वंदना ने मुझे नौकर से चुदवाया – रोमांचक और कामुक सेक्स कहानी
निशा की पहली चुदाई की उत्तेजक कहानी, जिसमें उसकी सहेली वंदना ने उसे नौकर रवि के साथ आनंद की दुनिया में ले जाया। पढ़ें ये कामुक अनुभव!
हेलो दोस्तों, मेरा नाम निशा है। मैं एक बार फिर अपनी एक नई, रोमांचक और कामुक कहानी लेकर आप सबके सामने हाज़िर हूँ। ये मेरी ज़िंदगी का वो लम्हा है, जब मैंने पहली बार किसी मर्द के साथ चुदाई का मज़ा लिया। ये अनुभव इतना तीव्र और उत्तेजक था कि इसे आपके साथ बाँटने का मन कर रहा है। तो चलिए, बिना देर किए, उस रात की कहानी शुरू करते हैं, जब मेरी सबसे अच्छी दोस्त वंदना ने मुझे एक ऐसे आनंद की दुनिया में ले गई, जिसकी मैंने कभी कल्पना भी नहीं की थी।
पिछले कुछ सालों से मैं सेक्सी कहानियाँ पढ़कर अपनी तन्हा रातों को रंगीन करती थी। इन कहानियों ने मेरे अंदर की आग को और भड़का दिया था। मेरी चूत में अब एक लंड की तलब इतनी बढ़ गई थी कि मैं बेचैन रहने लगी। मेरा गोरा, सेक्सी जिस्म हर पल किसी मर्द की गर्माहट माँग रहा था। आखिरकार, मैंने अपनी इस जलन को अपनी पक्की सहेली वंदना से शेयर किया। मैंने उससे कहा, “वंदना, अब मुझसे रहा नहीं जाता। मुझे किसी मर्द से अपनी चुदाई करवानी है। मेरे जिस्म की आग को ठंडा करने का कोई इंतज़ाम कर।”
वंदना ने मेरी बात बड़े ध्यान से सुनी। उसने कुछ पल सोचा और फिर मुस्कुराते हुए बोली, “निशा, तू चिंता मत कर। मैं तेरे लिए एकदम मस्त इंतज़ाम करूँगी।” मैंने उत्सुकता से पूछा, “कौन है वो?” उसने जवाब दिया, “हमारा नौकर रवि। मैं उसे अंकल कहती हूँ।” उसकी बात सुनकर मैं पहले तो चौंक गई, लेकिन फिर मैंने सोचा कि वंदना की बात में दम है।
रवि अंकल 40 साल के हट्टे-कट्टे मर्द थे। उनका शरीर कसरत की वजह से एकदम तगड़ा और आकर्षक था। हर सुबह वो सिर्फ़ अंडरवियर में कसरत करते, और मैंने कई बार चुपके से उन्हें देखा था। उनके अंडरवियर में उनका लंड का उभार साफ़ दिखता था, जो मेरे मन में हलचल मचा देता था। वो अभी तक कुंवारे थे, और उनकी मर्दानगी को देखकर मेरे मन में उनके साथ चुदाई की ख्वाहिश जागने लगी। मैंने ठान लिया कि अब मुझे उन्हें अपनी ओर आकर्षित करना है।
मैंने उनके सामने ऐसे कपड़े पहनने शुरू किए, जो मेरे जिस्म की हर एक नाज़ुक अदा को उभारे। मेरी चाल, मेरी नज़रें, सब कुछ ऐसा था कि रवि अंकल की निगाहें मुझ पर टिकने लगीं। वो मुझे घूरते, मेरे पास आने के बहाने ढूंढते, और कभी-कभी हल्के से मुझे छूने की कोशिश करते। उनकी आँखों में मेरे लिए वो भूख साफ़ दिखती थी, जो मेरे जिस्म को और बेकरार कर देती थी।
फिर एक रात वंदना मेरे घर आई। उसने अपने घरवालों से कह दिया कि वो मेरे साथ रात बिताएगी। जैसे ही वो मेरे कमरे में आई, मैंने उसे अपनी बाहों में भर लिया। हम दोनों एक-दूसरे को प्यार करने लगे। वंदना ने धीरे-धीरे मेरे कपड़े उतारने शुरू किए। देखते ही देखते उसने मुझे पूरा नंगा कर दिया। मैं भी कहाँ पीछे रहने वाली थी? मैंने भी वंदना के सारे कपड़े उतार दिए। अब हम दोनों 69 की पोज़िशन में आ गए। मैं उसकी चूत को चाट रही थी, और वो मेरी चूत को चूस रही थी। मुझे पता था कि रवि अंकल हमें चुपके से देख रहे हैं। मैंने पहले भी कई बार उनकी नज़रों को अपने ऊपर महसूस किया था। इसीलिए मैंने और जोश में आकर वंदना की चूत को ज़ोर-ज़ोर से चाटना शुरू कर दिया, ताकि अंकल का सब्र टूट जाए।
