सेक्सी टीचर को ट्रेन के टॉयलेट में घोड़ी बनाकर चुदाई की कहानी
पढ़िए एक रोमांचक और कामुक सेक्स कहानी, जिसमें जयपुर टूर के दौरान ट्रेन के टॉयलेट में एक सेक्सी टीचर की घोड़ी बनाकर चुदाई का वर्णन है। यह उत्तेजक अनुभव आपको वासना से भर देगा।
हमारे ऑफिस में एक दिन सब लोग आपस में बात करने लगे कि कहीं घूमने का प्लान बनाया जाए। लेकिन हमारे सामने सबसे बड़ी समस्या थी कि हमारे पास सिर्फ दो दिन की छुट्टी थी—शनिवार और रविवार। हमने सोचा कि इतने कम समय में कहाँ जा सकते हैं। फिर हमने जयपुर का प्लान बना लिया। अहमदाबाद से जयपुर नजदीक था, और हमारा मन वहाँ की रंगीन गलियों और महलों को देखने का था। शुक्रवार की रात को हम ऑफिस के 10-12 लोग जयपुर के लिए निकल पड़े। ट्रेन में बैठते ही माहौल बन गया, सब मस्ती में थे, और मैं भी इस टूर को लेकर खासा उत्साहित था।
जयपुर स्टेशन पर पहुँचते ही हमने गाड़ी किराए पर ली और होटल की ओर चल पड़े। होटल में पहुँचकर मैंने सबसे पहले अपने बैग से चार्जर निकाला, क्योंकि मेरा फोन लगभग डिस्चार्ज हो चुका था। चार्जिंग पर लगाने के बाद मैं थोड़ा फ्रेश हुआ। करीब एक घंटे बाद हम सब रिसेप्शन पर मिले और पैदल ही पास की एक झील की ओर निकल गए। वहाँ का नजारा बेहद खूबसूरत था। हम सब झील के किनारे बैठ गए, हवा में ठंडक थी और माहौल में एक अजीब सी ताजगी। मेरा दोस्त पार्थ बोला, “कुछ लोगे?” मैंने मना कर दिया। हम आपस में हँसी-मजाक कर रहे थे, तभी मेरी नजर कुछ बच्चों के ग्रुप पर पड़ी, जो अपनी टीचर के साथ घूमने आए थे।
उनमें से एक टीचर पर मेरी नजर अटक गई। वो बच्चों को गाइड कर रही थी, उसकी साड़ी में लिपटी कमर और उसका चेहरा, मानो मेरी साँसें थाम ले। वो इतनी खूबसूरत थी कि मैं उसे देखता ही रह गया। पार्थ ने मुझे टोका, “आकाश, कहाँ खो गया यार?” मैंने कोई जवाब नहीं दिया, बस उसकी ओर देखता रहा। थोड़ी देर बाद हम वहाँ से आगे बढ़े और होटल लौट आए। होटल के मैनेजर से बात की, तो उसने हमारे लिए दो गाड़ियाँ अरेंज कर दीं। हम सब गाड़ियों में सवार होकर जयपुर की सैर के लिए निकल पड़े।
रास्ते में एक जगह गाड़ी रुकी, और मुझे फिर वही बच्चे और वो टीचर दिखी। मेरी नजरें उसकी तलाश में भटक रही थीं, और जैसे ही मैंने उसे देखा, मेरा दिल जोर से धड़का। मैं उससे बात करना चाहता था, लेकिन तभी पार्थ ने आवाज लगाई, “आकाश, चलो, हमें आगे जाना है।” मैंने उसकी ओर देखा, और शायद उसने भी मुझे देखा। उसकी आँखों में कुछ था, जो मुझे बेचैन कर रहा था। मैं वहाँ से तो चला गया, लेकिन मेरे दिमाग में वही चेहरा घूम रहा था।
