सर्दियों में भाभी की मक्खन सी बुर की चुदाई – हॉट सेक्स स्टोरी
सर्दियों की रात में 19 साल के लड़के की नज़र भाभी की चिकनी और मलाईदार बुर पर पड़ी। भैया के बाहर जाने पर शुरू हुई हॉट चुदाई की कहानी। पढ़ें कैसे भाभी की प्यासी जवानी ने दीवर को गुजिया खाने का मौका दिया।
सर्दियों में अक्सर लोग रजाई में जल्दी सो जाते हैं, लेकिन जब जवानी चढ़ी हो और लंड कुंवारा हो, तो नींद कहाँ आती है? रजाई में मन गुजिया (चूत) खाने को करता है, और लंड भी अकड़कर, तनकर सौ गालियाँ देता है कि भोसड़ी के, एक चूत का इंतज़ाम भी नहीं कर पा रहे हो, गंडू। गुजिया हम लोग औरत की बुर को कहते हैं। सच में, जब दोनों टाँगों के बीच से चड्डी को गोरी-गोरी, मोटी, मसाल जाँघों से नीचे सरकाओ, तो हल्के घुंघराले झाँटों के नीचे पतली सी सुई-सुई बुर वाकई खाने में मेवे भरी गुजिया या कहूँ मलाई-मक्खन सी मीठी लगती है। तो उन सर्दियों में हम इम्तिहान के लिए पढ़ते-पढ़ते थक गए थे। 19 साल की उम्र में मन कर रहा था कि थोड़ा सड़का (हस्तमैथुन) लगा लूँ, तो मन फिर पढ़ाई में लगे। मन की बेचैनी को दबाने के लिए हमने सिगरेट को मुँह में लगाया और उसे सुलगाने के लिए बाहर निकलकर आउटहाउस के पास टहलते हुए चले आए।
बाहर रात के सन्नाटे को चीरकर मुझे आउटहाउस की खिड़की के पास से बिस्तर पर पायल के खनकने और खटिया के चरमराने की आवाज़ सुनाई दी, जिसने मेरा ध्यान अपनी ओर खींच लिया। मैंने अंदर से अपनी हरामी नज़र और सेक्सी सोच के चलते ताड़ लिया था कि अंदर भैया, भाभी की चिकनी, मक्खन सी लाजवाब, गुलाब की पंखुड़ियों सी नाज़ुक और कोमल, रेशम सी मुलायम बुर को चोद रहे होंगे। मैंने सिगरेट फेंका और खिड़की के पास दबे पाँव चला आया। खिड़की घर के अंदर पड़ती थी, इसलिए हमारे वहाँ आने और सर्दी की रात के करीब साढ़े ग्यारह बजने को थे, किसी के जागने का चांस नहीं था। यही सोचकर मर्दों की मस्ती दोगुनी हो जाती है, और जब चूत का मक्खन सामने हो, तो गुजिया खाने की जल्दी में अक्सर आदमी गंडूपन कर जाता है। खिड़की का दरवाज़ा तिरछा भिड़ा था। उस पर तौलिया लटका था, ताकि बाहर रोशनी न जाए।
बाहर अंधेरा होने से जाली के अंदर का खूबसूरत नज़ारा, यूँ कहूँ कि लाइव XXX ब्लू फिल्म का सीन हमारे सामने था। भैया भाभी को खूब किस कर रहे थे, भाभी भी जवाब में उनके गालों पर सहला रही थीं और होंठों पर अपनी गुलाबी ज़ुबान फेर रही थीं। भैया उनके ऊपर झुके थे और उनकी नाइट गाउन के ऊपर से उनकी चूची सहला और दबा रहे थे। धीरे-धीरे भैया ने भाभी का गाउन उतार फेंका। अब भाभी की नंगी चूचियाँ उनके हाथ में थीं, और वो अपने होंठों से उनका काला, मोटा निप्पल चूसकर भाभी की जवानी की आग को भड़का रहे थे।
ये नज़ारा देखकर मेरा लौड़ा तनने लगा और मेरी साँसें तेज़ हो गईं। मैं चुपचाप वहाँ मूर्ति बना खड़ा रहा। भैया भाभी की दोनों चूचियों को दबा-दबाकर मसाज कर रहे थे, और निप्पल्स से उन्हें खास लगाव था। अपनी ज़ुबान को लंबा करके निप्पल्स पर गोल-गोल फेर रहे थे। भाभी को बहुत मज़ा आ रहा था, वो मुँह से “सी-सी, आह… आह… वाह मेरे शेर” की आवाज़ निकाल रही थीं। अब भैया ने धीरे से उनका पेटीकोट खोला और नीचे किया। मुझे भैया का चड्डी के अंदर लंड बड़ा होता साफ दिखाई दे रहा था।
