पहले की चुदाई फिर करवा ली दोनों ने शादी
पढ़िए एक 19 साल के लड़के और अपने दोस्त की बड़ी बहन स्वीटी की दिलचस्प प्रेम कहानी, जहां पहली नजर का प्यार चुदाई और फिर शादी तक पहुंचा। जानें कैसे इन दोनों ने समाज और परिवार की रुकावटों को पार कर अपने प्यार को अंजाम दिया।
मेरी उम्र 19 साल थी, जवानी का जोश और दिल में अनगिनत ख्वाब। मेरा दोस्त रोहित, मेरा हमसफर, मेरे शहर से दूर एक कॉलेज में मेरे साथ पढ़ता था। हम दोनों हॉस्टल के एक ही कमरे में रहते, रात-रात भर बातें करते, हंसी-मजाक और सपनों की दुनिया में खो जाते। छुट्टियों में एक बार मैं उसके घर गया। हम दोनों गप्पें मार रहे थे, तभी कमरे में एक हसीन साये की आहट हुई। रोहित की बड़ी बहन स्वीटी, जो उससे दो साल बड़ी थी, चाय लेकर आई।
पहली नजर में ही मेरे दिल की धड़कनें रुक सी गईं। क्या खूबसूरती थी! मानो जन्नत की कोई हूर धरती पर उतर आई हो। उसकी आंखों में शरारत, चाल में नजाकत, और होंठों पर एक हल्की सी मुस्कान। मैं उसे देखता ही रह गया, और उसने भी मुझे गौर से देखा, जैसे हमारी नजरें आपस में कोई राज़ बांट रही हों। चाय रखकर वो चली गई, लेकिन मेरे दिल में एक तूफान छोड़ गई।
रोहित मुझे गेट तक छोड़ने आया। मैं बाइक स्टार्ट कर रहा था, तभी खिड़की से स्वीटी की एक झलक दिखी। वो मुझे देख रही थी, और मैंने उसकी ओर देखकर हल्का सा स्माइल पास किया। उसकी आंखों में भी एक चमक थी। घर पहुंचकर मैं रात भर करवटें बदलता रहा। स्वीटी के खयालों ने मुझे नींद ना लेने दी। सपनों में भी वही थी, उसकी मुस्कान, उसकी बातें, उसकी वो नशीली नजरें।
अगले दिन मैंने रोहित को फोन किया। फोन स्वीटी ने उठाया। उसकी आवाज सुनकर मेरे दिल में फिर से हलचल मच गई।
“रोहित है?” मैंने पूछा।
“वो नहा रहा है,” उसने जवाब दिया, उसकी आवाज में एक शरारत थी।
“थोड़ा बाद में फोन करता हूं,” मैंने कहा।
तभी रोहित की आवाज आई, “स्वीटी, फोन मत काटना, मैं आ रहा हूं।”
स्वीटी बोली, “दो मिनट में आ रहा है, तुम फोन होल्ड रखो।”
फिर उसने हंसते हुए पूछा, “तुम लोग हॉस्टल में पढ़ते भी हो या बस पिक्चरें देखते हो?”
मैंने मजाक में कहा, “दोनों काम बखूबी करते हैं।”
वो बोली, “तो बताओ, तुम्हारी कितनी गर्लफ्रेंड्स हैं?”
मैं कुछ बोल पाता, तभी रोहित आ गया और फोन ले लिया। उसने कहा, “यार, मुझे कम्प्यूटर लेना है। शाम चार बजे मेरे घर आ जा, हम शॉपिंग सेंटर चलेंगे।”
मुझे तो जैसे बहाना मिल गया। स्वीटी से फिर मिलने का मौका! चार बजे तक का वक्त जैसे पहाड़ सा लगा।
शाम को मैं उसके घर पहुंचा। स्वीटी फिर चाय लेकर आई। इस बार उसकी मुस्कान में कुछ और ही बात थी। वो मुझे देखकर हल्के से शरमाई, और मैं भी उसकी खूबसूरती में खो गया। हम शॉपिंग सेंटर गए, लेकिन मेरा दिल तो स्वीटी के पास ही अटका रहा।
छुट्टियां खत्म हुईं, और हम हॉस्टल वापस चले गए। कॉलेज में वीकेंड की छुट्टियों में रोहित ने पूछा, “तू इस शनिवार को घर जा रहा है?”
