चचेरी बहन की आग और मेरी प्यास
मेरा नाम अर्जुन है। मैं उत्तर प्रदेश के एक छोटे से कस्बे का रहने वाला हूँ। उम्र 24 साल, कद 5 फीट 11 इंच, और रंग साँवला, पर चेहरा ऐसा कि लोग कहते हैं कि मेरी आँखों में कुछ बात है। घर में माँ-बाप और दो बड़े भाई हैं। हमारा परिवार संयुक्त नहीं है, लेकिन रिश्तेदारों से रिश्ता गहरा है। यह कहानी उस वक़्त की है जब मैं अपने चाचा के घर लखनऊ गया था। मुझे वहाँ एक कोचिंग में दाखिला लेना था, जो यूपीएससी की तैयारी के लिए मशहूर थी।
चाचा का घर लखनऊ के गोमती नगर में था। बड़ा सा बंगला, जिसमें चाचा, चाची और उनकी इकलौती बेटी रिया रहती थी। रिया मेरी चचेरी बहन थी, और उसे मैंने आखिरी बार तब देखा था जब वह 10-11 साल की थी। उस वक़्त वह पतली-दुबली, शरारती सी लड़की थी। लेकिन अब, जब मैं ट्रेन से उतरकर चाचा के साथ उनके घर पहुँचा, तो रिया को देखकर मेरे होश उड़ गए।
वह दरवाजे पर खड़ी थी। उसने नीली कुर्ती और सफेद पलाज़ो पहना था। बाल खुले थे, जो हवा में लहरा रहे थे। उसकी उम्र अब 21 साल थी, और उसका फिगर ऐसा कि किसी का भी दिल धक-धक कर उठे। उसने मुझे देखते ही मुस्कुराकर कहा, “अर्जुन भैया, कितने साल बाद आए हो! मैं तो आपको पहचान भी नहीं पाई।”
मैंने हँसते हुए कहा, “तू भी तो पूरी बदल गई है, रिया। अब तो तू किसी फिल्म की हीरोइन लगती है।” मेरी बात सुनकर वह शरमा गई और बोली, “अच्छा, चलो अंदर आओ। मैं तुम्हारा बैग रखवा देती हूँ।”
चाचा ने मुझे मेरे लिए तैयार कमरा दिखाया। यह रिया के कमरे के ठीक बगल में था। कमरा साफ-सुथरा था, और खिड़की से बाहर का नज़ारा खूबसूरत दिख रहा था। मैंने बैग रखा और नहाने चला गया। नहाकर बाहर आया तो रिया मेरे लिए पानी का गिलास लेकर आई। उसने कहा, “भैया, थक गए होंगे। पानी पी लो, फिर चाय बनाती हूँ।”
उसकी आवाज़ में एक अजीब सी मिठास थी। मैंने पानी पिया और उससे बातें करने लगा। उसने बताया कि वह कॉलेज में बीए कर रही है और उसे डांस का बहुत शौक है। बातों-बातों में उसकी नज़रें बार-बार मुझ पर टिक रही थीं। मुझे लगा कि शायद वह बस यूँ ही उत्सुक है, लेकिन उसकी आँखों में कुछ और ही चमक थी।
पहली चिंगारी
पहले दिन तो सब ठीक रहा। मैं कोचिंग गया, लौटा, और रात को चाचा-चाची के साथ खाना खाया। रिया भी वहीं थी, और उसने मेरे लिए खास तौर पर पराठे बनाए। खाने के बाद चाचा-चाची अपने कमरे में चले गए, और मैं अपने कमरे में लेट गया। थकान की वजह से नींद आने लगी थी, लेकिन तभी रिया मेरे कमरे में आई। उसने कहा, “भैया, आप सो गए क्या? मुझे एक मदद चाहिए।”
मैं उठ बैठा और बोला, “हाँ, बोल क्या चाहिए?” उसने कहा, “मेरे फोन में एक ऐप डाउनलोड नहीं हो रहा। आप देख सकते हो?” मैंने उसका फोन लिया और चेक करने लगा। उस वक़्त उसने ढीली सी नाइटी पहनी थी, जो उसके जिस्म को हल्का-हल्का उभार रही थी। मैंने फोन ठीक किया और उसे वापस देते हुए कहा, “हो गया। अब सो जा।”
वह मुस्कुराई और बोली, “थैंक्स भैया। वैसे, आपको नींद नहीं आ रही क्या?” मैंने कहा, “थोड़ी थकान है, बस।” वह मेरे पास बेड पर बैठ गई और बोली, “तो फिर बात करते हैं न। मुझे नींद नहीं आ रही।” उसकी बातों में एक नशा था। हम इधर-उधर की बातें करने लगे, लेकिन मेरी नज़र बार-बार उसके जिस्म पर जा रही थी। उसकी नाइटी के नीचे कुछ भी नहीं दिख रहा था, और यह सोचकर ही मेरा मन मचलने लगा।
