भाई-बहन की चुदाई

मुंबई में हेमलता दीदी की चूत चुदाई की कहानी – अजय और दीदी का सेक्स रोमांच

हैल्लो दोस्तों, मेरा नाम अजय सिंह है और मैं मध्यप्रदेश के भोपाल से हूँ। ये कहानी आज से करीब 2 साल पहले की है, जब मैं अपने काम के सिलसिले में दो हफ्तों के लिए मुंबई गया था। अंधेरी में मेरी एक बुआ रहती हैं, जिनका नाम आशा है। आशा आंटी की दो बेटियाँ हैं—बड़ी का नाम हेमलता और छोटी का नाम अंकुर। ये किस्सा मेरे और हेमलता दीदी के बीच का है, जहाँ मैंने दीदी की चूत में अपने लंड का झंडा गाड़ दिया। हेमलता को मैं दीदी इसलिए बुलाता हूँ क्योंकि वो मुझसे 2 महीने बड़ी हैं। उनकी चौड़ी छाती, बड़ी गोल गांड और सेक्सी आँखें किसी भी मर्द के लंड में तूफान ला सकती थीं। मैंने दीदी की चूत पहले कभी नहीं देखी थी, लेकिन बाहर से उनकी हॉटनेस देखकर लगता था कि उनकी चूत भी कमाल की होगी। दीदी को चोदने के सपने मैं कब से देख रहा था, पर इसके लिए सही जगह और मौका चाहिए था। और वो मौका मुझे मिल ही गया।

उस दिन मैं शाम को जल्दी घर लौटा। आशा आंटी नीचे अंकुर के बालों में कंघी कर रही थीं। मेरे आते ही आंटी ने बताया कि मेरी माँ का फोन आया था। मैंने कहा, “ठीक है, मैं उन्हें कॉल कर दूँगा।” उस वक्त मोबाइल का ज्यादा चलन नहीं था, तो लैंडलाइन ही काम आती थी। मैंने तौलिया लिया और बाथरूम में नहाने चला गया। नहाकर बाहर आया तो हेमलता दीदी के कमरे से कुछ आवाजें सुनाई दीं। मैंने खिड़की के छेद से झाँका तो मेरे होश उड़ गए। दीदी ने लैपटॉप पर पोर्न खोल रखा था और चुदाई की तस्वीरें देखते हुए डिल्डो से मस्ती कर रही थीं। उनकी चूत खुली हुई थी। टॉप नहीं उतारा था, पर नीचे के कपड़े सरका दिए थे। उनकी चूत में एक काला डिल्डो अंदर-बाहर हो रहा था। जब डिल्डो पूरा अंदर जाता, तो वो “आह… ओह…” की सिसकारियाँ भरतीं। मैंने सोचा कि दरवाजे के छेद से बेहतर नजारा दिखेगा, जो खिड़की से बड़ा था। गैलरी से नीचे झाँका तो आंटी अभी कंघी में ही लगी थीं। मेरे पास अभी वक्त था।

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मैं फट से दरवाजे के छेद पर सट गया और दीदी की शरारत देखने लगा। मेरा लंड भी उबाल मार रहा था। मुझे चूत मारे हुए जमाना हो गया था। आखिरी बार कॉलेज के फाइनल ईयर में मैंने और मेरे दोस्त ताहिर ने एक रंडी की चूत मारी थी। दीदी की चूत में डिल्डो अंदर-बाहर हो रहा था और वो अपने बूब्स जोर से दबा रही थीं। उनकी चूत से रस टपक रहा था, जो डिल्डो को भिगो रहा था। वो डिल्डो कोई महंगा नहीं था। मैंने तौलिये के नीचे से अपने खड़े लंड को दरवाजे पर टच किया। अंडरवियर नहीं पहना था, तो लंड और कामुक लग रहा था। मैंने सोचा, दीदी को देखकर ही मुठ मार लूँ। पर वहाँ खड़े-खड़े मुठ मारने के दो नुकसान थे—पहला, वीर्य बाहर गिर सकता था और फर्श साफ करना पड़ता। दूसरा, अगर आंटी आ जातीं, तो दीदी की चूत की जगह उनकी लात पड़ती।

मैं मन मारकर बाथरूम में लौटा। कड़ी लगाकर दीदी को याद करते हुए मुठ मारी। लंड इतना गर्म था कि चार बार हिलाने से वीर्य निकल गया। पानी डालकर उसे गटर में बहाया, लंड पोंछा और बाहर आ गया। दरवाजे से झाँका तो दीदी की चूत तृप्त हो चुकी थी। उन्होंने कपड़े ठीक कर लिए थे और लैपटॉप पर गाने सुन रही थीं।

