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वर्जिन चूत का मजा

(Virgin Chut Ka Maza)

उन दिनों मेरी उम्र कुछ 21 की थी और मैं इंजीनियरिंग के दुसरे वर्ष में पढाई करता था. कोलेज जीवन में दारु और सिगरेट के अलावा कुछ काम था नहीं इसलिए मैं अपना साल बरबाद कर चूका था. मेरे निकम्मे दोस्तों की तरह मुझे भी 6 माह घर पर बिताने थे. मुझे घर पर रहेना वैसे बिलकुल भी अच्छा नहीं लगता था. यहाँ गाय भेंस और गोबर था. मेरे पिताजी वैसे अनाज के बड़े व्यापारी थी और उन्हें इसी वजह से गाँव में रहना पड़ता था क्यूंकि फसल तो यहीं से आती यही इसलिए कम से कम दाम में अनाज यही से खरीदा जा सकता था. बुढा कमाता था लेकिन मुझ से पाई पाई का हिसाब लेता था. उन दिनों काफी बारिश के चलते मेरे पिता के मुनीम हरीलाल के घर की दिवार धंस गई थी और वोह अपनी बीवी निर्मला और बेटी पिंकी के साथ मेरे पिता ने दिए रूम में रह रहे थे. पिंकी 18 साल की बिलकुल जवान लोंडिया थी जिसकी सेक्सी जवानी को देख मेरा लोहा कभी कभी पिगल जाता था. मैं मनोमन सोचता अगर यह चोदने के लिए दे दे तो चोदने का मजा कुछ और ही होगा. मैं मनोमन इस लौंडिया पिंकी को चोदने का प्लान बना रहा था, लेकिन वोह साली बहुत शर्मीली थी और मुझे देखती भी नहीं थी.

एक दिन सुबह सवेरे मैं अपने पिताजी के पास बैठा था और हरी काका भी वही थे. हरी काका पिताजी से कुछ बात कर रहे थे जिसे सुन के मेरे काम चमके. वोह लोग पिंकी के गणित टयूशन के लिए बात कर रहे थे, क्यूंकि वह छ मासिक परीक्षा में गणित में फ़ैल हुई थी. वोह लोग कोई आनंद सर से उसके टयूशन लेने की बात कर रहे थे. मुझे लगा यही मौका है चोदने के लिए…मैंने पिताजी को कहाँ आप लोग क्यूँ पैसा खर्च कर रहे हों. वैसे भी में उपर पढता हु रोज 4-5 घंटे शाम में. पिंकी को बोलो वोह गणित मुझ से सिख लें, और पिताजी आप को पता ही हैं मेरे गणित के नंबर पहेले से अच्छे हैं. पिताजी ने बात सुनी और वोह सोच में पड़ गए, शायद वो यह सोच रहे थे की मैं पहले कितना तेजस्वी थ और अभी साला पास ही नहीं होता था. पिताजी को पता था की मेरा गणित अच्छा हैं. और सच में मैं कोलेज के पहले तक ठीक ही था, कोलेज जा के खाने पिने और चोदने की लतें लग गई और मेरी पढाई की माँ चुद गई थी. हरी काका भी मान गया और उसने मुझे बोला की वोह शाम से ही पिंकी को मेरे रूम में भेज देगा.

माँ के मरने के बाद घर का ज्यादातर काम नौकर ही देखते थे और वोह लोग मुझ से काफी डरते थे क्यूंकि मैं गाली दे के ही बात करता था उन लोगो से. वोह मेरे कमरे में काम बगेर कभी नहीं घुसते थे और काम भी सिर्फ खाना देना ही तो था. सफाई वगेरह जब में घर नहीं होता था तब कामवाली ललिता कर लेती थी. शाम को पिंकी पिली सलवार और काली कमीज में आई. उसे देख के ही मेरा मन चोदने के लिए उत्सुक हो रहा था. वोह निचे बैठी और किताबे खोलने लगी. मैंने उसे गणित के एक दो सम दिखाए और वोह उन्हें करने में मग्न हो गई. उसके भारी चुंचे मैं उसके कमीज के बटन के बिच के उपसे हुए भाग से देखने की नाकाम कोशिश करने लगा. पिंकी के चुंचे होंगे कुछ 32 की साइज़ के लेकिन सब से प्यारे थे उसके होंठ, बिना लिपस्टिक के भी वो एकदम लाल नजर आ रहे थे. मैंने उसके बूब्स पर नजरे गड़ाई थी और वोह भी चुपके चुपके मुझे देखती थी.

