पड़ोसी की चुदाई

चूत का बुलावा आया मेरे लंड के लिए – हॉट आंटी चुदाई

हाय फ्रेंड्स, मेरा नाम मिलिंद है। मैं 19 साल का हूँ, लंबा-चौड़ा, सुंदर और आकर्षक लड़का हूँ। मुझे बड़ी उम्र की औरतें हमेशा से पसंद रही हैं। उनका अनुभवी बदन, भरी हुई चूचियाँ, और गोल-मटोल गांड मुझे दीवाना बना देती हैं। मेरा लंड 6.5 इंच का है, मोटा और सख्त, जो किसी भी औरत को तड़पा सकता है। आज मैं आपको अपनी ज़िंदगी की एक ऐसी घटना सुनाने जा रहा हूँ, जिसने मेरी जवानी को नया रंग दिया। यह बात तीन साल पहले की है, जब मैं 16 साल का था।

ट्यूशन का बहाना और बाज़ार की सैर

मेरे घरवालों को मेरी पढ़ाई की चिंता थी। स्कूल में मेरे नंबर कम आ रहे थे, तो उन्होंने मेरे लिए एक अच्छे ट्यूशन टीचर की तलाश की। पास के मोहल्ले में एक सर थे, जो बच्चों को पढ़ाते थे। पहले कुछ दिन मैं वहाँ गया। सब ठीक था। क्लास में 10-12 बच्चे होते थे। सर सख्त थे, पर मुझे शुरू में कोई दिक्कत नहीं हुई। लेकिन कुछ दिनों बाद उनका गुस्सा मुझ पर बढ़ने लगा। मैं थोड़ा शरारती था, होमवर्क भूल जाता था, और सवालों के जवाब में अटक जाता था। वो मुझे डाँटते, “मिलिंद, तू कुछ सीखेगा या सिर्फ टाइम वेस्ट करेगा?” मुझे उनकी ये बातें अच्छी नहीं लगती थीं।

एक दिन टेस्ट था। मैंने कुछ पढ़ा नहीं था। पेपर में फेल होने का डर था, और सर की डाँट से बचना चाहता था। मैंने सोचा, “ट्यूशन ही छोड़ देता हूँ।” उस दिन मैं घर से निकला, पर ट्यूशन नहीं गया। सर के घर से थोड़ी दूर एक बाज़ार था—सब्जियाँ, फल, कपड़े, और चाट की दुकानों से भरा हुआ। मैं वहाँ घूमने लगा। बच्चों की किताबें छोड़कर बाज़ार की रौनक देखना मज़ेदार लगा। अगले दिन भी मैं ट्यूशन नहीं गया। सर ने फोन किया, “मिलिंद, कहाँ मर गया?” मैंने कहा, “सर, मैं ट्यूशन नहीं लूँगा। आपसे पढ़ाई नहीं हो पाती।” उन्होंने गुस्से में कुछ कहा, पर मैंने फोन काट दिया।

घरवालों को सच बताने की हिम्मत नहीं थी। मैं रोज़ ट्यूशन के टाइम पर घर से निकलता। बैग में किताबें डालता, मगर बाज़ार की गलियों में भटकता। ट्यूशन का वक्त पूरा होने पर घर लौट आता। महीने के अंत में फीस के पैसे भी अपने पास रख लेता। मुझे ये आज़ादी पसंद आने लगी। बाज़ार में लड़कियाँ, भाभियाँ, और आंटियाँ दिखतीं। मैं उनकी जवानी को निहारता, और मन में ख्याल आता कि किसी को पटाकर चोद दूँ।

