गदराई बुआ की टाइट चूत और गांड की चुदाई
मेरा नाम जेम्स है (नाम बदला हुआ), उम्र 25 साल। ये कहानी मेरी और मेरी बुआ बबिता की है, जो 35 साल की हैं। बुआ का हुस्न ऐसा कि वो किसी को भी दीवाना बना दें—गोरी चमकती त्वचा, भरे हुए उरोज, कसी हुई कमर, और वो गदराई गांड जो किसी का भी लंड तुरंत खड़ा कर दे। हमारा जॉइंट फैमिली सेटअप है—8 अंकल, 8 आंटी, 15 भाई-बहन। इतने लोगों के बीच मैंने कैसे अपनी बुआ की चुदाई का मजा लिया, वो मैं आपको इस स्टोरी में बताने जा रहा हूँ। ये कहानी इतनी सेक्सी है कि आपका लंड टाइट और चूत गीली हो जाएगी।
शुरुआत: बुआ की अधूरी प्यास
बात तब की है जब मैं 20 साल का था और बुआ 30 की। उनकी शादी को कुछ साल हो चुके थे, और वो पहली बार मायके आई थीं। लेकिन उनके चेहरे पर उदासी साफ दिख रही थी। एक दिन उनकी सहेली उनसे मिलने आई। मैं पास से गुजर रहा था तभी उनकी बातें मेरे कानों में पड़ीं। बुआ बता रही थीं कि फूफाजी ने उन्हें कभी ठीक से चोदा ही नहीं। उनकी चूत की प्यास अधूरी थी। ये सुनकर मेरा 8 इंच का लंड पैंट में तन गया। उसी पल मैंने ठान लिया कि बुआ की इस प्यास को मैं ही बुझाऊंगा।
बुआ मेरे कमरे में मेरे बगल के बेड पर सोती थीं। मैं देर रात तक पढ़ाई करता रहता था। गर्मी के मौसम में बुआ बेचैन होकर अपनी साड़ी और ब्लाउज उतार देती थीं। ये सिलसिला रोज का हो गया। एक रात, मैंने देखा कि उनका पेटीकोट पेट तक चढ़ा हुआ था और उनकी नंगी, गदराई गांड मेरे सामने थी। उनकी चिकनी जांघें और वो मुलायम गांड देखकर मेरा लंड टनटना गया। मैं खुद को रोक नहीं पाया।
पहला कदम: गांड का नशा
मैंने हिम्मत जुटाई और बिस्तर से उठकर बुआ के पास गया। उनकी गांड को करीब से देखा, उसकी खुशबू सूंघी। वो इतनी सेक्सी थी कि मैं पागल हो गया। धीरे से मैंने उनकी गांड को चूमना शुरू किया। उनकी मुलायम त्वचा मेरे होंठों को छू रही थी। अचानक बुआ जाग गईं और चौंककर उठ बैठीं। मैं डर गया, लेकिन हिम्मत करके बोला, “बुआ, आपकी प्यास मैं बुझा सकता हूँ। मुझसे चुदवा लो, किसी को पता नहीं चलेगा। हम दोनों को मजा आएगा।” बुआ की आँखों में सेक्स की भूख साफ दिख रही थी। वो चुप रहीं, लेकिन उनकी साँसें तेज हो गईं।
मेरा लंड अभी भी पैंट में तना हुआ था। बुआ ने धीरे से मेरी पैंट खोली और मेरा लंड अपने हाथों में लिया। फिर वो उसे मुँह में लेकर चूसने लगीं। उनके गर्म होंठ मेरे लंड पर फिसल रहे थे। “उम्म्म… ओह्ह,” उनकी सिसकारियाँ कमरे में गूंज रही थीं। मैंने कहा, “चाट जा, मेरी चुदक्कड़ बुआ!” वो और जोश में आकर मेरे लंड को लॉलीपॉप की तरह चूसने लगीं। मैंने उनका पेटीकोट उतार दिया। सामने थी उनकी काली-काली झांटों से भरी चूत और वो भारी-भरकम गांड, जो किसी को भी पागल कर दे।
गांड की चुदाई: जन्नत का सफर
मैंने बुआ को घोड़ी बनाया और पीछे से उनकी गांड पर लंड रगड़ने लगा। उनकी चूत गीली होकर टपकने लगी थी। वो बेचैन होकर सिसकार रही थीं, “जिम्मी, डाल दे अंदर… और मत तड़पा!” मैंने धीरे से लंड उनकी टाइट गांड में घुसाया। दर्द से उनकी “आह्ह… उई माँ!” निकल गई, लेकिन वो रुकी नहीं। मैंने धीरे-धीरे लंड पूरा अंदर डाला और उनकी मुलायम चूचियों को मसलने लगा।