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पिंकी के साथ मैंने बात चालू की और उसे कोलेज के बारे मे पूछने लगा, बात बात मे मैंने उसे कहा की तुम्हारे कितने बॉयफ्रेंड हैं कोलेज में, पिंकी हंस पड़ी और बोली, कोई भी तो नहीं हैं…..! मैंने कहा जूठ क्यों बोलती हो, ऐसे ही थोड़ी फ़ैल हो गई तुम. पिंकी बोली, सच में कोई नहीं हैं, सभी मेरे बाबूजी से डरते हैं, क्यूंकि मेरे चाचा बनवारी लाल खून के केस में जेल में हैं इसलिए हमसे सभी डरते हैं. पर मुझे हरिलाल से डर नहीं था, इसलिए मैंने पिंकी से कहा, मैं तुम्हारे बाप से नहीं डरता, मेरी गर्लफ्रेंड बनोगी. चोदने के अलावा दुसरे भी फायदे मिलेंगे. शहर घुमाऊंगा और वहाँ से तुम्हे शोपिंग भी करवाऊंगा. पिंकी कुछ बोली नहीं, मुझे लगा वोह शायद मना करेगी. लेकिन वो बोली, अगर किसीने देख लिया तो. मैंने कहा, यहाँ तुम्हारे सिवा कोई नहीं आता और वैसे भी हम दरवाजा अंदर से बंध कर लेंगे. पिंकी कुछ बोली नहीं और मैंने हाथ लम्बा कर के उसके होंठो के ऊपर फेरा, उसके होंठ मस्त रसीले थे. इधर मेरा लंड चोदने को बेताब हो रहा था, लेकिन मैं जल्दबाजी नहीं करना चाहता था.

पिंकी मेरे स्पर्श से उत्तेजित होती दिखी क्यूंकि उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और उसे दबाने लगी. मैंने अपना दूसरा हाथ उसके स्तन पर रख दिया और उसकी कमीज के अंदर उसके चुंचे मसलने लगा. पिंकी की साँसे बढ़ रही थी और वोह आह आह ओह कर रही थी. अरे चोदने से पहले इतने आवाज निकाल रही है तो चोदुंगा तो क्या करेगी. पिंकी को मैंने हाथ पकड़ के खड़ा किया और उसकी कमीज के दोनों बटन खोल डाले, मैंने धीरे से उसके हाथ ऊँचे करवाएं और कमीज उतार दी. उसकी काली ब्रा में से उसके भारी स्तन जैसे की बहार आने को उत्सुक थे. मैंने पिंकी का हुक खोला और उसके स्तन जैसे की मांस का लोथड़ा हो वैसे झूल पड़े. साली मस्त माल थी ये तो इसने क्या बनाये थे अपने चुंचे. देख के ही मन चोदने को हो जाए. मैंने उसकी सलवार भी उतार दी और उसकी टाईट चूत के उपर हाथ घुमाते ही उसके मुहं से सीईईईईईईईईईईईस्सस्सस निकल पड़ा. मैंने अपनी पेंट उतारी और मेरा 8 इंच लंबा लंड देख के पिंकी उछल सी पड़ी, वोह सोच रही थी यह आधा फुट से बड़ा लौड़ा कैसे उसकी चूत में समाएगा. लेकिन उसे पता नहीं था की चोदने के समय लंड अपनी जगह बना लेता हैं चूत तो चूत गांड के अंदर भी.

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मैंने अपना लंड पिंकी के मुहं में भरा और वो कुत्ते की तरह जीभ निकाल के उसे चाट रही थी. मैंने उसे चाटने दिया दो मिनिट तक, उसने लौड़े के हरेक कोने में जबान चला दी और उसे थूंक वाला कर दिया. इसके बाद मैंने उसका मस्तक पकड़ा और उसके सेक्सी होंठो के उपर लौड़ा घिसा. वोह मुहं खोल बैठी और लौड़ा सीधा उसके मुहं में घुस पड़ा. पिंकी मस्त तरीके से लौड़ा चूसने लगी, उसे भी चोदने की तलब लगी थी और वोह पुरे मजे से लौड़ा खा रही थी मेरा. मैंने उसके भारी स्तन को मसला और मुझे उनके बिच में लौड़ा देने का मन हो चला. मैंने उसे निचे लिटाया और मैं खुद उसके पेट के उपर आके बैठ गया. मैंने अपने गिले लौड़े को उसके स्तन के बिच रखा और गचगच करके उसके चुंचे देसी तरीके से चोदने लगा. पिंकी भी आह आह कर के चुंचे चुदवा रही थी और लंड को चुंचो के बिच टाईट रखने के लिए उसे दोनों स्तन को साइड से दबा दिए थे. मेरे झटके बढ़ते चले और साथ में मजा भी दुगुना हो रहा था. तभी मेरे लंड ने फव्वारा मार  दिया और पिंकी के स्तन के उपर पूरा माल निकल गया. मैंने अपने रूम से उसे कपडा दिया जिस से उसने अपने स्तन और गले को साफ़ किया. वोह साफ़ कर के उठी और मैंने उसे अपने फ्रिज से एपल ज्यूस दिया. ज्यूस पिनेके बाद मैंने सिगरेट जलाई और कस लेने लगा.

