नौकर-नौकरानी चुदाई

ऋचा की रंगीन चूत 1

Richa ki rangeen chut-1

नमस्कार, मेरा नाम अजय है।

मैं 20 साल का हूँ।

मेरी लम्बाई 5’10” है और मेरा लंड 7 इंच लम्बा और 2 इंच मोटा है।

वैसे तो मैं बचपन से मुठ मारने का शौक़ीन रहा हूँ मगर कभी किसी को चोद नहीं था।

हमेशा अपने हाथ से ही अपनी चाह पूरी करता था।

मैं 18 साल का हो चुका था और अब आग बढती जा रही थी।

मैं 12 वी कक्षा में था तब मैंने पहली बार सेक्स किया।

मेरे पास न कोई गर्लफ्रेंड थी न कोई पड़ोसन।

मैं पढाई में ज्यादा ध्यान देता था मगर दिन में 2-3 बार मुठी मार लेता था।

हमारी कामवाली बाई ने काम छोड़ दिया था तो मेरी माँ ने एक नयी कामवाली लखनऊ से बुलवाई।

उसका नाम था ऋचा।

वो घर से सारे काम करती और घर में ही सोती और रहती थी।

मैं उस पर ज्यादा ध्यान नहीं देता था।

एक बार मम्मी-पापा को काम से 3 दिन के लिए दिल्ली जाना पड़ा।

वोह ऋचा को बोल गयी की मेरा ध्यान रखे।

मैंने सोचा मम्मी-पापा घर पर नहीं है तो उस रात मैं 2 बजे तक फिल्म देखता रहा।

फिर मुझे नींद तो आई नहीं फिर भी मैं लेट गया।

सुबह चार बजे मुझे आँगन में कुछ आवाज़ आई तो मैंने खिड़की खोल कर देखा।

नीचे ऋचा पूरी नंगी खड़ी हुई पानी भर रही थी।

उसे लगा होगा कि कौन देखेगा।

मगर उस दिन से मेरा नजरिया ही बदल गया।

वो बहुत गोरी थी।

मैंने कभी ध्यान नहीं दिया।

वो नंगी खड़ी थी।

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उसका गोरा बदन कहर ढा रहा था।

उसके बूबे खरबूजे के आकर के थे।

गांड की गोलाई भी गजब करीब 40 इंच की गांड थी उसकी।

चूत एकदम गुलाबी।

उसका फिगर 36-25-40 होगा।

उसके बाल काले और कमर तक आते थे।

उसकी आँखे बड़ी-बड़ी थी और वोह जब झुकती थी तो उसकी पूरी चूत दिखती थी।

उसे देख कर मेरा लंड खड़ा हो गया और मैंने 15 मिनट तक मुठ मारी।

फिर मैं सो गया।

सुबह 11 बजे वोह मुझे उठाने आई मैंने कुछ भी नहीं पहन रखा था।

उसने मुझे थोड़ा हिलाया।

जब मैं नहीं उठा तो उसने चद्दर खिंच ली।

मुझे नंगा देख वोह भाग गयी।

मैं उठा और जल्दी से कपड़े पहने और बाहर आ गया उसने मुझे से कहा कि – तुम बहुत बेशरम हो।

कोई रात को नंगा सोता है क्या?

मैंने उससे कहा – तुम भी कुछ कम नहीं हो।

वोह, मुझसे पूछने लगी क्या हुआ?

मैंने कहा – सुबह-सुबह, आँगन में कोई नंगा नहाता है क्या?

वोह थोडा सकपकाई और फिर शर्मा कर चली गयी।

उस दिन से मेरा उसे देखने का नजरिया ही बदल गया।

वोह ब्रा और पैंटी तो पहनती नहीं थी।

सिर्फ साड़ी और सूट पहनती थी।

दो दिनों तक वोह मेरे सामने भी नहीं आई।

जब माँ वापस आ गयी तो मुझे लगा कि मैं तो गया। मगर उसने माँ को कुछ नहीं बोला।

मैं भी समझ गया।

उस दिन से मैंने रोज़ उसे छेड़ना शुरू कर दिया।

जब मैं बैठा होता और वो झाड़ू-पोछा करती तो मैं उसके बूबे घूरता रहता और दिन मैं एक-दो बार जानबूझ कर उसकी गांड पर हाथ मार देता।

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जब कभी नहा कर आता तो पूरा नंगा उसके सामने आ जाता।

वो शायद इसे पसंद करती थी इसलिए माँ को कुछ नहीं बोलती थी।

एक बार पापा बाहर गए हुए थे और माँ को काम से 3 दिन के लिए बुआ के घर जाना पड़ा।

मैं घर में अकेला बैठा था।

मैंने फुल वॉल्यूम पर पोर्न चलाई और मुठ मारने लगा।

फिर मुठ मारकर मैं चला गया मगर पोर्न चलती छोड़ दी।

थोड़ी देर मैं ऋचा आई और उसने देखा।

वोह पोर्न देखने लगी और अपने होंठ काटने लगी।

मैं पीछे से आया और उसे पकड़ लिया उसने छुड़ाने की कोशिश की मगर मेरी पकड़ मजबूत थी।

उसमें से गुलाब की महक आ रही थी।

मैंने उसे धक्का दिया और वोह मेरे बिस्तर पर जा गिरी।

उसने कहा – नहीं बाबा, ये ठीक नहीं।

मगर मैंने उसकी नहीं सुनी।

मैंने कहा – अब कुछ मत कहो।

और उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए।

उसके निप्पल कड़े हो चुके थे और उसकी चूत से पानी रिस रहा था जिस से उसकी साड़ी गीली हो रही थी और एक अजीब से महक कमरे में फ़ैल रही थी।

वोह छुड़ाने की कोशिस कर रही थी मगर मैं उसके ऊपर लेटा हुआ था।

फिर मैं एक हाथ उसकी साड़ी के ऊपर फिराना चालू किया।

उसके मुँह से आह निकली।

मैंने उसे चूमना चालू रखा और एक हाथ साड़ी के अन्दर उसकी चूत पर रख दिया।

उसकी चूत फूल कर संतरे जितनी हो गयी थी।

झांट बिलकुल नहीं थी और बिलकुल टाइट चूत थी।

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ऐसा लग रहा था जैसे कि वो आज तक नहीं चुदी थी।

कहानी जारी है ..