मेरी पड़ोसन मीनाक्षी की चूत – पहली चुदाई का पूरा मज़ा
हाय दोस्तों, मेरा नाम राज मलिक है। मुझे कभी नहीं लगा था कि मुझे इतनी जल्दी चुदाई का मौका मिल जाएगा। ये मेरी जिंदगी का वो सुनहरा पल था, जिसे मैं कभी नहीं भूल सकता। हमारे घर के सामने एक मकान था, जिसमें वर्मा साहब की फैमिली रहती थी। उनके घर में वर्मा जी, उनकी पत्नी सपना, और उनकी दो बेटियाँ मीनाक्षी और पूजा थीं। सपना आंटी 55 की उम्र में भी 45 की लगती थीं। उनका कसा हुआ बदन, मोटे-मोटे चुचे, भारी-भरकम गांड, और लंबे काले बाल देखकर हर कोई पागल हो जाता था। जब वो सड़क पर चलती थीं, तो जवान लड़कों के हाथ अपने लंड पर चले जाते थे, और बूढ़ों की जीभ बाहर लटकने लगती थी। ऐसे में उनकी बेटियाँ मीनाक्षी और पूजा भी कम कयामत नहीं थीं। उनकी एक झलक से ही लड़के मुठ मारने को मजबूर हो जाते। मेरा भी यही हाल था।
मीनाक्षी और परिवार का परिचय
मीनाक्षी 19 साल की थी, मुझसे 2 साल छोटी। पूजा उससे 1 साल छोटी, 18 की। दोनों बहनें इतनी हॉट थीं कि उन्हें देखकर नींद उड़ जाए। मीनाक्षी का गोरा रंग, भरा हुआ बदन, और कातिलाना अंदाज़ मुझे हमेशा बेकाबू कर देता था। वर्मा परिवार का हमारे साथ अच्छा रिश्ता था। मेरे घर में मम्मी-पापा, मैं, और मेरा बड़ा भाई है। भाई विदेशी टूर कंपनी में मुंबई ऑफिस का हेड है, वहीं रहता है। पापा और मम्मी प्राइवेट कंपनी में काम करते हैं। सुबह 8 बजे ऑफिस जाते हैं और रात 8-9 बजे लौटते हैं। मेरा कमरा बाहर गेट के पास है, मम्मी-पापा का अंदर। उस दिन मैं घर पर अकेला था।
मस्ती में मीनाक्षी की एंट्री
मैं टीवी देख रहा था। एक फिल्म चल रही थी, जिसमें अचानक सेक्सी सीन आ गया। मेरा 10 इंच का लंड तन गया। मैंने पैंट खोली, लंड निकाला, और सहलाने लगा। गेट खुला था, मुझे पता ही नहीं चला। मैं अपनी मस्ती में डूबा था कि कब मीनाक्षी अंदर आई और मुझे लंड से खेलते देखने लगी। उसकी नज़र मेरे लंड पर टिकी थी। अचानक उसके पैर से टेबल टकराई। आवाज़ से मेरी आँखें खुलीं। पीछे देखा तो मीनाक्षी खड़ी थी, मेरे लंड को घूर रही थी। मैं घबरा गया। फटाक से लंड अंदर किया, पैंट ऊपर चढ़ाई। “कैसे आना हुआ, मीनाक्षी?” मैंने हकलाते हुए पूछा। “न्यूज़पेपर लेने आई,” उसने शरारती मुस्कान के साथ कहा।
नज़दीकी की शुरुआत
मैं न्यूज़पेपर देने उठा। उसने मेरा हाथ पकड़ लिया। मैं चौंका। उसने मुझे खींचा, मैं उसके सीने से टकरा गया। उसके मुलायम बूब्स मेरी छाती से दबे। उसने मेरे लंड पर हाथ रखा, “हथियार तगड़ा है! कभी इस्तेमाल किया या बस हाथ से हिलाता है?” मैं सकपकाया, लेकिन उसकी बातों से समझ गया कि मौका हाथ आया है। “तेरे जैसा माल नहीं मिला, जान। इस्तेमाल कैसे करता?” मैंने कहा और उसका सिर पकड़कर उसके रसीले होंठों पर किस कर दिया।
उसकी सहमति देख मैं पीछे क्यों हटता? मैंने उसे बाहों में भरा, होंठ चूसने लगा। पहली बार था, जल्दबाज़ी में उसके कपड़े उतारने लगा। उसने धक्का दिया, “जानवर है क्या? आराम से कर। आज मैं तेरी हूँ।” मैंने सॉरी कहा। उसने अपना सूट उतारा। उसके बड़े-बड़े बूब्स देख मैं पागल हो गया। “मीनाक्षी, इतने बड़े स्तन!” मैंने कहा। उन्हें हाथों में लिया, चूसा, दबाया। वो जोश में आकर मुझसे चिपक गई। मेरा सपना सच हो रहा था।