थोड़ी देर बाद रवि अंकल अपने आप को रोक न सके। वो मेरे पीछे आ गए और मेरी गांड को सहलाने लगे। उनकी जीभ मेरी गांड और चूत पर चलने लगी। मैं एकदम सिहर उठी। वो पागलों की तरह मेरी चूत और गांड को चाट रहे थे। मेरे जिस्म में बिजली-सी दौड़ रही थी। मैं चिल्ला उठी, “उफ्फ्फ अंकल, और ज़ोर से चूसो! आह्ह्ह्ह!” कुछ ही पलों में मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया, जिसे वंदना ने चाट लिया। थोड़ी देर बाद वंदना भी झड़ गई, और मैंने उसका रस पी लिया।
जब मैं पीछे मुड़ी, तो मैं हैरान रह गई। रवि अंकल पूरी तरह नंगे खड़े थे। उनका लंड एकदम तना हुआ था—लगभग 5 इंच लंबा और 2 इंच मोटा। मैंने तुरंत उस लंड को अपने मुँह में ले लिया। मैं उसे लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी। ये मेरा पहला मौका था, जब मैं इतने करीब से किसी मर्द का लंड देख रही थी। मैं पागलों की तरह उसे चूस रही थी, और अंकल को भी मज़ा आ रहा था। वो सिसकियाँ ले रहे थे, “आह्ह्ह निशा, तू कितना मस्त चूसती है! मैं पागल हो रहा हूँ!” उधर वंदना उनकी गांड के छेद को चाट रही थी।
हम तीनों 69 की पोज़िशन में आ गए। मैं अंकल का लंड चूस रही थी, अंकल वंदना की चूत चाट रहे थे, और वंदना मेरी चूत को चूस रही थी। कमरे में सिर्फ़ सिसकियाँ और चूसने की आवाज़ें गूँज रही थीं। मैं तो जैसे हवा में उड़ रही थी। “आह्ह्ह्ह, उफ्फ्फ, और ज़ोर से चूसो!” मैं चिल्ला रही थी। कुछ देर बाद मैं वंदना के मुँह में झड़ गई, वंदना अंकल के मुँह में झड़ गई, और फिर अंकल भी मेरे मुँह में झड़ गए। उनका गर्म वीर्य मेरे मुँह में भर गया। मैंने और वंदना ने मिलकर उनके लंड को चाटकर साफ किया। वो स्वाद मुझे बेहद उत्तेजक लगा।
थोड़ी देर बाद वंदना ने अंकल के लंड को फिर से चूसकर खड़ा कर दिया। अब अंकल ने अपना तना हुआ लंड मेरी चूत में डालने की कोशिश की। जैसे ही उनका लंड मेरी चूत में गया, मैं दर्द से चीख उठी, “उईईई माँ, मैं मर गई! अंकल, प्लीज़ बाहर निकालो!” मेरा पहला मौका था, और उनका मोटा लंड मेरी टाइट चूत के लिए बहुत था। अंकल रुक गए। मैंने छूकर देखा कि उनका लंड अभी सिर्फ़ 3 इंच ही अंदर गया था। बाकी 2 इंच बाहर था। लेकिन दर्द इतना था कि मैं तड़प रही थी।
अंकल ने लंड बाहर निकाला, और वंदना उसे चाटने लगी। फिर अंकल ने एक और ज़ोरदार झटका मारा। इस बार उनका लंड और अंदर चला गया। मैं दर्द से कराह रही थी। वंदना ने अपनी चूत मेरे मुँह पर रख दी, जिससे मेरी चीखें दब गईं। अंकल ने एक और धक्का मारा, और इस बार उनका पूरा लंड मेरी चूत में समा गया। मैं दर्द से तड़प रही थी, लेकिन कुछ ही पलों बाद दर्द मज़े में बदलने लगा। मैं अपनी गांड को आगे-पीछे करने लगी और चिल्लाने लगी, “आह्ह्ह अंकल, और ज़ोर से चोदो! अपनी इस रंडी की चूत फाड़ दो! मुझे चुदाई का पूरा मज़ा दो!”
