चाचा की गैरमौजूदगी में चाची ने बतीजे से आग बुझाई रंडी बन के पार्ट 1
चाचा की गैरमौजूदगी में चाची ने बतीजे से आग बुझाई रंडी बन के पार्ट 1
प्यार भरा नमस्ते दोस्तों, ये मेरी पहली कहानी है, कोई गलती हो तो माफ करना।
मेरा नाम कुणाल है, और ये कहानी उस वक्त की है जब मैं बारहवीं में था, उम्र 20 साल। दिखने में काफ़ी स्मार्ट था, और अपने चाचा-चाची के साथ रहता था। पहले अपनी चाची के बारे में बताता हूँ – उनका नाम बेबी है, उम्र 34 साल, और वो एकदम हुस्न की मल्लिका हैं। उनका फिगर 36B-32-40, जो उन्होंने बाद में मुझे बताया। गोरी-चिट्टी, कातिलाना अदा, और 40 इंच की गदराई गांड, जिसे देखकर कोई भी पागल हो जाए। मैंने कभी चाची के बारे में गलत नहीं सोचा था। चाचा गांव में रहते थे, और बीच-बीच में आते-जाते रहते थे।
हमारा फ्लैट छोटा था, एक बड़ा रूम, जिसमें मैं और चाची सोते थे। रूम में एक बिस्तर जमीन पर बिछा रहता था। गर्मियों में हम बाहर चारपाई पर सोते थे। एक दिन गांव से कॉल आया कि चाचा आ रहे हैं। सुबह चाचा आ गए, और मैं समझ गया कि आज चाची की चुदाई पक्की है।
शाम को चाचा ने मुझे मेडिकल स्टोर भेजा, दवाइयों में विगोरा की टैबलेट भी थी। मैं ले आया, और रात का इंतज़ार करने लगा। खाना खाने के बाद हमने बाहर तीन चारपाइयाँ लगाईं – बीच में चाचा, एक तरफ मैं, और दूसरी तरफ चाची। मैं सोने का नाटक करके लेट गया। थोड़ी देर बाद चाची अपनी चारपाई से उठीं और चाचा की चारपाई पर मेरे सामने लेट गईं।
चाचा ने चाची की मैक्सी ऊपर की, और उनकी गोरी टांगें देखकर मैं पागल हो गया। चाची ने काली पैंटी पहनी थी, और उनकी 40 इंच की गांड मेरे सामने थी। चाचा ने चाची के बूब्स चूसने शुरू किए, और चाची की सिसकियाँ निकलने लगीं। चाचा ने पैंटी उतारी, और अपना खड़ा लंड चूत पर रगड़ने लगे। चाची बोली, “अब डाल दो, तड़पाओ मत, इतने दिन बाद चोदते हो!” चाचा ने लंड घुसा दिया, और चाची का गोरा बदन देखकर मेरा लंड भी तन गया। चाचा ने दो राउंड लिए, दूसरे राउंड में चाची लंड पर बैठकर कूद रही थीं, उनके बूब्स उछल रहे थे। मैं देखकर पागल हो रहा था। मेरा पानी निकल गया, और चाचा-चाची सो गए।
एक महीना बीत गया, ठंड शुरू हो गई थी। एक दिन गांव से कॉल आया कि बाबा की तबीयत खराब है, तो चाचा को जाना पड़ा। चाचा ज्यादातर ठंड में गांव में रहते थे। मैंने चाचा को बस में बिठाया, और घर आकर चाची को चोदने का प्लान बनाने लगा।
धीरे-धीरे एक और महीना गुजर गया। चाची बाहर सलवार-सूट पहनती थीं, लेकिन घर में मैक्सी में रहती थीं। मैं उनकी ब्रा और पैंटी को सूंघकर रोज़ मुठ मारता था। चाची की काली और सफेद जाली वाली ब्रा-पैंटी मेरी फेवरेट थी। मुझे लगने लगा था कि चाची भी मेरी हरकतें समझ रही थीं।
एक दिन कॉलेज से लौटा, तो रूम से “आह… आह…” की आवाज़ें आ रही थीं। खिड़की से देखा, चाची चूत में उंगली कर रही थीं। मैं चुपके से दरवाज़े से देखता रहा, मेरा लंड खड़ा हो गया। मैंने बाथरूम में चाची की ब्रा में मुठ मार दी।
