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मालती की गरमी- ससुर बहु की चुदाई 2

Malti ki Garmi- Sasur Bahu Ki Chudayi 2

ये सुन कर मालती के बुर में मानो तूफ़ान आ गया। उसके बुर से इतना पानी निकलने लगा कि मुन्नी को लगा कि ये पेशाब कर रही है। अब मुन्नी खुश थी। दोनों तरफ़ मामला सेट था।
रात हुई। खाना- वाना ख़त्म कर मुन्नी हरिया के कमरे में गई और हरिया को बता दी कि मै मालती को भेज रही हूँ। वो चुदवाने के लिए तैयार है. तुम सिर्फ़ थोडी पहल करना।कह के वो बाहर चली आई।
और बहु से बोली- मालती,मै तुझे हरिया के तेल मालिश के बहाने उसके पास भेज रही हूँ. जा कर धीरे धीरे लंड पकड़ लेना. फिर सब अपने आप हो जायेगा.
मालती – ठीक है अम्मा .

मालती – ठीक है अम्मा .
फिर मुन्नी दरवाजे के बाहर से हरिया को बोली- सुनते हों जी , मै बगल के पड़ोसी के यहाँ जागरण में जा रही हूँ । सुबह आउंगी . तुम मालती बहु से तेल मालिश करवा लेना।
इस प्रकार मालती को लगा कि ससुर जी को मेरे मन की बात पता नहीं है और उसे नहीं पता चला कि ससुरजी उसको चोदने के लिए किस तरह बेताब है. . जब कि हरिया को सब कुछ पहले से ही पता था.मालती जैसे ही दरवाजे के पास आई मुन्नी ने उस से धीरे से कहा – देख मैंने बहाना बना कर तुम्हे उनके पास भेज रही हूँ। मालिश करते करते उनके लंड तक अपना हाथ ले जाना। शर्माना नही। अगर उनको बुरा लगे तो कह देना की अंधेरे में दिखा नही। अगर कुछ नही बोले तो फिर हाथ लगाना। जब देखना कि कुछ नही बोल रहे हैं तो समझना की उन्हें भी अच्छा लग रहा है। ठीक है ना? अब मैं चलती हूँ।
कह कर मुन्नी पड़ोस में हो रहे जागरण में चली गई। मालती ने किवाड़ लगाया और अपना पुरे कपडे उतार कर सिर्फ एक पेटीकोट को अपने चूची पर से पहना जो कि उसके कमर से थोड़े नीचे तक ही था. उसने ना तो ब्रा पहना न ही पेंटी. उसकी चूची के बीच की गहरी दरार स्पष्ट दिख रही थी. वो हाथ में तेल की शीशी लिए हरिया के कमरे में आई। हरिया भी सिर्फ एक पतली सी गमछी लपेटे अपने बिस्तर पर लेटा हुआ था.

हरिया ने कहा- आ जा बहु । वैसे तो तेल मालिश की जरूरत नही थी, लेकिन आज मेरा पैर थोड़ा सा दर्द कर रहा है इसलिए मालिश जरूरी है।
मालती हरिया के बिस्तर पर बैठ गई। कमरे में एक छोटी सी डिबिया जल रही थी। जो कि पर्याप्त रौशनी के लिए भी अनुकूल नही थी। लेकिन दोनों ही लगभग नंगे थे और एक दुसरे के बदन को अच्छी तरह से देख सकते थे. हरिया ने जब अपनी बहु को सिर्फ पेटीकोट में देखा तो उसके लंड ने गमछी के अन्दर उफान मचा दिया.
मालती ने कहा- कोई बात नही बाबूजी । मै आपकी अच्छे से मालिश कर देती हूँ।
हरिया ने कहा- बहु, जरा ये डिबिया बुझा दे , क्यों कि मैंने गमछी के अन्दर कुछ नहीं पहन रखा है।

