माँ की चुदाई

सेक्सी धोबन और उसका बेटा-4

Sexy Dhoban Aur Uska Beta-4

मैं भी अपने काम में लग गया और सारे कपड़ों के गट्ठर बना के तैयार कर दिया. थोरी देर में हम सब लोग तैयार हो गये. घर को ताला लगाने के बाद बापू बस पकड़ने के लिए चल दिया और हम दोनो नदी की ओर. मैने मा से पुछा की बापू कब तक आएँगे तो वो बोली “क्या पता कब आएगा मुझे तो बोला है की कल आ जाउंगा पर कोई भरोसा है तेरे बापू का, चार दिन भी लगा देगा, “.

हम लोग नदी पर पहुच गये और फिर अपने काम में लग गये, कपड़ों की सफाई के बाद मैने उन्हें एक तरफ सूखने के लिए डाल दिया और फिर हम दोनो ने नहाने की तैयारी शुरू कर दी. माँ ने भी अपनी साड़ी उतार के पहले उसको साफ किया फिर हर बार की तरह अपने पेटिकोट को उपर चढ़ा के अपनी ब्लाउज निकाली फिर उसको साफ किया और फिर अपने बदन को रगड़ रगड़ के नहाने लगी. मैं भी बगल में बैठा उसको निहारते हुए नहाता रहा बेखयाली में एक दो बार तो मेरी लूँगी भी मेरे बदन पर से हट गई थी पर अब तो ये बहुत बार हो चुका था. इसलिए मैने इस पर कोई ध्यान नही दिया, हर बार की तरह मा ने भी अपने हाथो को पेटिकोट के अंदर डाल के खूब रगड़ रगड़ के नहाना चालू रखा.

थोरी देर बाद मैं नदी में उतर गया. माँ ने भी नदी में उतर के एक दो डुबकिया लगाई और फिर हम दोनो बाहर आ गये. मैने अपने कपडे चेंज कर लिए और पाजामा और कुर्ता पहन लिया. माँ ने भी पहले अपने बदन को टॉवेल से सूखाया फिर अपने पेटिकोट के डोर को जिसको की वो छाती पर बाँध के रखती थी उपर से खोल लिया और अपने दांतों से पेटिकोट को पकड़ लिया, ये उसका हमेशा का काम था, मैं उसको पत्थर पर बैठ के एक तक देखे जा रहा था. इस प्रकार उसके दोनो हाथ फ्री हो गये थे अब उसने ब्लाउज को पहन ने के लिए पहले उसने अपना बाया हाथ उसमे घुसाया फिर जैसे ही वो अपना दाहिना हाथ ब्लाउज में घुसाने जा रही थी की पता नही क्या हुआ उसके दांतों से उसकी पेटिकोट छुट गई.

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और सीधे सरसरते हुए नीचे गिर गई. और उसका पूरा का पूरा नंगा बदन एक पल के लिए मेरी आँखो के सामने दिखने लगा. उसके बड़ी बड़ी चुचिया जिन्हे मैने अब तक कपड़ों के उपर से ही देखा था और उसके भारी बाहरी चूतर और उसकी मोटी मोटी जांघे और झाट के बाल सब एक पल के लिए मेरी आँखो के सामने नंगे हो गये. पेटिकोट के नीचे गिरते ही उसके साथ ही माँ भी तेज़ी के साथ नीचे बैठ गई. मैं आँखे फाड़ फाड़ फर के देखते हुए वही पर खड़ा रह गया. मा नीचे बैठ कर अपने पेटिकोट को फिर से समेटती हुई बोली ” ध्यान ही नही रहा मैं तुझे कुछ बोलना चाहती थी और ये पेटिकोट दांतों से छुट गया” .