कभी-कभी हम बुआ के घर जाते थे, जहाँ बुआ मुझे और चाची को एक बेड पर सुलाती थीं। मैं उसी मौके का इंतज़ार कर रहा था। एक दिन बुआ का कॉल आया, और हम उनके घर चले गए। रात को खाना खाकर चाची के साथ एक बेड पर लेट गया। चाची ने मेरी तरफ गांड करके सो रखा था। मैंने हिम्मत करके उनकी गांड पर हाथ रखा, उनकी पैंटी को टच किया। धीरे-धीरे हाथ पेट पर ले गया, और उनकी नरम टांडी में उंगली डाल दी। मैंने लंड निकालकर उनकी मैक्सी के ऊपर से गांड पर रगड़ा। चाची सोती रही, और मैं धीरे-धीरे झटके मारने लगा।
अचानक चाची ने करवट बदली, और नींद में उनका हाथ मेरे लंड पर पड़ गया। उफ्फ! मुझे जन्नत का मज़ा आ रहा था। मैंने भी नींद का बहाना करके उनका हाथ सहलाया। मेरा पानी निकल गया, और चाची के हाथ में लग गया। मैंने धीरे से लंड अंदर किया और सो गया। मुझे नहीं पता था कि चाची जाग रही थीं।
सुबह चाची मुझे देखकर मुस्कुराईं। शाम को हम फ्लैट पर लौट आए। मैं कॉलेज चला गया। दोपहर में लौटा, तो चाची डिल्डो डाल रही थीं, और “आह… आह…” की आवाज़ें निकाल रही थीं। मैं दरवाज़े से देखता रहा। चाची ने पिचकारी मारी, और बाहर आईं।
चाची: “कुणाल, तुम कब आए?”
मैं: “अभी, चाची। आप बिज़ी थीं, तो डिस्टर्ब नहीं किया।”
रात को हम एक रूम में सोए। चाची ने रूम लॉक किया, और जमीन पर सो गईं। मैं चारपाई पर था। मुझे नींद नहीं आ रही थी। चाची को लंड की भूख थी, छह महीने होने वाले थे चाचा आए नहीं थे। रूम में ज़ीरो वाट का बल्ब जल रहा था। मैं सोच रहा था कि चाची को कैसे पटाऊँ।
रात 12 बजे चाची उठीं। मैंने सोने का बहाना किया। चाची ने अलमारी से 5 इंच का काला डिल्डो निकाला, और मैक्सी उतार दी। उफ्फ! क्या नज़ारा था – गोरी गांड, रसीली चूत बिना बालों की। चाची ने डिल्डो पर तेल लगाया, और चूत में डालकर “उफ्फ… आह…” की आवाज़ें निकालने लगीं। बीच में मेरा नाम लिया, “कुणाल, तू ही चोद दे, मैं बहुत भूखी हूँ!”
मैं पागल हो गया। 30 मिनट बाद चाची ने पिचकारी मारी, और नंगी सो गईं। मैंने मौका देखा, उनकी गांड पर मुठ मार दी, और बीज उनकी गांड पर गिरा दिया।
सुबह चाची को बुखार था, शायद रात को नंगी सोने की वजह से। मैंने मेडिसिन और विगोरा लाकर चाय बनाई। चाची को खाना खिलाया, और शाम तक उनका बुखार कम हुआ। रात 9:30 बजे मैंने खाना लाया, और चाची को 500 mg की विगोरा मेडिसिन में मिलाकर दे दी। मैंने भी 100 mg की विगोरा खाई, और चाची की चूत मारने का प्लान बनाया।
एक घंटे बाद मैंने कहा, “चाची, पैर दबा दूँ, ऑयल से मसाज कर दूँ?”
चाची: “नहीं बेटा, तूने आज बहुत किया।”
मैं: “चाची, बतीजे को मौका दो, आपकी सेवा करूँगा।”
चाची समझ गईं। उन्होंने पैर मेरी गोद में रखे। मैंने मैक्सी घुटनों तक ऊपर की, और सरसों का तेल लगाकर मसाज शुरू की। चाची की गोरी टांगें देखकर मेरा लंड तन गया।
चाची: “आह, बेटा, आराम से! तेरे हाथ मर्दों जैसे हैं। तू जवान हो गया है, शादी करवानी पड़ेगी। कोई गर्लफ्रेंड बनी?”
