कुंवारी पड़ोसन की चुदाई की कहानी
पढ़िए राजस्थान के एक गांव की सच्ची सेक्स कहानी, जिसमें परेश ने अपनी पड़ोसन पप्पी की कुंवारी चूत को चोदकर उसे पहली बार चुदाई का मज़ा दिया।
ये बात उस वक्त की है जब मैं राजस्थान के एक छोटे से गांव में रहता था। मैं बी.कॉम. सेकेंड ईयर में पढ़ रहा था। मेरा शरीर ठीक-ठाक है, और हां, मेरा लंड सात इंच का है। अब मैं असली कहानी पर आता हूं।
मेरे पड़ोस में पप्पी रहती थी। वो बाहरवीं में पढ़ रही थी और उसकी उम्र अठारह साल थी। पप्पी बहुत सेक्सी थी। उसके बूब्स मुझे बहुत पसंद थे—वो एकदम हरियाली की तरह भरी-पूरी थी। उसके घरवालों और उसके साथ मेरी रोज़ की अच्छी बातचीत होती रहती थी, क्योंकि हमारी और उनकी छत एक ही थी, बीच में बस तीन फीट की एक दीवार थी। वो पढ़ाई में कमज़ोर थी और उसके एग्ज़ाम आने वाले थे। उसकी मम्मी ने मुझसे कहा, “परेश, पप्पी के एग्ज़ाम शुरू होने वाले हैं। वो पढ़ाई में कमज़ोर है, थोड़ा टाइम निकालकर उसे पढ़ा दिया करो।” मैंने हां कर दी। इसके बाद मैं हर रात आठ बजे उसके घर उसे पढ़ाने जाता। मेरा कमरा पहली मंजिल पर था, उसका भी एक कमरा पहली मंजिल पर था, जो बंद रहता था, क्योंकि उसकी मम्मी, पापा और उसका बारह साल का छोटा भाई सब ग्राउंड फ्लोर पर रहते थे। दो दिन बाद मैंने उसकी मम्मी से कहा, “भाभी, नीचे हम डिस्टर्ब होते हैं। क्या हम ऊपर वाले कमरे में पढ़ाई कर सकते हैं?”
उन्होंने तुरंत हां कर दी। इसके बाद मैं हर रात आठ बजे जाता और ग्यारह-बारह बजे तक वहीं रुकता। वो पढ़ाई में बहुत कमज़ोर थी, उसे कुछ भी अच्छे से याद नहीं होता था। मैंने उसकी मम्मी से कहा तो उन्होंने बोला, “अगर नहीं पढ़ती तो पीट दो।” एक दिन मैंने उसकी मम्मी के सामने ही उसे हल्का सा थप्पड़ मारा। उस दिन पहली बार मैंने उसे छुआ था। उसका गाल एकदम गर्म था। थप्पड़ खाकर वो मुस्कुराने लगी। अगले दिन उसने जींस और शर्ट पहनी थी, जिसके बटन सामने खुलते थे। मैं उसके सामने बैठकर उसे मैथ्स समझा रहा था। उसकी शर्ट का एक बटन टूटा हुआ था। उसका ध्यान पढ़ाई में था और मेरा ध्यान उसके टूटे बटन और उसकी ब्रा से झांकते काले और सफेद बूब्स पर। अचानक उसका ध्यान अपने टूटे बटन पर गया तो वो शरमा गई और नीचे जाकर शर्ट चेंज करके आई। मैंने पूछा, “क्या हुआ?” तो उसने कहा, “आप मुझे अच्छे से पढ़ नहीं पा रहे थे।”
अगले दिन उसने टाइट टी-शर्ट पहनी थी, जिसमें उसके बूब्स का उभार गज़ब ढा रहा था। मेरा ध्यान वहीं था। उसने पूछा, “परेश, क्या हुआ? तुम्हारा ध्यान कहां है?” मैंने कहा, “मेरा ध्यान तुझमें है।” वो शरमा गई और बोली, “धत्त!” मेरी हिम्मत बढ़ गई। मैंने हल्के से उसके गाल पर चपत लगाई और प्यार से मुस्कुराया। जवाब में वो भी मुस्कुराई। मेरी हिम्मत और बढ़ी। मैंने उसके दोनों गाल पकड़कर उसके होंठों को चूम लिया। उसने मुझे दूर हटाते हुए कहा, “मम्मी आ जाएगी।” फिर हम वापस पढ़ाई में लग गए।
