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ननद भाभी के सेक्स की मस्त कहानी-2

Nanad bhabhi ke sex ki mast kahani-2

हाय मर गई रे त्रुती प्यारी, तेरे प्यारे मुंह को चोदूं, साली क्या चूसती है तू, इतनी सी बच्ची है फ़िर भी पुरानी रंडी जैसी चूसती है. पैदाइशी चुदैल है तू” दो मिनट तक वह सिर्फ़ हांफ़ते हुए झड़ने का मजा लेती रही. फ़िर मुस्कराकर उसने त्रुती को बुर चूसने का सही अन्दाज सिखाना शुरू किया। उसे सिखाया कि पपोटे कैसे अलग किये जाते हैं, जीभ का प्रयोग कैसे एक चम्मच की तरह रस पीने को किया जाता है और बुर को मस्त करके उसमे से और अमृत निकलने के लिये कैसे क्लाईटोरिस को जीभ से रगड़ा जाता है.
थोड़ी ही देर में त्रुती को चूत का सही ढंग से पान करना आ गया और वह इतनी मस्त चूत चूसने लगी जैसे बरसों का ज्ञान हो. कुन्ध्ला पड़ी रही और सिसक सिसक कर बुर चुसवाने का पूरा मजा लेती रही।
चूस मेरी प्यारी, और चूस अपनी भाभी की बुर, जीभ से चोद मुझे, आ ऽ ह ऽ , ऐसे ही रानी ऽ , शा ऽ बा ऽ श.”

काफ़ी झड़ने के बाद उसने त्रुती को अपनी बाहों में समेट लिया और उसे चूम चूम कर प्यार करने लगी. त्रुती ने भी भाभी के गले में बाहें डाल दीं और चुम्बन देने लगी. एक दूसरे के होंठ दोनों चुदैलें अपने अपने मुंह में दबा कर चूसने लगीं. कुन्ध्ला ने अपनी जीभ त्रुती के मुंह में डाल दी और त्रुती उसे बेतहाशा चूसने लगी. भाभी के मुख का रसपान उसे बहुत अच्छा लग रहा था.
कुन्ध्ला अपनी जीभ से त्रुती के मुंह के अन्दर के हर हिस्से को चाट रही थी, उस बच्ची के गाल, मसूड़े, तालू, गला कुछ भी नहीं छोड़ा कुन्ध्ला ने. शैतानी से उसने त्रुती के हलक में अपनी लंबी जीभ उतार दी और गले को अन्दर से चाटने और गुदगुदाने लगी. उस बच्ची को यह गुदगुदी सहन नहीं हुई और वह खांस पड़ी. कुन्ध्ला ने उसके खांसते हुए मुंह को अपने होंठों में कस कर दबाये रखा और त्रुती की अपने मुंह में उड़ती रसीली लार का मजा लेती रही.

आखिर जब कुन्ध्ला ने उसे छोड़ा तो त्रुती का चेहरा लाल हो गया थी. “क्या भाभी, तुम बड़ी हरामी हो, जान बूझ कर ऐसा करती हो। कुन्ध्ला उसका मुंह चूमते हुए हंस कर बोली – तो क्या हुआ रानी? तेरा मुखरस चूसने का यह सबसे आसान उपाय है. मैने एक ब्लू फ़िल्म में देखा था।
फ़िर उस जवान नारी ने उस किशोरी के पूरे कमसिन बदन को सहलाया और खास कर उसके कोमल छोटे छोटे उरोजों को प्यार से हौले हौले मसला. फिर उसने त्रुती को सिखाया कि कैसे निपलों को मुंह में लेकर चूसा जाता है. बीच में ही वह हौले से उन कोमल निपलों को दांत से काट लेती थी तो त्रुती दर्द और सुख से हुमक उठती थी।
अन्त में उसने त्रुती को हाथ से हस्तमैथुन करना सिखाया.”देख त्रुती, हम औरतों को अपनी वासना पूरी करने के लिये लंड की कोई जरूरत नहीं है. लंड हो तो बड़ा मजा आता है पर अगर अकेले हो, तो कोई बात नहीं।

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त्रुती भाभी की ओर अपनी बड़ी बड़ी आंखो से देखती हुई बोली “भाभी उस किताब में एक औरत ने एक मोटी ककड़ी अपनी चूत में घुसेड़ रखी थी। कुन्ध्ला हंस कर बोली – हां मेरी रानी बिटिया, ककड़ी, केले, गाजर, मूली, लम्बे वाले बैंगन, इन सब से मुट्ठ मारी जा सकती है. मोटी मोमबत्ती से भी बहुत मजा आता है. धीरे धीरे सब सिखा दूंगी पर आज नहीं. आज तुझे उंगली करना सिखाती हूं. मेरी तरफ़ देख।
कुन्ध्ला रण्डियों जैसी टांगें फ़ैलाकर बैठ गई और अपनी अंगूठे से अपने क्लाईटोरिस को सहलाना शुरू कर दिया. त्रुती ने भी ऐसा ही किया और आनन्द की एक लहर उसकी बुर में दौड़ गई. कुन्ध्ला ने फ़िर बीच की एक उंगली अपनी खुली लाल चूत में डाल ली और अन्दर बाहर करने लगी.