मेरे गंदे शब्द सुनकर अंकल और जोश में आ गए। वो बोले, “हाँ मेरी रंडी, आज मैं तेरी चूत को फाड़ दूँगा। तुझे मेरा वीर्य भी पिलाऊँगा!” वो ज़ोर-ज़ोर से धक्के मार रहे थे। कुछ देर बाद मैं सिसकियाँ लेते हुए झड़ गई, “आह्ह्ह अंकल, मैं गई!” लेकिन अंकल अभी नहीं झड़े थे। वो और तेज़ी से धक्के मारने लगे। आखिरकार वो झड़ गए, और उनका सारा वीर्य वंदना के मुँह में चला गया। मैंने उनके लंड को चाटकर साफ किया, और वंदना भी उनके लंड को चूस रही थी।
अब बारी थी वंदना की गांड मारने की। अंकल ने अपने लंड पर वैसलीन लगाई और वंदना को घोड़ी बनाया। जैसे ही उन्होंने अपना लंड वंदना की गांड में डाला, वंदना चीख उठी। मैं उसके बूब्स दबा रही थी, और मेरी चूत उसके मुँह में थी। अंकल बेरहमी से वंदना की गांड मार रहे थे। उनकी पकड़ इतनी मज़बूत थी कि वंदना छटपटा रही थी।
मैंने एक रबर का लंड अपनी चूत पर बाँध लिया और अंकल की गांड को चाटने लगी। उनकी गांड एकदम साफ थी। मैंने अपनी उंगली उनकी गांड में डाली, तो वो चौंक गए। फिर मैंने उस 10 इंच के रबर लंड को उनकी गांड में डाल दिया। एक ही झटके में आधा लंड अंदर चला गया। अंकल चीख उठे, “उफ्फ्फ निशा, ये क्या कर रही हो?” मैंने पूछा, “क्या दर्द हो रहा है?” वंदना बोली, “हरामी, तूने मेरी गांड मारते वक़्त क्या सोचा था? अब तू भी मज़ा ले!”
अब अंकल वंदना की गांड मार रहे थे, और मैं अंकल की गांड। कमरे में सिर्फ़ चीखें और सिसकियाँ गूँज रही थीं। “आह्ह्ह, और ज़ोर से मारो! फाड़ दो!” वंदना चिल्ला रही थी। आखिरकार अंकल वंदना की गांड में झड़ गए। मैंने वंदना की गांड को चाटा, जो अंकल के वीर्य से भरी थी। उसका स्वाद मुझे दीवाना कर रहा था।
उस रात हम तीनों ने जमकर चुदाई की। अंकल ने बारी-बारी से हम दोनों को चोदा। हमने भी रबर लंड से उनकी गांड मारी। हम इतने थक गए कि नंगे ही एक-दूसरे से लिपटकर सो गए। सुबह जब आँख खुली, तो हम तीनों के चेहरों पर संतुष्टि की मुस्कान थी।
दोस्तों, ये मेरी पहली चुदाई की कहानी थी। उम्मीद है आपको उतना ही मज़ा आया, जितना मुझे उस रात आया था।