मालती ने डिबिया बुझा दी। अब वहां अँधेरा छा गया। लेकिन बाहर की चांदनी रात की रोशनी अन्दर आ रही थी। जिस से सब कुछ स्पष्ट दिख रहा था. मालती की सांसे तेज़ हों गई। वो तेल को हरिया के पैरों में लगाने लगी। धीरे धीरे वो हरिया के जांघों में तेल लगाने लगी। जांघ में तेल लगाते लगाते उसने धीरे धीरे हरिया की गमछी खोल दी. अब हरिया अपनी बहु के सामने नंगा था. मालती चांदनी रौशनी में हरिया के विशाल लंड को झूलते हुए देख मचलने लगी. मालती ने धीरे से जान बुझ कर हरिया के लंड तक अपना हाथ ले गई। हरिया ने कुछ नही कहा। मालती दुबारा हरिया के लंड पर हाथ लगाया। और तेल को वो जांघों और लंड के बीच लगाने लगी। जिससे वो बार बार हरिया के अंडकोष पर हाथ लगा सकती थी। हरिया ने जब देखा की बात लगभग बन चुकी है। मालती पूरी गरम हों गई। अब वो हरिया के लंड को छूने की कोशिश कर रही थी। धीरे धीरे उसने लंड पर हाथ लगाया और पकड़ लिए । हरिया का लंड सोया हुआ था। लेकिन ज्यों ही मालती ने हरिया का लंड छुआ मालती के जिस्म में एक सिरहन सी दौड़ गई। अब वो दुबारा अपना हाथ हरिया के दूसरे जांघ पर इस तरह ले गई जिस से उसकी कलाई हरिया के लंड को छूती रहे। हरिया भी पका हुआ खिलाड़ी था। उसका लंड जल्दी खड़ा होने वाला नही था। उसे तो पता था कि मालती चुदवाने के लिए पूरी तरह से तैयार है .

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हरिया ने कहा- बहु, अब जरा मेरे जांघ पर बैठ कर मेरे सीने की मालिश कर दे. इस से मेरे जांघ का दर्द भी कम हो जायेगा .
मालती ने अपनी पेटीकोट को ऊपर किया और अपनी नंगी चुतद को हरिया के जांघ पर बैठा कर हरिया के सीने पर हाथ फेरने लगी. इधर उसका चूत हरिया के लंड से सट रहा था. दोनों का ध्यान चूत और लंड के सटने पर ही था. मालती भी अपने चूत से अपने ससुर के लंड को छूने के लिए अब बेताब होने लगी. मालती ने एक हाथ से अपने ससुर का लंड को पकड़ा और उसमे तेल लगाने लगी.
हरिया- तुम भी अपनी पेटीकोट खोल दो ना। वैसे भी तेल लगने से पेटीकोट ख़राब हों सकती है।

अपने ससुर का लंड को पकड़ा और उसमे तेल लगाने लगी.
हरिया- तुम भी अपनी पेटीकोट खोल दो ना। वैसे भी तेल लगने से पेटीकोट ख़राब हों सकती है।
मालती तो ये चाहती थी। उसने सोचा कि जब ससुरजी ही उसे नंगी होने के लिए कह रहे हैं तो उसे देर नहीं करनी चाहिए. उसने अपनी पेटीकोट खोल के एक किनारे रख दिया। अब वो पूरी नंगी थी.वो हरिया के जांघ पर इस तरह से बठी की उसकी चूत हरिया के लंड में पूरी तरह से सटने लगी. उसकी नरम गांड हरिया के सख्त जांघ पर इस तरह थी मानो पत्थर पर कमल का फूल. हरिया को उसकी नरम नरम गांड का अहसास होने लगा. अब हरिया में भीतर तूफ़ान उठना शुरू हो गया. वो समझ गया की लोहा गरम है और यही सही समय है चोट मारने का. उसने अपने हाथ से अपनी बहु की नंगी जांघ पर हाथ रखा और चिकनी जांघ पर हाथ फेरने लगा. उसकी बहु को मज़ा आने लगा. उसने अपने हाथ में हरिया का लंड पूरी तरह पकड़ लिया. और उसे दबाने लगी. अब थोडा थोडा हरिया का लंड खडा होने लगा. लेकिन वो पूरी तरह से इसे खड़ा नहीं किया और हरिया ने अपने हाथ को धीरे धीरे अपनी बहु की गांड पर फेरना चालु कर दिया. अब मालती को पूरा यकीन हो गया कि ससुरजी भी चोदने के लिए तैयार हैं. हरिया का हाथ अपनी बहु की गांड की दरार में कुछ खोजने लगा. एक बार जैसे ही मालती आगे की और झुकी वैसे ही हरिया ने मालती की गांड की छेद में अपनी ऊँगली घुसा दिया. मालती तड़प गयी. लेकिन वो कुछ नहीं बोली. वो सिर्फ आगे की और झुकी रही. और नीचे से उसके ससुर उसकी गांड में उंगली करता रहा. अब मालती अपने रंग में आई और लपक कर अपने ससुर के लंड को अपने मुंह में ले कर चूसने लगी. अब मामला पूरी तरह से साफ़ हो चुका था.हरिया ने जबरदस्ती अपने लंड को मालती के मुंह से निकाला और अपने शरीर पर झुकी हुई अपनी बहु को एक हाथ से लपेटा और अपने बदन पर लिटा दिया. अब मालती की चूची हरिया के सीने पर रगड़ खाने लगी. हरिया अपनी बहु की गदराई नरम देह को अपने सख्त शरीर में कस कर सटा रहा था. हरिया उसके नरम होठों को अपने मुंह के ले कर चूसने लगा. धीरे से उसने मालती को अपने बगल में लिटाया और उसके चूची को अपने मुंह में ले कर चूसने लगा.