मैं कुछ नही बोला. मा फिर से खडी हो गई और अपने ब्लाउज को पहनने लगी. फिर उसने अपने पेटिकोट को नीचे किया और बाँध लिया. फिर साड़ी पहन कर वो वही बैठ के अपने भीगे पेटिकोट को साफ कर के तैयार हो गई. फिर हम दोनो खाना खाने लगे. खाना खाने के बाद हम वही पेड़ की छावं में बैठ कर आराम करने लगे. जगह सुनसान थी . ठंडी हवा बह रही थी. मैं पेड़ के नीचे लेटे हुए माँ की तरफ घुमा तो वो भी मेरी तरफ घूमी. इस वक़्त उसके चेहरे पर एक हल्की सी मुस्कराहट पसरी हुई थी.

मैने पुछा “माँ क्यों हंस रही हो”,

तो वो बोली “क्या करू, अब हसने पर भी कोई रोक है क्या”?

“नही मैं तो ऐसे ही पूछ रहा था, नही बताना है तो मत बताओ”

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मा बोली – “अर्रे इतनी अच्छी ठंडी हवा बह रही है चेहरे पर तो मुस्कान आएगी ही . यहा पेड़ की छावं में कितना अच्छा लग रहा है, ठंडी ठंडी हवा चल रही है, और आज तो मैने पूरा हवा खाया है”

“पूरा हवा खाया है, वो कैसे”

“मैं पूरी नंगी जो हो गई थी, फिर बोली ही, तुझे मुझे ऐसे नही देखना चाहिए था,

“क्यों नही देखना चाहिए था”

“अर्रे बेवकूफ़, इतना भी नही समझता एक मा को उसके बेटे के सामने नंगा नही होना चाहिए था”

“कहा नंगी हुई थी तुम बस एक सेकेंड के लिए तो तुम्हारा पेटिकोट नीचे गिर गया था” (हालाँकि वही एक सेकेंड मुझे एक घंटे के बराबर लग रहा था).

“हा फिर भी मुझे नंगा नही होना चाहिए था, कोई जानेगा तो क्या कहेगा की मैं अपने बेटे के सामने नंगी हो गयी थी “.

“कौन जानेगा, यहा पर तो कोई था भी नही तू बेकार में क्यों परेशान हो रही है”

“अर्रे नही फिर भी कोई जान गया तो”, फिर कुछ सोचती हुई बोली, अगर कोई नही जानेगा तो क्या तू मुझे नंगा देखेगा क्या”, मैं और मा दोनो एक दूसरे के आमने सामने एक सूखे चादर पर सुन-सान जगह पर पेड़ के नीचे एक दूसरे की ओर मुँह कर के लेते हुए थे और माँ की साड़ी उसके छाति पर से लुढ़क गई थी. माँ के मुँह से ये बात सुन के मैं खामोश रह गया और मेरी साँसे तेज चलने लगी. माँ ने मेरी ओर देखते हुए पुछा “क्या हुआ, ”

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मैने कोई जवाब नही दिया और हल्के से मुस्कुराते हुए उसकी छातियो की तरफ देखने लगा जो उसकी तेज चलती सांसो के साथ उपर नीचे हो रहे थे. वो मेरी तरफ देखते हुए बोली “क्या हुआ मेरी बात का जवाब दे ना, अगर कोई जानेगा नही तो क्या तू मुझे नंगा देख लेगा”?

इस पर मेरे मुँह से कुछ नही निकला और मैने अपना सिर नीचे कर लिया, मा ने मेरी ठोड़ी पकड़ के उपर उठाते हुए मेरे आँखो में झाँकते हुए पुछा , “क्या हुआ रे,? बोल ना क्या तू मुझे नंगा देख, लेगा जैसे तूने आज देखा है,”

मैने कहा ” मा, मैं क्या बोलू” मेरा तो गॅला सुख रहा था,.

मा ने मेरे हाथ को अपने हाथो में ले लिया और कहा “इसका मतलब तू मुझे नंगा नही देख सकता, है ना”.

मेरे मुँह से निकाल गया- ” मा, छोरो ना,” मैं हकलाते हुए बोला “नही मा ऐसा नही है”.

“तो फिर क्या है, तू अपनी मा को नंगा देख लेगा क्या”

कहानी जारी है……