ननद भाभी संग चुदाई की कहानी-1
Nanand Bhabhi sang Chudai ki Kahani-1
मेरे पड़ोस में कांता नाथ रहते थे। उनके घर में बस एक बेटा और एक बेटी थी। बेटा 30-32 साल का था और दूसरी सिटी में जॉब करता था। बेटी मीना 18-19 साल की थी और बी.ए. की पढ़ाई कर रही थी। मैं खुद 22 साल का था। मीना के भाई की शादी को सात साल हो चुके थे और उसकी भाभी माया जवानी से भरपूर थी। मीना का मेरे घर आना-जाना लगा रहता था। मैंने कई बार उसकी चूचियों को दबाया था और एक-दो बार उसकी छूट को भी सहलाया था। पिछले कुछ दिनों से हम दोनों आपस में मज़े ले रहे थे, पर अभी तक मैंने उसे छोड़ा नहीं था—बस चूचियों को दबाया और छूट को सहलाया था।
कल रात उसके पापा कहीं बाहर गए थे, तो मीना चुपके से मेरे घर आ गई। उस रात मैंने उसे छोड़कर कुँवारी छूट का मज़ा लिया। चुदाई के बाद मीना बहुत खुश थी। उसने मुझसे कहा, “श, बहुत मज़ा आया। अब रोज़ छोड़ना।” मैंने पूछा, “पर कैसे? तुम तो रोज़ आती नहीं हो।” वो बोली, “अपने घर में ही चढ़वाऊँगी तुमसे।” मैंने कहा, “वहाँ तो भाभी होगी।” उसने हँसकर जवाब दिया, “अरे, मेरी भाभी बहुत अच्छी हैं। वो मुझसे बहुत प्यार करती हैं। मैंने उन्हें तुम्हारे बारे में सब बता दिया है। वो कह रही थीं कि अपने दोस्त को घर ले आओ और मुझे भी छुड़वा दो।”
यह सुनकर मैं खुश हो गया और बोला, “तुम्हारी भाभी भी?” वो बोली, “हाँ मेरी जान, मेरी भाभी बहुत चुड़क्कड़ हैं। साली ने ढेर सारे लंड खाए हैं और पापा को भी मज़ा देती हैं। वो साथ रहेंगी, तो घर में रोज़ मज़ा लिया जा सकेगा।” यह जानकर मैं बहुत खुश हुआ कि मीना के साथ-साथ उसकी भाभी की छूट भी मिलेगी। अगले दिन सुबह 10 बजे मैं उसके घर पहुँच गया। घर के सामने देखते ही मन खुश हो गया। मीना मेरे इंतज़ार में ही खड़ी थी। जैसे ही मैं अंदर गया, मीना ने दरवाज़ा बंद किया और बोली, “राजा, भाभी को तैयार कर लिया है, पर मुझे ज़्यादा करना, भाभी को कम।”
मैंने उसकी चूचियों को पकड़कर कहा, “घबराओ मत। तुम्हारे लिए ही तो तुम्हारी भाभी को लेने आया हूँ। अब घर में सारा खेल हो जाएगा, वरना तुम्हारी भाभी को मैं नहीं करता।” मैं मीना की भाभी माया को देख चुका था। वो 27-28 साल की चुदासी औरत थी। खूबसूरत तो बहुत थी, पर मीना भी कम नहीं थी, और वो कुँवारी भी थी। कांता नाथ की बहू और बेटी मेरे लिए मज़े का खज़ाना बन गई थीं। चूचियों को दबाते ही मीना का गोरा चेहरा लाल हो गया। वो बोली, “हाय छोड़िए, अंदर चलकर आराम से।” मैंने उसके चूतड़ पर हाथ रखकर कहा, “भाभी के सामने शरमाओगी तो नहीं?” वो बोली, “शरमाऊँगी क्यों राजा, पर मुझे ज़्यादा करना।” मैंने कहा, “उसकी चिंता मत करो। मैं तो तुम्हारा दीवाना हूँ।”