अगले दिन, किस्मत ने फिर से हमें एक रेस्टोरेंट में मिला दिया। वो अपने कुछ सहकर्मियों के साथ थी, और मैं पार्थ के साथ। मैंने पार्थ से कहा, “यार, मुझे उससे बात करनी है।” वो हँसते हुए बोला, “तू ऐसे किसी अनजान लड़की से कैसे बात कर लेगा?” लेकिन मेरी ज़िद थी। वो मेरे सामने वाली टेबल पर बैठी थी, और मैं बार-बार उसकी ओर देख रहा था। उसकी नजरें भी कई बार मुझसे टकराईं। उसकी साड़ी में उसका फिगर और भी उभर रहा था, और उसकी हर अदा मुझे पागल कर रही थी। मैं हिम्मत जुटा ही रहा था कि वो अचानक बिल पे करने काउंटर पर आई। मैं भी वहाँ पहुँचा और बात शुरू की।
“आप लोग कहाँ से आए हैं?” मैंने पूछा।
“हम अहमदाबाद से हैं,” उसने जवाब दिया।
“अच्छा, मैं भी अहमदाबाद में रहता हूँ,” मैंने कहा।
वो मुस्कुराई और बोली, “सच में? क्या बात है!”
उसका नाम सोनल था। हमने एक-दूसरे को अपने दोस्तों से मिलवाया। उसने बताया कि वो अपने स्कूल के बच्चों के साथ टूर पर आई है और अगले दिन वापस लौट रही है। मैंने भी बताया कि हम भी कल ही回去 रहे हैं। उस दिन बस इतनी ही बात हुई, लेकिन उसकी मुस्कान और उसकी आवाज मेरे दिमाग में छा गई।
अगले दिन रेलवे स्टेशन पर फिर से मुलाकात हुई। और तो और, हमारी ट्रेन और बोगी भी एक ही थी! ट्रेन दो घंटे लेट थी, तो हम स्टेशन पर इंतज़ार कर रहे थे। सोनल कुछ सीटें आगे बैठी थी। मैं उससे बात करना चाहता था, लेकिन उसके साथ बच्चे और बाकी टीचर थे, तो मैं चुप रहा। गर्मी बहुत थी, तो मैं पानी की बोतल लेने गया। जब वापस आया, तो ट्रेन आ चुकी थी। हम सब जल्दी-जल्दी ट्रेन में चढ़े और अपना सामान रखकर सीटों पर बैठ गए। सोनल मुझसे कुछ सीटें दूर थी।
ट्रेन चल पड़ी। बच्चे शोर मचा रहे थे, लेकिन थोड़ी देर बाद सब शांत हो गए। मुझे नींद आने लगी, तो मैं थोड़ा सो गया। जब आँख खुली, तो मैं बाथरूम की ओर जा रहा था। तभी मुझे सोनल अकेली बैठी दिखी। मैंने सोचा, पहले बाथरूम हो आता हूँ। वापस आकर मैं उसके पास बैठ गया।
“तुम अकेली बैठी हो?” मैंने पूछा।
“हाँ, बाकी सब सो रहे हैं,” उसने मुस्कुराते हुए कहा।
हमारी बातें शुरू हुईं। मैंने उसे अपने बारे में बताया, और उसने भी अपनी जिंदगी की कुछ बातें शेयर कीं। बातों-बातों में पता चला कि वो मेरे इलाके में अपनी नानी के घर बचपन में आया करती थी। हमारी बातें इतनी सहज थीं कि समय का पता ही नहीं चला। तभी मेरा हाथ गलती से उसकी जांघ पर टच हो गया। उसने मुझे एक ऐसी नजर से देखा कि मेरे बदन में करंट दौड़ गया। उसकी साड़ी के नीचे उसका फिगर साफ दिख रहा था, और जब ट्रेन हिल रही थी, तो उसके स्तन भी उसी लय में हिल रहे थे। वो बोली, “मुझे बहुत गर्मी लग रही है।”