और कहा -बड़े नरम चूची है तेरी तो.
वो मालती के चूची को मसलने लगा। मालती की चूची गदराई जवानी का प्रतीक थी.
हरिया बोला- तेरी चूची तो एक दम सख्त है। मै तेरी चूची चूस रहा हूँ, तुझे बुरा तो नही लग रहा है न?
मालती बोली- नही, आप मेरे साथ कुछ भी करेंगे तो में बुरा नही मानूंगी। आप मुझे चोदेंगे तो भी नहीं.
हरिया ने कहा- शाबाश बहु, यही अच्छे बहु की निशानी है। बोल तुझे क्या चाहिए?
मालती- बाबूजी मुझे कुछ नही चाहिए, जो आपकी मर्ज़ी हो वो दे दें ।
हरिया- बहुत दिन से प्यासा हूँ. जरा मुझे अपनी चूत का पानी पिला दे ना .
मालती- अब देर किस बात की? मुझे भी किसी मर्द से अपनी चूत चुस्वाने का बहुत शौक है.

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हरिया ने नीचे जा कर मालती के बुर को पहले तो छुआ फिर, मुंह में ले कर चूसने लगा।मालती कहराते हुए बोली- हाय……. राम……..ऐसे मत चूसिये बाबूजी , मै मर जाऊंगी।लेकिन हरिया नहीं माना. वो तो इस तरह इसे चूस रहा था मानो कोई आम की गुठली चूस रहा हो. मालती अपनी आँख बंद कर के अपने दोनों हाथ से अपने सर के पीछे रखे तकिये को जोर से पकड़ कर दबाये हुए मचल रही थी. उसका नंगा बदन सांप की तरह अंगडाई ले रहा था. थोड़ी देर में ही मालती के चूत ने पानी छोड़ दिया. हरिया ने मालती की चूत से बहती हुई पुरी पानी को चाट चाट कर पी लिया.अब हरिया उठ खड़ा हुआ और, मालती के हाथ में अपना लंड थमा दिया। मालती के हाथ मानो कोई खजाना मिल गया हों। वो हरिया के लंड को कभी चूमती कभी खेलती. लेकिन वो कुछ निराश भी थी क्यों की ससुरजी का लंड आधा ही खडा हुआ था. जबकि सासुजी ने कहा था कि ससुरजी का लंड बांस की तरह टाईट हो जाता है. लेकिन मालती फिर भी इस आधे खिले हुए लंड को ही अपने प्यासे चूत में डालने के लिए बेताब थी.

