ऑफिस में रूपा के साथ चुदाई: आर्यन की हॉट सेक्स स्टोरी
हाय दोस्तों, मेरा नाम आर्यन है। एक बार फिर मैं आपके लिए अपनी जिंदगी का एक नया किस्सा लेकर आया हूँ। मैं राजकोट, गुजरात का रहने वाला हूँ। उम्र 22 साल, दिखने में ठीक-ठाक हूँ और जिम जाने की वजह से मेरी बॉडी भी काफी अच्छी है। अब ज्यादा वक्त बर्बाद न करते हुए मैं सीधे अपनी कहानी पर आता हूँ।
ये कहानी एक लड़की की है, जिसका नाम रूपा है। दो महीने पहले मैंने एक नई कंपनी में नौकरी शुरू की, जहाँ मैं चीफ अकाउंटेंट की पोस्ट पर हूँ। रूपा भी उसी ऑफिस में काम करती है, वो क्लर्क है। वो दिखने में साधारण-सी है, कोई बहुत खूबसूरत नहीं, लेकिन उसका फिगर कमाल का है – आकर्षक और संतुलित। शुरू में मैं उस पर ध्यान नहीं देता था। ऑफिस में एक दूसरी लड़की थी, जो मुझे पसंद थी। मैं उसी को लाइन मारने की कोशिश करता था, लेकिन बाद में पता चला कि वो शादीशुदा है और हमारे बॉस के साथ उसका कुछ चल रहा है। तो मैंने सोचा, “ये तो हाथ नहीं आने वाली, चलो कोई और देखते हैं।”
रूपा मुझे अक्सर ऐसे देखती थी कि मुझे एहसास हो गया कि मैं उसे अच्छा लगता हूँ। फिर भी, मैंने इस पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया। एक दिन ऑफिस में सभी कर्मचारियों के फोटो और आईडी प्रूफ जमा करने थे। मैंने अपने असिस्टेंट सुरेश को कहा कि सबके दो फोटो और एक आईडी प्रूफ मँगवा ले। उसी दिन रूपा ऑफिस साफ करने आई। मैंने उससे कहा, “रूपा, तुम्हारा फोटो और आईडी प्रूफ चाहिए।” उसने हँसते हुए जवाब दिया, “क्या मेरे फोटो को जेब में रखोगे?” मुझे उसका जवाब सुनकर थोड़ा मजा आया। मैंने कहा, “जेब में रखकर क्या करूँगा? और वैसे भी, तुम तो रोज मेरे सामने होती हो, फोटो से क्या लेना-देना?” वो हँस पड़ी और बोली, “अच्छा, तो मैंने कब रोका है?” ये सुनकर मैं थोड़ा चौंका, लेकिन वो फिर अपने काम में लग गई और मुझे देखकर मुस्कुराती रही।
बस, फिर क्या था – ये हमारा रोज का सिलसिला बन गया। वो ऑफिस साफ करने आती, मुझे देखकर स्माइल देती, हम थोड़ी-बहुत बातें करते और वो चली जाती। मुझे धीरे-धीरे यकीन हो गया कि वो मुझसे करीब आना चाहती है। मुझे बस एक सही मौके का इंतजार था, और आखिरकार ऊपरवाले ने मेरी सुन ली।
लगभग 20 दिन बाद एक दिन ऐसा आया जब बॉस ऑफिस नहीं आए। काम भी ज्यादा नहीं था, तो मैंने सभी वर्कर्स को शाम 5 बजे छुट्टी दे दी। लेकिन मैं रुका रहा – थोड़ा काम बाकी था और मन में रूपा के साथ वक्त बिताने का खयाल भी था। सब जाने लगे, तभी बॉस की वो खास दोस्त मेरे पास आई और बोली, “चलो, मैं जा रही हूँ। तुम नहीं चलोगे?” मैंने कहा, “नहीं, आज थोड़ा काम बाकी है। एक-दो घंटे लगेंगे।” उसने कहा, “ठीक है, सोचा था बॉस नहीं हैं तो कहीं कॉफी पीने चलते।” मैंने मजाक में कहा, “रोज बॉस के साथ तो पीती हो, आज क्या खास है?” वो हँसी और बोली, “हाँ, मजबूरी है। शौक थोड़े ही है। खैर, तुम काम करो।” फिर उसने सुझाव दिया, “रूपा से कह दो, ऑफिस साफ कर देगी।” मैंने कहा, “नहीं, उसे बुरा लगेगा कि सब चले गए और उसे रोक लिया।” उसने कहा, “अरे, मैं उससे बात कर लेती हूँ,” और वो चली गई।
