हिंदी सेक्स स्टोरी

उस दिन के बाद से भाभी की चुदाई-4

Us din ke baad bhabhi ki chudai-4

कह कर वो उठी ओर कित्चान मे चली गयी. मैने सोचा पीछा छ्होटा ओर जल्दी-जल्दी अपना निक्कर ओर बनियान पहन लिया. पर वो जल्दी ही वापस आ गयी ओर खाली हाथ ही, जबकि मई समझा था की वो दूध गिलास मे लेकर आएगी. आते ही बोली अरे तुमने कपड़े पहन लिए क्यो? मैने कहा अब आप भी पहन लो फिर सोते हैं. पर वो नही मानी बोली- मई तुम्हे दूध पिलाने आ रही थी ओर तुमने कपड़े पहन लिए जल्दी से उतरो वरना मई उतारूगी तो फट सकते हैं. मेरे काफ़ी माना करने पर भी वो नही मानी तो हार कर मैने अपनी बनियान उतार दी. “ओर निक्कर”- वोबोली. नही भाभी अब रहने दो मई तक गया हून सोना है. तो सो जाना पर निक्कर तो उतरना ही पड़ेगा वरना मई आ रही हून उतरने. हार कर मैने निक्कर भी उतार दिया. मेरा लॅंड मुरझा चुका था. वो देखते ही बोली- है तुम्हारा लॅंड तो फिर से सो गया. अभी इसे जागते हैं. चलो पहले दूध पियो. कहते हुए वो बेड पर बेत गयी. मैने देखा उनके निपल्स कुछ चमक रहे थे. दूध आ गया क्या भाभी? मैने पूछा. हन तुम पियो तो. मैने जैसे ही एक निपल को मूह मे लिए जान गया भाभी शहद लगा कर आई थी. पर मीता निपल बड़ा अच्छा लग रहा था तो मई चूसने लगा. अभी मई पहला निपल ही चूस रहा था की उन्होने मेरा लॅंड फिर से पकड़ लिया. जो की अब फिर टन चुका था. जैसे ही उन्होने मेरे लॅंड को पकड़ा मई चिहुक गया.

मुझे भाभी का हाथ कुछ चिपचपा लगा. ओर मई समझ गया की उनके हाथ मे भी शहद लगा है जौंहोने मेरे लॅंड पर लगा दिया है. हाथ तो धो आती भाभी. मैने कहा. क्यो? उन्होने पूछा. मेरे लॅंड पर शहद लग गया. मैने ही लगाया है. तुम मेरा दूध पी रहे हो, मई भी तो कुछ पियूंगी. “च्चि” तो क्या आप मेरा पेशाब पियोगी? अरे नही,मई तुम्हारा दूध पियूंगी. मेरा दूध,मेरा दूध कहाँ से आएगा. उन्होने मेरे छ्होटे-छ्होटे निपल्स कोपाकड़ कर कहा आदमियों का दूध यहाँ से नही उनके लॅंड से आता है. “लॅंड से?” मेरा तो कभी नही आया सिर्फ़ सस्यू आती है. तो दूध आज आएगा, देखना तुम? कहते हुए उन्होने मेरी गर्दन उपेर की ओर मेरे निपल चाटने लगी. जिन पर उनके हाथ का शहद लग गया था. मेरे निपल छत कर बोली अब तुम बाद मे दूध पीना पहले मेरी छूट को भी तो फूक मार दो. कहते हुए वो मेरे उपेर घोड़ी बन गयी.

उनकी छूट के चीड़ मेरे मूह के एकद्ूम सामने थे ओर वहाँ से मीठी सी खुश्बू आ रही थी शायद उन्होने कोई पर्फ्यूम लगाया था. मैने फूक मारनी शुरू की ओर उधर उन्होने मेरा लॅंड अपने मूह मे ले लिया ओर चूसने लगी. मई फिर से घबरा गया उन्होने मेरा लॅंड मूह से बाहर किया ओर बोली फूक मरते रहो मई शहद छत रही हून, फूक मारनी बंद की तो लॅंड काट लूँगी तुम्हारा. कह कर उन्होने मेरे लॅंड पर दाँत घड़ाए. मई फिर से फूक मरने लगा. वो काफ़ी देर तक मेरे लॅंड को चुस्ती रही. मेरा लॅंड रोड की तरह सकत हो रखा था. उसने पूछा- क्या कभी मलाई नही निकली इसमे से? मैने कहा- कॉआन सी मलाई? इसमे से तो सिर्फ़ सू-सू आती है ओर ये गंदा होता है आप इसे मो मे ले रही हो. उसने कहा अच्छा रहने दो चलो सोते हैं. मई निक्कर उठाने चला तो उन्होने माना कर दिया, बोली- इतनी गर्मी मे कपड़े नही पहनते.