बुआ अब जोश में थीं। मैंने धक्के मारने शुरू किए। उनकी गांड इतनी गदराई थी कि लंड निकालने का मन ही नहीं करता था। वो चिल्ला रही थीं, “मेरे जिम्मी, और जोर से मार! फाड़ दे मेरी गांड!” मैंने 30 मिनट तक उनकी गांड मारी। उनकी सिसकारियाँ और “थप-थप” की आवाजें कमरे में गूंज रही थीं। आखिरकार मैं उनकी गांड में ही झड़ गया। लंड अंदर डाले हुए मैं उन पर लेट गया। दोस्तों, पहली बार गांड चुदाई का मजा कुछ और ही था।
दूसरा राउंड: चूचियों का रस
कुछ देर बाद बुआ बाथरूम से लौटीं। अब वो पूरी तरह खुल चुकी थीं। मुझे चूमकर बोलीं, “जिम्मी, मेरा दूध पिएगा?” मैं उनके बगल में लेट गया और उनकी भारी-भरकम चूचियों को चूसने लगा। उनके निप्पल कड़क हो चुके थे। वो अपने हाथों से चूचियाँ चुसवाती हुई “आह्ह… ओह्ह” कर रही थीं। मेरा लंड फिर खड़ा हो गया।
बुआ ने मुझे लिटाया और मेरा लंड मुँह में ले लिया। “छट्ट… छट्ट” की आवाजें कमरे में गूंज रही थीं। वो मेरे लंड को गले तक ले रही थीं। कुछ देर बाद मैं उनके मुँह में झड़ गया। बुआ ने मेरा सारा माल कुत्तिया की तरह चटकारे लेकर पी लिया। फिर वो कुर्सी पर बैठ गईं, टांगें फैलाईं और बोलीं, “जिम्मी, मेरी चूत को देख। ये बह रही है। इसकी गर्मी उतार, मेरी खुजली मिटा!”
चूत की खुशबू: पहला स्वाद
उनकी चुदास भरी बातों से मैं फिर जोश में आ गया। मैंने उनकी चूत पर मुँह लगाया। पहली बार चूत की खुशबू मेरे नाक में गई। मैं कुत्ते की तरह उनकी गीली चूत को चाटने लगा। बुआ सिसकारियाँ भर रही थीं, “आह्ह… और जोर से चूस, मेरे राजा! खा जा मेरी चूत को!” मैंने जीभ उनकी चूत के अंदर डाली और चोदने लगा। बुआ ने मेरे सिर को अपनी जांघों के बीच दबा लिया और मेरे मुँह में अपनी चूत का पानी छोड़ दिया। मैंने हर बूंद पी ली। स्वाद ऐसा था कि मैं बार-बार चाटना चाहता था।
चूत की चुदाई: वर्जिन का उद्घाटन
बुआ ने मेरा लंड फिर चूसा और उसे पूरा खड़ा कर दिया। मैंने उन्हें बेड पर लिटाया और उनकी फूली हुई चूत में लंड का सुपारा घुसाया। वो जोर से चीखीं—उनकी चूत अभी तक वर्जिन थी, टाइट थी। उन्होंने कहा, “मेरे मुँह में कपड़ा डाल दे और मेरी चूत में लंड डाल!” मैंने वैसा ही किया।
मैंने एक जोरदार धक्का मारा, 4 इंच लंड अंदर चला गया। उनकी चूत से खून निकलने लगा, लेकिन मैं रुका नहीं। धीरे-धीरे पूरा 8 इंच का लंड उनकी चूत में घुस गया। अब वो भी कमर हिलाकर साथ दे रही थीं। मैंने उनके मुँह से कपड़ा निकाला। दोनों जोश में थे। “डप… डप” की आवाजें गूंज रही थीं। बुआ गालियाँ दे रही थीं, “हरामी, मेरी चूत को बुलंद दरवाजा बना दे! चोद दे मुझे!”
मैं और जोश में आकर उन्हें रगड़-रगड़कर चोदने लगा। इस दौरान बुआ तीन बार झड़ चुकी थीं। 45 मिनट की चुदाई के बाद मैं भी झड़ने वाला था। मैंने पूछा, “मेरी रंडी, मेरा पानी कहाँ लोगी?” उन्होंने अंदर छोड़ने को कहा। मैं तेजी से झड़ गया और उनकी चूचियों पर लेट गया। हमारी साँसें तेज थीं, और हम दोनों पसीने से भीगे हुए थे।
सुबह का रोमांच
सुबह 10 बजे नींद खुली। बुआ मुझे जगाने आई थीं। वो बहुत खुश और सेक्सी लग रही थीं। उन्होंने मुझे चूमा और मैंने उनकी साड़ी उठाकर उनकी चूत को चूम लिया। फिर वो हँसते हुए बोलीं, “बस कर, जिम्मी! अब रात का इंतजार कर।” उस दिन के बाद हमने कई बार चुदाई की। हर बार नया मजा, नया जोश।
दोस्तों, ये थी मेरी और मेरी बुआ की चुदाई की कहानी। मैंने मूवी और इंटरनेट से ये सब सीखा था। बताओ, कैसी लगी मेरी स्टोरी? क्या आपकी पैंट गीली हो गई? 😜