रात को अंधेरा था। मैंने कहा, “हाय, इस वक़्त कितनी खूबसूरत लग रही हो। उजाले में आता है मज़ा।” वो बोली, “हाँ, बहुत मज़ा आया था।” मैंने पूछा, “दर्द हो रहा होगा?” उसने कहा, “हाँ, थोड़ा-सा, पर ठीक हो जाएगा।” मैंने पूछा, “रात को मुझसे छुड़वाने में मज़ा आया था न?” वो बोली, “हाँ राजा, खूब मज़ा आया। कमाल का है तुम्हारा।” चलते-चलते उसने मेरे लंड पर हाथ रखा और मेरे सेब जैसे गालों को मसलते हुए मैंने कहा, “तुम्हारी भाभी ने क्या कहा? बताओ न।” उसने बताया, “भाभी ने कहा कि बुला लो, हम भी मज़ा लेंगे। वो पूरी तरह राज़ी हैं। अब तुम उनके सामने भी मज़ा ले सकते हो।”
यह बात करते-करते मीना मुझे अपने कमरे में ले गई। मुझे वहाँ बिठाकर जाने लगी, तो मैंने उसे पकड़कर गोद में बिठाया और उसके रसीले होंठों को कसकर चूमते हुए कहा, “तुम दोनों इस वक़्त सिर्फ़ पेटीकोट पहनकर आओ, तो मज़ा आ जाए। देखो मीना, रातभर तुमने थकाया है, अब ज़रा आराम कराओ। जो कहूँ वो करना, तभी मज़ा आएगा। तुम्हारे साथ-साथ आज तुम्हारी भाभी को भी करना है।” वो बोली, “हाँ।” मेरे खड़े लंड पर अपनी गांड रखते ही मीना खुद को भूल गई।
मैं कांता नाथ की बहू और बेटी के साथ पड़ोसी का फ़र्ज़ निभाने को तैयार था। एक ही रात में दमदार चुदाई से मैंने मीना को अपने काबू में कर लिया था। अब मीना के साथ-साथ उसकी भाभी माया का मज़ा लेने की प्लानिंग कर रहा था। मुझे पता था कि मीना अब मेरी किसी बात से इंकार नहीं करेगी। मैंने कहा, “जाओ मीना, भाभी को भी सिर्फ़ पेटीकोट में और क्रीम लेकर आओ। इसे साफ़ किया या नहीं?” उसकी छूट पर हाथ लगाते हुए मैंने पूछा। वो हिचकते हुए बोली, “हाय राम, अभी नहीं।” मैंने कहा, “जाओ, पहले अपनी झांटें साफ़ करके चिकनी करो। तब तक भाभी को भेज दो। जब तक एकदम चिकनी करके नहीं आओगी, मैं छोड़ूँगा नहीं। जब तक मुझसे छुड़वाओ, इसे चिकनी रखना।”
आज मीना को हटाकर माया के साथ मज़ा लेने का मौक़ा मिल रहा था। माया मीना की भाभी थी। मीना 18-19 साल की थी और माया 27-28 की। दोनों ही मस्त माल थीं। मीना तो कुँवारी थी, जिसे मैंने छोड़कर पहला मज़ा दिया था। अब उसकी भाभी को भी छोड़ना था। मीना मेरी बात मान गई। मैं बिना झिझक मस्त छूटों का मज़ा लेने के लिए सिर्फ़ अंडरवियर में कुर्सी पर बैठ गया। मीना से पहले उसकी भाभी के आने की उम्मीद थी, क्योंकि मीना झांटें साफ़ करने गई थी। तभी माया सिर्फ़ पेटीकोट में अपनी बड़ी-बड़ी चूचियों को हिलाते हुए हाथ में ऑयल की बोतल लेकर आई। उसे इस हाल में देखकर मैं मस्त हो गया। माया के चेहरे से ही चुदासीपन झलक रहा था। वो पास आई और बोली, “आप तो मेरे पड़ोस में ही रहते हैं। मीना आपकी बहुत तारीफ़ कर रही थी। मीना आपकी गर्लफ्रेंड है, तो क्या मुझे भी अपनी फ्रेंड बना लो? एक साथ शादीशुदा और कुँवारी का मज़ा मिलेगा आपको। हाय राजा, आपने तो एक रात में मेरी ननद को बच्ची से जवान बना दिया।”