भाभी का पेटीकोट नीचे सरकते ही मज़ा दुगना हो गया। उनकी गोरी-गोरी, मोटी, मसाल जाँघें बहुत प्यारी लग रही थीं। भैया उसे दबाकर पुँचकारते जा रहे थे। उसके बाद जब भैया ने उनकी दोनों टाँगों को फैलाया, तो मैं उनकी गुलाबी बुर देखता ही रह गया। भैया जल्दी से उनके ऊपर चढ़े और लंड अंदर-बाहर करने लगे। मैंने देखा भैया जल्दी झड़ गए, उनके लंड से सफेद पिचकारी फूट निकली, जबकि भाभी अभी और चुदवाना चाह रही थीं। भैया के हटने पर मैंने देखा भाभी अपनी बुर की खुजली को उंगली डालकर शांत कर रही थीं। मैं वापस अपने कमरे पर लौट आया। मुझे ये समझते देर न लगी कि भाभी की जवानी प्यासी है और भैया अपने काम के बोझ में इतने दबे हैं कि थककर जल्दी सो जाते हैं। अब मेरे मन में 19 साल की उम्र में ही अपने लंड की प्यास बुझाने का सामान नज़र आ गया था। बस भाभी को पटाने की देर थी कि किसी तरह उनके मन में मेरे लिए आकर्षण पैदा कर दूँ, तो फिर मुझे पता था कि गुजिया खाने को मिल सकती है।
मैं अक्सर भाभी के काम कर दिया करता था। उनसे जान-पहचान तो हो गई थी, अब बुर की चुदाई के लिए थोड़ी हिम्मत करनी थी। जानता तो था ही कि वो प्यासी हैं। एक दिन भाभी खुद बोलीं कि भैया काम से 7 दिन के लिए बाहर जा रहे हैं। बस मैंने प्लान बना लिया कि जो हो जाए, आज रात भाभी की ब्रा खोलकर उनकी चूचियाँ पीनी हैं और उनकी मक्खन सी मुलायम बुर में लंड डालना है।
मैंने उस दिन सुबह लुंगी पहनी और जानबूझकर अंडरवियर नहीं पहना। सुबह देर तक सोने का बहाना बनाकर अपने कमरे में ही लेटा रहा। मैंने जानबूझकर टाँगों को थोड़ा फैलाया था ताकि भाभी जब कमरे में मुझे जगाने आएँ, तो मेरे लंड को देख सकें। उनके ही सपनों में खोया था कि मुझे उनके मेरे कमरे की तरफ आने की आवाज़ सुनाई दी। उनके खयाल आने से मेरे लंड में कड़कपन आ गया था और वो तनकर खड़ा था। भाभी जैसे ही कमरे में आईं, मैंने आँखें बंद कर लीं। वो मेरे पास आकर मुझे जगाते हुए बोलीं, “तो अब तुम जवान हो गए हो।” मैंने तुरंत पूछा, “ये तुम्हें किसने बता दिया?” वो मेरा लंड दबाते हुए बोलीं, “इसने ही बताया है आज सुबह।”
फिर उन्होंने आँख मार दी। मैं समझ गया कि मामला जम गया है। मैंने तुरंत उन्हें अपनी बाहों में जकड़ लिया और उनके होंठों को मुँह में लेकर चूसने लगा। वो नहाकर आ रही थीं। उनके जिस्म से खुशबू मुझे दीवाना बना रही थी। मैंने उनका ब्लाउज़ ऊपर से अच्छे से मसला और फिर उसके बटन खोलने लगा। वो पूरा साथ दे रही थीं। ब्लाउज़ के बाद उनकी ब्रा खोलकर गोल-गोल मस्त चूचियों को अपने दोनों हाथों में भरकर मसाज करते हुए उनके निप्पल्स पीने लगा। उन्हें पूरा चूमा, चाटा, फिर क्या था। मज़ा दोनों को आ रहा था। उनकी टोंडी (नाभि) में शक्कर डालकर चाटी। फिर फ्रिज से कोक लाया। ठंडी कोक को उनकी टोंडी में डालकर पिया, तब कहीं उनकी छाती में कुछ चैन आया। जवानी की आग भला ऐसे कैसे शांत होती?
अब उनकी पेटीकोट फेंककर टाँगें फैलाकर मैं उनकी बुर को दोनों उंगलियों से फैलाकर अपनी ज़ुबान बाहर निकालकर लप-लप चाट रहा था। ऊपर से नीचे, फिर नीचे से ऊपर। 8 मिनट तक मज़े से चाटता रहा। उनकी आँखों में नशा चढ़ रहा था और मेरा लंड भी गरम रॉड सा बढ़कर बुर चोदने को बेताब था। बुर के अंदर-बाहर भी ज़ुबान चलाई, साथ ही अपनी दोनों उंगलियाँ भी अंदर-बाहर करता रहा। वो “सी-सी” करने लगीं। अब वो मेरे ऊपर लेट गईं और फिर मेरे लंड की तरफ झुकीं। उन्होंने हाथ से लौड़ा पकड़कर मेरे लौड़े को ज़ुबान निकालकर चाटना शुरू कर दिया। मैं मस्त हो चला था।
अब मैं जल्दी से लंड अंदर करना चाहता था। वो टाँगें फैलाकर लेट गईं। मैंने लंड बुर पर लगाकर धक्का मारा, तो वो फिसलता हुआ गरम-गरम बुर में दाखिल हो गया। 5 मिनट तक मैंने उन्हें जमकर चोदा, फिर झड़ गया। ये सिलसिला रुका नहीं। थोड़ी देर बाद हम फिर लिपट गए और मैं उनकी कसी बुर की गहराई नापने में लग गया। दिन में तीन बार चोदा उस दिन। तब से मैं अपनी सेक्सी भाभी का हरामी दीवर बन गया हूँ।