सविता भाभी ने कड़क लंड लिया
हेलो दोस्तों, मेरा नाम सविता साहनी है और मैं मुंबई की रहने वाली हूँ। वैसे मैं तो यहीं आमची मुंबई में ही पैदा हुई थी और पली बड़ी हूँ। लेकिन मेरे हस्बैंड गौरांग का बर्थ और परवरिश जूनागढ़ के पास एक छोटे से विलेज में हुई थी। वो एक गुजराती फॅमिली से है और उनकी काफी जमीन अभी वहाँ पर है। वो लोग जमीन पर मेंगो की खेती करते हैं। और कभी-कभी हम लोग सीजन के दौरान वहाँ पर जाते हैं और आज मेरी chut की chudai की जो बात आपको मैं बता रही हूँ, वो ऐसे ही एक टूर पर १० दिन पहले ही हुई है। इस chudai में मुझे अपनी जिन्दगी के सबसे कड़क lund से चुदवाने का मौका मिला था।
जूनागढ़ का सफर
मैंने मेरे पति को मेरी सासु और मैं यहाँ से कार से चले थे। वहाँ पर पुरानी कोठी में पुराने मुलाजिम श्याम काका ने सफाई करके सारा इंतजाम कर रखा था। श्याम काका ने ही कॉल करके मेरे हस्बैंड को बुलाया था। हुआ यूँ कि बिन मौसम की बारिश की वजह से आम की खेती में काफी नुकसान हुआ था। और काका ने कहा था, कि अगर सीजन के स्टार्टिंग में ही आम उतार ले, तो कुछ ज्यादा पैसे मिल सकते हैं। वैसे मुंबई में गौरांग का अपना ट्रेडिंग का बिज़नस है और वो पार्ट टाइम शेयर ब्रोकिंग भी करते हैं। उनका आने को मन तो नहीं था, लेकिन आम की खेती की बात सुनकर वो हमें लेकर वहाँ आ गए थे।
पहले दो दिन और तीसरी शाम
पहले दो दिन टी बाकी के सब दिनों के जैसे ही था। लेकिन तीसरे दिन की शाम को मैं एक जवान लड़के को बाहर लकड़ी चीरते हुए देखा। उसका बदन पसीने में पूरा लथपथ था और उसने केवल बड़ी लंगोटी ही पहनी हुई थी। वैसे जहाँ वो लकड़ी काट रहा था, वो हमारे मकान का पीछे का हिस्सा था। मैं वहाँ थोड़ी देर हवा खाने के लालच में चली गयी थी। गौरांग किसी से काम से राजकोट गए हुए थे और मेरी सास भी उनके साथ में ही गयी थी। श्याम काका बाज़ार गए थे, सब्जी लेने के लिए।
Raman – पहली नजर
उस लड़के को देख कर मन ही मन में एक कसक सी हुई। लंगोटी के पीछे से उभरा हुआ lund देख कर जैसे मुझे एक अजीब सा खिचाव महसूस हो रहा था। मैं नहीं चाहती थी, फिर भी मैं बार-बार अपने नज़र को उठा कर उस लड़के को घूर रही थी। जब लड़के ने मुझे नाइटी में देखा, तो उसने एक हल्की सी स्माइल दे दी। मैंने अन्दर ब्रा और पेंटी नहीं पहनी हुई थी और शायद इसे देख कर उसने हल्की सी स्माइल दी थी। वो कुछ खुश लग रहा था। मैंने भी उसे वापस से स्माइल दे दी। मुझे मुस्कुराता देख कर उसने हल्की सी दबी हुई आवाज़ में कहा – मैं श्याम काका का भतीजा हूँ और उन्होंने मुझे लकड़ी चीरने को कहा है।
मैंने कहा – ठीक है।
फिर मैंने उसको पूछा – तुम्हारा नाम क्या है?
