जुबेदा के साथ ट्यूशन से चुदाई तक: एक कामुक सेक्स कहानी
पढ़ें एक रोमांचक हिंदी सेक्स कहानी, जिसमें स्कूल की दोस्ती ट्यूशन के बहाने जुनून में बदल जाती है। जुबेदा और कमाल के बीच नजदीकियों से लेकर बेडरूम तक का सफर, जो कामुकता से भरा है।
जुबेदा सांवले रंग की लंबी और भरे हुए शरीर वाली लड़की थी। उसकी कद-काठी भी अच्छी थी। चूंकि वो स्कूल में अकेली मुस्लिम लड़की थी और हमेशा अकेले आती थी, इसलिए मैंने सोचा कि क्यों न उससे दोस्ती करूं और मौका मिले तो उसके साथ कुछ खास पल बिताऊं। पहले तो मैंने सोचा कि अपनी मैडम मधु से कहकर इसका इंतजाम कर लूं, लेकिन फिर ख्याल आया कि मधु कब तक मेरे लिए लड़कियां ढूंढती रहेगी। इसलिए मैंने फैसला किया कि खुद ही जुबी को पटाऊंगा। बस, इसी सोच के साथ मैंने उससे दोस्ती की शुरुआत की और उसे अपने करीब लाने की कोशिश शुरू कर दी।
चूंकि वो मुस्लिम थी और उसे उर्दू आती थी, मैंने उससे कहा कि मुझे उर्दू सिखा दे। उसने धीरे-धीरे मुझे थोड़ा-थोड़ा सिखाना शुरू किया। मेरी अंग्रेजी और हिंदी दोनों अच्छी थीं, तो वो मुझसे अंग्रेजी सीखने लगी। धीरे-धीरे हम करीब आने लगे। मैं कभी घर से खाना लाकर उसके साथ शेयर करता, कभी मिठाई देता। वो भी मुझे कुछ न कुछ लाकर देती। एक दिन मैंने जुबी से कहा, “क्यों न तू मुझे अपने घर बुलाया कर? मैं तुझे अच्छे से पढ़ा दूंगा और तेरे घरवालों को भी कोई गलतफहमी नहीं होगी। तू घर जाकर बात कर ले और मुझे बता दे।” अगले दिन वो स्कूल आई और बोली, “मेरे मम्मी-पापा ने कहा कि मैं तेरे घर ही पढ़ लूं।” चूंकि मेरा घर स्कूल के पास था और मैं वहां अकेला रहता था, मुझे और भी आसानी हो गई। उसी दिन से छुट्टी के बाद वो मेरे साथ मेरे घर ट्यूशन के लिए आने लगी।
दोस्तों, यहीं से मेरी और जुबेदा की नजदीकियां बढ़ने की बातें शुरू होती हैं।
पहले ही दिन जब वो मेरे घर आई, मैंने उसे नींबू पानी पिलाया। उसमें नमक और चीनी खूब डाल दी थी, जिससे उसकी जुबान मीठी हो गई और वो बार-बार अपने होंठों पर जीभ फेरने लगी। थोड़ी देर तक मैं उसे पढ़ाता रहा। फिर मैंने अपना ड्रामा शुरू किया। मैंने अपने लंड पर हाथ फेरना शुरू किया, इस तरह कि वो मुझे देख भी ले और ये समझे कि मुझे पता नहीं कि वो देख रही है। मेरा लंड खड़ा हो गया था और वो भी इसे देख रही थी। उसे भी मज़ा आने लगा था। उस मस्ती में उसने कोई गलती कर दी, तो मैंने बहाने से उसकी गांड पर थप्पड़ मारा। थप्पड़ ऐसा था कि मेरी एक उंगली उसकी गांड पर जोर से लगी। वो हल्के से चिल्लाई, “ऊईई… कमाल, आप तो मेरे भाईजान की तरह करने लगे।”
“तेरा भाईजान तेरे साथ क्या करता है?” मैंने पूछा।
वो बोली, “मेरे मामा का लड़का मुझे पढ़ाते वक्त गलती होने पर ऐसे ही मारता है। और कभी-कभी तो वो… बस पूछो मत!”
“क्या मत पूछूं, जुबी?” मैंने कहा। वो बोली, “वो मुझे मुर्गी बनाकर मेरे चूतड़ों पर थप्पड़ मारता है, वो भी मम्मी-अब्बू के सामने।”
“जुबी, फिर तो वो अकेले में तेरे साथ बहुत कुछ करता होगा। मैंने सुना है कि तुम लोगों में लड़की की शादी घर में ही हो जाती है। इसलिए तुझे डर भी नहीं लगता होगा?” मैंने पूछा।
“हां कमाल, ऐसा ही है। जल्दी ही मेरी शादी मेरे मामा के लड़के से हो जाएगी। वैसे हमने तो शादी कर ही ली है,” उसने मुझे बताया।
दोस्तों, मैं समझ गया कि वो अनुभवी है और चालू भी। उसने खुद मेरे घर पढ़ने आने की हामी भरी थी और पहले ही दिन उसने मुझसे खुलकर बातें शुरू कर दी थीं। फिर क्या था, मैंने उससे कहा, “अगर मैं यहां तुझे मुर्गी बनाकर तेरे भाई की तरह करूं तो?” उसने दो शब्दों में जवाब दिया, “तो क्या?”
