भाई-बहन की चुदाई

मेरी प्यासी चूत-1

दोस्तों मुझे आपसी रिश्तों मे सेक्स क्यों पसंद है इसकी एक वजह है मैं आज आपको अपनी जिंदगी की एक सही मे सच सच वाकीया बता रही हूँ। आप लोग यह मत समझना कि मैं सही वाकीया के नाम से आपको झूठ बोलूँगी। मेरा यकीन मानिए की यह वाक़या सही मे मेरे साथ गुजरा है। यह बात तब की है जब मेरी शादी नही हुई थी और मैं अपनी मम्मी के घर रहती थी और 12वी क्लास मे पढ़ती थी। गर्मी के दिन थे। इम्तिहान बहुत नज़दीक थे हम सब लोग रात को अपनी घर के छत पर ही गर्मियों मे सोया करते थे।

मैं और मेरे बड़े भैया रोज रात को देर तक पढ़ाई करते रहते थे और फिर सो जाया करते थे। एक दिन की बात है मैं और भैया रात के करीब 1 बजे पढ़ाई कर के सोए। रात के करीब 3 – 4 बजे होंगे मुझे अपने बूब्स पर कुछ रेंगता हुआ सा महसूस हुआ। मैं काफ़ी नींद मे थी इसलिए तुरंत कुछ समझ नही सकी। पर कुछ देर बाद मुझे यह अहसास हुआ क़ी कोई मेरे बूब्स को कपड़ों के उपर से मसल रहा है। फिर मैं तुरंत ही नींद से जाग गयी और मैने महसूस किया कि यह भैया है जो ऐसा कर रहे हैं। कुछ देर तक मैं सहमी सहमी चुपचाप नींद का बहाना करके पड़ी रही पर धीरे धीरे मेरी उत्तेजना काफ़ी बढ़ने लगी और मुझसे सहन नही होने लगा तो मैं उठ कर बैठ गयी। भैया बहुत डर गये और बिना कुछ कहे चुपचाप अपनी जगह पर जा कर सो गये। कुछ देर तक मैं उन्हीं सहमी हुई सी बैठी रही फिर मैं भी सो गयी।

उस रात मुझे फिर बाद मे नींद नही आई और मैं देख रही थी कि भैया भी सो नही सके थे। सुबह जब हम लोग उठे तो हम दोनो भाई बहन एक दूसरे से बहुत झिझक रहे थे 2 दीनो तक हमने एक दूसरे से नज़रें भी नही मिलाई। भैया रात को पढ़ाई भी नही करते थे और जल्दी ही सो जाया करते थे।

करीब 8 – 10 दिन इसी तरह से बीत गये। एक बार फिर रात को मैने दोबारा वही चीज़ महसूस की। भैया मेरे बूल्स को दबा रहे थे। तब फिर मैं चुपचाप ही पड़ी रही और कोई हरकत नही की। कुछ देर तक भैया मेरे बूल्स को दबाते रहे और फिर उन्होने मेरी स्कर्ट के अंदर मेरी जांघों पर अपना हाथ घुमाना शुरू कर दिया। मेरी साँसे बहुत तेज होने लगी थी पर मुझे बहुत अच्छा लग रहा था सो मैं बिना कोई हरकत किए चुपचाप पड़ी रही। जांघों पे हाथ से सहलाते सहलाते भैया ने अपना हाथ फिर मेरी पेंटी के उपर से मेरी चूत पर घुमाना शुरू कर दिया। कुछ देर तक वो मेरी चूत को उपर से ही सहलाते दबाते रहे। फिर अचानक उन्होने अपनी एक उंगली मेरी पेंटी की किनारी मे से अंदर सरकाई और मेरी चूत को छूने लगे। मेरी धड़कने बहुत तेज हो रही थी। शायद भैया आब मेरी गीली चूत को देख कर यह समझ चुके थे कि मैं जाग रही हूँ पर चुपचाप पड़ी हुई हूँ।