वो बोली-बाबूजी, इसको मेरे बुर में एक बार डाल दीजिये न।
हरिया ने अपने लटके हुए लंड को हाथ से पकड़ कर मालती के बुर में घूसा दिया। मालती के बुर में हरिया का लंड जाते ही फुफकार मरने लगा। और मालती के बुर में ही वो खड़ा होने लगा।
मालती- बाबूजी ये क्या हों रहा है? जल्दी से निकल दीजिये।
हरिया- कुछ नही होगा बहु। अब हरिया का लंड पूरी तरह से टाइट हों गया। अब हरिया का लंड सचमुच बांस कि तरह टाईट और बड़ा हो गया था. मालती दर्द से छटपटाने लगी। उसे यह अंदाजा ही नही था की जिसे वो कमजोर और बुढा लंड समझ रही थी वो बुर में जाने के बाद इतना विशालकाय हों जाएगा। हरिया ने मालती को चोदना चालू किया। पहले दस मिनट तक तो मालती बाबूजी बाबूजी छोड़ दीजिये कहती रही। लेकिन हरिया नही सुना, वो धीरे धीरे उसे चोदता रहा। दस मिनट के बाद मालती का बुर थोड़ा ढीला हुआ। अब हरिया का पूरा लंड उसके चूत में आराम से आ – जा रहा था. अब मालती को भी अच्छा लग रहा था। दस मिनट और हरिया ने मालती की जम के चुदाई की। तब जा कर हरिया के अन्दर का पानी बाहर आने को हुआ तो उसने अपना लंड मालती के बुर से निकल के मालती के मुंह में लगा दिया बोला – पी जा।

मालती ने हरिया के लंड को मुंह में ले कर ज्यों ही दो- तीन बार चूसा कि हरिया के लंड से तेज़ धार निकली जिस से मालती के पूरा मुंह भर गया। मालती ने सारा का सारा माल गटक लिया। आज जा कर मालती की गर्मी शांत हुई।उस के बाद फिर थोड़ी देर के बाद ससुर और बहु के बीच सम्भोग का खेल चालु हुआ. इस बार काफी इत्मीनान हो कर हरिया अपनी बहु मालती की चुदाई कर रहा था. मालती अब जोर जोर से बेशर्म हो कर आह आह की आवाज निकाल रही थी और अपने ससुर का पूरा साथ दे रही थी.
इस बार जब हरिया का माल निकालने को आया तो मालती ने कहा- इस बार चूत में ही निकाल लीजिये.

हरिया ने वैसे ही किया. 2 मिनट तक उसके लंड से माल निकलता रहा और मालती के चूत में गिरता रहा. इस तरह तीन राउंड चूत पेलाई के बाद जालिम हरिया ने चौथे राउंड में मालती की गांड भी मार ली. वो तो मालती थी जो कि अपने गांड में ढेर सारा क्रीम डाल कर अपने ससुर के लंड को झेल गयी. कोई और होती तो उसकी तो गांड ही फट जाती. हरिया भी अपनी बहु की सेक्सी अदा और बहादुरी पर काफी प्रसन्न हुआ. उसे तो पता ही नहीं था कि जिस लड़की को वो खोजता था वो उसी के घर में उसकी बहु बन कर थी. हरिया ने जम कर मालती की गांड मारने के बाद जब माल निकलने को हुआ तो अपने लंड को उसके गांड से निकाल कर उसके चूत में डाला और सारा माल उसके चूत में गिर जाने दिया. वो मालती के चूत में लंड डाले हुए ही सो गया और मालती को भी कब नींद आ गयी उसे भी पता ना चला.

