भाभी ने अपनी चूत चुदवाई जुए में हारकर
पढ़ें राजीव और उसकी हसीन भाभी की सच्ची सेक्स कहानी, जहाँ ताश के खेल ने जुए में हारकर भाभी की चूत चुदाई का रास्ता खोल दिया। 34-28-30 के फिगर वाली भाभी और 7 इंच के लंड वाले देवर ने घर में छुपकर सारी हदें पार कीं। जानें कैसे प्यासी भाभी ने जवानी का मज़ा लिया।
नमस्ते दोस्तों, मेरा नाम राजीव है। आज मैं तीस साल का हूँ, लेकिन जो कहानी मैं आपको सुनाने जा रहा हूँ, वो मेरे जीवन का वो सुनहरा पन्ना है जब मैं सिर्फ अठारह साल का था। ये कहानी बिल्कुल सच है, और इसे याद करते ही मेरे रोंगटे खड़े हो जाते हैं। तो चलिए, उस कामुक सफर पर चलते हैं, जहाँ मेरी भाभी ने मुझे अपनी जवानी का वो स्वाद चखाया, जो आज तक मेरे होंठों पर महसूस होता है।
शुरूआत: भाभी का आगमन
बात उस वक्त की है जब मेरे बड़े भाई की शादी हुई थी। मैं अपने बारे में बता दूँ—मेरा रंग गोरा है, कद 5 फीट 11 इंच, और शरीर ऐसा कि लड़कियाँ अक्सर मुझे घूरती थीं। भाई की शादी के बाद घर में एक नई बहार आई—मेरी भाभी। वो ऐसी खूबसूरत थीं कि क्या बताऊँ—गोरी-चिट्टी, चिकनी त्वचा, और जिस्म का नक्शा 34-28-30 का, मानो किसी शिल्पकार ने तराशा हो। भाई का रंग थोड़ा साँवला था, लेकिन भाभी की सुंदरता के आगे सब फीके पड़ जाते थे।
हमारे घर में मम्मी, भाई, और मैं नीचे रहते थे, जबकि पहली मंजिल पर मेरा दूसरा भाई अपनी पत्नी और मेरी बड़ी भाभी के साथ रहता था। शादी के बाद छोटी भाभी घर आईं, और उनके आने से मेरे दिल में एक अजीब सी हलचल शुरू हो गई। मैं सुबह स्कूल जाता, फिर दिन में भाई के ऑफिस चला जाता। लेकिन जब से भाभी आईं, मेरा मन घर पर ही अटकने लगा।
प्यासी नजरें और रातों की सिसकियाँ
मेरा कमरा भाई-भाभी के कमरे से सटा हुआ था। रात में जब वो पति-पत्नी के सुख में डूबते, तो उनकी मादक आवाजें मेरे कानों तक पहुँचतीं। मैं दीवार से कान लगाकर सुनता, और हर सिसकी मेरे जिस्म में आग लगा देती। भाभी की वो कराहटें, भाई की वो भारी साँसें—ये सब मेरे सपनों में बसने लगा। मैं लड़कियों को पटाने में माहिर था, और अब मेरी नजरें भाभी पर टिक गई थीं।
भाभी को घर आए 15 दिन हो चुके थे। मैं उनसे हँसी-मजाक करने लगा, कभी-कभी नॉन-वेज जोक्स सुनाता। वो बस मुस्कुरातीं, और उनकी वो मुस्कान मुझे हरी झंडी दिखाने लगी। मुझे लगने लगा कि अगर मैं कोशिश करूँ, तो शायद वो मना न करें। शादी के 20-22 दिन बाद मेरा विश्वास पक्का हो गया—भाभी तैयार हो सकती हैं।
मौका और दस्तक
एक दिन मैं स्कूल से सीधे घर आ गया। भाई को फोन किया कि मेरी तबीयत ठीक नहीं, और दोपहर 1 बजे घर पहुँच गया। मम्मी बाहर वाले कमरे में सो रही थीं, और भाभी अपने कमरे में। मेरे आने से मम्मी जाग गईं, लेकिन भाभी सोती रहीं। मैंने खाना खाया और अपने कमरे में सोने चला गया। तीन बजे नींद खुली, तो भाभी भी उठ चुकी थीं।
“क्या हुआ आपको?” भाभी ने पूछा, उनकी आवाज में एक नरमी थी।
“पेट में दर्द है,” मैंने बहाना बनाया।
उस वक्त मम्मी तैयार होकर मंदिर चली गईं—उनका रोज का रूटीन था। 3:30 बजे मंदिर, फिर 6:30-7:00 बजे तक दूध लेकर घर लौटना। बड़ी भाभी ऊपर अपने बच्चे में व्यस्त रहती थीं, नीचे कम ही आती थीं। घर में अब सिर्फ मैं और भाभी थे। मेरे दिमाग में शैतानी कुलबुलाने लगी।
जुआ और बहाना
मैंने भाभी से कहा, “कोई फिल्म देखें?”