शायद इसीलिए फिर भैया चुपचाप मेरे बाजू मे सो गये और मेरी चादर को खुद के उपर भी ओढ़ लिया और मुझसे ज़ोर से चिपक गये और मुझे दबाने लगे। तब मुझे मजबूरन जागना पड़ा। मैने उन्हे ऐसा करने से रोकने की और उन्हे वहाँ से दूर धकेल कर उठ कर जाने की बहुत कोशिशे की। उन्हे दूर धकेलने लगी पर वह नही माने और चुपचाप ही दोबारा मेरी पेंटी मे मेरी कमर की तरफ से एलएस्टिक के उपर से अंदर हाथ डाल दिया और मेरी चूत को अपनी मुट्ठी मे पकड़ लिया। मुझे तो मानो 440 वॉलटस्व का एलेक्ट्रिक का करेंट लग गया था। जिंदगी मे पहली बार किसी मर्द का हाथ मेरी चूत पर गया था। भैया ने उनकी एक उंगली मेरी चूत के अंदर घुसा दी थी और मैं तड़प कर रह गयी थी। मैने तुरंत उनका हाथ झटके से बाहर निकाला और खुद उठ कर बैठ गयी। भैया दो मिनिट तक तो चुपचाप लेटे रहे और फिर उन्होने दोबारा मेरी जांघों के बीच हाथ डाल कर मेरी चूत को पेंटी के उपर से ही पकड़ लिया। मैने उनका हाथ दूर धकेल कर मैं उठ कर खड़ी हो गयी और नीचे रूम मे चली गयी।

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नीचे घर मे जाकर मैने पहले तो थोड़ा पानी पिया और अपनी साँसों को नॉर्मल किया और फिर वहीं नीचे घर मे ही सो गयी। पर मेरी आँखों मे आब नींद कहाँ थी। भैया ने अभी अभी मेरा करने की कोशिश जो की थी।

करीब 15 मिनिट बाद भैया भी नीचे घर मे आ गये और सीधा मेरे पास आए और मेरे सर पर हाथ फेरते हुए मुझे बोले देखो नगमा मैं तुम यह बात प्लीज़ किसीसे कहना मत, तुम्हे बुरा लगा हो तो मैं तुमसे माफी माँगता हूँ। मैं आज तुम्हे एक बात सच सच बात देना चाहता हूँ जो मेरे दिल मे है अगर तुम्हे बुरा लगे तो मुझे साफ साफ कह देना। तुम मुझे बहुत अच्छी लगती हो। मैं जानता हूँ कि तुम मेरी छोटी बहन हो और मुझे तुम्हारे साथ यह सब नही करना चाहिए पर क्या करूँ दिन मे तो मैं खुद को सम्हाल लेता हूँ पर रात मे ना जाने तुम्हे देखने के बाद मुझे क्या हो जाता है कि मेरा मन काबू मे ही नही रहता और मैं ऐसा कर बैठता हूँ। नगमा मैं जानता हूँ कि यह सब शरीर की भूख है और यह भूख तुम्हे भी तो लगती ही होंगी पर तुम लड़की हो शायद इसलिए सहन कर लेती होगी पर मुझसे तो सहन नही होती है और मैं बहक जाता हूँ।

मैने कहा यह सब तो ठीक है पर तुम मेरे भाई हो तुम्हारा काम तो मेरी इज़्ज़त बचाना है और तुम्ही मेरी इज़्ज़त को लूटना चाहते हो। तो भैया ने कहा की नगमा मैं तुम्हारी इज़्ज़त लूटना नही चाहता हूँ मैं तो सिर्फ़ उन्हीं बस थोड़ा सा तुम्हे प्यार करना चाहता हूँ जिससे मेरे दिल को कुछ सुकून मिले और इससे तुम्हारे दिल को भी तो सुकून मिलेगा। और फिर यह बात सिर्फ़ हम दोनो के बीच ही तो रहेगी ना तुम्हारी बदनामी होगी और ना ही मेरी। बस तुम किसिको कुछ भी बताना मत।

मैं भैया की बातें सुन कर खामोश खड़ी सोचने लगी की क्या मुझे ऐसा सब करना चाहिए? मैं अपना सिर झुकाए बिना कोई जवाब दिए खड़ी रही तब भैया ने आगे बढ़ कर फिर से मुझे अपने सीने से लगा लिया और अपने हाथों से मेरे बूब्स को सहलाना शुरू कर दिया। मैं बहुत सदमे मे आ गयी थी कारण कि मुझे भैया की बात मन मे जम गयी थी पर हिम्मत नही हो रही थी कि मैं अपने सगे भाई के साथ ऐसा कुछ करूँ।

