माँ की चुदाई

सेक्सी धोबन और उसका बेटा-5

Sexy Dhoban Aur Uska Beta-5


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मुझे देखते ही बोली “चल जल्दी से तैयार हो जा मैं खाना बना लेती हू फिर जल्दी से नदी पर निकाल जाएँगे, तेरे बापू को भी आज शहर जाना है बीज लाने, मैं उसको भी उठा देती हू”. थोरी देर में जब मैं वापस आया तो देखा की बापू भी उठ चुका था और वो बाथरूम जाने की तैयारी में था. सुबह सूरज की पहली किरण के साथ जब मेरी नींद खुली तो देखा एक तरफ बापू अभी भी लुढ़का हुआ है और माँ शायद पहले ही उठ कर जा चुकी थी . मैं भी जल्दी से नीचे पहुचा तो देखा की माँ बाथरूम से आ के हॅंडपंप पर अपने हाथ पैर धो रही थी.

क्या कर सकता था, वो तो तुम्हारा पेटिकोट नीचे गिर गया

तभी मुझे नंगा दिख गया नही तो मैं कैसे देख पाता,”

“वो तो मैं समझ गई, पर उस वक़्त तुझे देख के मुझे ऐसा लगा जैसे की तू मुझे घूर रहा है……………..इसिलिये पुछा”

” मा ऐसा नही है, मैने तुम्हे बताया ना, तुम्हे बस ऐसा लगा होगा, ”

“इसका मतलब तुझे अच्छा नही लगा था ना”

” मा छोरो “, मैं हाथ छुडाते हुए अपने चेहरे को छूपाते हुए बोला”

मा ने मेरा हाथ नही छोड़ा और बोली “सच सच बोल शरमाता क्यों है”

मेरे मुँह से निकाल गया “हा अच्छा लगा था”,

इस पर मा ने मेरे हाथ को पकड़ के सीधे अपनी छाती पर रख दिया, और बोली “फिर से देखेगा मा को नंगा, बोल देखेगा?”

मेरी मुँह से आवाज़ नही निकाल पा रहा था मैने बड़ी मुश्किल से अपने अपने हाथो को उसके नुकीले गुदज छातियों पर स्थिर रख पा रहा था. ऐसे में मैं भला क्या जवाब देता? मेरे मुँह से एक क्रहने की सी आवाज़ निकली. माँ ने मेरी ठोडी पकड़ कर फिर से मेरे मुँह को उपर उठाया और बोली “क्या हुआ बोल ना शरमाता
क्यों है, जो बोलना है बोल” .

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मैं कुछ ना बोला .

ठोड़ी देर तक उसके चुचियों पर ब्लाउज के उपर से ही हल्का सा मैने हाथ फेरा. फिर मैने हाथ खीच लिया. माँ कुछ नही बोली गौर से मुझे देखती रही फिर पता ना क्या सोच कर वो बोली “ठीक मैं सोती हू यही पर बरी अच्छी हवा चल रही है, तू कपड़ों को देखते रहना और जो सुख जाए उन्हे उठा लेना, ठीक है” और फिर मुँह घुमा कर एक तरफ सो गई. मैं भी चुप चाप वही आँख खोले लेटा रहा. माँ की चुचियाँ धीरे धीरे उपर नीचे हो रही थी. उसने अपना एक हाथ मोड़ कर अपने आँखो पर रखा हुआ था और दूसरा हाथ अपने बगल में रख कर सो रही थी. मैं चुपचाप उसे सोता हुआ देखता रहा, ठोड़ी देर में उसकी उठती गिरती चुचियों का जादू मेरे उपर चल गया और मेरा लंड खडा होने लगा. मेरा दिल कर रहा था की काश मैं फिर से उन चुचियों को एक बार छू लू. मैने अपने आप को गालिया भी निकाली, क्या उल्लू का पट्ठा हूँ . मैं भी जो चीज़ आराम से छुने को मिल रही थी तो उसे छूने की बजाए मैं हाथ हटा लिया. पर अब क्या हो सकता था.

