भाई-बहन की चुदाई

दीदी के गद्देदार गांड को चोदने का मज़ा लिया मैंने

Didi Ki Gaddedar Gand Ko Chodne Ka Maja Liya Maine

दीदी की गांड, मेरी दीदी का नाम सीतू है, वो मुझसे तीन साल बड़ी है, उनका रंग गोरा चिट्टा है और हाँ उनके होंठों के नीचे एक काला तिळ है, जिसकी वजह से वो बहुत सेक्ससी लगती हैं। उनकी शादी एक अनिवार्य भारतीय लड़के से यानि कि मेरे जीजा जी से हो गई है, जो दुबई में नौकरियां करते हैं। दीदी उनसे साथ रहती हैं। वैसा तो वो दोनों बहुत खुश रहते हैं मगर शादी के दो साल गुजर जाने के बाद भी उनकी कोई औलाद न होने से दीदी उदास सी रहती हैं।

मेरा नाम टिल्लू है, मैं भी एक अनिवार्य भारतीय हूँ और कनाडा में एक कंपनी में जॉब करता हूँ। यहाँ आने से पहले मेरे माँ-बाप का स्वर्गवास हो गया था इसलिए दीदी, जीजा जी के सिवा मेरा और कोई नहीं है। एक दिन मैं अपने जीजा जी के साथ फोन पर बात कर रहा था तो बातों ही बातों में मैंने जीजा जी को दीदी के साथ अपने पास घूमने आने का निमंत्रण दे दिया। तभी जीजा जी ने यह कहकर टाल दिया कि उनको अभी छुट्टी नहीं मिल सकती, उन पर कंपनी के काम का बहुत भार है।

थोड़ा रुके बाद जीजा जी ने कहा- मैं कुछ दिनों के लिए तेरी दीदी को तेरे पास भेज देता हूँ, उसकी नौकरी भी छूट गई है, सारे दिन भर घर में बोर्ड हो जाती है, वो पहले से काफी उदास सी रहने लगी है, कुछ दिन पहले तुझे ही याद कर रही थी, शायद वो तुझको देखना-मिलेना चाहती है। वैसा भी राखी का त्यौहार नजदीक आ रहा है, दोनों भाई-बहन मिल भी लेना और उसको कहि घुमा भी देना, शायद इसी बहाने उसका मन ही बहल जाए।

मैंने कहा- ठीक है जीजा जी। जैसा आप कहें। और कुछ दिन बाद वो दिन भी आ गया जब दीदी मेरे पास आने के लिए दुबई से रवाना हुई। मैं भी दीदी को लेने के लिए ठीक समय पर एयरपोर्ट पहुँच चुका था। कुछ समय बाद दीदी की फ्लाइट लैंड होने की घोषणा हुई। मैंने अपनी आँखें एक्सिट-गेट पर जमा दीं। कुछ समय बाद मैंने दीदी को लोगों के साथ बाहर आते देखा तो मैं दीदी को देखता ही रह गया। सच क्या लग रही थी दीदी! मैंने कभी भी दीदी को इस रूप में नहीं देखा था।

उन्होंने ऊँची ऐड़ी की सेंडल पहनी हुई थी और काले रंग की फैंसी साड़ी और हाफ कट वाला ब्लैक ब्लाउज़ पहना हुआ था। ब्लाउज़ का गला काफी खुला और बड़ा होने से उनके आधे नंगे स्तन ऊपर से साफ दिखाई दे रहे थे। उनके वक्ष के ऊपर एक काला तिळ था जो अलग ही चमक रहा था जैसे दूध में मक्खी।

तभी दीदी की नज़र मुझ पर पड़ी तो मैंने हाथ हिला कर उनको अपने होने का इशारा किया और दीदी ने एक हलकी सी मुस्कान देकर मेरी ओर बढ़ी और मेरे पास आकर मेरे गलें लगने लगीं। मैंने भी मोके का फायदा उठाया और दीदी की नंगी गोरी चिंकी कमर को अपने दोनों हाथों से सहलाते हुए जकड़ लिया। वहाँ खड़े सारे लोग शायद यह सोच रहे होंगे कि हम पति-पत्नी हैं।

