चुदाई की कहानियाँ

माही की मस्ती भरी चुदाई

Mahi ki masti bhari chudai

हेलो दोस्तो, मेरा नाम माही श्रीवास्तव है।

मेरी उम्र 25 साल है और मैं बहुत ही खूबसूरत हूँ।

मैं मध्य-प्रदेश के एक गाँव की रहने वाली हूँ, मेरे पापा शहर में काम करते हैं और मैं अपनी माँ और छोटी बहन के साथ गाँव में रहती हूँ।

मैंने यह कहानी इसलिए लिखी है क्योंकि मैं आप सभी को अपनी एक सत्य घटना बताना चाहती हूँ।

यह बात आज से करीब 5 साल पहले की है, उस समय मैंने बारहवीं की पढ़ाई ख़त्म करी थी और अपने पापा के पास शहर आ गई थी, आगे की पढ़ाई करने के लिए।

वहाँ पहले से ही उनके दोस्त का बेटा अमित भी उनके साथ रहता था।

मैं जब वहाँ पहुँची तो उसने ही दरवाजा खोला, मैं अन्दर जा कर सोफ़े पर बैठ गई।

वह मेरे लिये पानी लेकर आया और उसने मुझे पानी दिया और अपने रूम में चला गया।

पता नहीं उसे देख कर मुझे क्या हुआ कि मैं उसे देखती रह गई।

मैं उसके बारे में सोच ही रही थी कि वह मुझे पानी देकर बिना कुछ कहे रूम में क्यूँ चला गया, तभी वह अपने रूम से बाहर आया और मुझे एक लिफ़ाफ़ा दिया और कहा – आपके पापाजी ने मुझसे आपके लिए अच्छे कॉलेज की डीटेल लाने को कहा, ये कुछ डीटेल हैं, देख लीजिए।

मैंने कहा – मुझे यहाँ के बारे में कुछ नहीं पता, अब आप ही बताइए कि मैं कहाँ जाऊँ।

उसने कहा – आप अभी अराम करो, शाम को जब आपके पापाजी आएँगें तब सोचेंगें, ठीक है।

मैं हाँ बोलकर अपने रूम में जाने लगी तो वो भी मेरा समान उठा कर मुझे रूम तक ले गया और वहाँ सामान रख कर उसने कहा – आप हाथ मुँह धो लीजिए, मैं आपके लिए खाना लगा देता हूँ।

ये सुन कर मुझे पता नहीं क्यूँ कुछ अजीब सा लगा।

मुझे वो पहली नज़र में भा गया था। मैंने हाथ मुँह धोये और खाना खा कर अपने रूम में सो गई।

शाम को जब मेरी नींद खुली तो मुझे बाहर से कुछ आवाज़ें सुनाई दी। मैंने बाहर जाकर देखा तो पापा अमित से बातें कर रहे थे।

उन्होंने मुझे देखा और कहा – उठ गईं तुम बेटा, हम तुम्हारे बारे में ही बात कर रहे थे।

अमित यहाँ के एक अच्छे कोलेज से बी.कॉम कर रहा है तो मैं यह सच रहा हूँ कि क्यूँ ना तुम भी उसी के कॉलेज से बी.कॉम कर लो, तुम यहाँ कुछ जानती भी नहीं हो तो तुम उसी के साथ चले जाया करना।

मैंने भी यही सही समझा और हाँ कह दिया और दूसरे दिन अमित के साथ उसके कॉलेज चली गई और एडमिशन ले लिया।

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अब मैं रोज़ उसी के साथ जाती थी और आती थी।

उसने सारे रास्ते मुझे कुछ ही दिनों में याद करा दिए।

उसके बाद जब भी शनिवार पड़ता वो गाँव चला जाता, ये मुझे बहुत बुरा लगता।

मैं उससे प्यार करने लगी थी, उसकी ये हरकत मुझे गुस्सा दिलाती थी।

मैं हमेशा उसपर किसी ना किसी बहाने से चिल्लाती रहती, लेकिन वो मुझे कुछ नहीं बोलता था, बस चुपचाप सुनता रहता।

एक बार जब मैं, पापा और अमित तीनों बैठे थे तो अमित ने फ़िर घर जाने की बात की, ये सुनकर मुझे गुस्सा आ गया और मैं उस पर चिल्ला दी – पापा, आप बेकार में ही इसे यहाँ रखे हैं, इसे तो इसके गाँव में ही रहने दो, इससे बोल दो कि अब जब भी ये गाँव से वापस आए तो ये अपने लिए कोइ नया घर देख ले, मुझे इसकी शकल पसंद नहीं है।

