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संस्कारी मम्मी पापा की चुदाई – हवस और पवित्रता का खेल

पढ़ें एक सच्ची सेक्स कहानी जिसमें मम्मी-पापा की चुदाई का नंगा सच सामने आता है। बाहर से धार्मिक, अंदर से हवस के पुजारी—दिन हो या रात, इनकी चुदाई का खेल रुकता नहीं। लंड, चूत और गांड चुदाई की इस मदहोश कहानी को मिस न करें!

मेरा नाम अमन है, और आज मैं आपको एक ऐसी कहानी सुनाने जा रहा हूँ जो मेरे मम्मी-पापा की चुदाई की नजदीकी तस्वीर पेश करेगी—एक ऐसी कहानी जिसमें धार्मिकता का मुखौटा और चुदक्कड़पन का असली रंग दोनों साथ-साथ नजर आएँगे। मेरे मम्मी-पापा बाहर से देखने में बड़े ही सीधे-सादे और भगवान से डरने वाले लोग लगते हैं। मंदिर जाना, पूजा-पाठ करना, और समाज में इज्जत बनाए रखना—ये सब उनकी जिंदगी का हिस्सा है। लेकिन इस पवित्रता के पीछे छुपा है उनका असली रूप, जो रात के अंधेरे में या मौका मिलते ही बाहर आता है। ये दोनों लंड और चूत के ऐसे दीवाने हैं कि कोई सोच भी नहीं सकता। जब भी इनके पास थोड़ा सा वक्त होता है, ये चुदाई के खेल में डूब जाते हैं—ऐसी चुदाई जो देखने वाले को भी मदहोश कर दे।

पापा एक पेट्रोल पंप पर नौकरी करते हैं, जहाँ उनकी शिफ्ट कभी दिन में तो कभी रात में होती है। महीने में एक हफ्ता दिन की ड्यूटी, तो एक हफ्ता रात की। इस वजह से उनका और मम्मी का रूटीन ऐसा बन गया है कि जब भी मौका मिलता है, ये अपनी हवस की आग बुझाने में लग जाते हैं। मैंने इनकी चुदाई कई बार देखी है—कभी छुपकर, कभी अनजाने में। लेकिन जो दिन मैं आज आपको बताने जा रहा हूँ, वो कुछ खास था। उस दिन हम सबको गाँव जाना था, किसी परिवारिक कार्यक्रम के लिए। मेरी कॉलेज की छुट्टियाँ चल रही थीं, त्योहारों का मौसम था, और हमने सुबह-सुबह निकलने का प्लान बनाया था। मम्मी-पापा ने मुझसे कहा, “अमन, तू आगे चल, हम अभी आते हैं।” मैंने सोचा शायद वो सामान वगैरह तैयार कर रहे होंगे, तो मैं घर से निकल गया।

लगभग 15 मिनट तक इंतजार करने के बाद जब कोई नहीं आया, तो मैं थोड़ा परेशान हो गया। सोचा, चलो वापस जाकर देखूँ कि क्या बात है। घर का दरवाजा मैंने बाहर से खुला छोड़ा था, तो बिना आवाज किए मैं सीधा अंदर चला गया। जैसे ही मैं कमरे के पास पहुँचा, मेरे पैर ठिठक गए और आँखें फटी की फटी रह गईं। जो नजारा मेरे सामने था, उसे देखकर मेरे होश उड़ गए। मैंने कभी नहीं सोचा था कि सुबह-सुबह, गाँव जाने से ठीक पहले, ये दोनों अपनी चुदाई की दुनिया में खोए होंगे।

