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सेक्सी आंटी की पुरानी प्यास बुझाई

पढ़ें रोनक और सुषमा आंटी की रोमांचक सेक्स कहानी, जहाँ बारिश भरे दिन में शुरू हुई दोस्ती जुनून की आग में बदल गई। इस हॉट हिंदी कहानी में जानें कैसे रोनक ने सुषमा आंटी की सालों पुरानी प्यास बुझाई।

हैलो, मेरे प्यारे दोस्तों! मेरा नाम रोनक है, मैं मुंबई का 25 साल का जवान लड़का हूँ, और आज मैं आपके सामने एक ऐसी सच्ची और आग उगलती सेक्स कहानी लेकर आया हूँ, जो आपके दिल की धड़कनों को तेज़ कर देगी। मुंबई की सभी खूबसूरत आंटियों और भाभियों को मेरा प्यार भरा, शरारती नमस्कार! बचपन से ही मुझे कामुक कहानियों का शौक रहा है। इन कहानियों को पढ़कर मैंने ना सिर्फ अपने मन को तृप्त किया, बल्कि प्यार और जुनून की कला को भी गहराई से समझा। इन कहानियों ने मुझे वो अनुभव दिया, जो आज मैं आपके साथ बांटने जा रहा हूँ। मुझे यकीन है कि मेरी यह कहानी आपके दिल को छू लेगी और आपकी रातों को और रंगीन बना देगी।

तो चलिए, अब मैं आपको उस बारिश भरे दिन की कहानी सुनाता हूँ, जो आज से करीब तीन महीने पहले की है। मानसून का मौसम था, जब मुंबई की सड़कें बारिश से भीग रही थीं और हवाओं में एक अजीब सी मादकता थी। मेरे पड़ोस में एक नया किरायेदार आया था—सुषमा आंटी, एक 45 साल की विधवा, और उनकी 9 साल की बेटी। सुषमा आंटी की खूबसूरती ऐसी थी कि उसे देखकर कोई भी मंत्रमुग्ध हो जाए। उनकी आँखों में एक गहरी तड़प थी, उनके होंठों पर एक रहस्यमयी मुस्कान, और उनका बदन… उफ्फ! 40-36-40 का उनका फिगर किसी को भी दीवाना बना दे। उनके भरे-पूरे उरोज और कूल्हों की गोलाई को देखकर मेरे मन में बार-बार एक ही ख्याल आता—क्या यह औरत सिर्फ देखने के लिए बनी है, या इसके पीछे कोई अनकही आग भी छिपी है?

कुछ ही दिनों में मेरी और सुषमा आंटी की अच्छी दोस्ती हो गई। वो कभी-कभी मेरे घर कुछ मांगने आ जातीं, और मैं भी बहाने बनाकर उनके घर चला जाता। उनकी बेटी सुबह स्कूल जाती, दोपहर को ट्यूशन, और शाम को लौटती। इस तरह सुषमा आंटी दिन का ज्यादातर वक्त अकेली रहती थीं। उनकी अकेली जिंदगी को देखकर मेरे मन में एक अजीब सी हलचल होती। क्या वो भी मेरी तरह किसी गहरी चाहत को दबाए हुए थीं?

एक दिन की बात है, जब आंटी की बेटी अपनी नानी के घर चार दिन के लिए चली गई थी। उसी वक्त मेरे घरवाले भी गांव गए हुए थे, और मैं घर पर अकेला था। उस दिन मैं घर की सफाई कर रहा था, तभी मेरा पैर फिसला और मैं नीचे गिर गया। मेरे कूल्हों और जांघों के बीच में मोच आ गई। दर्द से कराहते हुए मैं रसोई के एक कोने में बैठ गया। तभी सुषमा आंटी मेरे घर आईं और उनकी मधुर आवाज गूंजी, “रोनक, तुम कहाँ हो?”

