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चुदाई की तड़प मेरी बॉस की

(Chudai Ki Tadap Meri Boss Ki)

नमस्कार, मेरा नाम शान्तनु है। मेरी उम्र 25 वर्ष है और यह मेरी पहली कहानी है जो आप पढ़ने जा रहे हैं। आपका ज्यादा समय न लेकर ‘सीधी बात नो बकवास’ वाले सूत्र पर आता हूँ। मैंने ज्यों ही अपनी स्नातक की शिक्षा पूरी की, मुझे कोलकाता की एक कम्पनी में नौकरी मिल गई। कम्पनी बहुत अच्छी थी और सहकर्मी भी, पर सबसे अच्छी बात थी कि हमारी मैनेजर बहुत खुले स्वभाव की थी।

मैंने जब कम्पनी में ज्वाईन किया तो मैनेजर ने मुझे बहुत सहयोग किया। देखते-देखते कैसे महीना बीत गया पता ही नहीं चला और मेरी पहली पगार आ गई। मुझे अच्छी तरह याद है कि मैं महीने तीन तारीख को अपने दो दोस्तों को पार्टी देने के लिए पार्कस्ट्रीट स्थित एक पब में ले गया। हालाँकि वह शनिवार की रात थी, इसलिए भीड़ कुछ ज्यादा थी पर मेरे एक दोस्त की उस पब के प्रबन्धन में पहचान के कारण जल्द ही प्रवेश मिल गया। हमने भीतर जाकर खूब डाँस किया और मेरे दोनों दोस्त बीयर पीने चले गए और मैं डाँस फ्लोर पर डाँस करता रहा।

तभी अचानक मेरी नज़र एक जगह रुक गई। मैंने देखा कि एक कोने में मेरी कम्पनी की मैनेजर सोनाली मैम बैठी हुई हैं, शायद उन्होंने ने भी मुझे देख लिया था।

अब मैं उनके पास गया और बोला- गुड इवनिंग मैम !

सोनाली- गुड इवनिंग।

उसकी बातों से लगा कि वो हल्के नशे में थी।

फिर मैं बोला- आपके साथ कौन आया है मैम?

इस पर वो गुस्से से बोली- क्या मैम.. मैम.. लगा रखा है…. कॉल मी सोनाली.. मैम सिर्फ ऑफिस में…!

मैंने कुछ नहीं कहा, चुपचाप खड़ा रहा।

फिर सोनली बोली- तुम किसके साथ आए हो.. कोई गर्लफ्रेण्ड है क्या?

इस बार मैंने उसकी तरफ देखा और देखता ही रह गया। क्या लग रही थी वो… एकदम कसी हुई जीन्स, काली रंग की डिजाईनर टी-शर्ट जिसमें से उसकी उठी हुई चूचियां निकलने को बेताब थीं। मैं तो बस स्तब्ध सा खड़ा देखता रहा और उसने भी मुझे इस तरह से देखते हुए देख लिया और बोली- मैं तुम्हें कब से डाँस करते हुए देख रही थी.. अच्छा करते हो.. क्या मेरे साथ डाँस करोगे।

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मैंने कहा- हाँ..क्यों नहीं..!

अब हम दोनों डाँस फ्लोर पर चले गए। पहले तो हम दोनों कुछ दूरी पर रह कर डाँस कर रहे थे और वह अपनी नशीली आँखों से मेरी आँखों में देख रही थी, पर मेरी नज़र बार-बार उसकी चूचियों की तरफ जा रही थी। उसकी चूचियां ऐसे उछल रही थीं, मानो आज़ाद होना चाह रही हों, पर मैं क्या कर सकता था, मैं तो बस चोर नज़रों से उन्हें निहार रहा था। अब उस पर धीरे-धीरे बीयर असर दिखा रही थी। ज्यों-ज्यों नशा बढ़ रहा था उसका संकोच भी मर रहा था और वह मेरे करीब आ गई।

उसने मेरा हाथ पकड़ कर अपनी कमर पर रख दिया और अपनी बाहें मेरे गले में डाल दीं और अपनी चूचियां मेरे सीने से सटा कर मस्ती भरी आवाजें निकालने लगी। उसके ऐसा करने से मेरा लंड नब्बे डिग्री का कोण बना कर खड़ा हो गया। मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि मैं क्या करुँ। वह अपनी चूचियाँ मेरे सीने पर रगड़े जा रही थी और मेरे हाथों को बार बार अपने चूतड़ों पर ले जा रही थी। मुझे शर्म तो बहुत आ रही थी क्योंकि मेरे दोस्त यह सब होता देख रहे थे, पर मुझे मज़ा भी बहुत आ रहा था।

किसी तरह मैंने खुद को सँभाला, उसे कोने में ले गया एक कुर्सी पर बैठाया और बोला- सोनाली तुम्हें बहुत चढ़ गई है.. चलो मैं तुम्हें घर छोड़ देता हूँ।

सोनाली इस बात के लिए राजी हो गई, मैंने अपने दोस्तों को दूर से ही इशारा किया और हम टैक्सी पकड़ कर उसके घर की ओर चल दिए। टैक्सी में भी वह मुझसे चिपकी रही और मेरे गालों पर चुम्बन करने लगी और मेरे लण्ड पर हाथ रख दिया। सच बताऊँ मेरा भी बड़ा बुरा हाल था, मन तो कर रहा था कि साली को इसी टैक्सी में ही चोद दूँ। लेकिन मैंने अपने आप को किसी तरह सँभाला और लगभग एक घँटे बाद हम दोनों सोनाली के घर पहुँचे।

मैंने टैक्सी वाले को पैसे दिए, चलता किया और सोनाली से पूछा- क्या अब आप खुद से चली जायेंगी?

