Bhabhi Sex

प्यासी भाभी निकली लंड की जुगाड़-1

पढ़िए एक सच्ची सेक्स कहानी जिसमें दिल्ली का देव भोपाल में अपनी प्यासी भाभी नताशा के साथ रोमांचक पलों में उलझ जाता है। भाभी की अधूरी ख्वाहिशें और देव का तगड़ा लंड इस कहानी को बनाते हैं बेहद कामुक। पूरी कहानी के लिए क्लिक करें!

हाय फ्रेंड्स, मेरा नाम देव है और मैं दिल्ली का रहने वाला हूँ। मेरी उम्र 27 साल है और हाइट 5 फुट 6 इंच की है। मेरा लंड नपा-तुला 6 इंच का है, जो किसी भी प्यासी चुत को शांत करने के लिए काफ़ी है।

आज जो कहानी मैं सुनाने जा रहा हूँ, वो मेरे जीवन की एक सच्ची घटना है। ये बात आज से करीब 2 साल पहले की है, जब मैं अपने चाचा के घर भोपाल, मध्यप्रदेश में एग्जाम के सिलसिले में गया था। मेरे चाचा भोपाल में रहते हैं। उनके दो लड़के हैं – बड़े भाई राम की उम्र 30 साल और छोटे भाई श्याम की उम्र 27 साल। राम और श्याम भैया दोनों एक ही कंपनी में जॉब करते हैं।

ये कहानी तब की है, जब राम भैया की शादी को 8 महीने ही हुए थे।

मैं भोपाल स्टेशन पहुँचा तो देखा कि चाचा जी मुझे लेने आए थे। मेरे आने से पहले माँ ने चाचा जी को बता दिया था कि मैं आने वाला हूँ। उन्होंने मुझे अपने घर पर रुकने के लिए कई बार कहा था, और उनकी इसी ख्वाहिश की वजह से मुझे एग्जाम तक वहीं ठहरना पड़ा।

वहाँ पहुँचते ही चाचा-चाची ने मुझे ढेर सारा प्यार दिया। साथ ही श्याम भैया, राम भैया और उनकी वाइफ यानी नताशा भाभी ने भी मुझसे बड़े प्यार से मुलाकात की।

अब जरा नताशा भाभी के बारे में बताता हूँ। भाभी की उम्र 25 साल है, हाइट 5 फुट, और उनका फिगर थोड़ा भरा हुआ है। भाभी की गांड जरा बड़ी और रसीली है, जिसे देखते ही किसी का भी लंड सलामी देने लगे। ऊपर से उनके सीने पर दो बड़े-बड़े आम लटकते हैं, जिन्हें देखकर मुँह में पानी आ जाए और बस चूसने का मन करे। शुरू में मेरे मन में भाभी को लेकर कोई गंदे ख्याल नहीं थे, लेकिन दो दिन बाद जो हुआ, उसने मेरी सोच को पूरी तरह बदल दिया।

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मुझे भैया-भाभी के साथ वाला कमरा दिया गया था, जो पहली मंजिल पर था। वहाँ एक टॉयलेट और दो कमरे थे। एक में भैया-भाभी रहते थे, और दूसरे में मुझे ठहराया गया था। इस कमरे की खास बात ये थी कि अगर दीवार से कान लगाकर सुनो, तो बगल वाले कमरे की सारी बातें साफ सुनाई देती थीं।

तीसरे दिन की बात है। खाना खाकर मैं सोने के लिए अपने कमरे में गया। तभी मुझे भाभी के कमरे से कुछ आवाजें सुनाई दीं। मैंने उत्सुकता में दीवार से कान लगाकर सुनने की कोशिश की। भाभी भैया से कह रही थीं, “तुमसे कभी कुछ होता ही नहीं। बस अपना-अपना देखते हो। मैं तो प्यासी की प्यासी रह जाती हूँ।”

ये सुनकर मैं दंग रह गया। भैया बस भाभी को चुप कराने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन भाभी थीं कि चुप होने का नाम ही नहीं ले रही थीं। थोड़ी देर बाद भाभी रोने लगीं। भैया उन्हें मनाने में जुट गए। इसी बीच मुझे कब नींद आ गई, पता ही नहीं चला।

सुबह जब मैं उठा, तो दिमाग में वही सारी बातें घूम रही थीं। मेरे लंड ने रात की बातों को याद करके जोश में आकर टाइट पोजीशन ले ली थी। मैं सोते वक्त अंडरवियर उतारकर सिर्फ एक पतला सा निक्कर पहनता हूँ, जिससे मेरा खड़ा लंड साफ उभरकर दिख रहा था।

