Bhabhi Sex

पड़ोस की रश्मि भाभी की मस्त चूत की चुदाई

पढ़ें दिल्ली के शेखर और उसकी पड़ोसन रश्मि भाभी की मादक सेक्स स्टोरी। गोरा बदन, टाइट चूचियाँ और रसीली चूत वाली भाभी ने कैसे शेखर को बेडरूम में ललकारा। प्यासी भाभी और जवान लड़के की चुदाई की पूरी कहानी।

डिअर फ्रेंड, आज मैं तुम्हें एक ऐसी कहानी सुनाने जा रहा हूँ, जो मेरे दिल और जिस्म दोनों में आग लगा चुकी है। ये कहानी मेरे पड़ोस में रहने वाली एक लेडी की है—रश्मि भाभी। यार, क्या मस्त चीज़ है वो! गोरा बदन, ऐसा कि मानो दूध में नहाया हुआ हो। उसकी बड़ी-बड़ी चूचियाँ, टाइट और उभरी हुई, किसी के भी होश उड़ा दें। एक बार नजर पड़ जाए तो बिना मुठ मारे या चुदाई किए नींद ही न आए। उसकी कमर पतली, चूतड़ गोल और रसीले—उसे देखकर मेरा मन डोल गया, और आखिरकार मैंने उसे छोड़ ही दिया। कैसे हुआ ये सब, वो बताता हूँ।

पहले थोड़ा अपने बारे में—मेरा नाम शेखर है। दिल्ली में रहता हूँ, अभी शादी नहीं हुई, पर चूत का रस चखने का शौक पुराना है। कई बार मुँह में वो नमकीन स्वाद लिया है, पर अब हाथ सिर्फ उसी माल पर साफ करता हूँ जो जबरदस्त हो। और आज मेरी वो ख्वाहिश पूरी हो गई।

रश्मि भाभी मेरे फ्लैट के ऊपर वाली मंजिल पर रहती हैं। एक दिन मैं कोचिंग से लौटा और बिस्तर पर लेटकर आराम कर रहा था। तभी उनके यहाँ काम करने वाली बाई आई, बेल बजाई और बोली, “भैया, आपको ऊपर वाली भाभी बुला रही हैं।” वो नीचे चली गई, और मैं उत्सुकता से ऊपर पहुँचा। बेल बजाई। दरवाजा खुला, और सामने रश्मि भाभी खड़ी थीं। यार, क्या कहूँ—वो एक हल्की-सी फ्रॉक में थी, घुटनों से ऊपर तक, जिसमें से उनकी गोरी-गोरी टाँगें चमक रही थीं। फ्रॉक टाइट थी, उनकी चूचियाँ बाहर को उभरी हुई, गले के पास से दरार साफ दिख रही थी। मैं तो बस उन्हें देखता रह गया।

“हाँ जी भाभी, आपने बुलाया?” मैंने हकलाते हुए पूछा।
“हाँ शेखर, देखो ना, तुम्हारे भैया गुड़गाँव गए हैं। गैस सिलेंडर बदलना है, मुझसे नहीं हो रहा। मदद कर दो प्लीज,” उसकी आवाज में एक नजाकत थी।
“अरे भाभी, इसमें प्लीज की क्या बात? चलिए,” मैंने कहा और किचन में घुस गया।

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मैंने पुराना सिलेंडर हटाया, नया लगाया। काम खत्म हुआ तो वो बोली, “शेखर, बहुत-बहुत धन्यवाद!”
“अरे नहीं भाभी, ये तो पड़ोसी का फर्ज है,” मैंने मुस्कुराते हुए कहा।
“अच्छा? और तुम किस-किस काम में आ सकते हो?” उसने शरारती अंदाज में पूछा।
मैंने हँसते हुए कहा, “आपका कोई भी काम हो, मैं हाजिर हूँ।”
“मैं भी यही उम्मीद करती हूँ,” उसने आँख मारते हुए कहा। “बैठो, मैं तुम्हारे लिए कोल्ड ड्रिंक लाती हूँ।”

मैं सोफे पर बैठ गया। वो फ्रिज से ड्रिंक लेने गई। मैं उसे निहार रहा था—फ्रॉक में उसकी चाल, कमर का लचकना, और वो गोरी जाँघें—आज तक किसी औरत को ऐसे नहीं देखा था। वो मेरे पास सोफे पर बैठ गई। ड्रिंक का ग्लास थमाते हुए बोली, “क्या देख रहे हो?”
“भाभी, आप इस फ्रॉक में बहुत हॉट लग रही हो,” मैंने बिना हिचके कहा।
“अच्छा? हॉट लग रही हूँ तो जल मत जाना,” उसने हँसते हुए जवाब दिया।
“मैं तो जलना पसंद करूँगा, अगर आप जलाने को तैयार हों,” मैंने शरारत से कहा।
“अच्छा जी, क्या बात है? कोई गर्लफ्रेंड नहीं है?” उसने पूछा।
“नहीं भाभी, कोई नहीं है,” मैंने उदासी जताई।
“कोई बात नहीं। आज मैं फ्रॉक में गर्लफ्रेंड जैसी लग रही हूँ ना? तो आज मैं तुम्हारी गर्लफ्रेंड बन जाती हूँ,” उसकी आँखों में चमक थी।
“ये तो मेरा सौभाग्य होगा,” मैंने कहा।
“तो बोलो, गर्लफ्रेंड को क्या करना चाहिए?” उसने मादक अंदाज में पूछा।