मीना की तरह उसकी भाभी भी एकदम चुदासी लग रही थी। मुझे लगा था कि पहली बार में माया शर्माएगी, पर वो तो ऐसे खुलकर बात कर रही थी जैसे मेरी पुरानी रंडी हो। मैंने उससे कहा, “कांता नाथ की बहू हो?” वो बोली, “हाँ, मीना कह रही थी कि आपकी अभी शादी नहीं हुई है। आपको औरत की ज़रूरत है। हम दोनों मिलकर आपकी प्यास बुझाएँगे। मीना के साथ तो बहुत मेहनत करनी पड़ी होगी। हाय, ज़रा अंडरवियर खोलकर दिखाओ तो। मीना बहुत तारीफ़ कर रही थी।” और बिना शर्म के पास आकर मेरा अंडरवियर देखने लगी। मैं माया जैसी चुदक्कड़ को अपने सामने तड़पते देख नशे से भर गया। मुझे इस घर में जन्नत नज़र आने लगी। मैंने उसकी एक चूची पकड़कर कहा, “लड़की छोड़ना कोई मज़ाक नहीं है। मीना क्या कह रही थी?” वो बोली, “कह रही थी कि भाभी, मेरे यार का बहुत लंबा और मोटा है। मीना मेरी ननद ही नहीं, मेरी प्यारी सहेली भी है। इसीलिए मुझे आपसे छुड़वाने दे रही है।”
मैंने कहा, “तुम भी खूब मज़ा लेती हो। मीना ने सब बताया है।” वो बोली, “हाँ राजा, क्या करूँ? मीना के भाई का तो बहुत छोटा-सा मरियल है। एक मिनट से भी जल्दी झड़ जाता है। ससुर को फँसाया है, पर उसका खड़ा नहीं होता। बस छूट चाटकर ही काम चलता है। मीना ने कहा था कि भाभी, मेरे बाप और भाई तो मरियल हैं, पर मेरे यार का चखकर देखो, मस्त हो जाओगी। अब इस उम्र में आपके जैसे जवान को ही पसंद करती हूँ।” मैंने कहा, “कोई बात नहीं, अब तुम्हें भी मैं ही संभालूँगा।” वो बोली, “ठीक है राजा, आपको पूरी छूट है। जब चाहो यहाँ आकर मीना से मज़ा ले सकते हो। उसके खूसट बाप और भाई से डरने की ज़रूरत नहीं। साले दोनों के सामने मीना को छुड़वा दूँगी। बस मेरा भी ख्याल रखना। ज़रा दिखाओ तो।”
मैंने कहा, “घबराओ मत, अब मीना के साथ-साथ तुम्हें भी मज़ा दूँगा। दो के साथ तो बहुत मज़ा आता है। रात में मीना को अंधेरे में छोड़ा था, तो मज़ा नहीं आया।” वो बोली, “राजा, अब उजाले में लो मज़ा। थोड़ा मुझे भी।” मैंने कहा, “थोड़ा क्यों, पूरा मज़ा लो। यह जितना मीना का है, उतना ही तुम्हारा भी। दोनों को बारी-बारी से छोड़ूँगा।” और उसके निप्पल को चुटकी से दबाया। मेरे लंड में करंट-सा दौड़ा और माया खुश होकर बोली, “हाय, तुम कितने अच्छे हो। राजा, एक-दो बार मीना को मेरे साथ छोड़ लो, तो वो भी मेरी तरह खुलकर मज़ा लेने लगेगी। वैसे मेरी अभी बहुत ढीली नहीं है। तुम्हारा तो कसा-कसा जाएगा।”
पेटीकोट के ऊपर से अपनी छूट दबाते हुए उसने कहा। मैंने उसके चूतड़ सहलाते हुए गाल चूमकर कहा, “मैं सोच रहा हूँ कि आज तुम दोनों को एक साथ छोड़कर मज़ा लूँ।” वो बोली, “बहुत अच्छा राजा।” मैंने कहा, “रानी, कल मीना को आठ बार छोड़ा है। बदन टूट गया है। ज़रा मालिश कर दो, ताज़गी आ जाए।” मैं कांता नाथ की बहू और बेटी के साथ वो मज़ा लेना चाहता था, जो शायद ही किसी को मिले। माया तो बेटी से भी ज़्यादा चुदासी लग रही थी। पहली बार वो ही खुलकर बोल रही थी, जिससे मज़ा दोगुना हो गया था। इस उम्र की पहली औरत थी, जिसे मैं छोड़ने जा रहा था। वो मुझे चालाक लग रही थी।
उसने कहा, “राजा, तुम लेटो। मैं और मीना मिलकर तुम्हारी मालिश करेंगे। सारी थकान उतार देंगे। अब रोज़ रात इसी कमरे में उजाले में हम दोनों का एक साथ मज़ा लेना। तुम अंडरवियर उतारो, मैं बिस्तर ज़मीन पर लगाती हूँ।” मैं फट से कुर्सी से उठा, अंडरवियर उतारा और लंड को खड़ा करके खड़ा हो गया। मेरे नंगे, मोटे, लंबे और काले लंड को देखकर माया खुश हो गई और जल्दी से उसे पकड़कर मस्ती से बोली, “हाय, आज से पहले कभी इतना टनटना लंड नहीं देखा। यह तो किसी घोड़े का लग रहा है। सच में आज तो मेरी जवानी फिर से जाग जाएगी। तभी तो मीना एकदम जवान लग रही है।”
