हिंदी सेक्स स्टोरी

पति के छोटे लंड से तंग आकर दूधवाले से चुदाई

रीतिका गुप्ता, एक खूबसूरत, मॉडर्न दिल्ली की लड़की, अपनी जलती हुई वासना और पति के नाकारा लंड से परेशान होकर दूधवाले भैया से चुदवाने की उत्तेजक कहानी सुनाती है। मोटे, लंबे लंड से चूत और गांड की ठुकाई का ये हॉट अनुभव पढ़ें और उसकी प्यास बुझाने के लिए कमेंट करें।

हाय, मैं रीतिका गुप्ता हूँ—एक पढ़ी-लिखी, मॉडर्न, और जलती हुई औरत। मेरी शादी को अभी छह महीने ही हुए हैं, पर मेरे तन-बदन में ऐसी आग लगी है कि अब बुझाए बिना चैन नहीं। मैं गोरी हूँ, लंबी हूँ, और इतनी खूबसूरत कि जब भी मैं घर से बाहर कदम रखती हूँ, हर नजर मुझ पर ठहर जाती है। जो आगे से देखते हैं, उनकी आँखें मेरे मस्त, भरे हुए बूब्स पर अटक जाती हैं—ये टाइट, गोल, और रसीले बूब्स जो मेरे ब्लाउज में कैद होकर भी आजाद होने को तड़पते हैं। और जो पीछे से देखते हैं, उनकी निगाहें मेरे हिलते-डुलते, मस्तानी चूतड़ों पर जम जाती हैं। जब मैं चलती हूँ, तो मेरे कूल्हों की लचक ऐसी होती है कि सड़क पर खड़े मर्दों की साँसें थम जाती हैं, उनकी आँखें फटी की फटी रहती हैं। पर क्या करूँ? ये सब खूबसूरती, ये जलता हुआ जिस्म, और कोई भोगने वाला नहीं। मेरे पास सब कुछ है—रूप, जवानी, वासना—बस कमी है एक मर्द की, जो मुझे बाहों में कस ले, मेरे जिस्म को चूम ले, और मेरी प्यास को बुझा दे।

मैं थोड़ी बहकी-बहकी बातें कर रही हूँ, इसके लिए माफी चाहती हूँ। पर सच कहूँ, कितने दिन तक सती-सावित्री बनकर रहूँ? मेरा जिस्म अब जवाब दे चुका है। मेरी चूत में आग लगी है, मेरे बूब्स मर्द के हाथों की छुअन को तरस रहे हैं। मुझे चाहिए एक लंड—काला, मोटा, लंबा, ऐसा जो देर तक मेरी ठुकाई कर सके। मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता कि वो मेरी चूत मारे या गांड, मैं हर तरह से तैयार हूँ। बस चाहिए एक लंबी रेस का घोड़ा, जो थके नहीं, जो मुझे रगड़-रगड़ कर चोदे, और मेरे जिस्म की हर भूख को शांत कर दे। अगर मेरे पति जैसा निकला—दो इंच का मरा हुआ चूहा—तो उसकी गांड पर लात मारकर भगा दूँगी।