“आंटी, मैं रसोई में हूँ,” मैंने दर्द भरी आवाज में जवाब दिया। मेरी आवाज सुनते ही वो भागकर रसोई में आईं और मुझे उस हालत में देखकर चिंतित हो गईं। “अरे, ये क्या हुआ?” उन्होंने पूछा। मैंने बताया कि सफाई करते वक्त मेरा पैर फिसल गया और अब मुझे मोच की वजह से बहुत दर्द हो रहा है।

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आंटी ने मेरी बात सुनी और तुरंत अपने घर से दर्द निवारक तेल ले आईं। मेरे पास बैठते हुए उन्होंने कहा, “रोनक, चलो, मैं तुम्हें इस तेल से मालिश कर देती हूँ। इससे तुम्हारा दर्द जल्दी ठीक हो जाएगा।” मैंने कहा, “आंटी, दर्द की वजह से मैं उठ भी नहीं पा रहा। आपको ही मुझे सहारा देकर मेरे कमरे तक ले जाना होगा।”

आंटी ने मुस्कुराते हुए कहा, “ठीक है, चलो, थोड़ा कोशिश करो, मैं तुम्हें सहारा देती हूँ।” वो मेरे पास आईं, उनका मुलायम बदन मेरे बदन से सट गया। उनकी बाहों का स्पर्श ऐसा था, मानो बिजली सी दौड़ गई। मेरे पूरे शरीर में एक सिहरन सी उठी। उन्होंने मुझे सहारा देकर मेरे बेडरूम तक ले गईं और बिस्तर पर लिटा दिया।

“बताओ, चोट कहाँ लगी है?” उन्होंने पूछा। मैंने शरमाते हुए कहा, “आंटी, मोच मेरे कूल्हों और जांघों के बीच में है।” मेरी बात सुनते ही उन्होंने बिना हिचक कहा, “चलो, अपनी पैंट उतारो, मैं तेल गर्म करके तुम्हारी मालिश करती हूँ।” मैंने शर्म से कहा, “नहीं आंटी, मैं खुद कर लूंगा। मुझे आपके सामने पैंट उतारने में शर्म आ रही है।”

आंटी ने हंसते हुए कहा, “अरे रोनक, तुम मुझे अपना दोस्त मानते हो ना? दोस्त से कैसी शरम? चलो, जल्दी से पैंट उतारो।” उनकी बातों में एक शरारत थी, जो मेरे दिल को और तेज़ी से धड़काने लगी। मैं अभी भी हिचक रहा था, तभी आंटी ने खुद ही मेरी पैंट का हुक खोला और उसे नीचे खींच दिया। अब मैं सिर्फ अंडरवियर में उनके सामने था। मेरी शर्म से गाल लाल हो गए।

आंटी ने ठहाका लगाते हुए कहा, “रोनक, तुम तो किसी लड़की की तरह शरमा रहे हो!” फिर वो तेल गर्म करने चली गईं। लौटकर उन्होंने कहा, “चलो, अब उल्टा लेट जाओ।” मैं उनकी बात मानकर उल्टा लेट गया। आंटी ने अपने नरम, मुलायम हाथों से मेरे कूल्हों पर मालिश शुरू की। उनका स्पर्श ऐसा था, मानो मेरे बदन में आग सी लग रही हो। धीरे-धीरे उनके हाथ मेरे पूरे बदन पर घूमने लगे। मैं महसूस कर सकता था कि वो सिर्फ मालिश नहीं कर रही थीं, बल्कि मेरे बदन को सहला रही थीं।

उन्होंने शरारती अंदाज में पूछा, “क्यों रोनक, मजा आ रहा है ना?” मैंने हल्की सी मुस्कान के साथ कहा, “हाँ आंटी, बहुत आराम मिल रहा है।” लेकिन सच तो ये था कि मेरा लंड अब पूरी तरह तन चुका था। मैं जोश में डूब रहा था, और मन ही मन सोच रहा था कि काश मैं आंटी को अभी पकड़कर उनके रसीले होंठों को चूम लूं। लेकिन हिम्मत नहीं हो रही थी।

मालिश खत्म करने के बाद आंटी ने कहा, “चलो रोनक, मैं अब जाती हूँ। शाम को खाना लेकर आऊंगी और एक बार फिर मालिश कर दूंगी।” मैंने उन्हें रोकने की कोशिश नहीं की, लेकिन मेरे मन में एक आग सुलग रही थी।