माया के हाथ में जाते ही मेरा लंड झटके लेने लगा। मैंने उसकी कमर में हाथ डालकर उसे अपनी ओर खींचा और बोला, “मीना की देखी है क्या?” वो बोली, “हाँ राजा, तुम्हारी तारीफ़ करते हुए अपनी छूट दिखाकर बोली थी, ‘देखो भाभी मेरी। मेरे यार ने एक रात में ही जवानी भर दी है।’ लंड जाते ही मीना तड़प उठी होगी।” वो खुशी से मेरे लंड को दबाती बोली। मुझे मीना से ज़्यादा मज़ा तो माया के साथ आ रहा था। बेशर्म औरत सच में बड़ी मज़ेदार होती है। वो पहली बार मेरे पास आई थी, पर लग रहा था जैसे कई बार मेरे लंड का पानी अपनी छूट में डलवा चुकी हो। मैंने उसकी गांड सहलाते हुए कहा, “कसमसाई तो थी, पर तुम्हारी ननद बड़ी दमदार है।” वो बोली, “हाँ राजा, अभी छरहरी जवानी है।” मैंने उसके चूतड़ मसलते हुए कहा, “पर शर्मीली है।” माया मेरे लंड को देखती हुई बोली, “घबराओ मत पड़ोसी राजा, मैं मीना को अपनी तरह मस्त औरत बना दूँगी। वो भी दिल खोलकर तुम्हारे साथ मज़ा लेगी। हाय, क्या मस्त लंड है। देखते ही मुँह में पानी आ गया।”
मैंने कहा, “रानी, तुम समझदार हो। मेरी शादी नहीं हुई है। अगर तुम दोनों से मज़ा आया, तो कहीं और नहीं जाऊँगा। तुम तो मुझसे भी ज़्यादा जानती हो। मेरे लिए छोटी-बड़ी से कुछ नहीं होता। बस अगर औरत खुद खेले, तो मज़ा आ जाता है।” इस पर माया मेरे लंड को मुट्ठी में दबाती हुई बोली, “ऐसा ही होगा। इस घर में वो मज़ा मिलेगा, जो सोचा भी नहीं होगा।” और झुककर लंड को चूम लिया। मैं इस हरकत से मचल गया। चूतड़ आगे करते हुए हाय की आवाज़ निकाली। चालाक माया मेरी बेचैनी समझ गई और बोली, “लेटो राजा, अभी तुम्हें वो मज़ा दूँगी, जो छोड़ने से भी नहीं मिलता। यह सब मीना ने किया था?” मैंने कहा, “नहीं रानी, वो तो अभी कुछ नहीं जानती। तुम अपने तरीके से मज़ा लो। मीना को गोली मारो।”
मैं इस मज़े को पाकर सब कुछ भूल गया। उसकी चूचियाँ ढीली थीं, पर किसी को भी पागल करने वाली हरकतें वो जानती थी। मेरा लंड झटके लेने लगा। माया मेरे लंड को चूमते हुए बोली, “अब तुम्हें तरसना नहीं पड़ेगा। बस मुझे अपने तरीके से करने दो।” मैंने कहा, “करो माया, जो जी में आए करो।” वो बोली, “सच बताओ राजा, कितनों को छोड़ा है अब तक?” मैंने कहा, “बहुत सी रानी।” वो बोली, “सब लौंडियाँ थीं?” मैंने कहा, “हाँ।” वो बोली, “तो अब मेरे जैसी जवान को लेकर देखो। लेटो।” फिर कांता नाथ की जवान बहू ने मेरे लंड को पकड़ा और झुककर जीभ से चाटने लगी। मैं एकदम मस्त हो गया। वो लंड पर जीभ फेरकर चाट रही थी। पहली बार मैं लंड चटवा रहा था। मैंने उसकी चूचियों को पकड़कर लंड चटवाने का मज़ा लिया। माया का कहना सही था कि छोड़ने से ज़्यादा मज़ा आ रहा था। मैं माया को पटाकर उसकी ननद को घर में छोड़ने के प्लान से आया था, पर अब खुद माया के लिए बेकरार हो गया था।