“मुझे भी,” मैंने कहा, और मेरी आवाज में एक अजीब सी बेचैनी थी।
वो धीरे से बोली, “क्या हम बाथरूम में चलें?” उसकी आवाज में वो कामुकता थी, जो मुझे और बेकाबू कर रही थी। मैंने हामी भरी, और हम दोनों चुपके से ट्रेन के टॉयलेट की ओर बढ़ गए। टॉयलेट में घुसते ही मैंने दरवाजा लॉक किया और उसे अपनी बाहों में भर लिया। मैंने उसके रसीले होंठों को चूमना शुरू किया। उसके होंठ इतने नरम थे कि मैं बस खोता चला गया। मैंने उसके होंठों का रसपान लंबे समय तक किया, और वो भी मेरे हर स्पर्श का जवाब दे रही थी।
मैंने उसके बड़े, गोल स्तनों को अपने हाथों में लिया। उसकी साड़ी के ऊपर से ही वो इतने मुलायम और उभार लिए थे कि मेरा मन उन्हें चूसने को बेकरार हो गया। मैंने उसकी साड़ी का पल्लू हटाया और उसके ब्लाउज के बटन खोल दिए। उसके स्तन अब मेरे सामने थे, और मैंने उन्हें चूसना शुरू किया। वो सिसकारियाँ ले रही थी, और उसकी आवाजें मुझे और उत्तेजित कर रही थीं। मैंने उसके निप्पल्स को अपनी जीभ से चाटा, और वो मेरे बालों में उंगलियाँ फिराने लगी।
फिर मैंने उसे घोड़ी बनाया। उसकी साड़ी को ऊपर उठाकर मैंने उसकी चूत को चाटना शुरू किया। उसकी योनि से गीलापन रिस रहा था, और उसका स्वाद मुझे पागल कर रहा था। मैंने अपनी जीभ से उसकी चूत को चाटा, और वो जोर-जोर से सिसकारियाँ लेने लगी। उसने मेरे लंड को अपने हाथ में लिया और उसे अपने मुँह में डाल लिया। वो मेरे लंड को इतनी गहराई तक ले रही थी कि मुझे स्वर्ग का आनंद मिल रहा था। उसकी जीभ मेरे लंड पर जादू कर रही थी।
जब मैंने उसकी चूत में अपने लंड को डाला, तो वो चीख पड़ी, “आह्ह, तुम्हारा लंड तो बहुत मोटा है!” मैंने उसके चूतड़ों को पकड़ा और जोर-जोर से धक्के मारने शुरू किए। उसकी चूत इतनी टाइट थी कि हर धक्के में मुझे अलग ही मजा आ रहा था। मैंने उसे घोड़ी बनाकर इतनी तेजी से चोदा कि उसके चूतड़ लाल हो गए। वो अपनी कमर को मेरे धक्कों के साथ मिला रही थी, और हम दोनों की साँसें तेज हो रही थीं।
जब वो झड़ने वाली थी, उसने अपनी चूत को और टाइट कर लिया। मैंने और तेजी से धक्के मारे, और आखिरकार मेरा वीर्य उसकी चूत में गिर गया। वो पल मेरे लिए किसी जन्नत से कम नहीं था। हम दोनों हाँफ रहे थे, लेकिन हमारे चेहरों पर संतुष्टि की मुस्कान थी।
उसके बाद हमने अपने कपड़े ठीक किए और चुपके से अपनी-अपनी सीटों पर लौट गए। ट्रेन का सफर खत्म होने के बाद भी हम फोन पर संपर्क में रहे। मैं अपने काम की व्यस्तता के चलते उसे कम ही मिल पाता हूँ, लेकिन जब भी हम मिलते हैं, वो आग फिर से सुलग उठती है। सोनल के साथ वो रात मेरी जिंदगी का सबसे कामुक और अविस्मरणीय अनुभव था।