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हरिया ने जम कर मालती की गांड मारने के बाद जब माल निकलने को हुआ तो अपने लंड को उसके गांड से निकाल कर उसके चूत में डाला और सारा माल उसके चूत में गिर जाने दिया. वो मालती के चूत में लंड डाले हुए ही सो गया और मालती को भी कब नींद आ गयी उसे भी पता ना चला.
सुबह के चार बजे जब मुन्नी जागरण में से घर और अपने कमरे में गयी तो देखती है कि उसका पति हरिया अपनी बहु मालती के चूत में लंड डाले हुए उसके नंगे बदन पर सो रहा है. देख कर मुन्नी को थोड़ी ख़ुशी हुई कि चलो आखिर मेरी बहु मेरे घर के काम आई. उसने जा कर अपने बहु को हिला कर जगाया. थकी हुई बहु की आँखे खुली तो अपने चूत में अपने ससुर जी का लंड देख कर और सामने अपनी सास को देख कर थोड़ी शर्म आई. उसने प्यार से ससुरजी के लंड को अपने चूत से निकाला और ससुर जी को जगाया. हरिया की भी आँख खुल गयी. उसने जब अपने आप को नंगा और अपनी बहु को नंगा देखा तो उसे सारी बात याद आ गयी.

मुन्नी ने पूछा- अरे मालती, मैंने तो तुम्हे इनकी मालिश करने को कहा था. इन्होने ने तो तेरी ही मालिश कर दी. रात भर मालिश करवाती रही क्या?
मालती ने मुस्कुरा कर कहा- नहीं अम्मा, सिर्फ 4 बार ! 3 बार आगे से एक बार पीछे से.
मालती – शाबाश. मेरी बहु. अब तो खेत के कुत्ते को देख कर गर्म नहीं होगी न ?
मालती – नहीं अम्मा, अब तो घर में ही घोड़े का लंड हो तो बाहर क्यों देखूं?
मुन्नी ने हरिया से कहा- क्यों जी , कैसी लगी मेरी बहु के हाथो की मालिश? मज़ा आया? मेरी फुल जैसी बहु को तुमने ज्यादा मालिश तो नहीं कर दी ना?
हरिया ने कहा – हमारी बहु के हाथों में तो जादू है. अब रोज़ ही मै इसकी और ये मेरी मालिश लिया करेगी.
मुन्नी ने हँसते हुए कहा- हाँ , क्यों नहीं. वैसे भी अब मेरे हाथ में वो बात कहाँ जो मालती बहु के हाथ में है. अच्छा…एक बार मेरे सामने मालती को चोद के दिखाओ तो मै समझूँ कि तुझमे अभी भी मर्दानगी है.
हरिया – देख मुन्नी , अब तू भी कपडे खोल, इसके साथ साथ तेरी भी ठुकाई कर दूँ.

मुन्नी भी एक क्षण में अपने सारे कपडे उतारने लगी. तब तक इधर हरिया मालती की दोनों टांगों को अपने कन्धों पर चढ़ा कर उस के चूत में अपना लंड डाल कर चुदाई प्रारम्भ कर चुका था. मुन्नी नंगी हो कर नीचे से मालती की गांड चाटने लगी. मालती की तो मानो लौटरी खुल गयी थी. दस मिनट के असाधारण मस्ती के बाद मालती के चूत से रस टपकने लगा. जिसे मुन्नी चूस रही थी. उसी समय हरिया ने भी अपना रस मालती के चूत में गिरा दिया. मुन्नी ने जल्दी से हरिया को मालती के बदन पर से हटाया और मालती के चूत पर मालती और हरिया के मिश्रित रस को चाटने लगी.उसके रस को चाट – पोछ कर पिने के बाद वो सीधे हरिया के बदन पर लेट गयी और उसे चूमने लगी. हरिया ने उसे पकड़ कर बिस्तर पर सीधा लिटा दिया और अपने खड़े लंड को उसके चूत में डाल कर 20 मिनट तक ताबड़तोड़ चुदाई की. 20 मिनट में मुन्नी 200 बार मरी और बची. आखिरकार सूर्योदय होते होते हरिया के लंड ने छठी बार माल निकाला जो इस बार मुन्नी के चूत में गया. इस बीस मिनट की चुदाई में मुन्नी इतनी थक गयी जितनी उसकी बहु पांच बार की चुदाई में भी नहीं थकी थी. तीनो मस्त हो चुके थे. .उसके बाद मालती रोज़ ही अपने सास – ससुर के साथ ही सोने लगी. रात भर तीनो एक दुसरे की बदन की मालिश करते और मालती और मुन्नी जी भर कर चुदवाती थीं.