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बचपन की दोस्त प्रतिभा की चूत चुदाई – हॉट सेक्स कहानी

पढ़ें आकाश और प्रतिभा की भावुक और उत्तेजक सेक्स कहानी। बचपन की दोस्ती से शुरू हुआ रिश्ता कैसे वासना और प्यार की आग में बदल गया। मजबूरी में हुई शादी के बाद प्रतिभा ने आकाश के साथ चुदाई का सुख लिया—पढ़ें पूरी हॉट कहानी।

मैं और प्रतिभा बचपन से एक-दूसरे के साथ बड़े हुए थे। स्कूल के दिन, हंसी-मजाक और वो मासूम दोस्ती—सब कुछ समय के साथ धुंधला सा हो गया था। अब हम बड़े हो चुके थे, और जिंदगी ने हमें अलग-अलग रास्तों पर ला खड़ा किया था। प्रतिभा के लिए एक रिश्ता आया था—एक ऐसा रिश्ता जिसे उसके परिवार वाले ठुकरा नहीं सके। लड़का पैसों वाला था, और प्रतिभा के पापा, जो अपने कारोबार में हुए नुकसान से उबर नहीं पाए थे, उसकी चमक में अंधे हो गए। शादी तय हो गई। जब प्रतिभा ने मुझे ये बात बताई, तो मैंने मुस्कुराते हुए कहा, “अरे, ये तो खुशी की बात है! तुम्हारी शादी होने जा रही है।” लेकिन उसकी आंखों में उदासी थी, होंठों पर मजबूरी की हल्की सी रेखा।

“आकाश, मैं इस शादी से खुश नहीं हूँ,” उसने धीरे से कहा। मैं चौंक गया। “क्यों? क्या हुआ?” मैंने पूछा। उसने एक गहरी सांस ली और बोली, “जिस लड़के से मेरी शादी हो रही है, उसकी पहले शादी हो चुकी है। तलाकशुदा है वो। पापा को उसने पैसे का लालच दिया, ताकि मेरी शादी उससे हो सके। मेरे लिए ये सौदा है, प्यार नहीं।” उसकी आवाज में दर्द था, और मेरे सीने में कुछ चुभ सा गया।

मैंने उसे समझाने की कोशिश की कि अपने पापा से बात करे, लेकिन वो हताश थी। “पापा कुछ सुनने को तैयार नहीं। उनके लिए बस पैसा मायने रखता है।” मैंने खुद उसके पापा से बात करने की ठानी। अंकल से मिला, तो उन्होंने साफ कह दिया, “आकाश, ये हमारा पारिवारिक मामला है। तुम्हें दखल देने की जरूरत नहीं।” मैंने गुस्से में कहा, “अंकल, प्रतिभा खुश नहीं है। आप उसकी जिंदगी बर्बाद कर रहे हैं।” लेकिन वो टस से मस नहीं हुए। आखिर में, उनकी आंखों में आंसू देखकर मैं चुप हो गया। वो बोले, “बेटा, मेरे पास कोई रास्ता नहीं है। मैं डूब रहा हूँ, और ये शादी मेरी आखिरी उम्मीद है।”

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मैं लौट आया, लेकिन मन बेचैन था। प्रतिभा मेरी दोस्त थी—उसका दुख मुझसे देखा नहीं जा रहा था। आखिरकार, उसने शादी के लिए हां कर दी, लेकिन उसकी जिंदगी में खुशी नहीं आई। कुछ महीनों बाद जब वो मुझसे मिली, तो उसकी हालत देखकर मेरा दिल टूट गया। वो कमजोर हो गई थी, चेहरे की रौनक गायब थी। उसने बताया कि उसका पति उसे धोखा देता है—किसी और औरत के साथ उसका चक्कर था। “आकाश, मैं उसके साथ नहीं रह सकती,” उसने रोते हुए कहा। मैंने उसे ढांढस बंधाया, लेकिन उसकी आंखों में कुछ और था—एक तड़प, एक चाहत।

एक दिन वो मुझसे मिलने आई। उसकी साड़ी हवा में लहरा रही थी, और उसकी आंखों में एक अजीब सी चमक थी। उसने मेरा हाथ पकड़ा, और मेरी तरफ देखा। उसकी सांसें तेज थीं, और मेरे दिल की धड़कनें भी। “आकाश, मुझे तुम्हारी जरूरत है,” उसने फुसफुसाते हुए कहा। मैंने उसे अपनी बाहों में भर लिया। उसका गर्म बदन मेरे सीने से चिपक गया, और उसकी सांसों की गर्मी ने मेरे होश उड़ा दिए। उसने मेरे होंठों की तरफ देखा और बोली, “मुझे तुम्हें चूमना है।” मैंने देर न की—उसके रसीले होंठों पर अपने होंठ रख दिए। उसका स्वाद शहद सा था, और मैं उसे चूमता चला गया। उसकी सिसकियां मेरे कानों में मादक संगीत बनकर गूंजने लगीं।