शाम को करीब 8 बजे आंटी खाना लेकर आईं। उस वक्त उन्होंने काली जालीदार साड़ी पहनी थी, जिसमें वो किसी अप्सरा से कम नहीं लग रही थीं। उनकी साड़ी का पल्लू बार-बार सरक रहा था, और उनके गहरे क्लीवेज का नजारा मेरे होश उड़ा रहा था। मैंने बेकाबू होकर कहा, “आंटी, आज आप बहुत सेक्सी लग रही हैं।”

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आंटी ने मुस्कुराते हुए कहा, “चल हट, नटखट कहीं का!” लेकिन उनकी आँखों में एक चमक थी, जो मुझे और उकसा रही थी। हमने साथ में खाना खाया, और इस दौरान मैं बार-बार उनके उभारों को देख रहा था। तभी आंटी ने मुझे पकड़ लिया, “क्या घूर-घूरकर देख रहे हो, रोनक?”

मैंने घबराते हुए कहा, “कुछ नहीं, आंटी!” लेकिन मेरे दिल की धड़कनें बेकाबू हो रही थीं। खाना खत्म होने के बाद आंटी ने कहा, “चलो, मैं अब जाती हूँ। सुबह आऊंगी।”

मैंने हिम्मत जुटाकर कहा, “आंटी, प्लीज आज रुक जाइए। रात को मुझे कुछ चाहिए होगा, तो मैं अकेला क्या करूंगा?” आंटी ने थोड़ा सोचा और बोलीं, “ठीक है, अगर तुम कहते हो, तो मैं रुक जाती हूँ। लेकिन मैं सोऊंगी कहाँ?”

मैंने मुस्कुराते हुए कहा, “मेरे बेडरूम में।” उन्होंने पूछा, “और तुम?” मैंने जवाब दिया, “वहीं, आंटी। बेड पर दो लोग आराम से सो सकते हैं।” मेरी बात सुनकर आंटी ने शरारती अंदाज में कहा, “अच्छा, ठीक है, रोनक!”

बेडरूम में जाते ही आंटी ने अपनी साड़ी उतार दी। अब वो सिर्फ ब्लाउज और पेटीकोट में थीं। उनके उभार ब्लाउज से बाहर निकलने को बेताब थे। मैं उन्हें देखकर मंत्रमुग्ध हो गया। मेरे मन में एक ही ख्याल था—आज मैं सुषमा आंटी को बिना चखे नहीं छोड़ूंगा।

मैंने उनसे पूछा, “आंटी, अंकल के जाने के बाद आपने दूसरी शादी क्यों नहीं की?” उन्होंने हंसते हुए कहा, “क्योंकि मुझे तुम जैसा जवान और प्यारा लड़का अब तक मिला ही नहीं।” मैंने शरमाते हुए कहा, “आंटी, आप मजाक कर रही हैं।”

उन्होंने गंभीर होकर कहा, “नहीं रोनक, मैं सच कह रही हूँ। और हाँ, मुझे आंटी मत बुलाओ। मुझे सुषमा कहो।” मैंने हंसते हुए कहा, “ठीक है, सुषमा।”

फिर उन्होंने कहा, “चलो, अब पैंट उतारो, मैं तुम्हारी मालिश करती हूँ।” मैंने उनकी बात मान ली, और वो मेरे पास बैठकर मालिश करने लगीं। इस बार उनकी हरकतें और शरारती थीं। उनके हाथ मेरी अंडरवियर के अंदर तक जा रहे थे। मैं समझ गया कि सुषमा अब पूरी तरह मूड में हैं।

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उन्होंने कहा, “रोनक, अब ये अंडरवियर भी उतार दो। मैं अच्छे से मालिश करती हूँ।” मैंने उनकी बात मान ली, और अब मैं उनके सामने पूरी तरह नंगा था। उनके हाथ मेरे कूल्हों से लेकर मेरे गुप्तांगों तक घूम रहे थे। मेरा लंड अब पूरी तरह तन चुका था। तभी सुषमा ने मुझे सीधा किया और मेरे तने हुए लंड को देखकर चौंक गईं। “ये क्या है, रोनक?” उन्होंने शरारती अंदाज में पूछा।