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ऐसे ही सोएंगे ओर तुम्हे अभी मेरा दूध भी तो पीना है. फिर मई उनसे चिपक गया ओर रात को उनका दूध पीते-पीते ही सो गया. वो मेरा लॅंड अपने हाथों मे पकड़े सहलाती रही. सुबह जब मेरी आख खुली तो मैने देखा भाभी अभी तक सो ही रही थी उनका मूह मेरे परों की साइड मे था ओर पेर मेरी तराफ़, शायद वो मेरा लॅंड चूस्ते हुए ही सो गयी थी. मेरा लॅंड अभी तक सकत ओर गरम था ओर उसमे से अभी तक कुछ नही निकला था. मैने भाभी की ओर देखा उनके बूब्स साइड मे लटक रहे थे रात की तरह ताने हुए नही थे. फिर मैने उनकी छूट की तरफ देखा, छूट ऐसी लग रही थी जैसे कोई लड़की तोड़ा सा मूह खोले हुए हो. दो होंठ भी दिख रहे थे. मैने उंगली से उन होंठो को टच किया ओर भाभी की तरफ देखा. वो वैसे ही सो रही थी. मैने उंगलियो से दोनो होंठो को हल्के से पकड़ा तो छूट का मूह खुल गया.

मुझे रात बातरूम की याद आई जब मैने उसमे उंगली दल कर सॉफ की थी. मैने उस मूह मे फिर से उंगली दल दी. तभी भाभी ने अपने पेर सिकोड लिए ओर मेरा हाथ उनके परॉन के बीच मे डब गया. वो आखें खोल कर मुसकुरी ओर बोली- क्या कर रहे हो वीनू जी? कल तक तो बहुत शर्मा रहे थे आज उंगीयाँ बहुत चल रही हैं. तुम्हारी मों से कह डून की तुम्हारे लिए अब लड़की ढूँढ ले. मई शर्मा कर रह गया. उन्होने अपने पेर खोले ओर अपनी छूट को सहलाते हुए बोली- इसमे उंगली नही लॅंड डालते हैं. उंगलियाँ तो मेरे पास भी हैं, मई खुद भी दल सकती हून, फिर तुम्हारे लॅंड की क्या ज़रूरात है. “इसमे लॅंड डालते हैं, कैसे भाभी, ये तो मेरे साथ जुड़ा हुआ है, कैसे दल सकेंगे इसमे?” मैने पूचछा. बता दूँगी कुछ रात के लिए भी रहने दो अब कपड़े पहन कर घर जाओ वरना तुम्हारी मों आवाज़ देंगी या यही आ जाएँगी. जा रहा हून, मैने बुरा सा मूह बनाया ओर बोला पर भाभी ये किसी ओर को मत कहना वरना मेरी मार लग जाएगी. तुम भी किसी से मत कहना, अपने दोस्तों से भी नही- वो बोली. मैने कहा- नही कहूँगा मारना थोड़े ही है, पर एक बार दूध ओर पीला दो ना.

नही अब रत को, अब जाओ. मान मार कर मैने कपड़े पहने ओर घर आ गया. पर मेरा मान किसी काम मे नही लग रहा था. बार-बार भाभी का शरीर आखों के सामने आ रहा था. मान कर रहा था की भाभी के पास वापस चला जाओं. पार वो घर पर नही थी. अपनी किसी सहेली के घर गयी हुई थी. पूरा दिन उनके इंतेज़ार मई ही कटा. सुबह को ही मैने मों से कह दिया था था की भाभी की तबीयत क्योंकि अभी पूरी तरह से ठीक नही है इसलिए आज भी उनका खाना यही बना लेना मई ले जाऊँगा. डोफेर का खाना उन्हे अपनी सहेली के घर खाना ही था. शाम को मैने जल्दी-जल्दी कह कर खाना पॅक करवाया ओर 7.30 बजे से ही खाना ले कार उनके घर पहुच गया. वो बोली अरे तुम इतनी जल्दी आ गये मई तो तुम्हारे घर ही आ रही थी. मेरे घर, क्यो? मई फिर घबरा गया कहीं भाभी मेरी शिकायत ना कर दे. वो हसी बोली अरे डरो मत मई तो वैसे ही आ रही थी. थोड़ी देर तुम्हारे यहाँ टाइम-पास किया जाए. चलो खाना बाद मे खाएँगे अभी भूक भी नही है तुम्हारे घर चल कर ग़मे खेलते हैं. ओर आप मुझे कुछ बताने वाली थी- मैने कहा. क्या? वो बोली. मई शरमाया- मेरा आपकी उसमे कैसे जाएगा? वो हसी, बोली सबर करो वो सब रत को, दिन मे भूल जया करो चलो तुम्हारे घर चलते हैं. अब मई क्या कह सकता था.