भाभी की देखा देखी त्रुती भी उंगली से हस्तमैथुन करने लगी. पर उसका अंगूठा अपने क्लिट पर से हट गया. कुन्ध्ला ने उसे समझाया – रानी, उंगली से मुट्ठ मारो तो अंगूठा चलता ही रहना चाहिये अपने मणि पर।
धीरे धीरे कुन्ध्ला ने दो उंगली घुसेड़ लीं और अन्त में वह तीन उंगली से मुट्ठ मारने लगी. फ़चाफ़च फ़चाफ़च ऐसी आवाज उसकी गीली चूत में से निकल रही थी.
त्रुती को लगा कि वह तीन उंगली नहीं घुसेड़ पायेगी पर आराम से उसकी तीनों उंगलियां जब खुद की कोमल बुर में चली गईं तो उसके मुंह से आश्चर्य भरी एक किलकारी निकल पड़ी. कुन्ध्ला हंसने लगी और बोली – अभी अभी भैया के मोटे लंड से चुदी है इसलिये अब तेरी चारों उंगलियां चली जायेंगी अन्दर। वैसे मजा दो उंगली से सबसे ज्यादा आता है।
दोनों अब एक दूसरे को देख कर अपनी अपनी मुट्ठ मारने लगीं. कुन्ध्ला अपने दूसरे हाथ से अपने उरोज दबाने लगी और निपलों को अंगूठे और एक उंगली में लेकर मसलने लगी. त्रुती ने भी ऐसा ही किया और मस्ती में झूंम उठी. अपनी चूचियां खुद ही दबाते हुए दोनों अब लगातार सड़का लगा रही थी.

कुन्ध्ला बीच बीच में अपनी उंगली अपने मुंह में डालकर अपना ही चिपचिपा रस चाट कर देखती और फिर मुट्ठ मारने लगती. त्रुती ने भी ऐसा ही किया तो उसे अपनी खुद की चूत का स्वाद बहुत प्यारा लगा. कुन्ध्ला ने शैतानी से मुस्कराते हुए उसे पास खिसकने और मुंह खोलने को कहा. जैसे ही त्रुती ने अपना मुंह खोला, कुन्ध्ला ने अपने चूत रस से भरी चिपचिपी उंगलियां उसके मुंह में दे दी.
कुन्ध्ला ने भी त्रुती का हाथ खींच कर उसकी उंगलियां मुंह में दबा लीं और चाटने लगी. “यही तो अमृत है जिसके लिये यह सारे मर्द दीवाने रहते हैं. बुर का रस चूसने के लिये साले हरामी मादरचोद मरे जाते हैं. बुर के रस का लालच दे कर तुम इनसे कुछ भी करवा सकती हो. तेरे भैया तो रात रात भर मेरी बुर चूसकर भी नहीं थकते.”

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कई बार मुट्ठ मारने के बाद कुन्ध्ला बोली – चल छोटी अब नहीं रहा जाता. अब तुझे सिक्सटी – नाईन का आसन सिखाती हूं. दो औरतों को आपस में सम्भोग करने के लिये यह सबसे मस्त आसन है. इसमें चूत और मुंह दोनों को बड़ा सुख मिलता है.” कुन्ध्ला अपनी बांई करवट पर लेट गई और अपनी मांसल दाहिनी जांघ उठा कर बोली. “आ मेरी प्यारी बच्ची, भाभी की टांगों में आ जा.” त्रुती उल्टी तरफ़ से कुन्ध्ला की निचली जांघ पर सिर रख कर लेट गई. पास से कुन्ध्ला की बुर से बहता सफ़ेद चिपचिपा स्त्राव उसे बिल्कुल साफ़ दिख रहा था और उसमें से बड़ी मादक खुशबू आ रही थी.
कुन्ध्ला ने उसका सिर पकड़ कर उसे अपनी चूत में खींच लिया और अपनी बुर के पपोटे त्रुती के मुंह पर रख दिये. “चुम्बन ले मेरे निचले होंठों को जैसे कि मेरे मुंह का रस ले रही थी। जब त्रुती ने कुन्ध्ला की चूत चूमना शुरू कर दिया तो कुन्ध्ला बोली – अब जीभ अन्दर डाल रानी बिटिया।