मैं: “नहीं, चाची। आप जैसी कोई मिली नहीं।”
चाची: “मेरे में क्या है? मैं तो बूढ़ी हो गई, 34 की उम्र हो गई।”
मैं: “चाची, आप अभी भी जवान हो, आपका फिगर कमाल का है।”
चाची: “बस कर, बेटा। अब सोते हैं। ठंड लगती है, मेरे पास सोया कर, और हमारी रजाइयाँ मिला लेंगे।”
मैं इसी मौके का इंतज़ार कर रहा था। मैंने रजाई डाली, और चाची के पास लेट गया। मेरा खड़ा लंड लोअर में चाची ने देख लिया। चाची ने मुझे बाहों में लिया, और रोने लगीं, “तू मेरा कितना ख्याल रखता है, लेकिन तेरे चाचा को कोई मतलब नहीं।”
मैं: “चाची, अब मैं आपका बेटा आपकी हर विश पूरी करेगा। चाहो तो पूरी बॉडी मसाज कर दूँ।”
चाची: “ठीक है, बेटा, कल कर देना।”
मेरा मुंह चाची के बूब्स पर था, और लंड उनके पेट से रगड़ रहा था। चाची ने मेरी तरफ गांड करके सो लिया। मैंने मैक्सी ऊपर की, और उनकी गांड सहलाने लगा। चाची ने नींद में मेरा हाथ पकड़कर चूत पर रख दिया। चूत इतनी गर्म थी कि मेरा हाथ जल गया। मैंने उंगली चलाई, चाची की सिसकियाँ निकलने लगीं।
चाची: “चोद दो, राजा, मैं भूखी हूँ!”
मैंने लंड निकालकर उनकी गांड पर रगड़ा। चाची जाग गईं।
चाची: “कुणाल, ये क्या कर रहा है? मैं तेरी चाची हूँ!”
मैं: “चाची, आज मुझे रोक मत, तुम्हारी जवानी का जूस पिलवा दो। रोज़ तुम्हारे नाम की मुठ मारता हूँ।”
चाची उठकर बैठ गईं, और मुझे दो चांटे मारे। मैंने नींद का बहाना किया।
चाची: “कुणाल, ये क्या बोल रहा है?”
मैं: “चाची, हिम्मत करके बोलता हूँ, मुझे तुम्हारे बूब्स देखने हैं।”
चाची: “पागल हो गया है? ये क्या कह रहा है?”
मैंने बहुत मिन्नत की। चाची ने कहा, “ठीक है, लेकिन ये बात किसी को पता नहीं चलनी चाहिए।” चाची ने मैक्सी उतारी। मैंने कहा, “चाची, आपको पूरा नंगा देखना है।” चाची ने मना किया, लेकिन मेरे ज़िद करने पर वो पूरी नंगी हो गईं।
उफ्फ! चाची की गोरी टांगें, रसीली गांड, और बिना बालों वाली चूत देखकर मेरा लंड तन गया।
चाची: “क्या घूर रहा है? आँखों से ही चोद देगा?”
मैं: “चाची, मुझे एक बार सेवा का मौका दो, खुश कर दूँगा।”
चाची: “कैसी सेवा, बेटे?”
मैं: “चुदाई का मौका दो।”
चाची: “ये मौका तेरे चाचा का है। तूने तो ठंड में मुझे नंगा करवा दिया, अब तू भी कुछ दिखा।”
मैं: “क्या, चाची?”
चाची: “तेरा हथियार, लंड, जो मेरी चाहत में रोज़ मुठ मारता है।”
मैं: “पास आओ, देख लो।”
चाची ने भूखी शेरनी की तरह मेरा लोअर नीचे किया। मेरा 10 इंच का लंड देखकर बोलीं, “उफ्फ! इतना बड़ा? तेरे चाचा का भी इतना नहीं। तूने मुठ मार-मारकर इसे चुदाई के लायक बना लिया।”
मैं: “चाची, तुम्हारे बूब्स और गांड सहला सकता हूँ?”