मैंने ढीली पैंट और खुली टी-शर्ट पहनी, दीदी के कमरे पर नॉक किया। उन्होंने डिल्डो छिपाया और मुझे अंदर बुलाया। मैं उनके बेड पर बैठ गया। बातों-बातों में मैंने कहा, “दीदी, कुछ पूछना था।” वो बोलीं, “हाँ, पूछो।” मैंने कहा, “पहले प्रॉमिस करो, किसी को नहीं बताओगी।” उन्होंने प्रॉमिस किया। मैंने पूछा, “अंधेरी में डॉक्टर गुप्ता का क्लिनिक कहाँ है?” (वो एक फेमस सेक्सोलॉजिस्ट थे।) दीदी ने मुझे अजीब नजरों से देखा और बोलीं, “वो स्टेशन के दूसरी तरफ है। पर तुम्हें वहाँ क्यों जाना है?” हँसकर बोलीं, “रश्मि को परेशान तो नहीं करना?” (रश्मि मेरी मंगेतर है।) मैंने कहा, “नहीं दीदी, बात उलटी है। मुझे शर्मिंदगी हो रही है।” दीदी उत्सुक हो गईं, बोलीं, “बता ना, शर्माने की क्या बात? हम दोनों एडल्ट हैं।” मैंने कहा, “दीदी, मेरा लंड बहुत पावरफुल है। मैं कम से कम 1 घंटा लेता हूँ।” उनकी आँखें फटी रह गईं। शायद सोच रही थीं कि ऐसा लंड मिले तो डिल्डो से छुटकारा मिले।

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मैंने आगे कहा, “रश्मि भी परेशान है। इसलिए डॉक्टर गुप्ता से पावर कम करने की सलाह लेना चाहता हूँ।” दीदी की जीभ होंठों पर फिरने लगी। उनकी नजर मेरे लंड पर थी। मैंने जानबूझकर अंडरवियर नहीं पहना था। वो बोलीं, “नहीं, ऐसा कैसे हो सकता है? तुम मजाक कर रहे हो।” मैंने कहा, “सच बोल रहा हूँ।” वो बोलीं, “प्रैक्टिकली पता चले तभी मानूँगी।” मैंने नखरे करते हुए कहा, “कोई है आपके दिमाग में जो प्रैक्टिकल करे?” इतना कहते ही दीदी खड़ी हुईं, दरवाजा लॉक किया और टी-शर्ट उतार दी। उनकी काली ब्रा में झूलते बूब्स मादक लग रहे थे। वो बोलीं, “आ जा, मैं हूँ ना।”

20-25 सेकंड में दीदी ने ब्रा और बाकी कपड़े उतार दिए। वो पूरी नंगी हो गईं। उनकी चिकनी, बिना बालों वाली चूत गुलाब की तरह खिली थी। उन्होंने मेरा लंड पकड़ा और बोलीं, “निकाल।” मैंने भी कपड़े उतारे। दीदी ने मेरा 8 इंच का लंड मुँह में लिया और जोर-जोर से चूसने लगीं। मैंने उनके मुँह को पकड़कर झटके देने शुरू किए। उनके मुँह से “अग्ग… ग्ग…” की आवाजें आने लगीं। फिर मैंने लंड निकाला और उन्हें बेड पर पटक दिया।

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हम 69 पोजीशन में आए। मैंने उनकी चूत में जीभ डाली, वो मेरा लंड चूसने लगीं। मैंने उनकी क्लिटोरिस पर जीभ फेरी। वो मेरे लंड के गोलों को चूसने लगीं। मैंने उनकी गांड पर थूक लगाया और एक उंगली अंदर डाली। उनकी चूत से पानी निकल गया। मैंने उसे चाटा। फिर उनकी टाँगें फैलाईं और लंड उनकी चूत पर रगड़ने लगा। वो बोलीं, “अजय, तड़पाओ मत। अपनी चूत फाड़ दो।” मैंने कहा, “जल्दी क्या है? पूरे हफ्ते चोदूँगा। डिल्डो की जरूरत नहीं पड़ेगी।” डिल्डो की बात सुनकर वो समझ गईं कि मैंने उन्हें देखा था। बोलीं, “कुत्ते, तू झाँक रहा था?” मैंने लंड का सुपाड़ा उनकी चूत में डालते हुए कहा, “दीदी, आपको परेशान देखा, इसलिए लंड का हथौड़ा लाया हूँ।” वो मुझे जकड़कर बोलीं, “तेरे लंड में बड़ी ताकत है।”

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मैंने मिशनरी स्टाइल में 20 मिनट तक चोदा। दीदी दो बार झड़ चुकी थीं। फिर मैंने उन्हें उल्टा किया, गांड पर थूक लगाया और लंड डाला। वो चिल्लाईं, पर मैंने मुँह दबा दिया। धीरे-धीरे पूरा लंड उनकी गांड में गया। मैं जोर-जोर से ठोकने लगा। उनकी चूत में उंगलियाँ डालीं। वो बोलीं, “चोदो अपनी दीदी को, मेरी गांड का गोदाम बना दो।” वो फिर झड़ गईं। मेरा लंड भी उनकी गांड में झड़ गया।

थककर हम लेट गए। दीदी बोलीं, “तू तो शक्तिशाली है। रश्मि की माँ चोद देगा। मुझे भी खुश रखना।” मैंने कहा, “दीदी की चूत के लिए मेरा लंड हमेशा तैयार है।” अगले सात दिन तक मैंने उनकी चूत का फालूदा निकाला।