और भी ना जाने क्या-क्या, उसे मैंने ना जाने क्या-क्या सुना दिया।

ये सब सुन कर पापा मेरे ऊपर गुस्सा करने लगे, तो उसने उन्हें रोक दिया।

फिर वो वहाँ से चला गया और मैं भी गुस्से में अपने रूम में आ गई।

सुबह जब मेरी नींद खुली तो देखा अमित अपना सामान बाँध रहा है, मैं उसके पास गई तो वो मुझसे माफ़ी माँगने लगा कि उसकी वजह से मुझे परेशानी हुई है, उसके लिये मैं उसे माफ़ कर दूँ और वो अब कभी यहाँ नहीं आयेगा।

ये सुन कर तो मेरे पैरों तले जमीन सरक गई।

मुझे अपने किए पर शरम आने लगी।

मैंने कहा – अमित, मैं तुमसे एक बात पूछूँ? सच बताओगे?

उसने कहा – आज तक मैंने कभी आपसे झूठ नहीं बोला।

मैंने कहा – अमित, मैं सिर्फ़ तुम पर इसलिए चिल्लाती थी क्यूंकी मुझे तुम्हारा बार-बार गाँव जाना बुरा लगता है।

उसने कहा – क्यूँ?

मैंने कहा – क्यूंकी मैं तुम्से प्यार करती हूँ।

ये सुनकर वो चुपचाप खड़ा रहा और उसके मुँह से निकला – मैं तो सोचता था कि आप मुझसे नफ़रत करते हो।

फिर मैंने पूछा – मुझे तुम्हारा जबाब चाहिए, वो चुपचाप खड़ा रहा।

मैंने जब उस पर ज़ोर डाला तो उसने कहा – मुझे यकीन नहीं हो रहा जिसे मैं प्यार करता हूँ, वो भी मुझे प्यार करती है।

बस फ़िर क्या था, उसने मुझे गले लगा लिया और मुझे किस करने लगा।

मुझे बहुत अच्छा लग रहा था, मैं भी उसे जवाब में किस करने लगी।

फिर मैंने उसका सारा समान वापस उसके रूम में रख दिया।

बस अब रोज़ जैसे ही पापा जाते हम एक-दूसरे को अपनी बाहों में लिए रहते और किस करते रहते।

एक दिन उसने कहा – माही, आज मैं तुम्हारे साथ कुछ करना चाहता हूँ।

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मैंने कहा – क्या?

उसने सिर झुकाते हुये कहा – सेक्स।

बिना झिझके मैंने कहा – ठीक है, लेकिन कुछ हो गया तो?

उसने कहा – भरोसा रखो, कुछ नहीं होगा।

मैं तुरंत मान गई।

मेरे मुँह से हाँ सुनकर उसने मुझे गोदी में उठाया और अपने रूम में ले जाकर मुझे बिस्तर पर लिटा दिया और खुद मेरे ऊपर लेट गया और मुझे चूमने लगा।

चूमते-चूमते उसने मुझे मेरे बालों से पकड़ लिया और अपनी तरफ़ खींच लिया।

मैं उस दिन स्कर्ट-टॉप पहने थी। उसने मेरे दोनों हाथों को पकड़ लिया और वो मेरे लिप्स को चूसने लगा।

अपने हाथों से वो मेरे मम्मों को दबाने लगा।

अब मेरे शरीर में सनसनाहट सी होने लगी।

जीवन में पहली बार किसी का हाथ मेरे चुचों पर लगा था।

उसका छूना मुझे अच्छा लगा पर वो बहुत जोर-जोर से दबा रहा था, मुझे बहुत दर्द भी हो रहा था।

फिर उसने मेरे निप्पल को ढूंढ कर उसे मसलना शुरु कर दिया, इससे मेरे बदन में मीठी सी आग भरने लगी।

मेरे तन-बदन में एक मस्ती सी छानी शुरु हो गई, मेरी चूत गीली होने लगी थी।

थोड़ी देर के बाद उसने अपने दूसरे हाथ से मेरे टॉप को थोड़ा ऊपर उठाया और फिर दोनों हाथों से एक झटके साथ टॉप को उतर कर फेंक दिया।