वासना का खेल
अगले दिन कोचिंग से लौटते वक़्त बारिश हो गई। मैं भीग गया था। घर पहुँचते ही रिया ने मुझे तौलिया दिया और बोली, “भैया, जल्दी से कपड़े बदल लो, नहीं तो बीमार पड़ जाओगे।” मैं अपने कमरे में गया और नहाने चला गया। शॉवर के नीचे खड़ा था कि अचानक दरवाज़ा खुला। रिया अंदर आ गई। मैं नंगा था, और मेरा लंड पूरा तना हुआ था, क्योंकि मैं उसे सोचकर ही गर्म हो रहा था।
उसने मुझे देखा और एक पल के लिए रुक गई। फिर हँसते हुए बोली, “सॉरी भैया, मुझे लगा आप नहा लिए होंगे। मैं अपना शैम्पू लेने आई थी।” उसकी नज़र मेरे लंड पर टिकी थी, और उसके चेहरे पर एक शरारती मुस्कान थी। मैंने जल्दी से तौलिया लपेटा और कहा, “कोई बात नहीं, ले जा।” वह शैम्पू लेकर चली गई, लेकिन उसकी वह नज़र मेरे दिमाग में बस गई।
रात को खाना खाने के बाद चाचा-चाची सो गए। मैं लॉबी में टीवी देख रहा था। रिया भी आ गई। उसने छोटा सा शॉर्ट्स और टॉप पहना था। उसकी गोरी जाँघें और टॉप से झाँकते उभार मेरे होश उड़ा रहे थे। उसने कहा, “भैया, कोई अच्छी मूवी लगाओ न।” मैंने एक रोमांटिक फिल्म लगाई। फिल्म में एक हॉट सीन आया, और हम दोनों चुप हो गए। मैंने देखा कि रिया की साँसें तेज़ हो रही थीं। उसने धीरे से मेरे हाथ पर अपना हाथ रख दिया।
मैंने उसकी तरफ देखा। उसकी आँखों में आग थी। वह बोली, “भैया, आपको कभी किसी लड़की के साथ ऐसा करने का मन नहीं हुआ?” मैं समझ गया कि वह क्या कहना चाहती है। मैंने कहा, “रिया, ये गलत है। हम भाई-बहन हैं।” वह हँसी और बोली, “चचेरे भाई-बहन में ऐसा कुछ गलत नहीं होता। और वैसे भी, मुझे आप अच्छे लगते हो।”
आग का मिलन
उसकी बात सुनकर मेरे अंदर की आग और भड़क गई। मैंने उसे अपनी बाँहों में खींच लिया और उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए। वह भी पूरा साथ दे रही थी। उसकी साँसें मेरे चेहरे पर लग रही थीं। मैंने उसका टॉप उतार दिया। उसके गोरे दूध मेरे सामने थे। मैंने उन्हें चूमना शुरू किया, और वह सिसकारियाँ भरने लगी।
उसने मेरी शर्ट उतारी और मेरे सीने को चूमने लगी। फिर उसने मेरा पैंट खींच दिया। मेरा लंड पूरा तन चुका था। उसने उसे हाथ में लिया और बोली, “भैया, ये तो बहुत बड़ा है।” मैंने उसे बेड पर लिटाया और उसका शॉर्ट्स उतार दिया। उसकी चूत गीली हो चुकी थी। मैंने उसकी टाँगें फैलाईं और उसकी चूत को चाटने लगा। वह जोर-जोर से सिसकारियाँ ले रही थी।
कुछ देर बाद उसने कहा, “भैया, अब डाल दो। मुझे और मत तड़पाओ।” मैंने अपना लंड उसकी चूत पर सेट किया और एक झटके में अंदर डाल दिया। वह चीख पड़ी, लेकिन फिर मज़े लेने लगी। मैं उसे जोर-जोर से चोदने लगा। उस रात हमने कई बार एक-दूसरे को संतुष्ट किया।
रिश्ता
उसके बाद हमारा यह सिलसिला चलता रहा। कोचिंग के दिन और रिया के साथ रातें, दोनों रंगीन हो गए। चाचा-चाची को कभी शक नहीं हुआ। रिया और मैंने अपने रिश्ते को एक नया नाम दे दिया था—प्यार और वासना का मिश्रण। यह कहानी मेरे जीवन का एक सच है, जो मुझे हमेशा याद रहेगा। उम्मीद है आपको पसंद आई होगी!