“हां,” मैंने कहा।
“मेरे कुछ कपड़े घर भेजने हैं, तू मेरे घर ड्रॉप कर देना,” उसने कहा।
मुझे तो जैसे स्वीटी से मिलने का गोल्डन चांस मिल गया। शनिवार को मैं घर पहुंचा और बाइक लेकर सीधे रोहित के घर गया। वहां पहुंचते ही देखा कि स्वीटी के मम्मी-पापा बाइक पर कहीं जा रहे थे। उन्होंने मुझे देखा और बोले, “विक्की, तुम? अच्छा हुआ, रोहित के कपड़े देने आए हो ना? हम रिश्तेदार के यहां जा रहे हैं। स्वीटी घर पर है, उसे दे देना और चाय पीकर जाना।”
मेरी तो जैसे लॉटरी लग गई। मैंने बेल बजाई, और स्वीटी ने दरवाजा खोला। उसकी एक झलक ने फिर से मेरे दिल को धक्का मार दिया। उसने टाइट जींस और फिटेड टॉप पहना था, जिसमें उसकी हर अदा कातिलाना लग रही थी।
“विक्की, तुम?” उसने मुस्कुराते हुए कहा।
“रोहित ने कपड़े भेजे हैं,” मैंने कहा और बैग उसे थमाया।
“आओ, बैठो। मैं चाय बनाती हूं,” वो बोली और किचन में चली गई।
मैंने सोच लिया, आज मौका है, कुछ तो करना ही है। मैं किचन में उसके पीछे गया। वो बोली, “बैठे क्यों नहीं?”
“बस, ऐसे ही,” मैंने हंसकर कहा।
उसने फिर वही शरारत भरा सवाल दोहराया, “उस दिन पूछा था, तुम्हारी गर्लफ्रेंड है? अब तो बता दो।”
मैंने झूठ बोल दिया, “कोई नहीं है।”
वो बोली, “मेरे बारे में क्या सोचते हो?”
मैंने हिम्मत जुटाई और बोल दिया, “स्वीटी, जब से तुम्हें देखा है, मैं अपने होश खो चुका हूं। तुम मेरे दिल की रानी हो। मैं तुमसे बेइंतहा मोहब्बत करता हूं। अगर तुम भी मुझे लाइक करती हो, तो प्लीज बताओ।”
वो शरमाकर नजरें झुकाते हुए बोली, “मैं तुमसे तीन साल बड़ी हूं।”
“मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता, तुम्हें क्या प्रॉब्लम है?” मैंने कहा।
वो धीरे से बोली, “विक्की, मैं भी तुम्हें लाइक करती हूं। आई लव यू।”
मेरे तो जैसे पैर जमीन पर नहीं थे। मैंने उसका हाथ पकड़ा, उसे अपनी बाहों में खींच लिया और उसके गुलाबी गालों पर एक प्यार भरा किस कर दिया। उसने भी मुझे चूमा, और फिर हम दोनों के होंठ एक-दूसरे से मिल गए। उसकी सांसों की गर्मी, उसकी नरम त्वचा, सब कुछ मुझे पागल कर रहा था। हमारी चूमाचाटी इतनी गहरी थी कि वक्त का पता ही नहीं चला।
जाने से पहले उसने कहा, “मेरे जानू, फिर कब मिलोगे?”
