अनूप, तू मेरी ज़िंदगी में एक सौगात बनकर आया है। मैं चाहती हूँ कि तू हमेशा मेरे पास रहे। तृप्ती का भी तुझी से सहारा है।” उनकी इस बात से मुझे यकीन है कि मुझे आंटी और तृप्ती, दोनों की चूत की सेवा करते हुए ज़िंदगी बितानी है।
तृप्ती की सील तोड़ने की रात
पिछले हफ्ते तृप्ती छुट्टियों में आई थी। रात को वो हमारे बीच सो रही थी। आंटी ने मुझसे कहा, “अनूप, आज तृप्ती को भी मज़ा दे दे। वो जवान हो गई है, और उसे तेरे लंड की ज़रूरत है।” मैं हैरान था, लेकिन मेरा लंड पहले से तन चुका था। मैंने तृप्ती को धीरे-धीरे सहलाना शुरू किया। उसकी चूचियाँ टाइट और गोल थीं, और उसकी चूत इतनी गरम कि मेरी उंगलियाँ गीली हो गईं। वो नींद में सिसक रही थी। मैंने उसकी पैंटी उतारी और अपनी उंगली उसकी चूत में डाली। वो जाग गई, लेकिन डर के मारे चुप रही।
मैंने उसे चूमा और कहा, “तृप्ती, डर मत। मैं तुझे मज़ा दूँगा।” वो शरमाई, लेकिन उसकी चूत की गर्मी बता रही थी कि वो तैयार है। मैंने उसकी चूत को चाटा, और वो सिसकने लगी। फिर मैंने अपना लंड उसकी चूत पर रगड़ा। वो डर रही थी, लेकिन मैंने धीरे-धीरे अपना लंड उसकी टाइट चूत में डाला। वो चीखी, लेकिन आंटी ने उसे चुप कराया। मैंने उसे धीरे-धीरे चोदा, और उसकी सील टूट गई। उसकी चूत से खून निकला, लेकिन वो मज़े से सिसक रही थी। मैंने उसे आधे घंटे तक चोदा, और आखिर में उसकी चूत में अपना माल छोड़ दिया। वो झड़कर निढाल हो गई। आंटी मुस्कराकर हमें देख रही थीं।
मेरी मस्त ज़िंदगी
मेरी ज़िंदगी चुदाई के रंगों से भरी है। आंटी की चूत, तृप्ती की टाइट चूत, डॉ. शालिनी की रसीली चूत, और क्लिनिक में रोज़ नई-नई चूतें। हर दिन नई आग, नया मज़ा। मेरा लंड हर चूत की प्यास बुझाता है, और मेरी ज़िंदगी मस्ती से चल रही है। बस, यही मेरी कहानी है—एक लंड की प्यास और उस प्यास को बुझाने वाली सेक्सी औरतों की दुनिया।