जी मेरा नाम रमण है उसने कहा।
Sexy खिचाव
मैं उसकी लंगोटी ही देख रही थी और वो भी अपनी नज़र बचा कर बार-बार मेरी तरफ घूर रहा था। मुझे अपने कॉलेज के दिन याद आ गए। जब मैं अपने बॉयफ्रेंड राकेश का कड़क lund लेती थी। फिर गौरांग से शादी हो गयी और मस्ती वाले दिन भूल गयी थी मैं। आज इस लड़के को देख कर मेरे अन्दर की सविता भाभी जैसे जाग गयी थी। मैं मन ही मन सोच रही थी, कि कैसे इस लड़के को अपने वश में कर के उसके lund को लूँ अपनी chut में और उसका मुंह में डलवाऊँ।
जूस और Hot शुरुआत
मैं किचन में गयी और फ्रिज से जूस की बोतल निकाली। फिर मैंने दो ग्लास बनाये और किचन में ही खड़े होकर मैंने फट से ब्रश किया और फिर से बाहर आ गयी।
रमण, आओ जूस पिए। मैंने थोड़ा हॉर्नी आवाज़ में कहा।
रमण ने इधर-उधर देखा और बोला – क्या है भाभी जी?
अन्दर आओ, मैंने जूस निकाला है तुम्हारे लिए।
बाहर ही दे दीजिये भाभी जी।
नहीं अन्दर आ जाओ.. अब मैंने आवाज़ में थोड़ी और हॉर्नीनेस डालते हुए बोला।
रमण ने मेरी ओर देखा और मैं अपनी आँखों में प्यार वाले भाव दे दिए। वो मुझे ऊपर से नीचे तक देख रहा था और फिर धीरे से उसने कदम बढ़ाये किचन की ओर। ये उसका पहला कदम था मुझे अपना कड़क lund देने की दिशा में। किचन में खड़े हुए उसने जूस पीना चालू किया। मैं जूस पीते हुए उसे ही देख रही थी और वो मुझे। सच कहते हैं, कि कभी-कभी एक हजार शब्दों की बातें बिना कुछ बोले ही आँखों से हो जाती हैं। रमण का ध्यान अब नाइटी में उभरे हुए मेरे boobs की ओर ही था। और मैं उसकी लंगोटी को देखे जा रही थी। रमण का जूस ख़तम नहीं हो रहा था। शायद वो जान बूझ कर जूस पीने की सिर्फ एक्टिंग कर रहा था।
Wild मोड़
मैं जानती थी, कि उसकी हिम्मत तो अगले १० जन्म तक नहीं होगी। इसलिए मुझे ही कुछ करना पड़ेगा।
मैंने अपना ग्लास खाली करके कहा – लाओ थोड़ा जूस और दे देती हूँ।
रमण ने कहा – नहीं भाभी जी, और नहीं चाहिए।
मैंने जबरदस्ती करते हुए एक हाथ से उसका हाथ पकड़ा और कहा – इतनी मेहनत करते हो। कुछ खा पी लिया करो।
और मैंने जानबूझ कर उसके हाथ को अपने boobs की ओर खींचा। मैं जानती थी, कि मेरे मुलायम boobs का स्पर्श होते ही उसका ढीला पड़ा हुआ lund भी कड़क होने लगा था। मैंने boobs के ऊपर उसके हाथ रख दिए और वहीँ रखे रहने दिया और ग्लास में जूस उड़ेलने लगी। रमण ने भी अपने हाथ पीछे नहीं लिए। वो और हैरानी से देख रहा था।
Sexy बातें और हवस
मैंने कहा – शादी मनाई है या नहीं?
रमण ने कहा – नहीं भाभी जी, अभी नहीं…
तो फिर कब मनानी है?
बस कोई अच्छी सी लड़की मिल जाए, तो कर लेंगे।
मैंने बनावटी हंसी के साथ कहा – कैसी लड़की चाहिए?
बस आप जैसे.. उसने कहा।
ये सुनकर मैंने अपना हाथ उसकी छाती पर मारा और कहा – हटो पागल, मेरी जैसे से कौन शादी करेगा?