घर पर ब्लू फिल्म और आंटी का ख्याल

एक दिन घर पर अकेला था। पापा दुकान गए थे, और अम्मा पड़ोस में किसी से मिलने। मैंने कंप्यूटर ऑन किया और ब्लू फिल्म चलाई। स्क्रीन पर एक जवान लड़का एक मोटी आंटी को चोद रहा था। उसकी चीखें और लंड की रगड़ की आवाज़ सुनकर मेरा लंड टाइट हो गया। मैं पैंट में हाथ डालकर मुठ मारने ही वाला था कि अम्मा रूम में घुस आईं। मैंने जल्दी से कंप्यूटर बंद किया। वो बोलीं, “क्या कर रहा था? ट्यूशन का टाइम हो गया, कब जायेगा?” मैं घबराया, पर कहा, “हाँ, जा रहा हूँ।” कपड़े पहने और घर से निकल गया।

Hot Sex Story :  kiraydar ki wife ki mast chudai karachi sex story-2

रास्ते में रुककर लड़कियाँ देखने लगा। मन में उत्तेजना थी। सोच रहा था कि जो मिल जाए, उसे चोद दूँ। बाज़ार में घुसा तो एक सब्जी की दुकान पर नज़र पड़ी। वहाँ एक आंटी खड़ी थी—उम्र शायद 40-45 के आसपास, पर बदन ऐसा कि देखते ही लंड सलामी देने लगे। गोरी चमड़ी, भरा हुआ जिस्म, और ढीली साड़ी जो उसके कूल्हों को मुश्किल से ढक रही थी। उसकी चूचियाँ साड़ी से बाहर झाँक रही थीं। वो पूरी रांड लग रही थी।

आंटी से पहला टच और पीछा

मैं उसके पास गया। बहाना बनाया, “आंटी, नींबू कितने का है?” बोलते हुए उसकी कोहनी को छू लिया। उसकी त्वचा नरम थी, और छूते ही मेरे बदन में करंट दौड़ गया। उसने मुझे अजीब नज़रों से देखा। मैं डर गया, हाथ हटा लिया। वो नींबू लेकर चली गई। मैं उसका पीछा करने लगा। उसकी गांड मटक रही थी, और साड़ी का पल्लू हवा में लहरा रहा था। भीड़ में वो दूर चली गई। मैं उसे ढूँढता रहा, पर वो गायब हो गई। मैं उदास होकर घर लौटा। रात भर उसकी गांड और चूचियों का ख्याल मन में घूमता रहा।

अगले दिन फिर बाज़ार गया। वो नहीं दिखी। मैं मायूस हुआ। तीन दिन बाद वो फिर उसी दुकान पर थी। साड़ी में उसका जिस्म और हॉट लग रहा था। मैंने सब्जी वाले से पूछा, “कद्दू कितने का है?” वो मेरी बात सुनकर हँसी और चली गई। मैं पीछे लगा। वो बार-बार पीछे मुड़कर देख रही थी, जैसे मुझे बुला रही हो। मैं उसकी मटकती गांड को निहारता हुआ चलता रहा। मन में ख्याल था, “काश ये मुझे मिल जाए, इसे चोदकर सारी गर्मी निकाल दूँ।”

ऑटो से तालाब तक का सेक्सी सफर

वो बाज़ार से निकली। ऑटो स्टैंड पर रुकी और मुझे देखने लगी। मैं पास गया। वो ऑटो में बैठी और चली गई। मैंने साइकिल उठाई और पीछा किया। साइकिल तेज़ भगाते हुए पसीना छूट रहा था, पर उसे छोड़ना नहीं चाहता था। थोड़ी दूर जाकर वो एक तालाब के पास उतरी। शाम का वक्त था। सूरज ढल रहा था, और आसपास सन्नाटा छा रहा था। मैं साइकिल खड़ी करके उसके सामने गया। वो बोली, “मेरे पीछे क्यों आ रहा है?” मैंने बेझिझक कहा, “मर्ज़ी है। आप अच्छी लगीं।” वो आगे बढ़ी। एक गली में मुड़ते वक्त उसने इशारा किया।