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उन्होने कपड़े बदलने के लिए अपनी मेक्शी उतरी, नीचे वो ब्लाउस ओर पेटीकोत पहने हुए थी. मई समझा वो भी उतरेंगी. पर उन्होने मुस्कुराते हुए एक सारी लपेटनी शुरू कर दी. फिर हम लोग मेरे घर गये. वहाँ वो मों से बातें करती रही ओर मई आसपास इसलिए लगा रहा की कहीं वो मेरी शिकायत ना कर दे, कितना भोला था मई. पर फिर भी एक बार तो मेरी हवा खराब हो ही गयी जब मों बोली- “रूपी” तुमने तो हुमारे लड़के पर जादू सा कर दिया है, जब देखो भाभी-भाभी ही करता रहता है. मई दर गया पर भाभी मुस्कुरई ओर मेरे गाल पकड़ कर खिचते हुए बोली- ये है ही इतना प्यारा, मेरा तो इसके बागेर समय ही नही करता. मों को हेस्ट देख मुझे कुछ सुकून मिला. फिर हम रात को 9.00 बजे करीब घर वापस आए. मैं डोर बंद करते हुए उन्होने पूचछा- कैसी रही? क्या?-मई बोला. पर वो जवाब ना दे कर मुस्कुराते हुए रूम की तरफ चल दी. मई भी पीछे-पीछे आ गया. वो सारी उतरते हुए बोली तुम खाना लगाओ मई आती हून. मई उन्हे देखना चाह रहा था पर मान मार कर कित्चान की ओर बढ़ गया. तिफ्फ़ान बॉक्स खोल कर खाना लगा ही रहा था की भाभी की तरफ नज़र गयी.

वो सिर्फ़ ब्रा ओर पेंटी मई थी, उन्होने भी मेरी तरफ देखा ओर मुझे अपनी ओर देखता पा कर मुस्कुरई ओर निघट्य पहन ली. मेरा लॅंड टाइट हो चुका था. फिर हम दोनो खाना खाने डाइनिंग-तबले पर बैठे तो मैने जैसे ही तली उनकी ओर बधाई, उन्होने नीचे हाथ करके मेरे निक्कर के उपेर से मेरा लॅंड पकड़ लिया ओर बोली इसे संभलो जहाँ-तहाँ खड़ा हो जाता है. ना-नही तो-मई बोला. वो बोली मैने देखा था कित्चान मे तुम इसे दबा रहे थे. चलो खाना खाओ. उन्होने मेरा लॅंड छोड़ दिया ओर हम दोनो ने जल्दी से खाना ख़तम किया. उन्होने बर्तन वॉशबेसिन मे डाले ओर बेडरूम मे आ गयी. मई बेड पर बेता था. बोली आज क्या कपड़े पहन कर ही सोने का इरादा है. मैने जल्दी से शर्ट ओर बनियान उतरी ओर लेट गया, निक्कर उतरने मे मुझे आज फिर शरम आ रही थी. भाभी कुछ नही बोली लाइट ऑफ की निगठलंप ओं किया, निघट्य का बंद खोला ओर उसे पहने हुए ही मेरे पास आ कर लेट गयी. मई सोचता रह की अब शायद वो मेरा निक्कर उतार देंगी. पर उन्होने ऐसा कुछ नही कहा, बोली तक गयी हों नींद आ रही है, तुम भी सो जाओ. मई मान ही मान कूड़ता हुआ जाने कब सो गया.