मैंने धीरे से उसकी साड़ी का पल्लू सरकाया। उसके गोरे, गोल स्तन मेरे सामने थे—नरम, मुलायम और उत्तेजना से भरे हुए। मैंने उन्हें अपने हाथों में लिया, और धीरे-धीरे सहलाने लगा। उसकी सिसकियां तेज हो गईं। मैंने अपने होंठ उसके निप्पलों पर रखे और उन्हें चूसना शुरू किया। उसका दूधिया स्वाद मेरे मुंह में घुल गया, और मैं खो सा गया। उसकी आहें कमरे में गूंज रही थीं—”आह, आकाश… और…”

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मेरा हाथ उसकी जांघों के बीच पहुंचा। उसकी चिकनी चूत गीली हो चुकी थी, और मेरी उंगलियां उसकी नमी में डूब गईं। वो मचल रही थी, अपनी कमर हिला रही थी। मैंने अपने कपड़े उतारे, और मेरा तना हुआ लंड उसके सामने था। उसने उसे अपने नाजुक हाथों में लिया, और धीरे-धीरे हिलाने लगी। मेरे शरीर में बिजली दौड़ गई। “प्रतिभा…” मैंने उसका नाम पुकारा, और उसने मेरी तरफ देखकर कहा, “मुझे चाहिए तुम्हारा प्यार, आकाश।”

मैंने उसे बिस्तर पर लिटाया। उसकी टांगें चौड़ी कीं, और अपने लंड को उसकी चूत पर रगड़ा। वो सिहर उठी। धीरे से मैंने उसे अंदर धकेला। उसकी चीख निकल गई—”आह्ह!” उसकी चूत टाइट थी, गर्म थी, और मेरा लंड उसके अंदर पूरा समा गया। मैंने धक्के लगाने शुरू किए—धीरे-धीरे, फिर तेज। उसकी मादक आवाजें मेरे कानों में गूंज रही थीं—”आकाश, और तेज… मुझे पूरा चाहिए!” मैंने उसकी टांगें अपने कंधों पर रखीं, और गहरे धक्के मारने लगा। उसकी चूत मेरे लंड को जकड़ रही थी, और उसकी आंखों में वासना की आग जल रही थी।

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काफी देर तक मैं उसे चोदता रहा। उसकी चूत से रस टपक रहा था, और मेरा लंड उसकी गहराइयों में डूबा हुआ था। जब मेरा वीर्य निकलने को हुआ, तो मैंने कहा, “प्रतिभा, कहां गिराऊं?” उसने अपनी सांसों को थामते हुए कहा, “मेरे स्तनों पर…” मैंने अपने लंड को बाहर निकाला, और उसके गोरे, मुलायम स्तनों पर अपने वीर्य की बारिश कर दी। वो उसे अपने हाथों से मलने लगी, और फिर मेरे लंड को अपने मुंह में ले लिया। उसने उसे चूसा, चाटा, और दोबारा से तनाव दे दिया।

उसने अपनी चूतड़ मेरी तरफ किए, और मेरे लंड को अपनी चूत पर सेट किया। मैं समझ गया—वो दोबारा चाहती थी। मैंने पीछे से उसे पकड़ा, और एक जोरदार धक्का मारा। मेरा लंड उसकी चूत की गहराइयों में समा गया। वो चिल्लाई—”हां, आकाश… ऐसे ही!” मैंने तेजी से धक्के लगाए। उसकी चूतड़ मेरे शरीर से टकरा रही थीं, और उसकी सिसकियां कमरे में गूंज रही थीं। हम दोनों पसीने से तर थे, लेकिन वासना की आग बुझने का नाम नहीं ले रही थी।

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करीब आधे घंटे तक हमने एक-दूसरे को हर तरह से भोगा। उसकी चिकनी चूत ने मेरे लंड को पूरा निचोड़ लिया, और मैंने उसके हर अंग को अपने प्यार से सराबोर कर दिया। आखिर में, वो मेरे सीने पर सिर रखकर लेट गई। उसकी सांसें अभी भी तेज थीं, और उसने धीरे से कहा, “आकाश, तुमने मुझे वो सुख दिया जो मैंने कभी सोचा भी नहीं था।” मैंने उसके माथे को चूमा, और हम दोनों चुपचाप एक-दूसरे की बाहों में खो गए। उस दिन, प्रतिभा की सारी उदासी, सारी कमी मेरे प्यार और वासना की आग में जलकर राख हो गई।