मैं जल्दी से पास गया। वो बोली, “मेरा सामान घर तक ले चलोगे?” मैंने हाँ कहा। साइकिल पर उसका सामान रखा—सब्जियाँ, आटा, और कुछ थैलियाँ। वो पैदल चलने लगी, और मैं साइकिल धकेलता हुआ पीछे-पीछे। उसकी गांड की मटक और साड़ी का लहराता पल्लू देखकर मेरा लंड पैंट में उछलने लगा। हम एक छोटे से मकान के सामने रुके। मैंने सामान दरवाजे पर रखा। उसने कहा, “अंदर आ जाओ।” मैं अंदर गया।

घर में लंड की उत्तेजना

उसने किचन से पानी लाकर दिया। मैं सोफे पर बैठा और पानी पीने लगा। वो कपड़े बदलने चली गई। मैं सोच रहा था कि क्या होगा। मन में कोई गलत ख्याल नहीं था, पर उसका हॉट जिस्म दिमाग से निकल नहीं रहा था। थोड़ी देर बाद वो बिना बाजू की मैक्सी पहनकर आई। मैक्सी पतली थी, जिसमें से उसकी चूचियाँ और गांड का उभार साफ दिख रहा था। मेरा लंड एकदम खड़ा हो गया। वो मेरे पास बैठी और बात शुरू की। मैंने पूछा, “आपके साथ कौन रहता है?” वो बोली, “पति कुछ साल पहले बीमारी से मर गए। बच्चे नहीं हैं। मैं अकेली हूँ।”

Hot Sex Story :  नीलू की एक रात की कीमत-2

मैंने पूछा, “बच्चे क्यों नहीं?” वो उदास होकर बोली, “बस, किस्मत।” उसकी उदासी देखकर मुझे अजीब लगा, पर मेरा लंड उसकी मैक्सी में ढकी चूत को देखकर बेकाबू हो रहा था। वो बोली, “मेरा पीछा क्यों किया?” मैं हिचकिचाया, “आप अच्छी लगीं।” वो हँसी, “जवानी में ऐसा होता है।” फिर उसकी नज़र मेरी जींस पर गई। बोली, “ये क्या हुआ?” मैंने कहा, “कुछ नहीं।” वो बोली, “टॉयलेट जाओ, साफ कर आओ।” उसे मेरा तना लंड दिख गया था।

मुठ मारने से चुदाई की शुरुआत

मैं टॉयलेट गया। लंड निकाला और मुठ मारने लगा। उसकी गांड, चूचियाँ, और मटकती चाल सोचकर इतना वीर्य निकला कि पहले कभी नहीं हुआ था। मैंने लंड धोया नहीं। अंडरवियर में वीर्य लगा रहा, और उसकी महक बाहर तक आ रही थी। मैं बाहर आया और उसके पास बैठा। वो बोली, “टॉयलेट में इतना टाइम क्यों लगा?” मैंने कहा, “बस, ऐसे ही।” उसे वीर्य की महक सूँघाई दी। बोली, “ये महक कहाँ से?” मैंने कहा, “पता नहीं।” वो बोली, “पैंट उतारो।” मैं डर गया, “नहीं।” वो गुस्से में बोली, “जल्दी!”

मैंने पैंट उतारी। उसने अंडरवियर सूँघा, “ये कुछ और है।” मैंने पूछा, “क्या?” वो बोली, “बाथरूम चलो।” मुझे डर लगा कि कहीं घरवालों को न बता दे। बाथरूम में उसने कहा, “अंडरवियर उतारो।” मैं डरते-डरते उतारा। मेरा लंड देखकर वो चकित हुई, “इतना बड़ा कैसे?” मैंने कहा, “शुरू से ऐसा है।” उसने लंड हाथ में लिया और हिलाया। मुझे मज़ा आने लगा। वो बोली, “मेरे पति का छोटा था। कभी मज़ा नहीं मिला।” मैंने कहा, “मेरा आपको पूरा मज़ा देगा।” वो हँसी और लंड मुँह में लेकर चूसने लगी।