पापा बिल्कुल नंगे खड़े थे—उनका मोटा, लंबा, दमदार लंड हवा में तना हुआ था, जैसे किसी जंगली जानवर की तरह तैयार। मम्मी अपने ब्लाउज और पेटीकोट में नीचे बैठी थीं, और पापा का लंड ऐसे चूस रही थीं जैसे कोई भूखी रंडी अपने आखिरी शिकार को निगल रही हो। मम्मी की चूसने की कला देखकर लग रहा था कि वो इसमें माहिर हैं—उनके होंठ पापा के लंड को चूमते हुए ऊपर-नीचे हो रहे थे, और जीभ से वो हर इंच को चाट रही थीं। पापा ने मम्मी का सिर पकड़ रखा था और उसे दबा-दबाकर अपना लंड और गहराई तक चुसवा रहे थे। मम्मी भी पीछे नहीं थीं—वो एक हाथ से पापा की गोलियाँ सहला रही थीं, और दूसरा हाथ उनके जांघों पर फेर रही थीं, जैसे कह रही हों कि ये लंड उनका सबसे कीमती खजाना है। पापा के मुँह से हल्की-हल्की सिसकारियाँ निकल रही थीं, “आह्ह… चूस और जोर से… पूरा ले ले अंदर…”

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दो मिनट तक ये नजारा चलता रहा, फिर पापा ने मम्मी को छोड़ा और बेड पर लेट गए। मम्मी ने फुर्ती से अपने सारे कपड़े उतार फेंके। पहले ब्लाउज खुला, फिर पेटीकोट नीचे गिरा, और आखिर में पैंटी भी उतर गई। मम्मी अब पूरी नंगी थीं—उनके बड़े, मुलायम दूध बाहर निकल आए, जैसे जेल से आजाद हुए हों। वो दूध इतने रसीले और मदहोश करने वाले थे कि उन्हें देखते ही मेरा लंड भी पैंट में तन गया। मम्मी की चूत पर हल्के-हल्के बाल थे, जो उनकी नंगी जिस्म की खूबसूरती को और बढ़ा रहे थे। मम्मी ने अपनी चूत पर थूक लगाया, उसे गीला किया, और फिर पापा के लंड पर चढ़ गईं।

जैसे ही मम्मी पापा के लंड पर बैठीं, उनकी चुदाई का असली खेल शुरू हुआ। मम्मी ऊपर-नीचे उछल रही थीं, जैसे कोई घुड़सवार अपने घोड़े की सवारी कर रहा हो। उनके दूध हवा में लहरा रहे थे, और हर उछाल के साथ उनकी मस्त गांड पापा की जांघों से टकरा रही थी। पापा नीचे से मम्मी के चूतड़ों को सहला रहे थे, और बीच-बीच में जोरदार थप्पड़ मारते थे—‘चटाक!’ की आवाज पूरे कमरे में गूँज रही थी। मम्मी की सिसकारियाँ तेज हो गईं, “आह्ह… और जोर से… मारो ना…” पापा कभी उनके दूध पकड़कर दबा देते, तो कभी निप्पलों को मसल देते, जिससे मम्मी का जोश दुगना हो जाता।

पापा का लंड वाकई कमाल का था—लंबा, मोटा, और इतना सख्त कि देखकर लगता था कि ये किसी भी चूत को फाड़ सकता है। आसपास की कई औरतें पापा के इस हथियार की दीवानी थीं, लेकिन मम्मी को मिला था ये पूरा खजाना। थोड़ी देर बाद पापा ने कमान अपने हाथ में ली। उन्होंने मम्मी को बेड पर लिटाया, उनके पेट को दोनों हाथों से दबाया, और फिर ताबड़तोड़ धक्के मारने शुरू कर दिए। हर धक्के के साथ मम्मी की चूत से ‘फच-फच’ की आवाज आ रही थी, और पापा उनकी गांड पर थप्पड़ मारते हुए चुदाई का मजा ले रहे थे। फिर अचानक पापा ने अपनी बीच वाली उंगली मम्मी की गांड में घुसा दी। मम्मी की सिसकारी और तेज हो गई, लेकिन चुदाई रुकी नहीं। कुछ मिनट बाद दोनों एक साथ झड़ गए—पापा का गर्म रस मम्मी की चूत में भर गया, और मम्मी की आँखों में संतुष्टि की चमक साफ दिख रही थी।

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पापा ने मम्मी की गांड चोदने की इच्छा जताई, लेकिन मम्मी ने हँसते हुए मना कर दिया, “अभी जल्दी है, रात को जी भर के चुदाई कर लेना।” ये सुनकर मेरे दिमाग में लड्डू फूटने लगे। इसका मतलब था कि रात को इनकी गांड चुदाई का खेल होने वाला था। मैंने सोच लिया कि गाँव में रुकने का प्लान कैंसिल करके आज रात घर ही आऊँगा, ताकि ये नजारा देख सकूँ।

