पड़ोसी मेहता की बेटी रंजना की गांड चुदाई
पढ़िए विकास और पड़ोसी मेहता जी की बेटी रंजना की हवस भरी चुदाई की कहानी। जयपुर की इस कामुक कहानी में रंजना की चूत और गांड चुदाई की पूरी डिटेल्स।
हेल्लो दोस्तों, मेरा नाम विकास है, उम्र 27 साल, और मैं जयपुर का रहने वाला हूँ। आज मैं आपको एक ऐसी कहानी सुनाने जा रहा हूँ, जो मेरे और मेरे पड़ोसी मेहता जी की बेटी रंजना के बीच की हवस और जुनून की दास्तान है। रंजना, 22 साल की वो हसीना, जिसके बड़े-बड़े बूब्स और भारी-भरकम गांड किसी का भी दिल धड़का दे। उसकी कातिलाना नज़रें और शरारती अंदाज़ मुझे कब से ललचा रहे थे, लेकिन मौका नहीं मिल रहा था। लेकिन जब किस्मत ने साथ दिया, तो मैंने उसकी चुदास को ऐसा शांत किया कि वो जिंदगी भर याद रखेगी।
बात जून की तपती दोपहरी की है, जब गर्मी ने सबको घरों में कैद कर रखा था। रंजना का फोन आया, “विकास, जल्दी आ जाओ, घर खाली है… सिर्फ़ तू और मैं।” उसकी आवाज़ में वो कशिश थी, जो मेरे बदन में आग लगा गई। मैं फटाफट तैयार हुआ और उसके घर पहुँच गया। दरवाज़ा खुलते ही सामने रंजना, टाइट कुर्ते और सलवार में, जिसने उसके कर्व्स को और भी उभारा हुआ था। उसकी आँखों में हवस और होंठों पर एक शरारती स्माइल।
मैं अंदर घुसा, दरवाज़ा बंद हुआ, और बस फिर क्या, जंग शुरू हो गई। वो थोड़ा नखरे दिखाने लगी, “स्स्स्स… विकास, ये क्या कर रहे हो? ये तो गलत है…” लेकिन उसकी सिसकारियों और बंद आँखों ने बता दिया कि वो पहले से ही मूड में है। मैंने उसे दीवार से सटाया, उसकी गर्म साँसें मेरे चेहरे पर टकरा रही थीं। मेरा एक हाथ उसके कुर्ते के अंदर गया, और मैंने उसके सॉफ्ट, गोल-मटोल बूब्स को दबाना शुरू किया। उफ्फ, क्या मज़ा था! वो सिसकारियाँ ले रही थी, “आआहह… स्स्स्स… प्लीज़, मत करो…” लेकिन उसकी टाँगें अपने आप चौड़ी हो रही थीं।
मैंने अपनी जाँघ उसकी जाँघ पर रखी और अपने तने हुए लंड से उसकी जाँघ को रगड़ने लगा। उसका एक हाथ मेरे सिर पर था, दूसरा मेरी कमीज के अंदर मेरी पीठ को सहला रहा था। मैंने धीरे-धीरे अपना हाथ उसकी सलवार के ऊपर से उसकी जाँघों और कमर पर फेरा, और फिर उसकी टाँगों के बीच ले गया। जैसे ही मैंने उसकी चूत को सलवार के ऊपर से मसला, वो चीख पड़ी, “आआहह… स्स्स्स… हाआआ…” पूरे कमरे में हमारी साँसों की आवाज़ गूँज रही थी।
अब मैंने उसकी सलवार का नाड़ा ढूंढा और धीरे से उसमें अपना हाथ डाल दिया। उसकी चूत गीली थी, और मैंने महसूस किया कि उसने हाल ही में अपने बाल साफ किए थे। मेरी उंगलियाँ उसकी क्लिट पर रगड़ रही थीं, और वो अपनी गांड उठाकर मेरे हाथ को और प्रेशर दे रही थी। मैंने अपनी बीच वाली उंगली उसकी चूत में डाली, और वो ज़ोर से सिसकारी, “उउउहह… आआहह…” उसने मुझे कसकर पकड़ लिया, और उसकी चूत ने मेरी उंगली को जकड़ लिया। मैं करीब 10 मिनट तक ऐसे ही उसकी चूत को सहलाता और उंगली करता रहा।
फिर मैं उठा, अपनी शर्ट उतारी, और ऊपर से पूरी तरह नंगा हो गया। मैंने उसे एक गहरा किस किया और उसे अपने ऊपर खींच लिया। उसका कुर्ता उतारते वक्त उसने मेरी मदद की, और अब वो सिर्फ़ ब्रा में थी। मैंने उसकी ब्रा का हुक खोला, और उसके भरे-भरे बूब्स आज़ाद हो गए। मैंने उसके निप्पल्स को मुँह में लिया, हल्का सा काटा, और चूसने लगा। वो पागल सी हो रही थी, “आआहह… विकास, तुम बहुत naughty हो… स्स्स्स…”
मैंने उससे कहा, “रंजना, अपनी सलवार उतारो, baby…” वो थोड़ा शरमाई, “कुछ होगा तो नहीं ना?” मैंने उसे भरोसा दिलाया, और उसने अपनी सलवार और पैंटी उतार दी। अब वो मेरे सामने पूरी नंगी थी। मैंने उसे अपने मुँह पर बैठने को कहा, और वो अपनी टाँगें चौड़ी करके मेरे मुँह पर बैठ गई। मैंने उसकी चूत को चाटना शुरू किया। उसका नमकीन टेस्ट मेरी जीभ पर था, और उसका पानी मेरी नाक और मुँह पर लग रहा था। मेरे हाथ उसकी भारी गांड को मसल रहे थे, और मैं अपनी जीभ को कभी उसकी चूत पर, तो कभी उसकी गांड की दरार में ले जा रहा था। वो सिसकार रही थी, “आआहह… तुम बहुत गंदे हो… लेकिन इतना मज़ा… उफ्फ!”