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भैया ने मुझे अपने से और ज़्यादा चिपका लिया और मेरे बूब्स को सहलाते हुए बोले नगमा डरो मत अभी यहाँ कोई नही आएगा सब लोग उपर सोए हुए हैं। और हम लोग सिर्फ़ थोड़ा सा उपर उपर से ही तो मज़ा ले रहे हैं। ऐसा कह कर भैया ने मेरी शॉर्ट के अंदर अपना हाथ डाल दिया और मेरी ब्रा को उपर सरका कर मेरे नंगे बूब्स को अपनी गरम हथेली मे पकड़ लिया। मेरे सारे शरीर मे बिजली से दौड़ने लगी थी। मुझे कुछ समझ मे नही आ रहा था कि मैं क्या करूँ। मैं बस चुपचाप खड़ी रही और भैया मी बूब्स को एक हाथ से मसल्ते रहे और दूसरे हाथ से उन्होने मेरी गर्देन मे डाल कर मेरे होठों को अपने होंठो के नज़दीक लाकर मुझे किस करने लगे। मेरे सारे शरीर मे सन सनी सी होने लगी और फिर मैने भी अपने हाथ भैया के पीछे लेजा कर उन्हे ज़ोर से अपने बदन से जाकड़ लिया।

भैया काफ़ी देर तक मुझे किस करने के बाद उन्होने मेरी शर्ट के सारे बॉटन्स खोल कर मेरी ब्रा को हुक खोल दिया और मेरे दोनो बूब्स को मसल्ने और चूमने लगे। मैं भी बे तहाशा भैया को किस करती रही। फिर कुछ देर बाद भैया ने अपना एक हाथ नीचे ले जाकर मेरी स्कर्ट के अंदर डाला और मेरी जंघाओं को सहलाने लगे। मेरी तो जान निकल रही थी यह सोच कर की भैया अब क्या करने वाले हैं तभी भैया ने उनका हाथ मेरी पेंटी की किनारी मे से अंदर डाल कर मेरी चूत को सहलाना शुरू कर दिया। मेरी चूत बुरी तरक़ से गीली हो चुकी थी। अब मुझे से सहन नही हुआ तो मैने भैया को पीछे धकेल दिया और कहा, कोई आ जाएगा प्लीज़ अब मुझे जाने दो। और मैं भाग कर दूसरे रूम मे चली गयी और दरवाजा अंदर से बंद करके सो गयी। भैया भी फिर उपर जाकर सो गये। उस रात मैं फिर पूरी रात सो नही सकी और क्योंकि मेरे शरीर मे आग लगी हुई थी और उसे बुझाने के लिए मुझे अपनी उंगली का ईस्तमाल करना पड़ा।

दूसरे दिन जब फिर रात को हा लोग छत पर सो रहे थे तो करीब 2 बजे भैया ने आकर मुझे हिलाया और मुझे इशारे से नीचे आने को कह कर खुद नीचे चले गये। उनके जाने के 5 से 7 मिनिट बाद मैं भी उठ कर नीचे गयी तो देखा भैया मेरा इंतजार ही कर रहे थे। जैसे ही मैं नीचे गयी, भैया ने मुझे अपनी बाहों मे जाकड़ लिया और मेरे होठों को चूमने लगे और मेरे बूब्स को दबाने लगे। मैं भी काफ़ी उत्तेजित हो गयी और मैने भी अपन्नी बाहों को भैया की पीठ पर बाँध कर उन्हे जाकड़ लिया। भैया बोले नगमा तुम्हे बुरा तो नही लग रहा है ना। तो मैने कहा कि इब इस बात का ख़याल रखना हमेशा की घर मे कभी किसी को कुछ पता नही चले तो भैया ने कहा तुम बेफिकर रहो हम इस बात का पूरा ख़याल रखेंगे। और फिर भैया ने मुझे छोड़ कर रूम का दरवाजा अंदर से बंद कर लिया और मुझे लेकर बेड पर लेट गये और मेरे शरीर से पूरी तरह से चिपक गये और मुझे प्यार करने लगे।

भैया : नगमा तुम्हे टच करने का मन नही कर वाहा है क्या

मैं कुछ नही बोली और मैने अपना हाथ नीचे ले जाकर भैया के कपड़ो पर से ही उनके लंड को सहलाना शुरू कर दिया।

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भैया : नगमा इसे अपने हाथ मे लेकर देखो, क्या तुमने पहले कभी इसे देखा है?