फिर मैंने दीदी का सामान उठाया और हम दोनों घर की ओर चल दिए। घर पहुँच कर दीदी फ्रेश होने के लिए बाथरूम में चली गई (क्यूँकि गर्मी के दिन थे और मेरी दीदी को बहुत पसीना आता है और वो तो उस दिन पसीने से बहुत भीग चुकी थी) मैंने दीदी जी का सामान सेट कर दिया और थोड़ी देर बाद दीदी भी फ्रेश होकर बाथरूम से बाहर आई।

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जैसे ही मैंने उनको देखा तो मेरी आँखें फटी की फटी रह गईं। दीदी सिर्फ पेटीकोट-ब्लाउज़ में ही बाथरूम से बाहर आई थी। काले पेटीकोट और ब्लाउज़ में उनका गोरा-गोरा अंग एकदम सोने की तरह चमक रहा था। दीदी को देख कर मेरे अंदर थोड़ी अजीब सी घबराहट होनी शुरु हो गई। मैं दीदी को न चाह कर भी देखना चाहता था। मैं कभी दीदी के वक्ष के ऊपर विटिल्लूमान काले तिळ को देखता तो कभी उनकी नंगी कमर को, तो कभी उनके नाड़े वाले नंगे हिस्से को। तभी दीदी ने मेरे पास आकर मेरे सर में प्यार से हाथ फेर कर पूछा- किया हुआ भाईया? कहाँ खो गए? मैं थोड़ा घबरा कर और शरमा कर बोला- कुछ नहीं दीदी। बस मैं….. आप काले कपड़ों में बहुत सुंदर लगती हो।

दीदी समझ गई कि मैं क्यों ऐसे बोल रहा हूँ। दीदी शरमा कर बोली- भाई मैं क्या करूं, बहुत गर्मी है और साड़ी में बहुत घुटन हो रही थी, इसलिए मैंने साड़ी अलग निकाल दी। मैं बोला- दीदी कोई बात नहीं, हम दोनों के सिवा और कोई भी नहीं है यहाँ पर। और मैं बिलकुल फ्रैंक लड़का हूँ, तुम निश्चिंत रहो, मैं तालिबानी जैसा भी नहीं हूँ कि जो अपनी इतनी सुंदर दीदी को बुर्के में पसंद करे। दीदी हंस दी और बोली- भाईया, तू तो बहुत शैतान हो गया है। चल जल्दी से तू भी नहा धो ले। आज राखी है राखी नहीं बंधवाणी क्या।

फिर मैं भी बाथरूम में नहाने चला गया। बाथरूम में बहुत ही अच्छी खुशबू आ रही थी। आज से पहले कभी ऐसी खुशबू बाथरूम में नहीं थी। मैं समझ गया कि यह खुशबू दीदी के बदन की है। आज मैं इस खुशबू में समाना चाहता था और मैंने पहली बार अपनी दीदी के बारे में कर उनके नाम की मुठ मार दी। इसका एक अलग ही आनंद आया और जब मैं बाथरूम से नहा धो कर बाहर आया तो दीदी बोली- क्या बात है, बड़ी देर लगा दी तूने? मैं बोला- क्या करूँ दीदी जी। आज मेरा तो बाथरूम से बाहर आने का मन ही नहीं कर रहा था। दीदी बोली- क्यों?

मैं चुप रहा और मैंने दीदी को एक स्माइल दिया। दीदी भी शायद मेरा इशारा समझ गई थी और वो शरमाकर बोली- लगता है अब जल्द से जल्द तेरे लिए एक लड़की तलाशनी पड़ेगी। बोले मेरे राजा भाईया, तुझको कैसी लड़की पसंद है, मैं अपने राजा भाई के लिए वैसी ही लड़की लाऊंगी।

मैं दीदी से बोला- सच।

दीदी हंस कर बोली- मुच।

मैंने तुरंत ही दीदी का हाथ पकड़ा और उनको शीशे के आगे ले जाकर बोला- मुझे ऐसी लड़की चाहिए।