पहले मैं तुम्हें अपनी पूरी कहानी सुनाती हूँ, फिर कमेंट करना। जिसका कमेंट सबसे हॉट होगा, समझो उसकी लॉटरी लग गई—मैं खुद उससे मिलने को तैयार हूँ। मैं दिल्ली यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएट हूँ, शादी अच्छे घर में हुई है। मेरा हस्बैंड एक बिजनेसमैन है, अपना व्यापार चलाता है। पर वो मुझे टाइम नहीं देता। रात को 12 बजे घर आता है, खाना खाता है, और सोने की कोशिश करता है। मैं बिस्तर पर तड़पती रहती हूँ, अपने जिस्म को सहलाती हूँ, अपनी चूत को रगड़ती हूँ, पर वो मुझे यूँ ही जलता हुआ छोड़ देता है। कभी-कभार छुट्टी के दिन जब वो घर पर होता है, तो मैं उसे रिझाने की पूरी कोशिश करती हूँ। टाइट नाइटी पहनती हूँ, अपने बूब्स को उसके सामने हिलाती हूँ, अपनी गांड को मटकाती हूँ। कभी-कभी वो तैयार भी हो जाता है, पर क्या फायदा? वो मुझे अपनी बाहों में कस भी नहीं पाता। मैं अंगड़ाइयाँ लेती रहती हूँ, अपने होंठ काटती हूँ, पर उसकी पकड़ ढीली रहती है। और सबसे बड़ी मुसीबत? उसका लंड—मादरचोद, दो इंच का मरा हुआ टुकड़ा! सोचो जरा, दो इंच से क्या होगा? कम से कम छह इंच का तो होना चाहिए—मोटा, तगड़ा, ऐसा जो मेरी चूत को फाड़ दे। पर उसका वो छोटा सा चूहा मेरे जिस्म की आग को और भड़का देता है। मैं गुस्से में उसे धक्का मारकर बिस्तर से उतार देती हूँ, और तकिए को जकड़कर अपनी रात काट लेती हूँ।

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लेकिन मेरी जिंदगी में एक बार बहार आई थी—तीन दिन की वो बहार, जब मैंने दूधवाले भैया से चुदवाया था। वो एक नंबर का हरियाणवी जाट था—लंबा, चौड़ा, और मर्दानगी से भरा हुआ। वो रोज सुबह मेरे घर दूध देने आता था। एक दिन मेरा पति सूरत गया था काम से, और मैं घर पर अकेली थी। सुबह बेल बजी, मैं नाइटी में बाहर निकली। नाइटी पतली थी, अंदर ब्रा नहीं थी। मेरे बूब्स हिलोरे ले रहे थे, निप्पल नाइटी के ऊपर से साफ चमक रहे थे। मैंने दरवाजा खोला, वो दूधवाला भैया मुझे देखता ही रह गया। उसकी नजरें मेरी चूचियों पर अटक गईं, जैसे वो उन्हें निगल जाना चाहता हो। पहले तो मुझे गुस्सा आया—किसी औरत को ऐसे कैसे देख सकता है? पर अगले ही पल मैं शांत हो गई। मेरे दिमाग में ख्याल आया—शायद ये भी मेरे जैसा प्यासा हो।

मैंने उससे पूछा, “क्या बात है भैया, ऐसे क्यों देख रहे हो?” वो हड़बड़ा गया, “जी… जी मैडम, कुछ नहीं, कुछ नहीं…” उसकी आवाज काँप रही थी। मेरी नजर उसके पजामे पर पड़ी—उसने अंडरवियर नहीं पहना था, और उसका औजार खड़ा होकर पजामे को तंबू बना रहा था। मेरे जिस्म में बिजली दौड़ गई। मैंने सोचा—यही मौका है। पति घर पर नहीं है, क्यों न अपनी वासना को शांत कर लूँ? मैंने उसे अंदर बुलाया, “आओ, दूध अंदर रख दो।” वो अंदर आया, मैंने पूछा, “तुम्हारी शादी हुई है?” उसने कहा, “जी मैडम, हुई थी, पर पत्नी मुझे छोड़कर चली गई।” मैंने पूछा, “क्यों?” वो चुप रहा। मैंने बार-बार पूछा, तो आखिर में उसने बताया, “मैडम, वो पतली थी। कहती थी मेरा… आप समझ गईं ना… बहुत बड़ा है। दिन में तीन-चार बार करता था, वो बर्दाश्त नहीं कर पाई। पांच महीने हो गए उसे गए।”