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रात 8 बजे तक हम गाँव से लौट आए। खाना पहले ही खा चुके थे, तो थोड़ी देर टीवी देखने के बाद सब अपने-अपने कमरे में चले गए। मुझे पता था कि रात 12 बजे के आसपास इनका खेल शुरू होगा। मैं चुपचाप उनके कमरे के पास पहुँच गया। जैसे ही मैंने झाँका, वही नजारा फिर से शुरू था। पापा नंगे बेड पर लेटे थे, और मम्मी उनका लंड चूस रही थीं। पापा ने मम्मी की गांड पर एक जोरदार थप्पड़ मारा, फिर उसे सहलाने लगे। मम्मी उठीं और पापा के बगल में लेट गईं। अब पापा मम्मी की चूत चाटने लगे—उनकी जीभ मम्मी की चूत के हर कोने को चूम रही थी, और दोनों हाथों से वो मम्मी के दूध दबा रहे थे। मम्मी मजे से सिसकारियाँ ले रही थीं, “आह्ह… और चाटो… पूरा अंदर तक…”

फिर चुदाई की बारी आई। पापा ने मम्मी की टाँगें उठाईं, अपना लंड उनकी चूत में डाला, और जोर-जोर से धक्के मारने लगे। दोनों एक-दूसरे को चूम रहे थे, और पापा मम्मी के दूध दबाते हुए ताबड़तोड़ चोद रहे थे। मम्मी भी सिसकारियों के साथ पापा का हौसला बढ़ा रही थीं। थोड़ी देर बाद पोजीशन बदली—पापा लेट गए, और मम्मी उनके लंड पर चढ़कर उछलने लगीं। उनके दूध मेरी तरफ थे, और हर उछाल के साथ वो हवा में लहरा रहे थे। पापा मम्मी की गांड सहला रहे थे, और बीच-बीच में थप्पड़ मारकर कमरे में ‘चटाक’ की आवाज गूँजा रहे थे। फिर पापा ने अपनी उंगली मम्मी की गांड में डाल दी, और मम्मी का मजा दुगना हो गया।

अचानक मम्मी उठीं और एक डिब्बा ले आईं—उसमें क्रीम थी। पापा समझ गए कि अब गांड चुदाई का वक्त आ गया है। मम्मी कुत्तिया स्टाइल में झुक गईं। पापा ने क्रीम निकाली, मम्मी की गांड में लगाई, और अपने लंड पर भी मल लिया। फिर धीरे से लंड मम्मी की गांड में घुसा दिया। मम्मी को पहले थोड़ा दर्द हुआ, लेकिन जल्द ही वो मजे से सिसकारियाँ लेने लगीं, “आह्ह… धीरे… फिर जोर से…” पापा ने मम्मी की कमर पकड़ी, उनकी गांड को ऊपर उठाया, और खड़े होकर ताबड़तोड़ चुदाई शुरू कर दी। उनके हाथ मम्मी के चूतड़ों को फैला रहे थे, जिससे लंड अंदर-बाहर होता साफ दिख रहा था। मम्मी की “आह्ह… उह्ह…” की आवाजें पूरे कमरे में गूँज रही थीं, और पापा का जोश बढ़ता जा रहा था।

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लगभग 5 मिनट तक ये गांड चुदाई चली। फिर पापा का लंड बाहर निकला, और मैंने देखा कि मम्मी की गांड से चूत तक एक सफेद रेखा बन गई थी—पापा ने अपना सारा रस मम्मी की गांड में डाल दिया था। मम्मी थककर लेट गईं, और पापा ने अपना लंड उनके मुँह में डालकर बचा हुआ रस चटवा दिया। फिर वो मम्मी की चूत पर मुँह रखकर सो गए। सुबह 7 बजे जब मेरी आँख खुली, दोनों कपड़े पहनकर ऐसे तैयार थे जैसे कुछ हुआ ही न हो। लेकिन मेरे दिमाग में वो रात की चुदाई का नजारा अभी भी ताजा था—ऐसी सेक्सी और मदहोश करने वाली चुदाई मैंने जिंदगी में कभी नहीं देखी।