भाई-बहन की चुदाई

मेरी प्यासी चूत-2

दूसरे दिन से तो भैया को नज़ाने क्या हुवा वो सारा दिन घर मे ही रहने लगे और जब भी जरासा भी मौका मिलता मुझे अपनी बाहों मे भर कर मेरे मम्मो को दबा देते और मुझे चूम लेते। करीब 3 से 4 दिन तक बस यही सब चलता रहा। अब तक तो मैं भी भैया के साथ काफ़ी खुल गयी थी और मेरा डर और शरम काफ़ी हद तक गायब हो गये थे। अब तो मैं भी जब भैया मुझे मौका देख कर अपनी बाहों मे लेते और मेरे मम्मो को पकड़ कर दबाते तो मैं भी तुरंत उनके लंड को उनकी पेंट के उपर ही से पकड़ कर दबा देती।

बहुत मज़ा आने लगा था जिंदगी का। करीब 4 से 5 दिन के बाद रात को करीब 3 बजे मैं जब भैया नींद मे सोए हुए थे तो मैं खुद हिम्मत करके उठी और भैया के बिस्तर के पास जाकर उन्हे हिला कर उठाया और नीचे आने को कहा और मैं नीचे चली गयी। मेरे नीचे जाते ही भैया भी तुरंत मेरे पीछे पीछे नीचे आए और मुझे अपनी बाहों मे लेकर मेरे मम्मो को दबाते हुए मुझसे पूछा क्या बात है आज तुमने मुझे कैसे बुला लिया नीचे। कुछ काम था या फिर अब तुम्हे भी मेरी तरह से इच्छा हो रही है। तो मैने भैया का लंड को अपने हाथ मे पकड़ कर दबाते हुए कहा कि मुझे आज नींद नही आ रही है सो तुम्हे बुला लिया। और मैने भैया का हाथ अपने बूब्स पर रख लिया। भैया मुझे अपनी बाहों मे लेकर चूमने लगे और मेरे बूब्स को दबाने लगे। और अपने एक हाथ से मेरी चूत को मेरी सलवार के उपर से ही मुट्ठी मे पकड़ कर मसल्ने लगे। मेरी चूत उस समय काफ़ी गीली थी तो भैया ने वही सवाल अब मुझे फिर से पूछा कि नगमा क्या तुम चाहती हो के हम आज उस दिन से भी ज़्यादा मज़े करें। मैने सिर्फ़ हाँ मे अपना सिर हिला दिया और भैया ने खुशी से मुझे अपनी गोद मे उठा लिया और मुझे ले कर सीधे बेड रूम मे चले गये।

भैया ने मुझे बेड पर सुला दिया और खुद मेरे उपर चढ़ कर मुझे ज़ोर से अपनी बाहों मे भर लिया और मेरे होठों को अपने होठों मे लेकर चूसने लगे। मैने भी अपनी बाहें भैया की कमर पर लप्पेट ली और मैं अपनी जीभ भैया के मूह मे डाल दी और किस करने लगी। कुछ देर तक भैया इसी तरह से मेरी जीभ को चूस्ते रहे और मेरे माममे दबाते रहे फिर उन्होने उठ कर मेरी कमीज़ के बटन खोल दिए और फिर मेरी सलवार का नाडा भी खींच कर खोल दिया। फिर भैया ने मेरी सलवार को मेरी टाँगों से उतार कर अलग कर दी। मैं अब भैया के सामने सिर्फ़ ब्रा और पेंटी मे लेटी हुई थी। तब भैया ने अपना पेंट और बनियान उतार दी और दोबारा मेरे उपर आ कर सो गये और मुझे दबाने लगे।