जोश और चुदाई का खेल
मैंने धीरे-धीरे उसे पूरी तरह नंगा कर दिया। उसका गोरा, भरा हुआ बदन देख मेरा लंड और तन गया। मैंने भी कपड़े उतारे। मेरा 10 इंच का लंड देख वो चौंकी, “हे राम! इतना मोटा? साले, कितनी लड़कियों को चोदा है?” “किसी को नहीं,” मैंने कहा। “चल आज चोद। खुद मज़ा ले, मुझे भी दे,” उसने शरारती अंदाज़ में कहा। मैंने उसे चूमा। उसने मेरा लंड पकड़ा, आगे-पीछे किया। मुझे गज़ब का मज़ा आ रहा था। मैं उसके बूब्स दबा रहा था, होंठ चूस रहा था।
“साले, सिर्फ चूसेगा या खाएगा?” उसने कहा। “साली, जल्दी है? घोड़ी बन, रांड। मुझे तुझसे ज़्यादा जल्दी है,” मैंने जवाब दिया। वो घोड़ी बनी। मैंने उसकी चूत पर लंड रखा, पेलना शुरू किया। “थोड़ा तेज नहीं चोद सकता?” उसने उकसाया। मैंने झटके तेज किए। “थोड़ा धीरे! उई माँ… मर गई!” वो चिल्लाई। “अब पता चला साली, तेरी गांड का बुरा हाल करूँगा,” मैंने कहा। वो मेरे साथ ताल मिलाने लगी। मैं उसकी चूत जोर-जोर से चोदने लगा।
चुदाई का लंबा सिलसिला
20 मिनट तक मैंने उसे अलग-अलग स्टाइल में चोदा। कभी घोड़ी बनाकर, कभी उसे ऊपर बिठाकर, कभी बगल से। वो मज़े से सिसकियाँ ले रही थी, “आह… उफ्फ… चोद साले… और तेज़।” उसकी चूत गीली हो चुकी थी। 25 मिनट बाद मैं झड़ने वाला था। मैंने लंड बाहर निकाला, उसके मुँह पर पिचकारी मारी। उसने लंड मुँह में लिया, सारा वीर्य चाट गई। हम एक-दूसरे से चिपक गए। उसका गर्म बदन मेरे जिस्म से सटा था। मेरे दिल की धड़कनें तेज़ थीं। उसने मेरे सीने पर सर रखा, “मज़ा आया, राज।”
दूसरे राउंड की शुरुआत
थोड़ी देर बाद मेरा लंड फिर खड़ा हो गया। “मीनाक्षी, एक बार और?” मैंने पूछा। “हाँ, क्यों नहीं? फाड़ दे अपनी मीनाक्षी की चूत,” उसने शरारत से कहा। मैंने उसे बेड पर पटका। उसकी चूत चाटी। वो सिसकियाँ लेने लगी, “आह… राज… चाटता अच्छा है।” मैंने उसकी जाँघें चूमीं, बूब्स दबाए। वो गरम हो गई। मैंने लंड उसकी चूत में डाला, तेज़ धक्के मारे। “उई… माँ… धीरे साले,” वो चिल्लाई। मैंने रफ्तार कम की, लेकिन जोश नहीं। उस दिन मैंने उसे 5 बार चोदा – हर बार नए स्टाइल में। कभी उसे दीवार से सटाकर, कभी गोद में उठाकर। वो हर बार मज़े से चुदवाती रही।
चुदाई का नया रिश्ता
उसके बाद हमारा सिलसिला शुरू हो गया। मौका मिलते ही वो मेरे घर आती। कभी मैं उसके घर जाता। हम जमकर चुदाई करते। उसकी चूत का स्वाद मेरे लिए नशा बन गया। उसकी सिसकियाँ, उसका गोरा बदन, और उसकी शरारती बातें मुझे हर बार उकसाती थीं। एक दिन हम बेडरूम में चुदाई कर रहे थे। मैं उसे घोड़ी बनाकर पेल रहा था। उसकी गांड हिल रही थी। तभी पूजा ने हमें रंगे हाथों पकड़ लिया। वो दरवाजे पर खड़ी हमें देख रही थी। उसकी आँखें चौड़ी थीं। “ये क्या हो रहा है?” उसने चीखकर पूछा। हम दोनों घबरा गए। लेकिन आगे क्या हुआ, वो अगली कहानी में बताऊँगा।
आपकी राय का इंतज़ार
दोस्तों, ये थी मेरी पहली चुदाई की कहानी। मीनाक्षी ने मुझे जन्नत की सैर कराई। आप सब मुझे मेल करें। आपकी राय का इंतज़ार रहेगा।