त्रुती अपनी जीभ से भाभी को चोदने लगी और उसके रिसते रस का पान करने लगी. कुन्ध्ला ने अब अपनी उठी जांघ को नीचे करके त्रुती का सिर अपनी जांघों मे जकड़ लिया और टांगें साइकिल की तरह चला के उसके कोमल मुंह को सीट बनाकर उसपर मुट्ठ मारने लगी.
भाभी की मांसल जांघों में सिमट कर त्रुती को मानो स्वर्ग मिल गया. त्रुती मन लगा कर भाभी की चूत चूसने लगी. कुन्ध्ला ने बच्ची की गोरी कमसिन टांगें फैला कर अपना मुंह उस नन्ही चूत पर जमा दिया और जीभ घुसेड़ घुसेड़ कर रसपान करने लगी. त्रुती ने भी अपनी टांगों के बीच भाभी का सिर जकड़ लिया और टांगें कैंची की तरह चलाती हुई भाभी के मुंह पर हस्तमैथुन करने लगी.
दस मिनट तक कमरे में सिर्फ़ चूसने, चूमने और कराहने की अवाजें उठ रही थी. कुन्ध्ला ने बीच में त्रुती की बुर में से मुंह निकालकर कहा – रानी मेरा क्लाईटोरिस दिखता है ना?” त्रुती ने हामी भरी – हां भाभी, बेर जितना बड़ा हो गया है, लाल लाल है। कुन्ध्ला ने कहा – तो उसे मुंह में ले और चाकलेट जैसा चूस, उसपर जीभ रगड़, मुझे बहुत अच्छा लगता है मेरी प्यारी, तेरे भैया तो माहिर हैं इसमे।

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कुन्ध्ला ने जोर जोर से साइकिल चला कर आखिर अपनी चूत झड़ा ली और आनन्द की सीत्कारियां भरती हुई त्रुती के रेशमी बालों में अपनी उंगलियां चलाने लगी. त्रुती को भाभी की चूत मे से रिसते पानी को चाटने में दस मिनट लग गये. तब तक वह खुद भी कुन्ध्ला की जीभ से चुदती रही. कुन्ध्ला ने उसका जरा सा मटर के दाने जैसा क्लाईटोरिस मुंह में लेके ऐसा चूसा कि वह किशोरी भी तड़प कर झड़ गई. त्रुती का दिल अपनी भाभी के प्रति प्यार और कामना से भर उठा क्योंकि उसकी प्यारी भाभी अपनी जीभ से उसे दो बार झड़ा चुकी थी. एक दूसरे की बुर को चाट चाट कर साफ़ करने के बाद ही दोनों चुदैल भाभी और ननद कुछ शांत हुई.
थोड़ा सुस्ताने के लिये दोनों रुकीं तब कुन्ध्ला ने पूछा. “त्रुती, मजा आया?” त्रुती हुमक कर बोली “हाय भाभी कितना अच्छा लगता है बुर चूसने और चुसवाने मे।

कुन्ध्ला बोली “अपनी प्यारी प्रेमिका के साथ सिक्सटी – नाइन करने से बढ़कर कोई सुख नहीं है हम जैसी चुदैलों के लिये, कितना मजा आता है एक दूसरे की बुर चूस कर. आह! यह क्रीड़ा हम अब घन्टों तक कर सकते हैं।
भाभी चलो और करते हैं – त्रुती ने अधीरता से फ़रमाइश की और कुन्ध्ला मान गई. ननद भाभी का चूत चूसने का यह कार्यक्रम दो तीन घन्टे तक लगातार चला जब तक दोनों थक कर चूर नहीं हो गई. त्रुती कभी इतनी नहीं झड़ी थी. आखिर लस्त होकर बिस्तर पर निश्चल पड़ गई. दोनों एक दूसरे की बाहों में लिपटकर प्रेमियों जैसे सो गई.

शाम को कुन्ध्ला ने चूम कर त्रुती को उठाया – चल त्रुती, उठ, तेरे भैया के आने का समय हो गया. कपड़े पहन ले नहीं तो नंगा देखकर फ़िर तुझ पर चढ़ पढ़ेंगे। त्रुती घबरा कर उठ बैठी और बोली – भाभी मुझे बचा लो, भैया को मुझे चोदने मत देना, बहुत दुखता है।
कुन्ध्ला ने उसे डांटा “पर मजे से हचक के हचक के चुदा भी तो रही थी बाद मे, ‘हाय भैया, चोदो मुझे’ कह कह के”. त्रुती शरमा कर बोली. “भाभी बस आज रात छोड़ दो, मेरी बुर को थोड़ा आराम मिल जाये, कल से जो तुम कहोगी, वही करूंगी”. “चल अच्छा, आज तेरी चूत नहीं चुदने दूंगी.” कुन्ध्ला ने वादा किया और त्रुती खुश होकर उससे लिपट गई।