मैं अभी इन सबके बारे में सोच ही रहा था कि तभी मुझे अपने कमरे की तरफ आती पायल की छन-छन की आवाज सुनाई दी। मैंने जल्दी से आँखें बंद कर सोने का नाटक शुरू कर दिया। हल्के से आँख खोलकर देखा तो भाभी नाश्ते की प्लेट लेकर आई थीं और मेरे फूले हुए लंड को एकटक निहार रही थीं। मेरा लंड पहले से ही कड़क होकर खड़ा था।

भाभी थोड़ा पास आईं और झुककर मेरे लंड को बड़े गौर से देखने लगीं, जैसे ऐसा मस्त माल उन्होंने पहले कभी न देखा हो। देखते-देखते भाभी का एक हाथ उनकी चुत पर चला गया और वो ऊपर से ही अपनी चुत को सहलाने लगीं। उनकी साँसें तेज हो रही थीं। थोड़ी देर बाद भाभी मुझे आवाज देकर कमरे से चली गईं।

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मैं उठा, नाश्ता किया और फिर निक्कर उतारकर तौलिया लपेटकर टॉयलेट की तरफ चल दिया। जैसे ही मैं टॉयलेट में घुसा, मेरे पैरों तले जमीन खिसक गई। वहाँ भाभी पहले से मौजूद थीं और अपनी चुत की झांटें साफ कर रही थीं। उनका सिर नीचे की तरफ था, शायद इसीलिए उन्हें मेरे आने का पता नहीं चला। दरवाजा लॉक नहीं था – शायद भूल गई थीं या जानबूझकर खुला छोड़ा था, मुझे नहीं पता।

मैंने जैसे ही दरवाजे को हल्का सा धक्का दिया, वो खुल गया। सामने जो नजारा था, उसे देखकर मेरी तो सिट्टी-पिट्टी गुम हो गई। भाभी अपनी चुत की शेविंग में इतनी मगन थीं कि मैं दो मिनट तक उनके सामने खड़ा देखता रहा, और उन्हें खबर तक नहीं हुई।

भाभी की गोरी-चिट्टी, रसीली चुत और उनका मदमस्त जिस्म देखकर मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया। तौलिया में टेंट बन गया। मन कर रहा था कि अभी भाभी को पकड़कर उनकी चुत में लंड डाल दूँ और जमकर फाड़ डालूँ।

दो मिनट बाद भाभी ने ऊपर देखा और घबराते हुए बोलीं, “तू… यहाँ…!”

वो अपने बड़े-बड़े चूचों और चुत को छुपाने की कोशिश करने लगीं, लेकिन नाकाम रहीं। मैं “सॉरी” कहते हुए आगे बढ़ा, तभी मेरा तौलिया खुलकर नीचे गिर गया। मेरा खड़ा लंड देखकर भाभी की आँखें फटी की फटी रह गईं और उनके हाथ मुँह पर चले गए। वो चुपचाप मेरे लंड को निहारती रहीं।

मैंने झट से तौलिया उठाकर लंड पर रख लिया और भाभी से माफी माँगने लगा।

मैं: “भाभी, आई एम सो सॉरी… मुझे नहीं पता था कि आप अंदर हैं।”

भाभी: “तू अंदर कैसे आ गया? क्या दरवाजा लॉक नहीं था?”

मैं: “नहीं भाभी, लॉक होता तो मैं अंदर कैसे आता?”

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भाभी: “हम्म… शायद मैं ही आज दरवाजा लॉक करना भूल गई।”

मैं: “सॉरी भाभी, जो हुआ, वो गलती से हुआ।”

भाभी: “गलती तो तेरी ही है। तेरे चक्कर में ही ये सब हुआ।”

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मैं: “मेरे चक्कर में? वो कैसे भाभी, मैं समझा नहीं?”

भाभी मेरे लंड की तरफ इशारा करते हुए बोलीं, “इसे देख, अभी भी खड़ा है। सुबह जब मैं तेरे कमरे में आई थी, तब भी ये मुझे घूर रहा था। मन कर रहा था कि इसे पकड़कर चूस लूँ। सोच रही थी कि निक्कर में इतना तगड़ा दिख रहा है, तो बिना निक्कर के कितना मस्त होगा। बस इसी चक्कर में शायद दरवाजा लॉक करना भूल गई और शेविंग करने लगी। इतने में तू आ गया और इसके दर्शन करवा दिए।”

मैं: “क्यों भाभी, भैया का इतना बड़ा नहीं है क्या?”

भाभी: “उनका लंड तो तेरे लंड का आधा है। वैसे भी तेरा लंड इतना मोटा और तगड़ा है कि जिसकी भी चुत में जाएगा, उसकी चुत फाड़कर रख देगा।”

ये कहकर भाभी हँस पड़ीं, और मैं भी उनके साथ हँसने लगा।

(कहानी अभी जारी रहेगी…)