अगले दिन उसके मम्मी-पापा और भाई किसी काम से बाहर गए थे। जाते वक्त उसकी मम्मी ने मुझसे कहा, “पप्पी घर पर अकेली है। तुम रात को हमारे घर पर ही सो जाना।” मुझे तो जैसे मनचाही मुराद मिल गई। रात आठ बजे मैं उसके घर गया। वो ग्राउंड फ्लोर पर थी। आज उसने खूबसूरत सी ब्लैक नाइटी पहन रखी थी। हम दो घंटे पढ़ते रहे। बाद में वो अपने कमरे में जाकर सो गई और मैं बाहर हॉल में सो गया। अचानक बिजली चली गई। वो कमरे से बाहर आई और मेरे पास हॉल में बेड पर बैठ गई। हम बातें करने लगे। उसने मुझसे कहा, “परेश, मैं तुम्हें कैसे सैटिस्फाई करूं? मैं अभी कुंवारी हूं।” मैंने कुछ नहीं कहा और उसे अपनी बाहों में ले लिया। वो चुप रही, कुछ बोली नहीं। मैंने उसे चूमना शुरू कर दिया। वो हल्का-सा विरोध करती रही। इतने में बिजली आ गई। मैंने देखा उसका चेहरा लाल हो रहा था और उसकी आंखें अपने आप बंद हो रही थीं। मैंने धीरे से उसके बूब्स पर हाथ फेरा तो वो मुझसे चिपक गई। मैं उसके रसीले होंठों को चूमता रहा और हाथों से धीरे-धीरे उसके बूब्स दबाता रहा। वो मदहोश हो गई।
मैं थोड़ा आगे बढ़ा और उसकी नाइटी धीरे से उतार दी। अब वो मेरे सामने पिंक ब्रा और पैंटी में थी। उसकी फिगर देखकर मैं अपने होश खो बैठा। मैंने उसके पूरे बदन को चूमना शुरू कर दिया। वो भी मुझे चूमने लगी और मेरे कपड़े उतारने लगी। अब मैं भी सिर्फ अंडरवेयर में था। मैं उसे चूमता रहा और उसके पूरे शरीर पर हाथ फेरता रहा। वाह! उसके बूब्स पत्थर की तरह सख्त थे। मैंने अपने हाथ उसकी पीठ पर ले जाकर उसकी ब्रा का हुक खोल दिया। एक झटके में ब्रा उसके हाथ में आ गई और उसके बूब्स आज़ाद हो गए। इससे पहले भी मैंने तीन-चार बार सेक्स किया था, लेकिन उसका हुस्न देखकर मैं बेकाबू हो गया। धीरे से मैंने उसकी चड्डी भी उतार दी और बदले में उसने मेरी चड्डी उतार दी। अब हम दोनों नंगे थे। हम एक-दूसरे को चाटते रहे। मैंने अपना मुंह उसके निप्पल पर लगाया और उसे चूसने लगा। उसने मेरा लंड हाथ में लिया और सहलाने लगी। मेरा लंड लोहे की तरह सख्त हो गया। मैंने धीरे से अपना लंड उसके मुंह के पास किया तो वो उसे चूमने लगी। मैंने उसे मुंह में लेने को कहा तो वो उसे चूसने लगी। मेरा बुरा हाल हो रहा था। मैंने अपनी उंगली धीरे से उसकी चूत में डाली। उसकी चूत गर्म तवे की तरह तप रही थी। मेरी उंगलियां उसकी गर्मी महसूस कर रही थीं।
वो मेरा लंड चूसती रही और मेरी उंगलियां उसकी चूत के साथ खेलती रहीं। वो चुदवाने के लिए पूरी तरह तैयार थी। उसकी चूत मेरी उंगलियों की हरकत से पानी से भर गई और गीली हो गई। मैंने अपना मुंह उसकी चूत पर ले जाकर उसकी जांघों और चूत को चूमना शुरू कर दिया। वो जोर से पैर हिलाने लगी। मैंने अपनी जीभ उसकी चूत में डाली और उसका पानी पीने लगा। वो एकदम मदहोश हो गई और मेरे लंड को दांत चुभाते हुए और जोर से चूसने लगी। थोड़ी देर में उसकी चूत ने और पानी छोड़ दिया। मैं उसे पीता रहा। कुंवारी चूत का पानी पीने का ये मेरा पहला मौका था। उधर, मेरे लंड ने भी उसके मुंह में ढेर सारा पानी छोड़ दिया, जो सीधा उसके गले में गया। उसने बड़े प्यार से मेरा सारा पानी पी लिया और एक बूंद भी बाहर नहीं गिरने दी। वो मेरा लंड चूसती रही और तीन-चार मिनट में मेरा लंड फिर से तन गया।