मैं मन ही मन खुश था कि आज मौका मिल ही गया। थोड़ी देर बाद रूपा आई, मुझे देखकर मुस्कुराई और बोली, “बोलो, क्या काम है?” मैंने कहा, “थोड़ी सफाई करनी है। कर दोगी?” उसने कहा, “हाँ, क्यों नहीं? बताओ क्या करना है।” मैंने उसे पंखा साफ करने को कहा और एक टेबल दी, जो थोड़ी डगमग थी। वो टेबल पर चढ़ी, लेकिन टेबल हिलने की वजह से बार-बार नीचे उतर रही थी। आखिर में उसने कहा, “अगर आप टेबल पकड़ लें तो मैं ठीक से साफ कर सकूँगी।” मैंने कहा, “टेबल छोटी है, ठीक से नहीं पकड़ पाऊँगा। अगर तुम्हें ऐतराज न हो तो तुम्हें पकड़ लूँ?” वो हँस पड़ी, टेबल पर चढ़ गई और मेरी तरफ देखने लगी।
मैं उसके पास गया और उसकी कमर पर हाथ रखकर उसे पकड़ लिया। वो पंखा साफ करने लगी। धीरे-धीरे मेरा हाथ उसकी कमर पर कसता गया, फिर थोड़ा ऊपर सरकने लगा। जैसे ही मेरा हाथ उसकी पीठ पर ऊपर गया, उसने कहा, “बस, अब रहने दो। वरना ऑफिस साफ नहीं होगा।” मुझे समझ आ गया कि वो अब मना नहीं करेगी। मैंने कहा, “ऑफिस साफ किसे करना है? मुझे तो इसे थोड़ा और मजेदार बनाना है।” ये कहकर मैंने उसे कमर से उठाया, अपनी बाहों में लिया और उसके होंठों पर एक गहरा चुंबन दे दिया।
वो चुपचाप खड़ी रही, आँखें बंद किए हुए। मैंने पूछा, “अगर पसंद नहीं तो मना कर दो, मैं रुक जाऊँगा।” उसने कहा, “पसंद नहीं होता तो जब मैडम ने कहा कि ऑफिस साफ कर दो, तभी मना कर देती।” ये सुनकर मैं फिर से उसे चूमने लगा। उसके बाल खोले, पीछे से उसकी ड्रेस की चेन खोल दी। वो खामोश रही, बस मेरा साथ देती रही। मैंने उसकी ड्रेस उतारी। अब वो मेरे सामने सिर्फ ब्रा और पैंटी में थी। उसका फिगर देखकर मैं हैरान रह गया – साधारण चेहरा, लेकिन बदन इतना आकर्षक कि किसी का भी मन डोल जाए।
मैंने उसे सोफे पर लिटाया और उसके साथ वो खूबसूरत पल शुरू हुए, जो हम दोनों के बीच एक नई शुरुआत बन गए। वो मेरे हर स्पर्श का जवाब देती रही, कभी हल्की सिसकारियाँ भरती, कभी मुस्कुराती। हम दोनों उस पल में खो गए। थोड़ी देर बाद जब माहौल गरम हो गया, मैंने उससे पूछा, “कहाँ तक ले जाना चाहती हो?” उसने कहा, “बस, जहाँ तक आपको ठीक लगे।” फिर क्या था – हमने उस शाम को यादगार बना दिया।
50 मिनट बाद उसने अचानक मुझे धक्का दिया और बोली, “सब चले गए हैं, मुझे भी घर जाना है। बाकी फिर कभी।” मैंने एक बार और कोशिश की, लेकिन वो नहीं मानी। कपड़े पहनकर वो चली गई। दोस्तों, उस दिन से हमारा ये सिलसिला शुरू हो गया। जब भी मौका मिलता, हम एक-दूसरे के साथ वक्त बिताते। ये कहानी मेरी जिंदगी का वो हिस्सा है, जो मुझे हमेशा याद रहेगा।
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