बस, मुझे यही चाहिए था। मैंने उसे मुर्गी बनाया और पीछे से अपना खड़ा लंड उसकी गांड पर रख दिया। “कमाल, ये क्या कर रहे हो? कोई आ जाएगा, मेरी बदनामी हो जाएगी,” उसने कहा। मैंने जवाब दिया, “नहीं जुबी, यहां कोई नहीं आएगा। और तुझे सजा तो देनी ही है न?”
उसने कहा, “ये सजा तो मजा है।” फिर मैंने खुलकर उसकी चूचियां पकड़ लीं और उसे बेड पर ले गया। मेरे मजबूत और एथलेटिक हाथों और बॉडी का टच पाकर वो मस्त हो गई और अपनी गांड मेरे लंड के करीब कर दी। बेड पर आते ही मैंने उसकी स्कर्ट उतारी, फिर उसकी कच्छी। वो अपनी शर्ट और ब्रा उतारने लगी। मैंने जल्दी से अपनी पैंट और शर्ट उतारी। उसका शरीर देखकर मैं पागल हो गया। “वाह जुबी, क्या फिगर है तेरा! ये बड़ी-बड़ी चूचियां, पतली कमर… तूने तो मुझे मार ही डाला यार!” उसने जवाब दिया, “नहीं कमाल, ये तो तेरा लंड है, जो इस वक्त बिल्कुल गधे जैसा लग रहा है। इसे लेकर तो मेरी फट ही जाएगी।”
मैंने उसे अपनी गोद में बिठाया और चूमने लगा। उसने भी मुझे चूमना शुरू कर दिया। वो मस्ती में “आह… ऊफ्फ… म्म्म…” की आवाजें निकाल रही थी। मुझसे भी काबू नहीं हो रहा था, तो मैंने उसे बेड पर लिटाया और उसकी चिकनी चूत में अपना 9 इंच का लंड ठोक दिया। एक बार तो वो चिल्लाई, “कमाल… मेरी तो फट गई यार!” उसे पसीना भी आ गया था। लेकिन मैंने उसे नहीं छोड़ा और जोर-जोर से चोदने लगा। थोड़ी ही देर में वो भी मस्ती में सिसकने लगी और मुझे और जोर से चोदने को कहने लगी। मैं फुल स्पीड से उसे चोदने लगा। फिर उसकी चूत ने ट्यूबवेल की तरह ढेर सारा पानी छोड़ दिया। वो ठंडी पड़ गई और उसका शरीर ढीला हो गया। लेकिन मेरा लंड अभी खड़ा था और पानी छूटने के करीब भी नहीं था। जब वो झड़ी थी, तो मैं रुक गया था, इसलिए अब और वक्त लगने वाला था।
जुबी ने भारी सांसों के बीच कहा, “कमाल, प्लीज, मेरी चूत तो आज बिल्कुल ठंडी हो गई है। पहली बार से भी ज्यादा मजा आया। प्लीज, मुझे जल्दी छोड़ दो।” मैंने कहा, “जुबी, मेरा भी तो निकलने दे। अभी तो मेरा निकला भी नहीं है। आगे तेरी मर्जी।” उसने कहा, “कमाल, प्लीज जल्दी करो, वरना मैं बहुत थक जाऊंगी और तुम बीच में ही रह जाओगे।”
“ओके जुबी जान,” कहकर मैंने दोबारा उसकी चूत में धक्के मारने शुरू किए। इस बार वो पहले से भरी हुई थी। उसने 5-7 धक्कों में ही पानी छोड़ दिया। लेकिन मैं नहीं रुका और जोर-जोर से उसे चोदता रहा। उसके तीन बार झड़ने के बाद मेरा लंड भी उसकी चूत में झड़ गया। इसके बाद वो खड़ी हुई। मैं उसे बाथरूम ले गया, वहां उसके साथ नहाया और फिर उसे घर भेज दिया। अगले दिन जब वो स्कूल आई, तो बहुत खुश थी। मौका मिलते ही उसने कहा, “कमाल, कल तो बहुत मजा आया। आज मैं तेरे लिए एक स्पेशल गिफ्ट लाई हूं। घर चलकर दूंगी।”
स्कूल के बाद हम मेरे घर गए। वहां उसने मुझे 10 निरोध का पैकेट दिया और बोली, “कमाल, ये लगाकर मुझे चोदना। इसके बिना चोदा तो मुझे बच्चा लग जाएगा।”
मैंने कहा, “नहीं जुबी, कल का तो पता नहीं, लेकिन अब नहीं लगेगा। मैं तेरी चूत में पानी नहीं छोड़ूंगा, तो बच्चा नहीं लगेगा।”
फिर दोस्तों, मैं उसे रोज चोदने लगा और उसकी गांड भी मारने लगा।