चाची चुप रही। उनकी खामोशी में मुझे चुदाई की हरी झंडी दिखी। मैंने उनके बूब्स सहलाए, धीरे-धीरे मसले। मुझसे रहा नहीं गया, और मैं बोला, “चाची, मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ, मुझे एक बार चोदना है।”
चाची: “मैं अपने पति के अलावा किसी से नहीं चुदवाऊँगी। अगर चोदना है, तो पहले मुझसे शादी कर।”
मैं: “ठीक है, जैसा कहो, करने को तैयार हूँ।”
चाची ने मुझे बाहर भेजा, और चाचा की शेरवानी लाकर दी। मैं तैयार हुआ। चाची लाल साड़ी में नई-नवेली दुल्हन बनकर आईं। हमने अग्नि जलाई, सात फेरे लिए, मैंने उनकी मांग में सिंदूर भरा, और मंगलसूत्र पहनाया। चाची ने मेरे पैर छुए, और बोलीं, “आज से मैं तुम्हारी पत्नी हूँ, जो चाहो कर सकते हो।”
मैं: “चाची, सुहागरात कब होगी?”
चाची: “कल। आज तेरा खड़ा है, इसका जूस निकाल देती हूँ।”
मैं: “चाची, अपनी पिंक जाली वाली पैंटी और काली जाली वाली ब्रा पहनकर आओ, उसमें मैंने बहुत मुठ मारी है।”
चाची: “तू मुठ मारता था, और मैं उसे चाट लेती थी। मैं भी बहुत भूखी हूँ। आज से तू मुझे चाची नहीं, बीवी बोलेगा। अपने चाचा के सामने मुझे चोदेगा। कल रात नंगी पिक लेंगे, और मेरी चूत में सिंदूर लगाकर घुसेगा।”
मैं: “उफ्फ, बेबी, मेरी जान, रेडी होकर आओ।”
चाची नंगी उठीं, ब्रा-पैंटी पहनकर, मांग में सिंदूर और लिपस्टिक लगाकर आईं। घोड़ी जैसी लग रही थीं। मैंने उन्हें गोद में उठाकर बेडरूम में लेटाया, और एक जोरदार किस किया।
चाची: “तूने मेरी नंगी गांड पर बीज मारा था, तब मैं समझ गई थी कि मेरा बेटा बड़ा हो गया है, और मुझे सुहागन बनाकर चोदेगा।”
मैंने चाची के हाथ में लंड दिया। चाची रंडी की तरह हिलाने लगीं।
चाची: “उफ्फ, मेरे छोटे पति, तेरा लंड जडियल है। मेरी चूत सजा देगा। कितना मोटा है, राजा!”
चाची ने लंड पर सिंदूर लगाकर अपनी मांग भरी, और बोलीं, “झटके मार, मेरा मुंह पकड़!” मैंने उनके बाल पकड़े, और मांग में झटके मारे।
चाची: “आह, तू भी मेरी तरह भूखा है। तेरा जोश गज़ब है। कल से मैं तेरी रंडी हूँ, दिन-रात चूत मार। मेरी गांड लाल हो जाए, ऐसा चोद!”
मैं: “चाची, अभी मेरे लंड को शांत करो, नहीं तो चूत मारने दो।”
चाची: “राजा, मैं तुझसे ज़्यादा भूखी हूँ। इंतज़ार कर, तेरी पहली रात ऐसी मनाऊँगी कि हमेशा याद रखेगा।”
मैंने चाची के बूब्स सहलाए। चाची ने ब्रा खोली, और लंड को बूब्स पर रगड़ा।
मैं: “आह, रानी, मेरा झड़ रहा है!”
चाची: “मुंह में झाड़ दे!”
मैंने लंड पकड़कर उनके मुंह में बीज निकाल दिया।
चाची: “उफ्फ, राजा! इतना माल? तेरे चाचा का तो महीने में भी इतना नहीं निकलता।”
मैं: “चाची, सालों से तुम्हारी ब्रा-पैंटी चोद रहा हूँ, आज तुम्हें चोदना चाहता हूँ।”
चाची: “राजा, मैं तेरी हो गई। जब मन हो, चोद लेना। अपने चाचा की कमी पूरी करेगा।”
मैं: “कल मुंह दिखाई में क्या चाहिए?”
चाची: “प्रॉमिस कर, जो मांगूँगी, देगा।”
मैं: “हाँ, चाची, प्रॉमिस।”