यह कहानी आप Hotsexstory.xyz में पढ़ रहे।

लंड चूसाई और बेडरूम का खेल

उसने लंड को आगे-पीछे करके चूसा। उसकी गर्म साँसें और जीभ की चुभन से मैं पागल हो गया। थोड़ी देर में मैं झड़ गया। लंड मुरझा गया। वो मुझे बेडरूम ले गई। मेरी टी-शर्ट उतारी और होंठों पर किस करने लगी। उसकी जीभ मेरे मुँह में घूम रही थी। 5 मिनट तक हम एक-दूसरे को चूमते रहे। मैंने उसकी मैक्सी उतारी। अंदर पैंटी नहीं थी। चूत पर घने बाल थे। ब्रा खोली तो 42 साइज़ की चूचियाँ बाहर उछल पड़ीं। मैं एक को दबाने लगा, दूसरी को मुँह में लेकर चूसने लगा। वो “आह्ह, उफ्फ, अया” की सिसकियाँ ले रही थी। उसका हाथ चूत पर घूम रहा था।

मैंने 30 मिनट तक उसकी चूचियाँ चूसीं। निप्पल सख्त हो गए थे। फिर चूत के बाल हटाए। गुलाबी चूत देखकर मुँह में पानी आ गया। जीभ लगाई तो वो उछल पड़ी। मैंने चूत को चूसना शुरू किया। उसकी गर्मी और नमकीन स्वाद मुझे दीवाना बना रहा था। थोड़ी देर में उसका पानी निकला। मैंने सारा चूस लिया। फिर उसने मेरा लंड दोबारा चूसा। लंड फिर खड़ा हो गया।

Hot Sex Story :  पड़ोसन आंटी का रंडी रोना

जोरदार चुदाई का मज़ा

वो बोली, “10 साल से नहीं चुदी। आज मुझे चोद दे।” मैंने लंड चूत पर रखा और धक्का मारा। वो चिल्लाई, “रुक जा, कुत्ते! धीरे डाल। 10 साल बाद लंड जा रहा है।” मेरा 1 इंच भी अंदर नहीं गया था। मैं रुका, उसकी चूचियाँ दबाईं। वो शांत हुई तो दूसरा धक्का मारा। 3 इंच अंदर गया। वो चीखी, “उईई, माँ! फट गई चूत!” मैं धीरे-धीरे लंड डालता रहा। उसकी आँखों में आँसू थे, पर मैं रुका नहीं। 5 मिनट बाद वो शांत हुई। मैंने स्पीड बढ़ाई। वो “आह, आह” करने लगी। रूम में छप-छप की आवाज़ गूँजने लगी।

40 मिनट तक मैंने उसे चोदा। वो 4 बार झड़ी। उसका जिस्म ढीला पड़ गया। आखिरी 10 धक्के मैंने इतने जोर से मारे कि बेड हिलने लगा। सारा वीर्य उसकी चूत में छोड़ दिया। मैं उसके बगल में लेट गया। मेरी साँसें तेज़ थीं। उसकी चूत से हमारा मिश्रित रस टपक रहा था।

नहाने से नया रिश्ता

हम उठे और साथ नहाए। उसने मेरे लंड को साबुन से धोया, और मैंने उसकी चूचियाँ और चूत को सहलाया। नहाते वक्त वो बोली, “आज असली सुख मिला। 10 साल बाद चुदाई का मज़ा लिया।” उसने अपना नाम भारती बताया और नंबर दिया। मैंने उसे होंठों पर किस किया। कपड़े पहने और घर लौटा। रास्ते में उसकी चूत का स्वाद और गांड की मटक याद आती रही।

उसके बाद हमारा रिश्ता गहरा हो गया। जब भी मन करता, मैं उसके घर जाता। उसकी चूत और गांड दोनों मारी। कई बार घर पर झूठ बोलकर रात उसके साथ गुजारी। वो मेरे लंड की दीवानी हो गई थी। हर बार चुदाई में वो चिल्लाती, “मिलिंद, फाड़ दे मेरी चूत!” और मैं उसे तसल्ली से चोदता। उसकी प्यास और मेरी जवानी का ये खेल आज भी चलता है।