“जब तुम बुलाओ, मेरी जान,” मैंने कहा।
“कल मम्मी-पापा गांव जा रहे हैं। सुबह नौ बजे निकल जाएंगे, शाम छह बजे से पहले नहीं आएंगे। तुम कल सुबह आ जाना, पूरा दिन साथ बिताएंगे,” उसने शरारत से कहा।
मेरे तो जैसे सारे सपने सच होने वाले थे। अगले दिन मैंने मम्मी से बहाना बनाया, “मेरे दोस्त के घर सत्संग है, मैं वहां जा रहा हूं। शाम को लौटूंगा।” मम्मी मान गईं।
मैं साढ़े नौ बजे स्वीटी के घर पहुंचा। उसने दरवाजा खोला, और मैं उसे देखकर फिर से खो गया। उसने कसी हुई जींस और एक सेक्सी टॉप पहना था, जिसमें उसकी फिगर और भी हॉट लग रही थी। दरवाजा बंद करते ही मैंने उसे बाहों में भर लिया। उसके होंठ मेरे होंठों से टकराए, और हम दोनों एक-दूसरे में डूब गए। उसकी गर्म सांसें, उसकी नरम त्वचा, सब कुछ मुझे जन्नत का एहसास दे रहा था।
वो मुझे अपने बेडरूम में ले गई। हम बिस्तर पर बैठे, एक-दूसरे की बाहों में खोए हुए। मेरा शरीर गर्म हो रहा था, और उसकी आंखों में भी वही आग थी। मैंने उसके एक स्तन को हल्के से दबाया, तो वो हंस पड़ी। फिर मैंने उसके टॉप के ऊपर से ही उसके स्तनों को चूमना शुरू किया। वो मेरे बालों में उंगलियां फिराने लगी। धीरे-धीरे मैंने उसका टॉप उतारा, फिर ब्रा, फिर उसकी जींस और पैंटी भी। वो भी मुझे नंगा कर चुकी थी।
वो बिस्तर पर लेट गई और बोली, “आओ मेरे साजन, मुझे अपना बना लो।”
मैं उसके ऊपर था, उसके होंठ चूसते हुए मैंने अपने लिंग को उसकी योनि पर रखा। धीरे-धीरे मैंने उसे अपने अंदर समाया। उसकी सिसकारियां कमरे में गूंज रही थीं। उसका कौमार्य भंग हुआ, और वो मेरी बाहों में एक औरत बन गई। हमने प्यार की उस मस्ती में 15 मिनट बिताए। आखिर में मैंने अपना सारा प्यार उसकी योनि में उड़ेल दिया।
जब हम अलग हुए, उसने मुझे चूमते हुए कहा, “ये दिन मैं जिंदगी भर नहीं भूलूंगी।”
उसके बाद जब भी मौका मिलता, हम अपने प्यार की आग को और भड़काते। लेकिन प्यार छुपाए नहीं छुपता। धीरे-धीरे हमारे घरवालों को पता चल गया। रोहित को जब पता चला, वो आगबबूला हो गया।
“तूने मुझे धोखा दिया!” उसने गुस्से में कहा।
“मैंने धोखा नहीं दिया, रोहित। मैं तुम्हारी बहन से सच्चा प्यार करता हूं। मैं स्वीटी से शादी करना चाहता हूं। तू मेरा साथ दे,” मैंने उससे गुजारिश की।
वो बोला, “कॉलेज में तेरे कितने अफेयर हैं, कितनी लड़कियों के साथ तूने सेक्स किया होगा। फिर भी मैं अपनी बहन की शादी तुझसे क्यों करवाऊं?”
मैंने उसे कई दिन समझाया। आखिरकार वो मान गया। उसने अपने मम्मी-पापा को मनाया। हमारी बिरादरी अलग होने की वजह से थोड़ा विरोध हुआ, लेकिन आखिर में सब मान गए। 22 साल की उम्र में स्वीटी मेरी बन गई। आज हमारे दो प्यारे बच्चे हैं, और हमारा प्यार आज भी वैसा ही है, जैसा उस पहली मुलाकात में था।