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मुझे डर लग रहा था कि अगर इसे मैं अन्दर ले गया तो इसके घर वाले क्या सोचेंगे पर उसे लड़खड़ाता देख मैंने कहा- चलो.. मैं तुम्हें घर के अन्दर छोड़ देता हूँ।

उसके घर के पास पहुँच कर मैंने दरवाज़े पर ताला लगा देख कर मैंने उससे पूछा- चाबी कहाँ है?

तो उसने अपना पर्स मुझे थमा दिया। मैंने उसमे से चाबी निकाली,दरवाज़ा खोला, कंधे का सहारा देकर अन्दर ले आया और पूछा- काफी पियेंगी क्या?

वो बोली- नहीं, मुझे लॉलीपॉप चूसना है।

मैं- पर यहाँ लॉलीपॉप कहाँ है?

सोनाली- है न.. तुम्हारे पास एक बड़ा सा लॉलीपॉप है।

मैं- अभी आप नशे में हैं, अगर होश में माँगेगी तो लॉलीपॉप क्या आइसक्रीम भी खिला दूँगा।

यह सुनते ही वो झट से खड़ी हो गई और बोली- तुम क्या समझ रहे हो कि तुम मुझे यहाँ लाये हो… जबकि तुम्हारे लॉलीपॉप के लिए मैं तुम्हें यहाँ लाई हूँ।

और झट से मेरे पास आकर उसने मेरी बेल्ट खोल दी और फिर मेरी जीन्स का बटन खोल जिप नीचे सरका दी। इसके बाद मेरे लंड को अंडरवियर के ऊपर अपने हाथों से टटोलने लगी और मैं भी उसके बालों को सहलाने लगा।

अब उसने मेरी तरफ देखा और बोली- लंड तो बड़ा शानदार है तुम्हारा.. भला ऐसे लंड को भी कोई छुपाता है क्या।

उसने तुरंत मेरा अंडरवियर सरका कर अपने होंठों से मेरे लंड को चूसने लगी। मुझे भी अब मज़ा आने लगा, क्योंकि ज़िन्दगी में पहली बार मेरे लंड ने किसी स्त्री का स्पर्श पाया था और मेरी तो जैसे कोई लाटरी निकल गई हो। इतनी सुन्दर लड़की मेरा लंड जो चूस रही थी। लगभग दस मिनट मेरे लंड के रसपान के बाद वो खड़ी हो गई और मेरे होंठों को चूसने लगी। हालाँकि मैं भी उसका साथ दे रहा था पर ऐसा लग रहा था, जैसे वो इस कला में निपुण थी। इसके बाद उसने मेरे सारे कपड़े उतार कर मुझे नंगा कर दिया और अपने कपड़े उतारने लगी।

तब मैंने कहा- अगर तुम्हारे कपड़े मैं उतारूँ तो तुम्हें कोई दिक्कत तो नहीं।

वो बोली- ये बदन तुम्हारा ही तो है.. जो चाहे करो.. जैसे चाहे करो।

यह सुनते ही मैं उसके एक-एक कर कपड़े उतारने लगा और जहाँ-जहाँ से कपड़ा उतारता वहाँ-वहाँ उसको चुम्बन करता। मेरे हल्के-हल्के चुम्बन से वो सिहर उठती और तरह-तरह की मादक आवाजें निकालती और ऐसी प्यारी-प्यारी सिस्कारियाँ सुनकर मैं भी मँत्रमुग्ध हो जाता। जब मैंने उसके बदन से एक-एक कर सारे कपड़े उतार दिए तो वह पागल हो गई और कहने लगी- जल्दी करो.. अब चोद दो मेरे राजा..!

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पर फिर भी मैंने जल्दबाजी नहीं की। मैं बीस मिनट उसके चूचुकों को चूसता रहा उसकी चूत सहलाता रहा। इसके बाद तो वो जैसे रोने लगी, मुझे नोचने लगी, मारने लगी तब जाकर मैंने उसे बिस्तर पर लिटाया और उसकी सफाचट चिकनी चूत में अपना सुपारा लगाया पर वो मेरे अनाड़ी होने के कारण फिसल गया। सोनाली पुरानी खिलाड़िन थी, उसने मेरे लौड़े को पकड़ कर छेद पर टिकाया और मुझे धक्का मारने का इशारा किया। मैंने पूरे जोश में अपना लौड़ा उसके छेद में पेल दिया।

उसकी तो सिर्फ एक लम्बी ‘आह’ निकली, पर मैं दर्द से बिलबिला उठा क्योंकि मेरा लंड पहली बार किसी चूत में घुसा था सो मेरा टोपे का धागा टूट गया और मैं दर्द से चीख उठा। मैं उठने को हुआ पर सोनाली ने मुझे अपने ऊपर से उठने नहीं दिया और अपनी टाँगें मेरी कमर से लपेट लीं। मैं बेबस था, पर फिर सोनाली ने मुझे बहुत चूमा और मैं उसके चुम्बनों से फिर से कामुक हो उठा और उसकी चुदाई शुरू कर दी। मैंने उसको लगभग 20 मिनट तक चोदा, वो दो बार झड़ चुकी थी। मैंने बिना उससे पूछे अपना माल उसकी चूत में गिरा दिया और उसकी बाँहों में ही गिर गया।

सोनाली ने भी मुझे अपने सीने से चिपका लिया।

कुछ देर बाद मैं उठा, फिर अपने कपड़े पहने और बिना कुछ बोले अपने घर चला गया। उसके बाद सोनाली ने मुझे बहुत भोगा।