रमण के स्वर में अब थोड़ी हड़बड़ी थी और उसने कहा – सच में आप जैसी मिले तो, जिन्दगी आराम से कट सकती है। उसने अपने हाथ अभी भी मेरे boobs पर रखे हुए थे और वो उनको हटाने की कोशिश भी नहीं कर रहा था। मुझे लग रहा था, कि अब वो मेरे वश में आने लगा है और मैं उसको जो चाहूँ, वो अब करवा सकती हूँ।
Chudai की ओर कदम
ये कह कर वो मेरे boobs को ही देख रहा था। मेरा हाथ उसकी लंगोटी पर जा पहुंचा और उसका कपड़ा lund मेरी उंगलियों के पीछे के हिस्से को छू गया। रमण ने मेरी ओर देखा और वो अपना फेस मेरे करीब ले आया। मैंने उसके कड़क lund को अपनी मुठी में बंद कर दिया और रमण की साँसें उखड़ने लगी। रमण के मुंह से जोर-जोर से सिस्कारियाँ निकलने लगी थी अहहाह अहः अहः और मैं बड़े ही बेदर्दी की तरह उसके lund को अपने हाथों में पकड़ कर अपनी मुठी में भींच रही थी और दबा रही थी।
अहः अहहः भाभी जी ये क्या कर रही हो?
ये इतना कड़क क्यों हो गया है.. रमण…
मैंने ऐसे कहा, जैसे मैं उसकी बीवी हूँ और वो मेरा हस्बैंड।
रमण ने मेरे boobs पर हाथ रखने से पहले कहा – आप को देख कर सुबह से ही ऐसी हालत है इसकी।
मैं हंस पड़ी और उसका हाथ मेरे तन पर घूमने लगा। मेरे boobs बड़े ही मुलायम लगे होंगे। क्योंकि मेरी नाइटी का मटेरियल ही ऐसा था। रमण की नज़र में अब वासना का सैलाब उमड़ पड़ा और दूसरे उसने मेरी कमर को पकड़ कर अपनी ओर खींच लिया। मेरे बड़े boobs उसकी छाती से चिपक उठे। मुझे बड़ा अच्छा लगा, जब उसने मेरी gand के ऊपर अपना हाथ फेरा और उसे सहला दिया। मेरी मुठी में अभी भी उसका कड़क lund था।
Wild हवस का चरम
अब मुझसे बिलकुल भी नहीं रुका जा रहा था और मेरे अन्दर की बैचेनी और हवस मेरे सिर पर चढ़ चुकी थी। मुझे नहीं पता चल रहा था, कि मैं क्या कर रही हूँ। मुझे तो बस अब रमण का कड़क lund चाहिए था अपनी chut के अन्दर और अपने मुंह के अन्दर। मैं चाहती थी, कि वो अपने lund का पानी मेरे मुंह में छोड़ दे और मैं अपनी chut का पानी उसके lund से अपनी chut की ठुकाई करवाते हुए। मेरी साँसें बहुत तेज हो चुकी थी अहहाह अहहाह अहहाह अहहाह बस रमण… अब बर्दाश्त नहीं हो रहा है। अहहाह अहहः अहहाह हहहः कुछ तो करो… जल्दी करो… अहहाह अहहाह ऊओहोहोहोह।
रमण ने अब जरा भी देर नहीं की और मेरी नाइटी की डोरी को खींच दिया। मेरी नाइटी एक ही झटके में जमीन पर थी और मेरी हॉट chut उसके सामने थी। रमण chut को ऐसे देख रहा था, जैसे वहाँ पर कोई डायनासोर का अंडा दिख गया हो। उसने धीरे से अपना हाथ बढ़ाया और मेरी chut को टच करने लगा। मेरे मुंह से सिस्कारियाँ निकल पड़ी। मेरा मन तो कर रहा था, कि उसके कड़क lund को अपने मुंह में भर लूँ और मस्ती में उसे चूसने लगूँ।
अगला भाग
दोस्तों, अभी इतना है। कहानी के अगले भाग में सविता भाभी की पूरी chudai की कहानी पढ़ना…