सिगरेट ख़त्म होते ही मेरा लंड फिर से चोदने के लिए तैयार हो गया था. मैंने पिंकी को एक बार और अपना लंड मुहं में दिया और उसने पहेले से भी ज्यादा प्यार से उसे चूस दिया. मैंने इस बार लंड ज्यादा नहीं चुसाया क्यूंकि मुझे गुलाबी चूत को चोदने के मजे भी तो लेने थे. पिंकी भी अपने एक हाथ से चूत को मसल रही थी. उसे भी चोदना था बिलकुल मेरी तरह. मैंने लौड़ा पिंकी के मुहं से बहार निकाला और उसे टाँगे फैला के अपना लंड चूत के छेद पर रख दिया. पिंकी के लिए शायद लंड की गर्मी नई थी इसलिए वह बहुत उत्तेजित हो गई, उसने मुझे होंठ पर अपने होंठ दे के एक सेक्सी किस दे दिया. मैंने भी उसकी जबान को चूस डाला. इधर मेरा लंड उसके छेद में थोडा घुसा था की इस देसी लड़की की चीख निकल पड़ी. उसे चोदने का अनुभव नहीं था इसलिए उसे बहुत दर्द होने लगा, मैंने अभी तो आधा ही लंड अंदर किया था. मैंने एक मिनिट तक बिना हिले उसके स्तन को पिए और उसके गले में चुम्मे दिए. अभी पिंकी थोड़ी स्वस्थ हुई थी और उसे दर्द काफी कम हो रहा था. मैंने दुबारा उसकी जबान से अपनी जबान लगाई और कस के और एक झटका दिया.

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ऊऊईईइ उई मा….आह आह्ह्हह्ह ओह्ह्ह उई उई उई….पिंकी के ममुहं से अजीब अजीब आवाज निकलने लगे, उसके चूत में आखा लंड घुसा दिया था मैंने इसलिए उससे रहा नहीं जा रहा था. उसके चूत से थोडा खून भी निकल आया था जो मेरे लंड के सुपाड़े पे लगा हुआ था. मैंने थोड़ी देर रुक के उसे दो चार हलके झटके दिए, वो फिर स्वस्थ हुई. मैंने जल्दी से कपड़े से खून साफ़ किया और लंड को अंदर बहार करना चालू कर दिया. इस वर्जिन चूत की सख्ताई मेरे लौड़े के लिए नई थी, कोलेज की मेरी गर्लफ्रेंड्स तो इस चूत के सामने कुआं थी. मैंने भी इस वर्जिन चूत को चोदने का पूरा मजा लेते हुए उसे पहले हलके हलके और फिर थोडा कस के चोदा. पिंकी थोड़ी देर के बाद बिलकुल स्वस्थ हो गई और उसकी गांड भी मेरे लंड के संगीत पर हिलने लगी. वोह आगे पीछे हो के मुझ से चुदवाने लगी और मैं भी उसकी चूत के अंदर फचफच लौड़ा अंदर बहार करने लगा. चूत काफी गीली हो चुकी थी और मुझे बहुत मजा आ रहा था पिंकी को चोदने में.

पिंकी की गांड आगे पीछे हो के लंड का चूत में स्वागत करती जा रही थी. मैंने उसके स्तन जोर जोर से दबा दिए और उन्हें मुह में भर के चूस डाला. पिंकी के मस्तक पे पसीना छूटने लगा था और वोह थक सी गई थी. मैंने चोदने की झडप अब एकदम से बढ़ा दी थी और लौड़ा और भी जोर जोर से इस चूत के अंदर बहार हो रहा रहा. पिंकी से अब रहा नहीं जा रहा था. उसने मुझे गले लगाया और मेरे कान के आगे होंठ ला के बोली, आई लव यु, इतना कहते ही उसकी चूत ने मेरे लंड को दबाव दे के कस लिया. पिंकी एक बड़ी आह के साथ झड गई. मैंने अपने चोदने का काम जारी रखा और पिंकी को उतनी ही तीव्रता से चोदता रहा. पिंकी मेरे होंठो पर किस करने लगी और उसने मेरे कमर पे हाथ दे के मुझे अपनी तरफ खिंच लिया, मेरा लंड इतना बदाव नहीं सह सका और मेरे लंड से आज दूसरी बार वीर्य का फव्वारा निकल गया. सार वीर्य इस वर्जिन चूत के अंदर निकल गया और जैसे मैंने लौड़ा बहार निकाला थोडा वीर्य मेरे लौड़े पर चिपका हुआ था. चोदने का बहुत मजा आया था आज मुझे.

पिंकी को गणित का तो पता नहीं लेकिन चोदने का एक बहुत अच्छा सबक मिल गया था, उसकी चूत का आज ओपनिंग भी हो गया था. पिंकी को मैं अपने उसी रूम में लगातार चार महीने चोदता रहा, उनका घर रिपेरिंग तो दो महीने पहले ही हो गया था लेकिन उसे चोदने के और गणित के कुछ पाठ लेने जो बाकी थे……!!!