अब उसने मेरी ब्रा के स्ट्रेप्स नीचे कर दिए और मेरे मम्मे ब्रा से बाहर उछल कर आ गए। उसने दोनों चुचों को पकड़ लिया और धीरे-धीरे दबाने लगा।

फ़िर उसने मेरी स्कर्ट का हुक खोल दिया और एक झटके के साथ मेरी स्कर्ट और पैंटी को उतार दिया।

अब मैं पूरी तरह नंगी थी।

अब उसने अपनी शर्ट और पेंट खोल दिया और वो भी पूरी तरह नंगा हो गया।

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उसका शरीर बहुत ताकतवर था और उसका लण्ड करीब 6 इन्च लम्बा था और करीब 2 इन्च मोटा।

पहले तो मैं उसे देखती ही रह गई। उसका शरीर गठा हुआ था और लण्ड उफ़नता हुआ।

अब उसने मुझे पकड़ कर बेड पर लेटा दिया और मेरे ऊपर सवार हो गया।

पहले उसने मेरे सारे शरीर को चूमा फिर उसने मेरे चुचों को दबाया और फिर मेरे चुचों को उसने अपने मुँह में लेकर बारी-बारी चूसने लगा।

एक मस्ती का एहसास मेरे दिलो-दिमाग पर हावी होने लगा, उसके शरीर का लुभावना दबाव मुझ पर पड़ने लगा।

मेरी चूत में अब एक मस्ती भरी खुजली होने लगी।

यह खुजली ना जाने क्यूँ बढती ही जा रही थी, मेरे निप्पल अब तक तन कर खड़े हो गये थे।

उसके बाद वो मेरी चूत को चाटने लगा, मैं अब तक बहुत गरम होने लगी थी।

जब मुझसे सब्र नही हुआ तो मैने अमित से कहा – जान, अब और मत तड़पाओ और अपना लंड अन्दर डाल दो।

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बस अब क्या था उसने अपना लण्ड मेरी चूत पर टिका दिया और एक झटका लगाया, लण्ड थोड़ा सा अन्दर चला गया।

मैं चीख पड़ी, आआययईईईईईईए… आआआआह्हह्हह्हह्हह्हह्हह… ऊऊऊऊऊओह्हह्हह्हह्हह्हह्ह… हैईईईईईईई… माआआअर्रर्रर्रर्र… गाआआययययईईईईईईईईईई… नाआअह्हह्हह्हह्हीईईईईईईईईईईइन्नन्न…

फिर उसने एक जोरदार झटका मार दिया और लण्ड करीब आधा अन्दर चला गया। मेरी सील भी टूट गई।

मेरी चूत से खून बहने लगा। मैं चीखना चाहती थी पर उसने मेरे लिप्स को अपने लिप्स में लेकर दबा रखा था।

वो बोला – तुम बहुत मस्त हो, आज तुम्हारी सील तोड़ने मैं मज़ा आ गया।

फिर उसने एक और जोरदार झटका लगाया और उसका लण्ड पूरी तरह मेरी चूत मैं घुस गया।

मैं चीखना चाहती थी पर चीख नहीं सकती थी। मेरी आँखों से आँसू टपक रहे थे।

वो बोला – थोड़ी देर रुक जाता हूँ।

अब उसने मेरे चुचों को चूसना शुरु कर दिया।

इससे मुझे बहुत आराम मिला और मेरा दर्द भी कम हो गया।

फिर कुछ देर बाद उसने धीरे-धीरे लण्ड को अन्दर-बाहर करना शुरु कर दिया।

दर्द की एक धीमी लहर उठी, पर अब साथ में मज़ा भी आ रहा था। कुछ देर बाद दर्द पूरी तरह से खत्म हो गया।

अब तो बस मज़ा ही मज़ा था।

उसने पूरी मस्ती के साथ मेरी चुदाई की और उसका मोटा मस्त लण्ड मेरी चूत की खुजली मिटाने में लगा था।

मैने भी खूब उछल-उछल कर उससे चुदवाया।

फिर थोड़ी देर के बाद मैं झड़ गई और वो भी मेरे साथ अन्दर ही झड़ गया।

उस दिन हमने पुरे दिन सेक्स किया और आज भी हम लोग जब भी मौका मिलता है तब फ़िर से शुरू हो जाते हैं।

दोस्तो, आपको मेरी कहानी कैसी लगी जरूर बताना…