कुछ ही देर मे भैया ने अपना एक हाथ मेरी पीठ की और ले जाकर मेरी ब्रा का हूल खोल दिया और मेरे बूब्स को पूरा नंगा कर दिया। फिर भैया मेरे बूब्स को और मेरे निप्पल्स को अपने मूह मे लेकर चूसने लगे और मैं भैया के लंड को उनके नेकर से बाहर निकाल कर अपने हाथों से मसल्ने और चमड़ी को खोल बंद करने लगी। भैया का लंड उस समय पूरी तरह तना हुआ था। लंड को हाथ मे पकड़े हुए मैं बहुत मज़ा ले रही थी तभी भैया ने अपना एक हाथ मेरी पेंटी के अंदर मेरी कमर की ओर से डाल दिया और मेरी चूत को सहलाना शुरू कर दिया। मैने आज अपनी चूत को शेव कर रखा था सो भैया ने चूत को छूते हुए ही कहा कि क्या बात है नगमा आज तो लगता है कि तुम पूरे मूड मे हो और सब तैयारी पहले से ही कर के रखी हुई है। तो मैने भी कह दिया की हाँ अब मुझसे भी रहा नही जा रहा है प्लीज़ कुछ करो ना अब और सहन नही हो रहा है मुझसे। तो भैया उठ कर मेरे बाजू मे बैठ गये और उन्होने मेरी पेंटी को नीचे सरका कर उतार दिया।

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अब मैं भैया के सामने पूरी तरह से नंगी सोई हुई थी और अपने हाथ से उनका लंड पकड़ा कर सहला रही थी। तो भैया ने फिर कहा कि नगमा प्लीज़ एक बार तो मेरे लंड को अपने मूह मे लेकर चूस दो, मेरा बहुत मन कर रहा है तुमसे अपना लंड चुसवाने को। तो मैने कहा कि मुझे ऐसा करने मे घिन आती है। तो भैया बोले कि इसमे घिन आने की क्या बात है ऐसा तो सब लड़कियाँ करती है। तुम एक बार इसे अपने मूह मे ले कर तो देखो बाद मे तुम्हे बहुत मज़ा आएगा। और ऐसा कह कर भैया ने अपना लंड फिर से मेरे मूह के पास ले जाकर मेरे होठों से लगा दिया। मैने भी अपना मूह थोड़ा सा खोल दिया और भैया का आधा इंच लंड अपने मूह मे लेकर चूसने लगी तो भैया ने लंड को अंदर की और दबाया तो उनका लंड पूरा मेरे मूह मे चला गया। उ

नका लंड मेरे गले तक चला गया था और इससे मुझे उल्टी सी होने लगी तो मैने उनका लंड तुरंत बाहर निकाल दिया और कहा मुझसे नही होगा प्लीज़ आप ऐसा मत करो। तो भैया बोले अच्छा सिर्फ़ और एक बार ट्राइ करो फिर अच्छा ना लगे तो निकाल देना। मुझे भैया की इच्छा का ख़याल आया कि वह मज़ा लेना चाहते हैं तो मुझे उनकी खातिर कुछ करना ही चाहिए सो मैने बिना मन के ही उनका लंड पूरा अपने मूह मे लेकर धीरे धीरे उसे चूसने लगी। कुछ देर चूसने के बाद भैया ने भी मेरी चूत को अपने मूह मे ले लिया और जीभ को चूत के अंदर डाल कर चूसने लगे। उनके ऐसा करने से मुझे बहुत मज़ा आने लगा और फिर मैने भी भैया का लंड ज़ोर ज़ोर से चूसना शुरू कर दिया।।

करीब 15 मिनिट की लंड और चूत की चुसाइ के बाद अचानक भैया ने अपना लंड मेरे मूह मे से झटके से निकाल दिया। मैं कुछ समझ नही पाई कि अचानक भैया को क्या हुआ। भैया ने अपना लंड बाहर निकाल कर खुद के हाथ मे पकड़ लिया और दूसरी तरफ मूह करके खड़े हो गये। दो मिनिट्स के बाद ही भैया फिर मेरे पास आए और मुझसे कहने लगे कि नगमा अब और सहन नही हो रहा है। ऐसा ही करते रहे तो मेरा पानी अब निकल जाएगा। आब अगर तुम हाँ कहो तो हम वो करें जो पति पत्नी करते हैं। जवाब मे मैने भैया को अपने पास खींच लिया और कहा, भैया अब तो मुझसे भी सहन नही हो वाहा है आप जो चाहो करो बस इस आग को बुझा दो जल्दी से।

