नौकर-नौकरानी चुदाई

रसभरी नौकरानी की चुदाई जी भर के-1

Naukrani ko choda xxx hindi story-1

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मम्मी को सरकारी नौकर श्याम मिला हुआ है जो बिहार का है, वह घर की साफ सफाई करता है, खाना बनाता है और सरवेंट क्वाटर में रहता है। उसकी इसी साल शादी हुई है। उसकी बीवी नीलम बड़ी कमाल की है, देखने में उसकी उम्र 18 साल से कम ही लगती है। उसके सारे शरीर का अंग अंग बड़े बारीकी से बने जान पड़ता है। देखने में वह किसी अप्सरा से कम नहीं लगती- उसकी टाँगें केले के तने की तरह, कटि एकदम क्षीण, कमर लहरदार, भारी नितंब, उठावदार चूचियाँ जैसे पहाड़ की चोटियाँ हों, जो हरदम उसकी ब्लाउज को फाड़ कर बाहर आने के लिए तरसती सी दिखती थी। सुराही की तरह गला, कोमल से हाथ, लाल-गुलाबी होंठ, तोते की तरह नाक, कमल की तरह आँखें, चौड़ा माथा, घने काले बाल जिसमें फंस कर कोई भी अपने होश गँवा बैठे। उसको देख कर बड़ों-बड़ों के होश गुम हो जायें।मैं चोरी-छुपे नीलम को देखा करता था और मन ही मन उसे पेलने की योजनाएँ बनाया करता था पर कामयाबी नहीं मिल रही थी। मैंने उसे सोच कर जाने कितनी बार मुठ मारी होगी पर वो थी कि हाथ न आ रही थी।

वो घर में खाना बनाने का काम करती थी तथा अपने पति का हाथ बंटाती थी, मेरे बहन की हमउम्र होने के नाते उससे खूब बातें किया करती थी पर वह मुझसे कोई बात न करती थी।एक बार मेरी मम्मी किसी काम से शहर से बाहर गई हुई थी तभी श्याम के घर में किसी की मृत्यु होने के कारण उसे घर जाना पड़ गया। उसने फ़ोन पर मम्मी से घर जाने के लिए पूछा तो मम्मी ने उसे जाने के लिए कह दिया पर साथ यह भी कहा- मैं घर पर नहीं हूँ इसलिए तू अपनी पत्नी को छोड़ जाना, वह घर का काम किया करेगी। वैसे भी ट्रेन रिजर्वेशन तो मिलेगा नहीं तो नीलम को कैसे ले जायेगा।वह मान गया और चला गया।मेरी बहन सुबह ही कालेज चली जाती थी और दोपहर को लौटती थी। घर पर मैं अकेला अपने कमरे में था। वह आई और नीचे के कमरे की सफाई करने के बाद ऊपर के कमरे की सफाई करने लगी और अंत में मेरे कमरे में आकर कमरा साफ करने लगी।

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मैं उसे चोर नजरों से देख रहा था। क्या कसा बदन था ! झुकने के कारण उसके दूध से सफेद स्तन के हल्के-हल्के दर्शन हो रहे थे। मेरा मन किया कि उसे इसी समय पटक कर चोद दूँ पर डर था कि बिदक गई तो हंगामा हो जायेगा इसलिए मैंने उसे पटा कर चोदने का निर्णय लिया।पटाने के लिए बातचीत बहुत जरूरी होती है तो मैंने उससे पूछा- तुम्हारे घर में किसकी मृत्यु हुई है?तब उसने काम रोक कर बताया- भईया जी,वो मेरी ननद थी, जिन्हें कैंसर हो गया था और वो काफी दिनों से अस्पताल में भर्ती थी !

फिर मैने बात बढ़ाते हुए कहा- तुम्हारे घर में कौन-कौन है?
वो बताने लगी- हम चार बहनें और दो भाई हैं। मैं घर में सबसे बड़ी हूँ।
फिर मैंने उससे पूछा- तुम्हारे यहाँ शादी बड़ी जल्दी हो जाती है?
तो वह कहने लगी- गाँव में सबकी शादी इसी उम्र में हो जाती है।
“तुमने यहाँ क्या-क्या घूमा?”
तो वह कहने लगी- मैं कभी घूमने नहीं गई।
तो मैंने- पूछा क्यों?
तो वह कहने लगी- उनको फ़ुर्सत ही नहीं मिलती और फिर घर पर हजारों काम रहते हैं।
मैंने कहा- तुम्हें तो दिल्ली घूमना चाहिये, नहीं तो गाँव में जब सब पूछेंगे कि दिल्ली में क्या घूमा तो क्या कहोगी?
तो वह बोली- सो तो है पर मैं अकेली थोड़े ही घूमने जाऊँगी और मुझे तो यहाँ कुछ पता भी नहीं है कि क्या कहाँ है।