उसकी हरकतों से मुझे लगा कि वो चुदाई के लिए बहुत बेताब है। मैंने उसे बेड पर सीधा लिटाया और उसकी गांड के नीचे एक तकिया रख दिया, जिससे उसकी चूत ऊपर उठ गई। मैंने अपने लंड को उसकी चूत पर फेरना शुरू किया। उसकी चूत तंदूर की तरह गर्म थी। उसने कहा, “मैंने कभी चुदवाया नहीं है। तुम्हारा इतना मोटा लंड मेरी चूत में कैसे जाएगा?” मैंने कहा, “थोड़ा सा दर्द होगा, लेकिन बाद में मज़ा आएगा।” मैंने अपने लंड और उसकी चूत पर क्रीम लगाई और धीरे से अपना लंड उसकी चूत में घुसाने लगा। उसकी चूत बहुत टाइट थी। मेरा लंड का सुपड़ा अंदर जाते ही वो जोर से बोली, “बहुत दर्द हो रहा है।” मैं वहीं रुक गया और उसकी चूचियों को सहलाने लगा और उसके होंठों को चूमने लगा।
थोड़ी देर में वो फिर जोश में आ गई और अपने चूतड़ उठाने लगी। मैंने ऊपर से थोड़ा जोर लगाया। मेरा लंड उसकी चूत में तीन इंच घुस गया। वो जोर से चिल्लाने लगी और पसीने से तर हो गई। उसने मुझसे कहा, “प्लीज़ बाहर निकालो।” मैंने कहा, “पहली बार में थोड़ा दर्द होता है,” और उसे चूमने लगा। कुछ देर बाद वो शांत हो गई। मैंने कहा, “अपना मुंह बंद रखना, मैं अब अपना पूरा लंड तेरी चूत में डालूंगा।” वो जोश में बोली, “अगर मैं चीखूं तो भी तुम रुकना मत।” मैंने धीरे-धीरे अपने लंड को उसकी चूत में तीन इंच अंदर-बाहर करना शुरू किया। उसे भी मज़ा आने लगा और वो मुझसे और चिपकने लगी। अचानक मैंने एक जोरदार झटका दिया और अपना पूरा लंड उसकी चूत में डाल दिया। वो बहुत जोर से चीखी और तड़पने लगी। मैं वहीं रुक गया। उसकी चूत से खून निकलने लगा। वो जोर-जोर से रोने लगी। मैंने उसे प्यार से समझाया, “मेरा पूरा लंड तेरी चूत में चला गया है। अब थोड़ा सा दर्द होगा, लेकिन बाद में जो मज़ा आएगा, वो सारा दर्द भुला देगा।” पांच मिनट तक मैं सिर्फ उसकी चूचियों को चूसता रहा और उसके पूरे शरीर पर हाथ फेरता रहा। धीरे-धीरे उसका दर्द कम हुआ और उसे जोश आने लगा। वो मुझसे चिपक गई और अपने चूतड़ उठाने लगी। मैंने धीरे-धीरे अपने लंड को उसकी चूत में अंदर-बाहर करना शुरू किया। थोड़ी देर में उसे भी मज़ा आने लगा और वो भी हिल-हिलकर चुदाई का मज़ा लेने लगी। दस मिनट तक मैं उसे चोदता रहा। इस बीच मैं तीन बार झड़ चुका था, जिससे उसकी चूत गीली हो गई और उसका दर्द कम हुआ। वो बहुत मज़े लेकर चुदवाने लगी। करीब पंद्रह मिनट बाद मैंने कहा, “मैं झड़ने वाला हूं।” उसने कहा, “अपना सारा पानी मेरी चूत में छोड़ दो।” मैंने अपना सारा पानी उसकी चूत में भर दिया और करीब दस मिनट तक उसके ऊपर लेटा रहा।
फिर हम दोनों उठे और बाथरूम में जाकर उसकी चूत और मेरे लंड को धोकर साफ किया। वापस आकर बेड पर बैठ गए। इतनी देर में मेरा लंड फिर से तनकर खड़ा हो गया। उसे तना देखकर वो बोली, “नहीं परेश, अभी दो घंटे पढ़ाई कर लेते हैं, उसके बाद करेंगे।” मैंने कहा, “ठीक है।” हमने अपने कपड़े पहन लिए और अपना काम करने लगे। करीब एक घंटे बाद उसने कहा, “चलो अब तुम मेरी चुदाई करो, लेकिन प्यार से, क्योंकि अभी थोड़ा-थोड़ा दर्द हो रहा है।” उस रात मैंने उसे चार बार चोदा और फिर हम सो गए। हमारा मन नहीं भरा था, लेकिन अगले दिन उसके एग्ज़ाम थे। इसके बाद जब भी हमें मौका मिलता, वो मुझसे चुदवाती थी। करीब एक साल तक मैं उसे चोदता रहा। फिर उसकी शादी हो गई। वो जब भी अपनी मम्मी के पास आती, हमें मौका मिल जाता और हम शुरू हो जाते। उसकी शादी के एक साल बाद मैं चेन्नई आ गया। उसके बाद आज तक उससे मेरी मुलाकात नहीं हुई। अब वो दो बच्चों की मां है और अपनी जिंदगी सुख से बिता रही है। मैं भगवान से यही मांगता हूं कि वो सदा सुखी रहे।