दीदी थोड़ी शरमा कर बोली- पागल ऐसी लड़की लाएगा तो सुहागरात के बदलें रक्षा बंधन मनान होगा तुझे।

और जोर जोर से हँसने लगी।

मैं दीदी की पीछे की तरफ खड़ा था और दीदी मेरे आगे थी। हम दोनों भाई बहन एक दूसरे को शीशे में देख कर बातें कर रहे थे।

मैं बोला- दीदी अगर आप जैसी सुंदर लड़की मुझे मिल जाए तो मैं उससे राखी भी बंधवाने के लिए तैयार हूँ।

दीदी बोली- ऐसा क्या है मुझमें जो तू अपनी दीदी का इतना दीवान हो गया पड़ा है। क्या देखा तूने मुझमें?

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मैं बोला- दीदी आप गुस्सा तो नहीं होंगी ना।

दीदी बोली- मैं आज तक अपने राजा भाई से गुस्सा हुई हूँ जो अब होंऊंगी।

मैंने बोला- दीदी। मैं सच में तुमहारा दीवान हूँ।

जब से मैंने तुमहें एयरपोर्ट पर देखा है, मैं तुमहारा दीवान हो गया हूँ। पता नहीं क्यों मैं तुमहें पाना चाहता हूँ, तुमहें छूना चाहता हूँ, तुमहें तुमहारे नाज़ुक होंठों के नीचे काले तिळ का अहसास दिलान करना चाहता हूँ।

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और मैंने आव देखा न ताव। और दीदी की गर्दन के नीचे प्यार से एक किस कर दिया। दीदी मुझे शीशे में देख रही थी और वो वैसे ही खड़े रह कर मेरे गाल पर प्यार से हाथ फेरने लगी। मैंने भी दीदी को अपने दोनों हाथों से आगे से जकड़ लिया और दीदी ने अपनी दोनों आँखें बंद कर ली जिससे मेरा थोड़ा और साहस बढ़ा और दीदी के कान में मैंने हलकी सी आवाज में ‘आई लव यू दीदी’ बोला और बोला- अगर आप मेरी बहन न होती तो मैं आप को ज़रूर प्रपोज़ करता। आप कितनी सुंदर हो। मैंने आप सी सुंदर कोई लड़की नहीं देखी। हम भाई बहन क्यों हैं?

दीदी ने अभी तक अपनी आँखें बंद रखी थी क्योंकि मैं उनके पेटीकोट के नाड़े की तरफ हाथ बढ़ाया तो दीदी ने मेरा हाथ पकड़ लिया और गर्दन हिला कर मन करने लगी और बोली- भाईया मैं तुमहारी बहन हूँ।

मैंने बोला- मैं जानता हूँ। आज मैं सारे रिश्तो को भुला देना चाहता हूँ, तुम मेरी हो और मैं आज अपनी बहन की बाहों में समा जाना चाहता हूँ।

दीदी बोली- किसी को मालूम चल गया तो समाज में हमारी थू-थू हो जायेगी।

मैंने कहा- हमें समाज देखने थोड़े ना आ रहा है।

दीदी चुप हो गई और कुछ सोचने के बाद मेरे से लिपट गई और रोने लगी।

मैंने पूछा- दीदी क्या हुआ? क्यों रो रही हो?

तो बोली- मैं बहुत प्यासी हूँ। तेरे जीजा जी से मुझे वो खुशी नहीं मिली जो हर औरत को शादी के बाद अपने पति से मिलती है।

मैंने बोला- दीदी साफ साफ बताओ ना। मैं समझ नहीं पा रहा हूँ।

वो बोली- तेरे जीजा जी मर्द नहीं हैं।

यह सुनकर मुझे तो पसीना आ गया और मैं अंदर ही अंदर सोचने लगा- यानि कि दीदी अभी कुंवार्री हैं और उनकी सील भी नहीं टूटी।

मैंने दीदी के आँसू को अपनी जीभ से चाट कर साफ किया और बोला- दीदी। तुम चिंतित मत करो मैं हूँ ना। तुम बस मुझको यह बताओ कि तुम मुझे पसंद करती हो?