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मैंने उसकी आँखों में देखा और कहा, “एक बात कहूँ, पर किसी को बताना नहीं।” वो बोला, “माँ कसम मैडम, किसी को नहीं बताऊँगा।” मैंने धीरे से कहा, “मैं तुमसे सेक्स करना चाहती हूँ।” इतना सुनते ही उसने दूध की डोली नीचे रख दी और बोला, “पक्का मैडम, किसी को नहीं बताऊँगा।” मेरे दिल की धड़कन बढ़ गई। मैं उसे अपने बेडरूम में ले गई। पजामे के ऊपर से ही मैंने उसका लंड पकड़ लिया—मोटा, गर्म, और सख्त। मेरी चूत गीली हो गई। मैंने उसका नाड़ा खोला, और जब उसका लंड बाहर निकला, तो मेरी साँसें थम गईं। वैसा ही था जैसा मैंने सपनों में देखा था—काला, लंबा, मोटा, और तगड़ा। मैं बिस्तर पर लेट गई, वो मेरे ऊपर चढ़ गया। उसने मेरी नाइटी उतार दी, मेरे बूब्स को आजाद कर दिया। वो उन्हें मसलने लगा, चूसने लगा, जैसे बरसों का भूखा हो। मेरे निप्पल सख्त हो गए, मेरी सिसकारियाँ निकलने लगीं।

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फिर उसने मुझे पेट के बल लेटने को कहा, “मैडम, आपकी गांड चाटना चाहता हूँ।” उसने मेरे चूतड़ों को फैलाया और अपनी जीभ से मेरी गांड को चाटने लगा। दस मिनट तक वो मेरी गांड को चूमता रहा, चाटता रहा। मेरी चूत टपकने लगी, मेरे जिस्म में आग लग गई। मैंने अपनी गांड उठाई, घुटनों के बल हो गई। वो मेरी चूत पर टूट पड़ा—उसकी जीभ मेरी चूत के अंदर तक जा रही थी। वो बोला, “मैडम, आपकी चूत तो रस से भरी है, क्या स्वाद है!” मैंने टाँगें फैलाईं, वो मेरे ऊपर आ गया। उसने अपना मोटा लंड मेरी चूत पर सेट किया, मेरे बूब्स को दोनों हाथों से जकड़ा, और एक ही झटके में पूरा लंड मेरी चूत में पेल दिया। मैं चीख पड़ी—पहली बार किसी मर्द का लंड मेरे अंदर गया था। उसका लंड मेरी चूत को फाड़ता हुआ, दहाड़ता हुआ अंदर घुस गया।

वो भद्दी-भद्दी गालियाँ देने लगा, “ले रंडी, ले साली, क्या चूत है तेरी! आज तुझे चोद-चोद कर संतुष्ट कर दूँगा। रोज तेरे बारे में सोचकर मुठ मारता था, साली, ले मेरा लंड!” वो जोर-जोर से धक्के मार रहा था, मैं तीन बार झड़ चुकी थी। मेरी चूत उसके लंड को निचोड़ रही थी, मेरे बूब्स हिल रहे थे। करीब चालीस मिनट बाद वो झड़ा, और मुझे कसकर जकड़ लिया। ऐसा लग रहा था जैसे उसकी बरसों की प्यास बुझ गई हो। मैं भी पूरी तरह संतुष्ट थी—मेरी चूत शांत थी, मेरा जिस्म ठंडा था।

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दूसरे दिन मैंने फिर उसका इंतजार किया। वो आया, और उसने मुझे फिर चोदा—इस बार मेरी गांड भी मारी। उसका मोटा लंड मेरी गांड में घुसा तो दर्द और मजा दोनों हुआ। तीसरे दिन मैं उसका इंतजार करती रही, पर वो नहीं आया। एक महीना हो गया, वो दूध देने नहीं आया। उसका पता नहीं। मैं फिर से प्यासी हूँ—मेरी चूत फिर तड़प रही है, मेरे बूब्स फिर मर्द की छुअन को तरस रहे हैं। अगर कोई मुझे संतुष्ट कर सकता है, तो नीचे कमेंट करे। मैं खुद रिप्लाई करूँगी। और हाँ, स्टार से रेट करना मत भूलना, प्लीज!