रात मे आख खुली तो देखा भाभी गहरी नींद मे सो रही थी, उनकी निघट्य खुली हुई साइड मे पड़ी थी ओर वाइट ब्रा ओर पेंटी उनके उपेर चमक रही थी. मेरी नींद गायब हो गयी. मैने उन्हे हिला कर देख लिया वो वाकई मे गहरी नींद मे ही सो रही थी. मैने धीरे से उनकी ब्रा की दोनो स्ट्रीप उनके कंधे से नीचे कर दी पर पीठ पर से वो कसी हुई थी. मैने बूब्स का ख़याल छ्चोड़ा ओर पेंटी की तरफ देखने लगा. दर तो लग रहा था फिर याद आया भाभी भी तो मेरे निक्कर मे हाथ दल देती है. साहस करके मैने उनकी पेंटी को पकड़ के तोड़ा खीचा ओर हाथ दल दिया पर हाथ उनकी छूट तक नही पहुच सका. अब मुझे जोश आ चुका था मेरा लॅंड भी ताना हुआ था मे देखना चाहता था की ये छूट मे जाएगा कैसे. भाभी अभी भी सोई हुई थी, शायद डॉवा का असर था जो उन्होने सोने से पहले खाई थी. मैने धीरे-धीरे उनकी पेंटी को नीचे करना शुरू कर दिया ओर देखता रहा की कहीं वो जाग ना जाए. उनके फेले हुए पेर सीधे करके मैने पूरी पेंटी उतार दी. अब उनकी छूट दिख रही थी.

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पर लॅंड इसमे कैसे जाएगा मई इस परेशानी मे था. मैने उंगली च्छेद मे सर्काय, अंदर तोड़ा गरम ओर गीलापन था. मैने उंगली बाहर निकल ली. अपना निक्कर उतरा ओर तरह- तरह से पोज़िशन ले कर सोचने लगा की लॅंड इसमे जाएगा कैसे. मुझे लगा जा सकता है अगर भाभी अपनी एक तंग के बीच मे मेरी एक तंग ले-ले तो लॅंड शायद इस च्छेद मे चला जाए. मई धीरे से भाभी के उपेर आया इस तरह की उनसे टच ना हो सकूँ ओर अपने लॅंड को उनकी छूट पर सेट करने लगा. पर ऐसा कुछ नही हो पाया. तो मैने अपना लॅंड उनके हाथ मे पकड़ा दिया ओर उनके पास लेट गया ओर अपना हाथ उनकी छूट पर रख दिया. मैने सोचा थोड़ी देर के बाद निक्कर पहन लूँगा ओर भाभी को भी पेंटी पहना दूँगा, उन्हे कुछ पता ही नही चलेगा पर पता नही कब मुझे नींद आ गयी. सुबह भाभी ने मुझे उठाया बोली मेरी पेंटी तुमने उतरी. मई भी नंगा था ओर मेरा लॅंड भी ताना हुआ था.

मैने उल्टा कह दिया आप ही करती हो सब आपने ही मेरा निक्कर भी उतारा है. भाभी समझ गयी की मैने ही सब किया है बोली तुम बहुत नॉटी हो रहे हो मैने कहा मई तो बस ये देख रहा था की मेरा लॅंड आपकी छूट मई जाएगा कैसे. पर जेया नही पाया. आज रात को मई तुम्हे बताऊंगी. उन्होने कहा. फिर मई रोजाना की तरह घर चला गया. घर पहुच कर पता चला की मों & दाद बाहर जेया रहे हैं ओर शाम तक वापस आएँगे. मों ने पूचछा यही रुकोगे या तुम्हे बुआजी के पास छोड़ड़ दे. मैने कहा यही रुक जाऊँगा. तो मों बोली फिर कपड़े ले कर अपनी भाभी के घर ही चलो. मई यहाँ की कीस उन्ही को दे दूँगी. मेरी तो मान की मुराद पूरी हो रही थी. मैने जल्दी से कपड़े उठाए ओर हम वापस भाभी के घर पहुच गये. मों ने भाभी से कहा हम काम से बाहर जेया रहे हैं, वापसी मे शाम हो जाएगी, तुम्हे कहीं जाना ना हो तो वोनू को यही छोड़ड़ दे या फिर बुआजी के घर पर छोड़ड़ देंगे. भाभी मुझे देख कर मुस्कुरई, बोली नही मुझे आज कही नही जाना आप इसे यही छोड़ड़ दो. मों-दाद के जाने के बाद भाभी ने पूछा कपड़े क्यो लाए हो मैने कहा नहाने के बाद पहनने के लिए. बोली तो चलो फिर नहा लो. मैने कपड़े उतरे ओर टवल लपेट कर बातरूम मे चला गया ओर डोर ऐसे ही बंद कर लिया क्योंकि उसकी कुण्डी मेरी पहुच से बाहर थी.

दोस्तों यह कहानी कुल 5 भाग में है, अगले भाग में कहानी समाप्त होगी, तब तक पड़ते रहिये सिर्फ hotsexstory.xyz धन्यवाद।