अब मैंने उसे 69 पोज़िशन में लाया। वो मेरा 7 इंच का लंड चूस रही थी, और मैं उसकी चूत और गांड को चाट रहा था। मैंने एक उंगली उसकी चूत में और एक उसकी टाइट गांड में डाली। वो सिहर उठी, लेकिन मज़े में थी। करीब 10 मिनट तक हम ऐसे ही एक-दूसरे को चूसते और चाटते रहे।
फिर मैंने कहा, “रंजना, अब मैं तुम्हारी चूत में अपना लंड डालना चाहता हूँ।” वो थोड़ा डर गई, लेकिन मेरे भरोसे पर सीधे लेट गई। मैंने उसकी गांड के नीचे तकिया रखा, उसकी टाँगें चौड़ी कीं, और अपने लंड को उसकी चूत पर रगड़ने लगा। वो अजीब-अजीब सी आवाज़ें निकाल रही थी, “ह्म्म्म… आहह… उहह…” मैंने पूछा, “Ready, baby?” उसने डरते हुए हाँ कहा।
मैंने अपने लंड का टोपा उसकी चूत के छेद पर रखा और धीरे से धक्का दिया। उसकी चूत गीली थी, लेकिन टाइट थी। मेरा मोटा लंड आसानी से अंदर नहीं गया। मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ रखे, उसकी जीभ चूसने लगा, और एक ज़ोरदार झटका मारा। वो चीख पड़ी, “उम्म्म… उगगघह…” और मुझे छुड़ाने की कोशिश करने लगी। लेकिन मैंने उसे कसकर पकड़ा और एक और झटका मारा। इस बार मेरा पूरा लंड उसकी चूत में समा गया। उसकी आँखों से आँसू निकल आए, लेकिन मैं रुका नहीं।
करीब 5 मिनट बाद उसका दर्द कम हुआ, और अब वो मज़े लेने लगी। वो अपनी टाँगों से मेरी कमर को जकड़ रही थी, और अपने हाथों से मेरे गले को। पूरे कमरे में हमारी चुदाई की आवाज़ें गूँज रही थीं—पच-पच, फुच-फुच। वो मेरे कूल्हों को दबाकर मेरे लंड को और अंदर लेने की कोशिश कर रही थी।
20-25 मिनट की ज़बर्दस्त चुदाई के बाद वो बोली, “विकास, मुझे कुछ हो रहा है… प्लीज़ तेज़ करो!” मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी, और एक मिनट बाद उसने मुझे ज़ोर से जकड़ा और चीखते हुए झड़ गई, “आआहह… हाँ… और करो… उफ्फ!” उसका गर्म वीर्य मेरे लंड पर महसूस हुआ, और मैं भी अब अपने क्लाइमेक्स पर था। मैंने अपना लंड बाहर निकाला और उसके पेट और बूब्स पर अपना गाढ़ा वीर्य निकाल दिया। कुछ पिचकारी उसके चेहरे पर भी गिरी, और वो हँसते हुए बोली, “तुम बहुत bad हो!”
लेकिन मेरा मन अभी भरा नहीं था। मैंने उसकी भारी गांड की तरफ देखा और सोचा, क्यों ना इसे और मज़ा दिया जाए। मैंने उससे कहा, “रंजना, अब तुम्हारी गांड की बारी है।” वो थोड़ा डर गई, “नहीं, विकास… वो बहुत दर्द होगा।” लेकिन मेरे मनाने पर वो मान गई। मैंने उसकी गांड के नीचे तकिया रखा, थोड़ा तेल लिया, और अपनी उंगली से उसकी टाइट गांड को ढीला करने लगा। वो सिसकार रही थी, “आआहह… स्स्स्स… धीरे…”
मैंने अपने लंड पर भी तेल लगाया और धीरे-धीरे उसकी गांड में डालने की कोशिश की। पहला धक्का हल्का सा गया, और वो चीख पड़ी। मैंने उसे किस किया, उसके बूब्स दबाए, और धीरे-धीरे और अंदर धकेला। कुछ देर बाद मेरा पूरा लंड उसकी गांड में था। वो दर्द और मज़े के बीच झूल रही थी। मैंने धीरे-धीरे स्पीड बढ़ाई, और अब वो भी मज़े लेने लगी। कमरे में फिर से पच-पच की आवाज़ें गूँज रही थीं।
करीब 15 मिनट की गांड चुदाई के बाद मैं फिर से झड़ने वाला था। मैंने अपना लंड बाहर निकाला और इस बार उसकी गांड और कमर पर अपना वीर्य निकाल दिया। वो थककर लेट गई, लेकिन उसकी आँखों में संतुष्टि थी।
उसके बाद, जब भी मौका मिला, हमने चूत और गांड दोनों की खूब चुदाई की। रंजना की वो चुदास और उसकी गांड का मज़ा मेरे दिल में हमेशा ज़िंदा रहेगा।