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मैं चुप चाप वैसे ही बैठा रहा. कुछ सोच भी नही पा रहा था. फिर मैने सोचा की जब उस वक़्त मा ने खुद मेरा हाथ अपनी चुचियों पर रखा दिया था तो फिर अगर मैं खुद अपने मन से रखू तो शायद डाटेंगी नही, और फिर अगर डाटेंगी तो बोल दूँगा तुम्ही ने तो मेरा हाथ उस वक़्त पाकर कर रखा था, तो अब मैं अपने आप से रख दिया. सोचा शायद तुम बुरा नही मनोगी. यही सब सोच कर मैने अपने हाथो को धीरे से उसकी चुचियों पर ले जा के रख दिया, और हल्के हल्के सहलाने लगा. मुझे ग़ज़ब का मज़ा आ रहा था मैने हल्के से उसकी साड़ी को पूरी तरह से उसके ब्लाउज पर से हटा दिया और फिर उसकी चुचियों को दबाया. वाह ! इतना ग़ज़ब का मज़ा आया की बता नही सकता, एकदम गुदाज़ और सख़्त चुचियाँ थी मा की इस उमर में भी मेरा तो लंड खड़ा हो गया, और मैने अपने एक हाथ को चुचियों पर रखे हुए दूसरे हाथ से अपने लंड को मसल्ने लगा. जैसे जैसे मेरी बेताबी बढ़ रही थी वैसे वैसी मेरे हाथ दोनो जगहो पर तेज़ी के साथ चल रहे थे. मुझे लगता है की मैने मा की चुचियों को कुछ ज़्यादा ही ज़ोर से दबा दिया था, शायद इसीलिए मा की आँख खुल गई. और वो एकदम से हडबडाते हुए उठ गई और अपने आँचल को संभालते हुए अपनी चुचियों को ढक लिया और फिर, मेरी तरफ देखती हुई बोली, “हाय, क्या कर रहा था तू, हाय मेरी तो आँख लग गई थी?”

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मेरा एक हाथ अभी भी मेरे लंड पर था, और मेरे चेहरे का रंग उड़ गया था. मा ने मुझे गौर से एक पल के लिए देखा और सारा माजरा समझ गई और फिर अपने चेहरे पर हल्की सी मुस्कराहट बिखेरते हुए बोली “हाय, देखो तो सही क्या सही काम कर रहा था ये? लड़का , मेरा भी मसल रहा था और उधर अपना भी मसल रहा था”.

वो अब एक दम से मेरे नज़दीक आ गई थी और उसकी गरम साँसे मेरे चेहरे पर महसूस हो रही थी. वो एक पल के लिए ऐसे ही मुझे देखती रही फिर मेरे ठोडी पकड़ कर मुझे उपर उठाते हुए हल्के से मुस्कुराते हुए धीरे से बोली “क्यों रे बदमाश क्या कर रहा था, बोल ना क्या कर रहा था अपनी मा के साथ” फिर मेरे फूले फूले गाल पाकर कर हल्के से मसल दिया.

मेरे मुँह से तो आवाज़ नही निकाल रही थी, फिर उसने हल्के से अपना एक हाथ मेरे जाँघो पर रखा और मेरे लंड को सहलाते हुए बोली “है, कैसे खड़ा कर रखा है मुए ने” फिर सीधा पाजामा के उपर से मेरे खड़े लंड जो की मा के जागने से थोडा ढीला हो गया था पर अब उसके हाथो स्पर्श पा के फिर से खड़ा होने लगा था पर उसने अपने हाथ रख दिया.

उई मा, कैसे खड़ा कर रखा है, क्या कर रहा था रे, हाथ से मसल रहा था क्या, है, बेटा और मेरी इसको भी मसल रहा था, तू तो अब लगता है जवान हो गया है.

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कहानी जारी है……