फिर मैंने उससे कहा- एक बात कहूँ, बुरा तो नहीं मानोगी?
तो वह बोली- ऐसी क्या बात है?
मैंने कहा- नहीं पहले कहो कि बुरा नहीं मानोगी।
तो उसने कहा- ठीक है कहो !
तो मैं बोला- तुम बहुत सुंदर हो और मुझे बहुत अच्छी लगती हो।
इस पर वह कुछ नहीं बोली और काम खत्म करके चली गई।
फिर थोड़ी देर में वह आई और बोली- नाश्ता कर लीजिए, मेज पर लगा दिया है।
मैंने उससे कहा- क्या तुम्हें मेरी बात अच्छी नहीं लगी?
तो वह बोली- नहीं, ऐसी कोई बात नहीं है, आप नाश्ता कर लीजिए।
यह कह कर वह अपने कमरे में चली गई।
फिर मैं दिन-भर उसे चोदने की योजना बनाता रहा। तभी मेरे दिमाग में एक आइडिया आया और मैं शाम को मेडिकल स्टोर से सेक्स पिल्स और नींद की गोली ले आया।
अगले दिन सुबह बहन के कालेज जाने के बाद मैं उसका इन्तजार करने लगा। थोड़ी देर में वह आई, आज उसने मैक्सी पहनी थी। घर के काम खत्म करने के बाद मेरा नाश्ता लगाने के लिए रसोई में चली गई, उसने पोहा बनाया और चाय बनाई। चाय छान ही रही थी कि मैंने उसे आवाज- मेरी जीन्स नहीं मिल रही !
तो वह बोली- ऊपर सूखने डाली है !
तो मैं बोला- उसे प्रेस कर दो !

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तो वह नाश्ता लगा कर ऊपर जीन्स लेने चली गई तो मैं किचन में गया और उसकी चाय में सेक्स पिल्स और नींद की गोली डाल दी और फिर आकर नाश्ता करने लगा। नीलम रसोई से अपनी चाय लेकर जीन्स प्रेस करने लगी। मैंने नाश्ता किया और ऊपर चला गया और एक ब्लू फिल्म लगाई और देखने लगा।करीब डेढ़ घन्टे बाद मैं नीचे नीलम को देखने आया कि वह क्या कर रही है। नीचे आकर मैंने उसे आवाज लगायी पर उसने कोई उत्तर नहीं दिया तो मैं उसे ढूढने लगा। वह नहीं मिली तो मैं उसके रूम में गया जो पीछे के दरवाजे से सीधे उसके कमरे में जाता है।

वह वहाँ बिस्तर पर लेटी हुई थी, उसके कपड़े ऊपर को चढ़े हुए थे जिससे उसकी गोरी-गोरी टांगें साफ दिख रही थी। मैं उसके पास जाकर बैठ गया और उसे देखने लगा। उसकी कोमल सा शरीर बड़ा प्यारा लग रहा था और मुझे दावत दे रहा था। उसकी छातियाँ सांसों के साथ उठक-बैठक लगा रही थी। मेरा मन कर रहा था कि उसकी गुलाबी लाल गुलाब जैसे होठों का रस निचोड़ लूँ पर मैंने अपनी तसल्ली के लिए एक बार फिर उसे आवाज लगाई और उसे हिलाकर भी देखा। जब उसने कोई प्रतिक्रिया नहीं कि तो मैं समझ गया कि दवा का असर हुआ है।मैं उसके बगल में उससे चिपक कर लेट गया और अपना हाथ उसके मम्मे पर रख दिया और उसके मम्मों की नर्माहट को महसूस करने लगा। वो दबाने में बड़े मुलायम से लग रहे थे। फिर मैं एक हाथ से उसके दूध से खेलता रहा तथा दूसरे से उसकी मैक्सी को ऊपर सरकाने लगा और खींच कर उसके पेट तक ले आया, उसकी टांगें पूरी तरह नंगी हो चुकी थी और उसने गुलाबी पैंटी पहन रखी थी।

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अब मैं बैठ गया और उसकी मैक्सी को गले तक खींच कर ले गया और उसके सर उठाकर उसे निकाल दिया अब वह सिर्फ पेंटी और ब्रेजरी में थी। क्या हसीन लग रही थी ऐसा लग रहा था जैसे भगवान ने एक एक अंग को इत्मीनान से तराशा हो।मैं अपने हाथों को उसके पूरे शरीर पर फेरने लगा- एकदम चिकना शरीर था कहीं बालों के निशान तक नहीं था। उसके शरीर पर हाथ फेरने से उसके शरीर में एक सुरसुराहट सी होने लगी। मैं उसके शरीर के एक-एक अंग को आँखों में बसा लेना चाहता था। उसकी ऐड़ियाँ एकदम गुलाबी थी, पैर एकदम सफेद एवं चिकने, पेट समतल था जिसके ऊपर पहाड़ की चोटी थी। मैंने उसके पैर सहलाये, चूत को कपड़े के ऊपर से चहलाया, पेट सहलाया, उसके चेहरे पर हाथ फेरा।

अब मेरे से बरदाश्त नहीं हो रहा था, मेरा बुरा हाल था, मेरा लण्ड तनकर तम्बू बना रहा था। मैंने अपने कपड़े उतार दिए और एकदम नंगा हो गया, नंगा होने के बाद मैंने उसकी ब्रा भी खोल दी। ब्रा खोलते ही उसके सफेद कबूतर फड़फड़ाने लगे जिसे देख कर मैंने अपना काबू खो दिया और उसके ऊपर लेट कर उसके दूध को बारी-बारी चुभला-चुभलाकर पीने लगा। अब वो पहले की तरह नर्म नहीं थे, वे पत्थर की तरह कठोर हो गये थे और आकार में भी पहले से बड़े हो गये थे। मैं दोनों हाथों से दबा-दबा कर मुँह से उन्हें पी रहा था जैसे पके आम को खाते हैं। अब उसके शरीर में कंपन और तेज हो गया था और वह नींद में ही बार-बार कुछ बोल रही थी।