“अगर मेरी गर्लफ्रेंड होती तो सबसे पहले मैं उसे किस करता,” मैंने हिम्मत जुटाकर कहा।
“तो मना किसने किया? मैं तो तुम्हारी गर्लफ्रेंड हूँ ना,” उसने होंठों पर हल्की मुस्कान लाते हुए कहा। मैंने झट से उसके गाल पर एक नरम-सा चुम्बन लिया।
“बस इतना ही?” उसने शरारत से पूछा।
“नहीं भाभी, ये तो शुरुआत है,” मैंने कहा और उसके रसीले होंठों पर अपने होंठ रख दिए। वो मुझे नशीली निगाहों से देखने लगी। मेरे होश उड़ गए। मैंने उसे अपनी बाहों में भर लिया और तेजी से उसके होंठों को चूमने लगा। उसकी साँसें गर्म थीं, जीभ मेरी जीभ से टकरा रही थी। अचानक उसने मुझे सोफे पर धक्का दिया और मेरे ऊपर चढ़ गई। वो मुझे पागलों की तरह चूम रही थी।

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मैंने उसकी फ्रॉक ऊपर उठाई, उसके गोल चूतड़ों को पकड़ा और अपने लंड के पास लाकर रगड़ने लगा। वो हँसते हुए बोली, “अच्छा जी, पैंटी के ऊपर से ही घुसा दोगे क्या?”
“हाँ भाभी, मेरा लंड इतना टाइट हो गया है कि किसी भी चीज़ को फाड़ सकता है,” मैंने जोश में कहा। हम दोनों एक-दूसरे को और जोर से जकड़ लिए।

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“चलो बेडरूम में,” उसने फुसफुसाते हुए कहा। मैंने उसे अपनी गोद में उठाया, बेडरूम में ले जाकर बिस्तर पर पटक दिया। उसके पैर फैलाए, पैंटी उतारी—और सामने थी उसकी गुलाबी, नम चूत। मैंने अपना मुँह वहाँ रख दिया। चूत का रस चाटना मेरा फेवरेट है। ओह्ह… क्या नमकीन स्वाद था! “ओह्ह… ओह्ह… ओह्ह…” मैं उसकी चूत को चाटता गया, जीभ अंदर तक घुमाई। वो सिसकारियाँ ले रही थी, “इश्श… आह्ह… चाटो… और चाटो… जीभ अंदर डालो!” मैंने वैसा ही किया।

फिर मैं ऊपर चढ़ा, उसकी चूचियों को दबाया। वो बोली, “फ्रॉक खोल देती हूँ।” उसने फ्रॉक उतारी, मैंने ब्रा का हुक खोला और उसकी टाइट चूचियों पर टूट पड़ा। कभी एक निप्पल को मुँह में लिया, कभी दूसरी को काटा, कभी हिलाया। वो और मादक होती जा रही थी। उसकी सिसकारियाँ कमरे में गूँज रही थीं।

“अब और मत तड़पाओ… चोद दो मुझे… फाड़ दो मेरी चूत को,” उसने तड़पते हुए कहा। मैंने उसके पैर ऊपर उठाए, अपना मोटा, लंबा लंड उसकी चूत पर रखा और एक जोरदार धक्का मारा। वो चीखी, पर मैं रुका नहीं। “हाँ… मस्त लंड है तेरा,” वो बोली और अपनी गांड उठा-उठाकर चुदवाने लगी। उसकी चूत पानी-पानी हो गई थी। मैंने लंड निकाला, सारा रस चाटा, फिर दोबारा चूत में पेल दिया। अब जोर-जोर से धक्के मारने लगा। वो “हाय… हाय…” चिल्ला रही थी। मैं ऊपर से धक्के देता, वो नीचे से कमर हिलाती। आखिरकार उसने एक लंबी “आह्ह” भरी और मुझे जकड़ लिया। मैंने भी तेजी से चोदना जारी रखा और सारा वीर्य उसकी चूत में छोड़ दिया। हम एक साथ शांत हो गए।

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दस मिनट तक हम एक-दूसरे से चिपके पड़े रहे। फिर उसने मेरे होंठों पर एक गहरा चुम्बन लिया और बोली, “कल दोपहर फ्री रहोगे?”
“हाँ भाभी,” मैंने कहा।
“तो आ जाना। बस 6 बजे के बाद मत आना, भैया आ जाते हैं। जब तक वो घर पर नहीं हैं, मैं तुम्हारी हूँ,” उसने मुस्कुराते हुए कहा।