मैंने हंसते हुए कहा, “ये मेरा लंड है, सुषमा। आपकी वजह से खड़ा हो गया।” मेरी बात सुनकर वो हंस पड़ीं, लेकिन उनकी आँखों में एक आग साफ दिख रही थी।

तभी मैंने हिम्मत जुटाई और उन्हें अपनी बाहों में खींच लिया। मैंने उनके रसीले होंठों को चूमना शुरू कर दिया। पहले तो उन्होंने थोड़ा विरोध किया, लेकिन जल्द ही वो मेरे जुनून में डूब गईं। मैंने उनके ब्लाउज और पेटीकोट को उतार दिया। अब वो सिर्फ ब्रा और पैंटी में थीं। मैंने उनकी ब्रा खोली, और उनके भरे-पूरे, कड़क उरोज मेरे सामने थे। उनके गुलाबी निप्पल देखकर मेरे होश उड़ गए। मैंने उनके उरोजों को अपने होंठों से चूसना शुरू किया। सुषमा के मुंह से सिसकारियां निकल रही थीं—आह्ह्ह… उफ्फ्फ… रोनक!

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वो अब पूरी तरह मेरे काबू में थीं। कुछ देर बाद उन्होंने खुद अपनी पैंटी उतार दी और कहा, “रोनक डार्लिंग, प्लीज, मेरी चूत को चाटो।” उनकी बात सुनकर मैंने उनकी रसीली चूत को अपनी जीभ से चाटना शुरू किया। उसका स्वाद मेरे होश उड़ा रहा था। मैं करीब 15 मिनट तक उनकी चूत को चूसता रहा। फिर मैंने अपना लंड उनके मुंह में दे दिया। सुषमा उसे किसी भूखी शेरनी की तरह चूसने लगीं।

20 मिनट तक वो मेरा लंड चूसती रहीं, फिर बोलीं, “रोनक, अब और मत तड़पाओ। अपना लंड मेरी चूत में डाल दो। मुझे अब बर्दाश्त नहीं हो रहा।” उनकी बात सुनकर मैंने जोश में आकर अपना लंड उनकी चूत में एक ज़ोरदार धक्के के साथ घुसा दिया। मैं उन्हें ज़ोर-ज़ोर से चोदने लगा। सुषमा भी नीचे से अपने कूल्हों को उछाल-उछालकर मेरा साथ दे रही थीं।

उनके मुंह से सेक्सी सिसकारियां निकल रही थीं—आह्ह्ह… उह्ह्ह… और ज़ोर से, रोनक! मैंने उनकी जीभ को अपने मुंह में लेकर चूसना शुरू किया। हम दोनों जुनून की आग में जल रहे थे। सुषमा चिल्ला रही थीं, “हाँ रोनक, और ज़ोर से चोदो! मेरी चूत का रस निकाल दो!”

मैं अपनी पूरी ताकत लगाकर उन्हें चोद रहा था। तभी सुषमा ने कहा, “रोनक, मैं झड़ने वाली हूँ!” मैंने जवाब दिया, “हाँ सुषमा, मैं भी!” और फिर हम दोनों एक साथ झड़ गए। मैं उनके ऊपर ही लेटा रहा, उनके होंठों को चूसता रहा।

कुछ देर बाद सुषमा ने कहा, “रोनक, तुमने आज मेरी सालों पुरानी प्यास बुझा दी। मैं इस चुदाई के लिए कितना तरस रही थी। तुमने मेरी आग को शांत कर दिया।” अगले तीन दिन हमने जमकर चुदाई की। सुबह, शाम, जब मन किया, मैंने सुषमा को चोदा, और वो हर बार मेरे साथ मजे लेती रहीं।

अब जब भी मन करता है, मैं उनके घर जाता हूँ और उनकी चूत की आग को शांत करता हूँ। कभी-कभी वो मुझे होटल ले जाती हैं, जहाँ हम तरह-तरह से चुदाई का मजा लेते हैं। सुषमा की भूख और मेरी तड़प का ये सिलसिला आज भी जारी है।