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भैया ने कहा नगमा चुदाई बाद मे कुछ प्रॉब्लम हो गयी तो क्या होगा तो मैने कहा आप पानी बाहर निकालना, अंदर नही। इतना सुनना था कि भैया खुशी के मारे उछल पड़े और उन्होने मेरी दोनो टाँगों को फैला दिया और अपना लंड मेरी कुँवारी चूत के मूह पर लगा दिया। मैने सुन रखा था कि पहली बार जब लंड चूत के अंदर जाता है तो बहुत दर्द होता है पर मैं उस दर्द को सहन करने के लिए पूरी तरह तैयार थी। भैया ने अपने लंड का टोपा मेरी चूत के मूह पर रख कर थोडा सा अंदर दबाया तो मेरा मूह अचानक दर्द से खुल गया और मैंने एक लंबी गहरी सांस ली और अपनी सांस रोक ली। भैया ने कहा कि थोड़ा सा सहन कर्लो बाद मे सब ठीक हो जाएगा।

और फिर भैया ने दोबारा अपने लंड को और थोड़ा चूत के अंदर दबाया तो उनका करीब आधा लंड मेरी चूत के अंदर घुस गया। मुझे ऐसा लगने लगा कि मेरी चूत को भैया ने अपने मोटे लंड से चीर दिया है। मैं बहुत कराहने लगी थी पर भैया ने मुझे हिम्मत दिलाई और फिर बस एक और झटका जोरदार मारा और मेरी आँखों से आँसू बाहर आ गये और भैया का पूरा लंड मेरी चूत की झिल्ली को फड़ता हुआ अंदर घुस गया। भैया लंड अंदर घुसा कर चुपचाप मेरे उपर लेट गये और बिना कोई हरकत किए मेरे आँसू अपनी जीभ से पीने लगे और मेरे गाल्लों को अपने दोनो हाथों मे पकड़ कर सहलाते हुए कहने लगे। नगमा प्लीज़ बस इतना सा सहन कर्लो। अब और तकलीफ़ नही होगी। मैं उनके नीचे पड़ी पड़ी छटपटा रही थी पर मैं जानती थी कि यह तकलीफ़ बस कुछ देर की ही है। बाद मे सब कुछ नॉर्मल हो जाएगा। सो मैने जैसे तैसे खुद को सम्हाला और चुप चाप पड़ी रही।

करीब 3 मिनिट के बाद भैयाने अपने लंड को थोड़ा सा बाहर खींचा और फिर अंदर डाल दिया। और अब इस तरह से भैया ने धीरे धीरे मेरी चूत को अपने लंड से चोदना शुरू कर दिया। जैसे ही भैया उनका लंड अंदर को डालते तो मैं दर्द से कांप जाती मुझे बहुत दर्द हो रहा था पर भविष्या मे मिलने वाले सच की कल्पना मे मैं उस दर्द को सहन किए जा रही थी।

करीब 10 मिनिट की इस चुदाई के बाद मेरी भैया ने तुरंत अपना लंड मेरी चूत से अचानक बाहर खींच लिया और मेरे पेट पर रख कर लंड को खुद की मुट्ठी मे पकड़ कर ज़ोर ज़ोर से आगे पीछे कर कर के हिलाने लगे। तभी अचानक भैया के लंड से एक जोरदार गाढ़े गाढ़े सफेद पानी की एक पिचकारी उड़ी और मेरे बूब्स और मेरे पेट पर बिखर गयी और उसके बाद और भी करीब ऐसी ही 6 से 7 पिचकारियाँ और उड़ी और मेरा सारा पेट और कमर भिगो कर रख दिया। फिर भैया ने उनकी एक उंगली मेरी चूत मे घुसा दी और उसे ज़ोर ज़ोर से अंदर बाहर करने लगे। मैने अपनी टाँगे और फैला दी और भैया को जाकड़ लेने की कोशिशे करने लगी। तभी अचानक मुझे लगा की मेरी चूत मे से कुछ निकल रहा है। मुझे ज़ोर ज़ोर से झटके लगाने लगे और फिर मैं ठंडी पड़ गयी। मेरी चूत से भी पानी निकल चुक्का था। फिर भैया ने मुझे उठा कर बिठा दिया। मैने देखा कि मेरी चूत भैया के लंड के पानी से और कुछ खून से भरी हुई है और कुछ पानी नीचे चादर पर भी गिर चुक्का था पता नही वह पानी भैया के लंड से निकला था या फिर मेरी चूत से पर उस पानी का रंग कुछ फीका लाल था जिसमे मेरी चूत से निकला हुआ खून मिला हुआ था।

