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रितिका की ऑफिस में हॉट चुदाई – दिल्ली कॉल सेंटर सेक्स कहानी

दिल्ली के कॉल सेंटर में रितिका की रसीली चूत की चुदाई की सच्ची कहानी। टाइट जींस और काली शर्ट में उसकी आग ने एक जवान को लिफ्ट से केबिन तक चोदने पर मजबूर कर दिया। पढ़ें ये कामुक सेक्स स्टोरी।

रितिका जैसी लड़की मैंने आज तक नहीं देखी। उसकी एक नजर ही दिल में आग लगा देती थी। बात उस वक्त की है जब मैं दिल्ली के एक कॉल सेंटर में नाइट ड्यूटी करता था। मैं आज़ादपुर से कब लेता था, और रितिका, जो पंजाबी बाग की रहने वाली थी, मेरे साथ ही गुरुग्राम के लिए कब शेयर करती थी। हमारी मुलाकात रोज़ होती थी, पर उस दिन कुछ खास था।

उसने काली शर्ट पहनी थी, जो इतनी फिट थी कि उसके कर्व्स साफ झलक रहे थे। टाइट जींस में उसकी जांघें और गोल-मटोल नितंब ऐसे उभरे थे मानो किसी ने तराशा हो। उसका गोरा रंग, गुलाबी होंठ, और काजल से सजी आंखें… हाय! वो किसी हुस्न की मलिका सी लग रही थी। मैं तो बस देखता ही रह गया, पर चुप रहा क्योंकि वो मेरी सीनियर थी।

कब में कुछ दूर चले, तो मुझसे रहा न गया। मैंने हिम्मत जुटाकर कहा,
“रितिका मैम, आप आज बहुत हॉट लग रही हो।”

वो हंस पड़ी और बोली, “अरे, झूठा! हवा तो आने दे।”

“नहीं, सच में… मैं झूठ नहीं बोल रहा,” मैंने हड़बड़ाते हुए कहा।

उसने मेरी तरफ शरारती नजरों से देखा और बोली, “अच्छा? तो क्या मेरी शर्ट के नीचे, ब्रा के नीचे भी तुझे कुछ दिख रहा है?”

मैं शरमा गया। नजरें झुका लीं। उसने तपाक से कहा, “क्या बात है? हिजड़ा है क्या, या गे? बोल!”

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“नहीं, नहीं, ऐसी बात नहीं है,” मैंने जल्दी से सफाई दी।

“तो फिर शरमा क्यों रहा है, साले?” उसने मुझे छेड़ते हुए कहा। “चल, ऑफिस में बता देती हूं कि मैं कैसी लड़की हूं।”

मुझे लगा, ये तो कुछ और ही मूड में है। उसकी बातों में एक अजीब सी आग थी। मैंने अब उसे अलग नजरों से देखना शुरू किया। उसका 34 साइज़ का उभार, टाइट ब्रा में कैद, बाहर निकलने को बेताब था। उसकी कमर पतली, पर चूतड़ इतने चौड़े और गोल कि बस देखते ही मन डोल जाए। उसकी जांघें टाइट और रसीली, और पेट इतना फ्लैट कि लगता था कोई मॉडल हो। काले काजल वाली आंखें, गुलाबी होंठ, और गोरे गाल, जो बस चूमने के बाद लाल हो जाएं। वो हर अदा में आग बरसाती थी।

रात के करीब 9 बजे हम ऑफिस पहुंचे। लिफ्ट में सिर्फ हम दोनों थे। अचानक रितिका ने मुझे अपनी ओर खींचा और मेरे होंठों पर अपने गर्म होंठ रख दिए। उसकी सांसें तेज थीं, जैसे कोई तूफान आने वाला हो। उसने मेरा हाथ पकड़ा और अपने उभारों पर रख दिया। मैं तो जैसे कहीं खो गया। उसका बदन गर्म था, और उसकी सांसें मेरे चेहरे पर आग बरसा रही थीं। लेकिन तभी लिफ्ट रुकी, और वो अलग हो गई।

ऑफिस पहुंचकर वो अपने केबिन में चली गई, और मैं अपने वर्कस्टेशन पर। रात के 2 बजे उसका मैसेज आया, “मेरे केबिन में आ।” मैं पहुंचा तो देखा, उसने जींस उतार दी थी। सिर्फ काली कुर्ती में थी, जो उसकी जांघों तक थी। उसने दरवाजा अंदर से लॉक किया और कुर्सी पर बैठ गई। फिर मुझे नीचे बिठाया और मेरे बाल पकड़कर मेरे चेहरे को अपनी रसीली योनि पर दबा दिया। उसकी दोनों जांघों ने मेरे चेहरे को जकड़ लिया।

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“चाट, साले! ऐसा बूर तुझे फिर कभी नहीं मिलेगा। चाट इसे, सारा पानी पी जा!” उसकी आवाज में एक जुनून था।

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मेरा लंड तन गया। मैंने उसके नितंबों को दोनों हाथों से पकड़ा और एक-एक उंगली उसकी गांड में डाल दी। उसका बूर पहले से गीला था, और पानी उसकी गांड तक बह रहा था। मैंने जीभ से उसे चाटना शुरू किया। वो पागल सी होने लगी। “आह… हाय… चाट, जीभ घुसा दे!” वो चिल्ला रही थी।

मैंने उसकी चूत को चाट-चाटकर लाल कर दिया। उसके काले-काले बाल गीले हो चुके थे—कुछ मेरे थूक से, कुछ उसके पानी से। फिर उसने मुझे खींचा और बोली, “चोद मुझे, साले! अभी चोद!”

मैंने जल्दी से पैंट खोली, लंड निकाला, और एक ही झटके में उसके बूर में डाल दिया। उसका बूर इतना गर्म और टाइट था कि मैं तो जैसे स्वर्ग में पहुंच गया। मैंने उसे कसकर चोदना शुरू किया। वो सिसकारियां ले रही थी, “आह… हाय… और तेज… चोद मुझे!”

करीब 30 मिनट तक मैंने उसे पेला। उसका शरीर कांपने लगा, और उसने एक लंबी सिसकारी भरी, “उम्म… उम्म्म… हाय!” उसने मेरे बाल कसकर खींचे और शांत होने लगी। लेकिन मैं रुका नहीं। 120 की स्पीड से मैं उसे चोदता रहा। दो मिनट बाद मैं भी झड़ गया। मेरा सारा वीर्य उसके बूर में ही गिर गया।

हम दोनों ने कपड़े पहने। वो बाहर गई और दो कॉफी लेकर आई। मुस्कुराते हुए बोली, “कई दिनों से चुदने का मन था। बॉस ने ये लत लगाई है, रोज़ मुझे चोदता है। पर वो 15 दिन के लिए बाहर है। अब तू मेरी आग बुझाएगा।”

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और फिर क्या, अगले 15 दिन तक हर रात रितिका की चुदाई का सिलसिला चला। कभी केबिन में, कभी लिफ्ट में, कभी बाथरूम में। उसकी हर अदा, हर सिसकारी, और हर चीख मेरे दिल में बस गई। वो आग थी, और मैं उसका ईंधन।