मैं : नही देखा

भैया : इसे बाहर निकालो बहुत तड़प रहा है तुम्हारे हाथो से छूने के लिए।

मैने भैया के पेंट की ज़ीप को खोल कर उनका लंड बाहर निकाल लिया और उसे अपने हाथ मे लेकर हिलाने लगी।

भैया : नगमा ज़रा मुझे भी तो दिखाओ अपनी उस चीज़ को जिसे देखने के लिए मैं इतना तड़प रहा हूँ।

यह कह कर भैया ने मेरी पेंटी को नीचे सरकया और उसे मेरी टाँगों मे से बाहर निकाल कर बेड पर रख दिया और मेरी चूत को प्यार से सहला सहला कर देखने लगे। मुझे बहुत शरम आ रही थी पर मज़ा भी बहुत आ रहा था सो मैने अपनी टाँगों को और भी फैला दिया। भैया ने कुछ देर तक तो मेरी चूत को सहलाया और फिर अपना मूह मेरी चूत के पास ले जाकर अपनी जीब से उसे चाटने लगे। मेरे सारे शरीर मे करेंट सा दौड़ने लगा और मैने अपनी दोनो टाँगों से भैया की गर्देन को जोरों से जाकड़ लिया और उनके लंड को ज़ोर ज़ोर से दबाने और हिलाने लगी। भैया काफ़ी देर तक मेरी चूत को यूही चूस्ते और चाट ते रहे और फिर उन्होने अपना लंड मेरे मुँह के पास लाकर उसे मेरे होठों पर घुमाने लगे। उन्होने मूह से तो कुछ नही कहा पर मैं समझ गयी कि वो चाहते हैं कि मैं उनका लंड अपने मूह मे ले कर चुसू। पर मुझे ऐसा करना अच्छा नही लगा सो मैने अपना मुँह बाजू मे घुमा दिया। भैया समझ गये तो मुझसे बोले कि नगमा एक बार ट्राइ करो ना तुम्हे मज़ा आएगा। पर मैने ऐसा करने से उन्हे मना कर दिया। वो दोबारा अपना मूह मेरी चूत पे रख कर उसे चूसने लगे। मेरे पूरे शरीर मे बहुत जोरों से कंपकपि सी उठने लगी। मैं उनके लंड को ज़ोर ज़ोर से अपने हाथों मे लेकर दबाती रही और उन्हे अपनी टाँगों मे जकड़ती रही। मेरी चूत पूरी तरह से गीली हो चुकी थी फिर भी भैया मेरी चूत के अंदर तक अपनी जीब डाल डाल कर उसे चूसे जा रहे थे तभी अचानक भैया के लंड से तेज़ी से पानी की पिचकारी उड़ी और वो जाकर मेरी गर्देन और मेरे बूब्स पर गिरने लगी। भैया अचानक काँपने लगे और उनकी पकड़ मुझ पर ढीली पड़ने लगी।

भैया का पानी निकल गया था और शायद मेरा भी। तब भैया ने मुझे अपने सीने से छिपा कर मुझे बहुत प्यार किया और पूछ की मज़ा आया तुम्हे। मैं शर्म से मरी जा रही थी। मैने हाँ मे सिर हिलाया तो भैया बोले अगर तुम हाँ कहो तो हम इस से भी ज़्यादा मज़ा कर सकते हैं पर उसमे तुम्हारी भी मर्ज़ी शामिल होना ज़रूरी है। मैने कुछ जवाब नही दिया और उठ कर अपने कपड़े ठीक किए और वहाँ से चली गयी और उपर छत पर जा कर सो गयी। कुछ देर बाद भैया भी उपर आए और अपनी जगह पर चुपचाप सो गये।