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जब भैया ने अपना लंड साफ करना शुरू किया तो मैं उठ कर बाथरूम मे चली गयी और अपनी चूत को पानी से अच्छी तरह से साफ किया और कपड़े पहन कर बाहर आई। मैने बाहर आ कर देखा तो पता चला कि भैया वहाँ से जा चुके थे और वो उपर छत पर जा कर सो गये थे। मैने चादर को थोड़ा सा हाथ मे पानी लेकर साफ किया और फिर वहीं बेड पर सो गयी। मेरा मन डर और खुशी दोनो की कशमकश मे डूबा हुआ था। पर यह सच था कि आज मैं अपना कुँवाना पन भैया के पास लुटवा चुकी थी।

दोस्तों यह कोई कहानी नही है। यह मेरी जिंदगी की एक हक़ीकत दास्तान है जिसे मैने बयान किया है। उस दिन के बाद भैया अक्सर जब भी मौका मिलता मुझे चोद्ते और मुझे बहुत प्यार करने लगे। आब हम दोनो भाई बहन पति पत्नी की तरह ही एक दूसरे से बिहेव करने लगे और बिना किसी शरम लिहाज के एक दूसरे के साथ छेड़ छाड़ किया करते। पहली चुदाई के बाद भैया हमेशा अपने पास कोहिनूर कॉनडम्स का पॅकेट छिपा कर रखने लगे और बाद मे उन्होने मुझे जब भी चोदा कोहिनूर लगा कर खूब दिल से चोदा। और मुझे शादी से पहले ही जवानी के वह सारे सच दे दिए जो मेरी जिंदगी मे याद बन कर रह गये।

दोस्तों भैया के साथ चुदते चुदते मुझे चुदाई मे बहुत मज़ा आने लगा था। और जितना भी मैं चुदवाती मेरी चुदाई की प्यास और भी बढ़ जाती। बाद मे तो मैने अपने एक कजान से भी कई बार अपनी चूत को चुदवाया और मेरे एक अंकल ने भी मुझे बहुत बार चोदा। मैने अपने जीजाजी के भी लंड से भी अपनी चूत को मज़े करवाए।।

जब तक मेरी शादी नही हुई मैं अपने रिश्ते दारों से चुदवा चुदवा कर अपनी जवानी की प्यास बुझाती रही। अब तो मैं अपने ससुराल मे रहती हूँ इसलिए सिर्फ़ मेरे पति ही मुझे चोद्ते हैं। पर जब भी मैं अपनी मा के घर जाती हूँ तो भैया से चुदाई करवाए बिना कभी वापिस नही आती हूँ और भैया भी जब भी मेर ससुराल मुझसे मिलने को आते हैं तो दोपहर के वक्त जब मेरे पति घर मे नही होते हैं तो मुझे बहुत चोद्ते हैं। अब तो मेरे दिल मे एक ही तमन्ना है कि मैं कब और कैसे अपने छ्होटे देवर को मनाउ ताकि उसके लंड का भी मज़ा ले सकूँ

दोस्तों मुझे चुदाई बहुत पसंद है। जी चाहता है कि मेरे और भी दो चार भाई होते और चार पाँच अंकल्स होते तो कितना मज़ा आता जिंदगी का।
तो दोस्तो कैसी लगी ये मस्ती भरी छुदाई की कहानी कमेंट ज़रूर देना
आपका दोस्त राज शर्मा
समाप्त
दा एंड