उन्होंने मना कर दिया।
“चलो, ताश खेलते हैं,” मैंने दूसरा दाँव खेला।
वो मान गईं। हम ताश खेलने बैठ गए। खेल में बेगम पर गुलाम आया। मैंने हँसते हुए कहा, “देखो, मैं आप पर आ गया हूँ।”
वो शरमा कर मुस्कुराईं। मेरा दिल जोर से धड़का। मैंने झट से उनके गाल पर एक चुम्बन जड़ दिया।
“ये क्या कर रहे हो?” वो चौंकीं।
“देवर का हक होता है, और मैं तो आपका गुलाम हूँ,” मैंने शरारत से कहा।
वो जोर से हँस पड़ीं।
मैंने मौके का फायदा उठाया। “यहाँ गर्मी है, आपके कमरे में AC है, वहाँ खेलते हैं।” वो मान गईं। उनके कमरे में कदम रखते ही परफ्यूम की महक ने मुझे मदहोश कर दिया। मैंने पूछा, “कौन सा परफ्यूम यूज करती हो?”
“ये तुम्हारे भाई का है,” उन्होंने जवाब दिया।
मैंने उनकी अलमारी खोली। वहाँ उनकी नाइटी, ब्रा, और पैंटी सजे हुए थे। मैंने एक लाल ब्रा उठाई और कहा, “ये तो बहुत सेक्सी है। इसे पहनकर दिखाओ ना।”
“नहीं!” वो शरमाईं और अलमारी बंद करने लगीं।
आग का खेल
मैंने उन्हें अपनी बाहों में जकड़ लिया। उनके नरम होंठों पर अपने होंठ रख दिए। वो छूटने की कोशिश करने लगीं, लेकिन मैंने उनकी कमर को कसकर पकड़ा और उनके होंठों को चूसने लगा। धीरे-धीरे उनकी साँसें तेज हुईं, उनका विरोध कमजोर पड़ा। मैंने उन्हें बिस्तर पर लिटाया।
“नहीं, मत करो,” वो बोलीं, लेकिन उनकी आँखों में वो प्यास साफ दिख रही थी।
“कुछ नहीं करूँगा, बस किस करूँगा,” मैंने कहा।
मैं उनके ऊपर झुक गया। उनकी साड़ी का पल्लू सरक चुका था। मैं उनके होंठ चूमता रहा, और वो भी अब मेरा साथ देने लगीं। मेरा 7 इंच का लंड पैंट में तनकर बेकाबू हो रहा था। मैं उनके ऊपर लेटा, मेरा लंड उनकी जाँघों से टकराने लगा। उनकी साँसें उखड़ रही थीं, और मैंने उनकी साड़ी ऊपर सरकाई। उनकी मखमली टाँगें मेरे पैंट से रगड़ खाने लगीं। मैंने अपनी हाफ-पैंट और अंडरवियर उतार फेंका। अब मेरा नंगा लंड उनकी जाँघों को छू रहा था।
कामुक उन्माद
मैं नीचे सरका और उनकी पैंटी पर किस करने लगा। वो अपने हाथों से अपने स्तनों को मसलने लगीं। “अब नहीं सहा जाता,” वो कराह उठीं। मैंने उनकी पैंटी खींचकर उतार दी। उनकी चूत गीली और गरम थी। मैंने अपना लंड उस पर रगड़ा। वो पागल सी हो रही थीं। मैंने उनका ब्लाउज़ खोला, उनकी ब्रा उतारी। जैसे ही उनके गुलाबी निप्पल मेरे सामने आए, मैं बेकाबू हो गया। ऐसा नजारा मैंने ब्लू फिल्मों में भी नहीं देखा था।