दीदी बोली- जान से भी ज्यादा।

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क्या तुम मुझे भाई की जगह अपना पति मानोगी? मैं तुम्हें हर वो खुशी दूंगा जो तुम चाहती हो।

दीदी ने तुरंत मेरे होटों पर किस कर दिया और बोली- आज से तुम ही मेरे पति हो। मेरा तन-मन सब तुमहारा है। जो तुम बोलोगे, वो मैं करूंगी।

मैंने दीदी को बोला- आज मैं तुमसे शादी करूंगा।

यह सुनकर दीदी जल्दी से सिंदूर और अपना मंगल सूत्र ले कर मेरे पास आ गई। मैंने उनकी मांग भर कर मंगल सूत्र उनके गलें में पहना दिया।

दीदी बोली- भइया। मैं अपने कमरे में जा रही हूँ, तुम थोड़ी देर बाद कमरे के अंदर आ जाना। मैं तुम्हारा इन्तजार करूंगी।

और जब मैं थोड़ी देर बाद दीदी के कमरे में गया तो दीदी सज-संवर के अपने शादी के जोड़े में घूँघट ओढ़े पलंग पर बैठी मेरा बेसबरई से इंतिज़ार कर रही थी। मैं दीदी के पास गया और प्यार से उनका घूँघट उठाया और उनकी ठुडी को अपने हाथ से ऊपर उठाते हुए उनके होटों का चुम्बन ले कर बोला- ओह दीदी। आई लव यू। मैंने आज तक तुम जैसी सेक्ससी लड़की नहीं देखी।

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और उनके होटों के नीचे वाले काले तिळ को अपने दाँतों में बुरी तरह दबोच लिया और चूसने लगा। दीदी को दर्द हो रहा था मगर दीदी मुझ से भी ज्यादा प्यासी थी, उसे दर्द में भी मज़ा आ रहा था।

तभी मैंने दीदी के ब्लाउज़ को अपने दोनों हाथों से फाड़ दिया और उनके गोरे गोरे आम के जैसे बूब्स बाहर आ गए। मैं उनको चूसने लगा। थोड़ी देर बाद दीदी ने मेरी पैंट की ज़िप खोल कर मेरे लंड को बाहर निकाला और अपने कोमल गोरे हाथों से उसे सहलाने लगी। कुछ देर बाद जब मेरा लंड लौड़ा बन गया तो उसको अपनी जीभ से चाटनें, सहलाने लगी और होटों से रगड़ कर उसे खड़ा कर दिया।

हम दोनों भाई बहन नंगे थे, मैंने दीदी को बिस्तर में लिटा दिया और उनकी चूत को अपनी जीभ से चाटनें लगा।

दीदी ओह माई भइया डार्लिंग। आई लव यू। बो रही थी।

मैंने अपनी दीदी को गीध की तरह नौचना शुरु कर दी। कुछ देर बाद जब मैंने अपनी बहन की चूत में अपना लौड़ा डाल दिया तो दीदी ने उई माँ। बोला कर मुझको जोर से जकड़ लिया और मुझको फ्रेंच किस करने लगी और अपने दोनों हाथों को मेरे चूतड़ों पर रख कर भइया और जोर से। और जोर से। बोलीने लगी।

कुछ देर बाद मैंने दीदी को डौगी स्टाइल में चोदना शुरू कर दिया। दीदी के गद्देदार चूतड़ को देख मैं ललचा गया और उनके चूतड़ चाटनें लगा। दीदी को मैंने साड़ी रात चोदा।

सुबह जब मैं जागा तो दीदी मेरे लंड को चूस रही थी, मुझको प्यासी आँखों से देख रही थी और मेरा लौड़ा खड़ा करके उसके ऊपर बैठ गई और फिर दुबारा से मैंने दीदी को चोदना शुरु कर दिया।

हम दोनों चार साल बीत जाने के बाद भी हमेशा एक दूसरे के साथ सेक्स में डूबे रहते हैं। सच अपनी बहन के साथ कितना मजा आता है, मैं क्या बताऊँ।

अब हम दोनों भाई बहन एक पति-पत्नी की तरह जिंदगी जी रहे हैं। मेरी दीदी से मेरी एक लड़की हुई है…