मैं उनके स्तनों को चूसने लगा, मेरी जीभ उनके निप्पलों पर नाच रही थी। वो सिसकियाँ ले रही थीं। “मुझे चोदो, अपना लंड डाल दो,” वो चीखीं। मैंने अपना लंड उनकी चूत पर टिकाया और एक हल्का धक्का मारा। “आह! बहुत मोटा है,” वो दर्द से चीखीं। उनकी चूत से पानी रिस रहा था, जिससे मेरा लंड धीरे-धीरे अंदर सरकने लगा। मैंने एक जोरदार झटका मारा—5 इंच अंदर चला गया। उनकी चीख दबाने के लिए मैंने उनके होंठों को चूम लिया।
अब मैं रुक नहीं सका। जोर-जोर से धक्के मारने लगा। मेरा पूरा 7 इंच उनकी चूत में समा गया। वो दर्द और सुख के बीच झूल रही थीं। दस मिनट तक मैं उन्हें चोदता रहा। उनका दूसरा पानी छूटा, और अब वो पूरी तरह मस्ती में थीं। “मुझे चूसना है,” उन्होंने कहा। उन्होंने अपनी साड़ी और पेटीकोट उतार फेंका। हम दोनों नंगे थे।
अप्सरा का रूप
पहली बार मैंने भाभी को पूरी तरह नंगा देखा। उनका जिस्म मखमल सा, मानो कोई अप्सरा धरती पर उतर आई हो। उनकी गोरी त्वचा, पतली कमर, और भरे हुए स्तन—माधुरी और श्रीदेवी भी उनके आगे फीकी लग रही थीं। वो बिस्तर पर बैठीं, मुझे लिटाया, और मेरा लंड अपने मुँह में ले लिया। “अगर पता होता कि तुम्हारा लंड इतना जबरदस्त है, तो शादी के दो दिन बाद ही चुदवा लेती,” वो बोलीं।
वो मेरे लंड को चाट रही थीं, चूस रही थीं। मैं उनके स्तनों को मसल रहा था। मेरा पानी निकलने को हुआ। “आने वाला है,” मैंने कहा। “मुँह में छोड़ दो,” वो बोलीं। मैंने अपना सारा पानी उनके मुँह में उड़ेल दिया, और वो उसे पी गईं। वो फिर चूसने लगीं, और मेरा लंड दोबारा खड़ा हो गया।
अंतिम चरम
मैंने उनकी चूत में उंगली डाली, उनके स्तनों को मसला। फिर उन्हें चूमना शुरू किया—होंठों से लेकर उनकी चूत तक। उनका जिस्म मलाई सा लग रहा था। “अब डाल दो,” वो बोलीं। मैंने एक जोरदार झटका मारा। वो चीखीं, लेकिन दो मिनट बाद वो मेरे साथ ताल मिलाने लगीं। उनके कूल्हे उठ-उठकर मेरा स्वागत कर रहे थे। 25 मिनट तक मैं उन्हें चोदता रहा। “अंदर छोड़ दो,” वो बोलीं। मेरा गरम पानी उनकी चूत में गया, और वो तृप्त होकर सिसकने लगीं।
अंत और नई शुरुआत
मम्मी के आने का वक्त हो चुका था। हमने जल्दी से कपड़े पहने। उस दिन के बाद हमने कई बार मौके बनाए। वो कहानियाँ फिर कभी सुनाऊँगा।